UP Election 2022: किसान आंदोलन और राकेश टिकैत का भविष्य तय करेंगे चुनावी नतीजे, पश्चिमी यूपी पर पूरे देश की नजर

किसान नेता चौधरी राकेश टिकैत[/caption]
अपने ही घर में परीक्षा है किसान नेता राकेश टिकैत की किसान आंदोलन की बदौलत सर्वमान्य किसान नेता बनकर उभरे राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हैं. वे इसी क्षेत्र के मुजफ्फरनगर जिले (Muzaffarnagar District) के सिसौली गांव के रहने वाले हैं. उत्तर प्रदेश की तरफ से किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) का मुख्यालय भी यहीं है. ऐसे में यह चुनाव राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के लिए एक बड़ी परीक्षा है. उन्हें यह परीक्षा अपने ही घर में देनी पड़ रही है. टिकैत चुनावी राजनीति से दूर रहने का दावा कर रहे हैं. यह अलग बात है कि वे साफ-साफ कहते हैं कि यदि 13 महीने दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन करके तथा आधी दरों पर फसल बेचकर भी किसान गलत जगह वोट देंगे तो हम यही समझेंगे कि हमारी ट्रेनिंग में कुछ कमी रह गई होगी. कुल मिलाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजे (10 मार्च को) किसान आंदोलन व प्रसिद्ध किसान नेता चौधरी राकेश टिकैत (Rakesh Tikait)का भविष्य भी तय कर देंगे.देशभर के गुर्जर समाज की नजर दादरी पर! जहां देश की नजर पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चुनावों पर टिकी हुई है. वहीं देशभर के गुर्जर समाज (Gurjar Community) की नजरें दादरी विधानसभा सीट (Dadri Assembly Seat) पर लगी हुई हैं. दरअसल दादरी (Dadri) को गुर्जर राजधानी (Gurjar Capital) के नाम से भी जाना जाता है. आजादी के आंदोलन में यहां के दर्जनों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए कुर्बानी दी थी. उन अमर सपूतों में ज्यादातर गुर्जर समाज के ही सेनानी थे. आजादी के बाद भी अनेक कारणों से यह क्षेत्र गुर्जर समाज के लिए महत्वपूर्ण रहा है.
यही वह क्षेत्र है जहां 22 सितंबर 2021 को गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण करने से पूर्व 'गुर्जर' शब्द को कालिख लगवा कर मिटवा दिया गया था. उस दिवस को गुर्जर समाज 22 सितंबर की दुर्घटना के नाम से याद करता है. इस मुद्दे पर आंदोलन भी चला. अब देश भर का गुर्जर समाज यह जानना चाहता है कि इस प्रकरण के बाद दादरी क्षेत्र की जनता चुनाव में क्या फैसला करेगी? क्या वोट की चोट करके जनता सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति पर लिखे गए 'गुर्जर' शब्द पर पोती गई कालिख का बदला ले पाएगी? इस मुद्दे पर सोशल मीडिया के माध्यम से गुर्जर समाज का युवा वर्ग भी बेहद मुखर नजर आ रहा है. निश्चित ही दादरी विधानसभा क्षेत्र के चुनावी नतीजे (Dadri Assembly Seat Results) बहुत कुछ तय करेंगे.
पढ़ें : UP Election 2022: वकीलों ने दिया राजकुमार भाटी को खुला समर्थन, किया स्वागतअगली खबर पढ़ें
किसान नेता चौधरी राकेश टिकैत[/caption]
अपने ही घर में परीक्षा है किसान नेता राकेश टिकैत की किसान आंदोलन की बदौलत सर्वमान्य किसान नेता बनकर उभरे राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हैं. वे इसी क्षेत्र के मुजफ्फरनगर जिले (Muzaffarnagar District) के सिसौली गांव के रहने वाले हैं. उत्तर प्रदेश की तरफ से किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) का मुख्यालय भी यहीं है. ऐसे में यह चुनाव राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) के लिए एक बड़ी परीक्षा है. उन्हें यह परीक्षा अपने ही घर में देनी पड़ रही है. टिकैत चुनावी राजनीति से दूर रहने का दावा कर रहे हैं. यह अलग बात है कि वे साफ-साफ कहते हैं कि यदि 13 महीने दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन करके तथा आधी दरों पर फसल बेचकर भी किसान गलत जगह वोट देंगे तो हम यही समझेंगे कि हमारी ट्रेनिंग में कुछ कमी रह गई होगी. कुल मिलाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजे (10 मार्च को) किसान आंदोलन व प्रसिद्ध किसान नेता चौधरी राकेश टिकैत (Rakesh Tikait)का भविष्य भी तय कर देंगे.देशभर के गुर्जर समाज की नजर दादरी पर! जहां देश की नजर पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चुनावों पर टिकी हुई है. वहीं देशभर के गुर्जर समाज (Gurjar Community) की नजरें दादरी विधानसभा सीट (Dadri Assembly Seat) पर लगी हुई हैं. दरअसल दादरी (Dadri) को गुर्जर राजधानी (Gurjar Capital) के नाम से भी जाना जाता है. आजादी के आंदोलन में यहां के दर्जनों स्वतंत्रता सेनानियों ने देश के लिए कुर्बानी दी थी. उन अमर सपूतों में ज्यादातर गुर्जर समाज के ही सेनानी थे. आजादी के बाद भी अनेक कारणों से यह क्षेत्र गुर्जर समाज के लिए महत्वपूर्ण रहा है.
