जर्मनी-नीदरलैंड की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी चलेगी वाटर मेट्रो
लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, आगरा, प्रयागराज और गोरखपुर में वाटर मेट्रो को शहरी यातायात के पर्यावरण-अनुकूल विकल्प के रूप में विकसित किया जाएगा। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य सड़कों पर यातायात का दबाव कम करना और शहरों को बेहतर कनेक्टिविटी देना है।

UP News : जर्मनी, नीदरलैंड और देश के कोच्चि शहर की तर्ज पर उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के 6 बड़े शहरों में वाटर मेट्रो सेवा शुरू करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। इसके लिए गंगा, यमुना और घाघरा सहित प्रमुख नदियों के जलमार्गों को विकसित किया जा रहा है, ताकि नदी-आधारित शहरी विकास को बढ़ावा मिले और ट्रैफिक जाम व प्रदूषण की समस्या कम हो सके। लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, आगरा, प्रयागराज और गोरखपुर में वाटर मेट्रो को शहरी यातायात के पर्यावरण-अनुकूल विकल्प के रूप में विकसित किया जाएगा। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य सड़कों पर यातायात का दबाव कम करना और शहरों को बेहतर कनेक्टिविटी देना है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा सीधा लाभ
वाटर मेट्रो उन इलाकों को मुख्य शहर से जोड़ेगी, जो अब तक भौगोलिक रूप से अलग-थलग थे। बेहतर संपर्क से इन क्षेत्रों की पहुंच आसान होगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ मिलेगा। रिवरफ्रंट इलाकों के विकास को नई गति मिलेगी। वाटर मेट्रो स्टेशनों के आसपास कैफे, फूड कोर्ट, रिटेल और आॅफिस स्पेस की मांग बढ़ेगी। मिश्रित उपयोग (मिक्स्ड-यूज) वाले प्रोजेक्ट्स रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए आकर्षक निवेश विकल्प बनेंगे। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और शहरी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
11 नदियों को राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में विकसित किया जा रहा
प्रदेश की गंगा, यमुना, घाघरा, सरयू, गंडक और गोमती सहित कुल 11 नदियों को राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में विकसित किया जा रहा है। फिलहाल वाराणसी से हल्दिया तक गंगा जलमार्ग पर परिवहन संचालित है, जबकि अन्य नदियों पर भी नए रूट तैयार किए जा रहे हैं। इससे लॉजिस्टिक लागत घटेगी और सड़क व रेल परिवहन पर दबाव कम होगा। वाटर मेट्रो के साथ-साथ रिवर क्रूज, हाउसबोट, वाटर टैक्सी और रो-पैक्स सेवाओं का भी विस्तार किया जाएगा। काशी, प्रयागराज और अयोध्या जैसे धार्मिक शहर जलमार्ग से सीधे जुड़ेंगे। गोमती नदी पर वाटर मेट्रो और नैमिषारण्य को जोड़ने की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। यह परियोजना उत्तर प्रदेश में परिवहन, पर्यटन और रोजगार के लिए एक मजबूत आधार बनकर उभरेगी।
UP News : जर्मनी, नीदरलैंड और देश के कोच्चि शहर की तर्ज पर उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के 6 बड़े शहरों में वाटर मेट्रो सेवा शुरू करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। इसके लिए गंगा, यमुना और घाघरा सहित प्रमुख नदियों के जलमार्गों को विकसित किया जा रहा है, ताकि नदी-आधारित शहरी विकास को बढ़ावा मिले और ट्रैफिक जाम व प्रदूषण की समस्या कम हो सके। लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, आगरा, प्रयागराज और गोरखपुर में वाटर मेट्रो को शहरी यातायात के पर्यावरण-अनुकूल विकल्प के रूप में विकसित किया जाएगा। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य सड़कों पर यातायात का दबाव कम करना और शहरों को बेहतर कनेक्टिविटी देना है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा सीधा लाभ
वाटर मेट्रो उन इलाकों को मुख्य शहर से जोड़ेगी, जो अब तक भौगोलिक रूप से अलग-थलग थे। बेहतर संपर्क से इन क्षेत्रों की पहुंच आसान होगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ मिलेगा। रिवरफ्रंट इलाकों के विकास को नई गति मिलेगी। वाटर मेट्रो स्टेशनों के आसपास कैफे, फूड कोर्ट, रिटेल और आॅफिस स्पेस की मांग बढ़ेगी। मिश्रित उपयोग (मिक्स्ड-यूज) वाले प्रोजेक्ट्स रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए आकर्षक निवेश विकल्प बनेंगे। इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और शहरी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
11 नदियों को राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में विकसित किया जा रहा
प्रदेश की गंगा, यमुना, घाघरा, सरयू, गंडक और गोमती सहित कुल 11 नदियों को राष्ट्रीय जलमार्ग के रूप में विकसित किया जा रहा है। फिलहाल वाराणसी से हल्दिया तक गंगा जलमार्ग पर परिवहन संचालित है, जबकि अन्य नदियों पर भी नए रूट तैयार किए जा रहे हैं। इससे लॉजिस्टिक लागत घटेगी और सड़क व रेल परिवहन पर दबाव कम होगा। वाटर मेट्रो के साथ-साथ रिवर क्रूज, हाउसबोट, वाटर टैक्सी और रो-पैक्स सेवाओं का भी विस्तार किया जाएगा। काशी, प्रयागराज और अयोध्या जैसे धार्मिक शहर जलमार्ग से सीधे जुड़ेंगे। गोमती नदी पर वाटर मेट्रो और नैमिषारण्य को जोड़ने की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। यह परियोजना उत्तर प्रदेश में परिवहन, पर्यटन और रोजगार के लिए एक मजबूत आधार बनकर उभरेगी।











