Wednesday, 26 March 2025

बसपा को पुनर्जीवित करने के लिए मायावती का प्लान, सपा और भाजपा को नुकसान

Up News : उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने 2027 के विधानसभा चुनावों…

बसपा को पुनर्जीवित करने के लिए मायावती का प्लान, सपा और भाजपा को नुकसान

Up News : उत्तर प्रदेश की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी को पुनर्जीवित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन प्रयासों का मुख्य उद्देश्य बसपा के पारंपरिक दलित मतदाताओं के साथ-साथ अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के मतदाताओं को भी पार्टी से जोड़ना है, जिससे समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वोट बैंक में सेंध लगाई जा सके।

भाईचारा कमेटियों की पुनर्स्थापना

मायावती ने 13 साल बाद भाईचारा कमेटियों को फिर से सक्रिय किया है। इन कमेटियों का गठन विभिन्न जातियों और समुदायों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए किया गया है। प्रारंभ में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), ओबीसी और मुस्लिम समुदायों को शामिल किया गया है, और भविष्य में ब्राह्मण और अन्य जातियों को भी जोड़ा जाएगा। 2007 में इसी रणनीति के तहत बसपा ने पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई थी।

ओबीसी नेताओं के साथ बैठकें

मायावती ने ओबीसी नेताओं के साथ बैठकें आयोजित की हैं, जिसमें उन्होंने दलित-ओबीसी गठबंधन को मजबूत करने पर जोर दिया है। इन बैठकों में बसपा के खिसकते जनाधार को वापस लाने और 2027 में सत्ता में वापसी की रणनीति पर चर्चा की गई है।

संगठनात्मक बदलाव

पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए मायावती ने मंडल और जिला स्तर पर नए प्रभारियों की नियुक्ति की है। प्रत्येक मंडल में चार प्रभारी और प्रत्येक जिले व विधानसभा क्षेत्र में दो-दो प्रभारी नियुक्त किए गए हैं। इसके अलावा, युवा नेताओं को जिला अध्यक्ष के रूप में प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे संगठन में नई ऊर्जा का संचार हो सके।

चंदा लेने की परंपरा का अंत

मायावती ने पार्टी कैडर बैठकों में समर्थकों से आर्थिक योगदान के रूप में चंदा लेने की परंपरा को समाप्त कर दिया है। इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर समर्थकों पर वित्तीय बोझ कम करना और पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा को बनाए रखना है। Up News

विधानसभा सीटों पर प्रभारियों की नियुक्ति

2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारी में, बसपा ने लगभग 200 विधानसभा सीटों पर प्रभारियों की नियुक्ति की योजना बनाई है। इन प्रभारियों को समय से पहले नियुक्त करके उन्हें चुनावी तैयारी का पूरा अवसर दिया जाएगा, खासकर उन सीटों पर जहां बसपा की स्थिति कमजोर है। इन सभी कदमों से स्पष्ट है कि मायावती बसपा को उत्तर प्रदेश की राजनीति में पुन: मजबूत करने के लिए सक्रिय रूप से प्रयासरत हैं। उनकी रणनीति दलित और ओबीसी समुदायों के बीच नए समीकरण स्थापित करके सपा और भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की है। Up News

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