यही वह क्षेत्र है जहां 22 सितंबर 2021 को गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण करने से पूर्व 'गुर्जर' शब्द को कालिख लगवा कर मिटवा दिया गया था. उस दिवस को गुर्जर समाज 22 सितंबर की दुर्घटना के नाम से याद करता है. इस मुद्दे पर आंदोलन भी चला. अब देश भर का गुर्जर समाज यह जानना चाहता है कि इस प्रकरण के बाद दादरी क्षेत्र की जनता चुनाव में क्या फैसला करेगी? क्या वोट की चोट करके जनता सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति पर लिखे गए 'गुर्जर' शब्द पर पोती गई कालिख का बदला ले पाएगी? इस मुद्दे पर सोशल मीडिया के माध्यम से गुर्जर समाज का युवा वर्ग भी बेहद मुखर नजर आ रहा है. निश्चित ही दादरी विधानसभा क्षेत्र के चुनावी नतीजे (Dadri Assembly Seat Results) बहुत कुछ तय करेंगे.
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भाईचारे की राजनीति से खुशहाली लाएंगे: अखिलेश
गाजियाबाद । समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि प्रदेश की गंगा-जमुनी तहजीब को नष्ट करने वालों को जनता जरूर जवाब देगी। उन्होंने कहा कि सपा और रालोद का गठबंधन प्रदेश की खुशहाली के लिए हुए है। हम दोनों भाईचारे की राजनीति से प्रदेश में खुशहाली लाएंगे। सपा प्रमुख अखिलेश यादव आज गाजियाबाद में रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी के साथ एनएच-24 स्थित वेदांता फार्म हाउस में संयुक्त प्रेसवार्ता कर रहे थे। इस दौरान सपा-रालोद गठबंधन के सभी प्रत्याशी भी मौजूद थे। प्रेसवार्ता के दौरान अखिलेश यादव ने गाजियाबाद में बंद हुए साइकिल कारखाने को सरकार आने के बाद शुरू करने के अलावा खोड़ा कालोनी में अस्पताल, डिग्री कॉलेज तथा घर-घर में साफ पानी पहुंचाने के अलावा गाजियाबाद और साहिबाबाद में कोरोना महामारी के कारण लघु उद्योग को नुकसान से उबारने की घोषणा की।
UP Election 2017 चुनाव के नतीजे.[/caption]
अगर विपक्ष का अच्छा गठबंधन जोर लगा देता है तो भाजपा की हार भी विशेषज्ञ देख रहे हैं. इनमें अहम रोल सपा का हो सकता है. यह भी कहा जा रहा था कि अगर सपा यूपी में अकेले चुनाव लड़ती तो इसकी जीत की सीटों की संख्या कम रह सकती थी. 17वीं विधानसभा का कार्यकाल 15 मई तक है. 17वीं विधानसभा के लिए 403 सीटों पर चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च 2017 तक 7 चरणों में हुए थे. उस चुनाव में बीजेपी ने 312 सीटें जीतकर पहली बार यूपी विधानसभा में तीन चौथाई बहुमत हासिल किया। अखिलेश यादव की अगुवाई में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन 54 सीटें जीत सका था. सपा को 47 सीट और कांग्रेस को 7 सीटें मिली थीं. इसके अलावा प्रदेश में कई बार मुख्यमंत्री रह चुकीं मायावती की बीएसपी 19 सीटों पर सिमट गई थी. इस बार सीधा मुकाबला सपा और भाजपा के बीच माना जा रहा है.