UP News : उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती के उम्मीदवारों के लिए बड़ा झटका लगा है। बड़ी उम्मीदों के साथ उत्तर प्रदेश के युवाओं की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले ने तोड़ दिया। जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती में EWS आरक्षण का फायदा लेने के लिए कई उम्मीदवारों की ओर से यह याचिका लगाई गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया।
कोर्ट ने खारिज की याचिका
अपना फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा “69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की चयन प्रक्रिया 16 मई 2020 से शुरू हुई थी। यह 103वें संविधान संशोधन के बाद, लेकिन EWS Act के लागू होने से पहले की बात है। इसलिए, बचत खंड (धारा 13) के अनुसार, इस अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होंगे।” जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने 31 अगस्त 2020 को “उत्तर प्रदेश लोक सेवा EWS अधिनियम, 2020” के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आरक्षण देने का प्रावधान किया था। लेकिन इस अधिनियम में आने वाली धारा 13 कहती है कि यह उन चयन प्रक्रियाओं पर लागू नहीं होगा, जो इस आरक्षण कानून के लागू होने से पहले शुरू हो चुकी थीं। उन पुरानी भर्तियों पर पुराने कानून ही लगेंगे और उन्हीं को माना जाएगा।
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10 प्रतिशत आरक्षण की रखी थी मांग
आपको बता दें दिसंबर साल 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने सहायक शिक्षक भर्ती परीक्षा 2019 का आयोजन करवाया था। जिसमें सभी याचिकाकर्ता अनारक्षित यानि सामान्य वर्ग में पास हुए थे। इसके बाद राज्य सरकार ने उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा में नियुक्ति के लिए 69000 सहायक शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया शुरू की। लेकिन बाद में भारतीय संविधान में 103वें संशोधन के बाद, याचिकाकर्ताओं ने अपना EWS प्रमाण पत्र प्राप्त किया और भर्ती प्रक्रिया में ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग की। लेकिन याचिका दायर करने के दौरान सभी सफल उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया पूरी हो गई। क्योंकि याचिकाकर्ता मेरिट लिस्ट में नीचे थे, उनका चयन नहीं हो सका। अब अदालत ने यह कहते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है कि याचिकाकर्ताओं की ओर से मांगी गई राहत नहीं दी जा सकती। क्योंकि उनकी परीक्षा नियम लागू होने से पहले ही आयोजित की जा चुकी थी।
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