Tuesday, 26 November 2024

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सरकार की समझदारी पर नहीं उठा सकते सवाल

UP News : उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने अपने फैसले में…

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सरकार की समझदारी पर नहीं उठा सकते सवाल

UP News : उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अदालत सरकार की राजनीतिक समझदारी पर सवाल नहीं उठा सकती है। यह टिप्पणी करते हुए उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस मनाने की अधिसूचना को रदद करने से मना कर दिया है। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने इस विषय में दायर की गई जनहित याचिका खारिज कर दी है। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले की खूब तारीफ हो रही है।

संविधान हत्या दिवस के विरोध में दायर की गई थी याचिका

आपको बता दें कि केन्द्र सरकार ने 25 जून 1975 को लगाई गई इमरजेंसी को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। केन्द्र सरकार ने 25 जून का दिन संविधान हत्या दिवस मनाने की घोषणा की है। इस संबंध में सरकार ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। अधिसूचना को गलत बताते हुए उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गयी थी। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट में यह जनहित याचिका पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने दायर की थी। शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने इस याचिका पर विस्तार से सुनवाई की। विस्तार से सुनवाई करने के बााद उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

सरकार की राजनीतिक समझदारी पर नहीं उठा सकते सवाल

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि अदालत ऐसे राजनीतिक हलकों में प्रवेश नहीं कर सकती और ऐसी अधिसूचना जारी करने के सरकार की राजनीतिक समझदारी पर सवाल नहीं उठा सकती। न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा और न्यायमूर्ति श्रीप्रकाश सिंह की खंडपीठ ने यह फैसला पूर्व आईपीएस अधिकारी और आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर की जनहित याचिका पर दिया। याची का कहना था कि सरकार संविधान हत्या दिवस का इस्तेमाल नहीं कर सकती, क्योंकि ज्ञो चीज मर जाती है वह हमेशा के लिए समाप्त हो जोती है। ऐसे में इस मामले में संविधान के लिए हत्या शब्द का इस्तेमाल करना गलत है।

उधर केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने यह कहकर याचिका पर आपत्ति उठाई कि याची ने इसमें नियमानुसार अपना पूरा ब्योरा नहीं दिया है। ऐसे में यह याचिका सुनवाई को ग्रहण करने योग्य नहीं है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि यह सरकार की सोच है कि वह 25 जून 1975 को लागू की गई इमरजेंसी के दौरान किए गए शक्ति के अधिक इस्तेमाल को लेकर किस तरह कार्यवाही करे। कोर्ट ऐसे राजनीतिक हलकों में प्रवेश नहीं कर सकता और ऐसी अधिसूचना जारी करने के सरकार की राजनीतिक समझदारी पर सवाल नहीं उठा सकता है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने भी रद्द कर दी याचिका

उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के फैसले की तरह ही दिल्ली हाईकोर्ट ने भी संविधान हत्या दिवस को लेकर दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया। दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता समीर मलिक की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल की घोषणा को चुनौती नहीं देती है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि यह अधिसूचना केंद्र की यह अधिसूचना शक्ति व सांविधानिक प्रावधानों का दुरुपयोग और इसके बाद होने वाली ज्यादतियों को चुनौती देती है। याचिकाकर्ता तर्क दिया था कि आपातकाल की घोषणा संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत की गई थी और इसलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि यह संविधान की हत्या थी।

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