Saturday, 27 July 2024

विकास की अनदेखी और जमीनी मुद्दों से दूरी बनी इस केंद्रीय मंत्री के हारने की वजह

UP News : लोकसभा चुनाव 2024 के 4 जून को नतीजे आए, और रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी…

विकास की अनदेखी और जमीनी मुद्दों से दूरी बनी इस केंद्रीय मंत्री के हारने की वजह

UP News : लोकसभा चुनाव 2024 के 4 जून को नतीजे आए, और रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार शपथ ली। लेकिन इस चुनाव में मोदी लहर नहीं चली, जिससे कई बड़े नेताओं को हार का सामना करना पड़ा। इसमें लखनऊ की मोहनलालगंज लोकसभा सीट से दो बार के सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर भी शामिल हैं। क्षेत्र की जनता ने उनकी जगह समाजवादी पार्टी के आरके चौधरी को सांसदी का ताज सजा दिया, जब वे लगातार दो बार विजयी बनने के बाद तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाने की कोशिश कर रहे थे।

इसलिए चुनाव नहीं जीत पाए कौशल किशोर

जनता की नाराजगी इन चुनावों में इस कदर हावी रही की उन्हें 70 हजार से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा। नाराजगी का कारण मूलरूप से क्षेत्र के विकास की अनदेखी, जमीनी मुद्दों से दूरी और पारिवारिक कलह मानी जा रही है। इस बार मोहनलालगंज से सांसद बने आरके चौधरी 2014 में बसपा और 2019 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। हालाँकि पिछले दोनों चुनावों में उन्हें सफलता नहीं मिली थी। इस बार चुनाव के शुरू से ही कयास लगाए जा रहे थे की इस पर कांटे की टक्कर होगी लेकिन आरके चौधरी ने 70 हजार वोटों के बड़े अंतराल से जीत हासिल कर सभी कयासों पर पानी फेर दिए। काउंटिंग शुरू होने से लेकर अंत तक सभी राउंड में आरके चौधरी ही बढ़त बनाए रहे और अंत में विजयी घोषित हुए।

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नाराजगी की ये रही सबसे बड़ी वजह

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि मोहनलालगंज की जनता कौशल किशोर द्वारा क्षेत्र का विकास न किए जाने से बेहद नाराज है। लोकसभा क्षेत्र में गोसाईंगंज, मोहनलालगंज, नगराम समेत एक बड़ा इलाका ऐसा है जहाँ कोई सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है। कई बार मांग करने के बावजूद कौशल क्षेत्र को एक डिग्री कॉलेज तक नहीं दिला पाए। इसके अलावा क्षेत्र में दो गांवों में नहर पर पुल, खस्ताहाल ग्रामीण सड़कें, गोसाईंगंज और मोहनलालगंज में रेलवे क्रासिंग पर आरओबी बनने की मांग भी एक दशक से अधूरी है। इसके अलावा उनकी पारिवारिक कलह और बेटों का आपराधिक घटनाओं में नाम आना भी हार का कारण बना। आखिरकार इस सब का खामियाजा उन्हें हार के रूप में भुगतना पड़ा।

2002 में पहली बार बने थे विधायक

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वर्ष 2002 में पहली बार यूूूपी में विधायक बने कौशल किशोर लम्बा राजनीतिक अनुभव रखते हैं। वह वर्ष 2003-04 में उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री भी रहे जिसके बाद फिर 2014 में वह सांसद बने। साथ ही 2014 से 2018 के बीच गृह मंत्रालय की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य भी रहे। इसके अलावा 2018-19 में केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य रहे। वर्ष 2019 में ही वह दोबारा यूूूपी के मोहनलालगंज सीट से सांसद चुने गए। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसलिए मोदी 3.0 में इस बार कौशल किशोर को जगह नहीं मिली।

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