UP News : उत्तर प्रदेश में लाखों विवाद एक ही झटके में खत्म होने वाले हैं। उत्तर प्रदेश की सरकार ने एक बड़ा फैसला किया है। इस फैसले के कारण उत्तर प्रदेश की तहसीलों में लंबित एक लाख से भी अधिक प्रॉपर्टी के विवाद समाप्त हो जाएंगे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उत्तर प्रदेश के स्टाम्प तथा पंजीयन विभाग ने यह बड़ा फैसला किया है।
क्या है उत्तर प्रदेश सरकार का यह बड़ा फैसला
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने तय कर दिया है कि प्रदेश में परिवार की प्रोपर्टी के बंटवारे में केवल पांच हजार रूपए के स्टांप पेपर पर बंटवारा रजिस्टर्ड हो जाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी है। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि केवल पांच हजार रुपये के स्टाम्प शुल्क पर अचल संपत्ति रक्त संबंधियों के नाम करने की बड़ी सहूलियत देने के बाद उत्तर प्रदेश में अब पारिवारिक विभाजन व व्यवस्थापन में भी बड़ी सुविधा मिलने जा रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे और जीवित व्यक्ति की ओर से अपनी संपत्ति परिजनों के नाम करने पर देय स्टाम्प शुल्क भी 5,000 रुपये तय किया जाए। इस फैसले से पीढ़ियों से चला आ रहा संपत्ति विवाद चुटकियों में खत्म हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्टांप शुल्क पर अधिक खर्च के कारण परिवार में बंटवारे की स्थिति में विवाद होते हैं। लोग कोर्ट में चले जाते हैं। अब केवल पांच हजार रुपये स्टाम्प शुल्क होने से परिवार के बीच विवाद निपटारा आसानी से हो सकेगा। यदि संपत्ति की कीमत एक करोड़ रुपये है तो उस पर सात लाख रुपये स्टांप शुल्क देय होता है। पैतृक संपत्ति के बंटवारे में 30 फीसदी छूट है। यानी एक करोड़ की संपत्ति पर 4.90 लाख स्टांप शुल्क पड़ेगा।
ऐसे समझें इस बड़े फैसले को
उत्तर प्रदेश सरकार के बड़े फैसले को एक उदाहरण के द्वारा समझा जा सकता है। इसे इस प्रकार समझ सकते हैं कि मान लीजिए कि दो भाइयों के पास दो संपत्तियां हैं। दोनों साझीदार हैं। यदि बंटवारा हो तो दोनों संपत्तियों पर सर्किल रेट पर 7 फीसदी स्टांप शुल्क देना होगा। अब दोनों भाई आपस में ही संपत्ति का बंटवारा कर लेंगे और रजिस्ट्री दफ्तर जाकर सहमति पत्र देकर केवल पांच हजार रुपये में रजिस्ट्री करा सकेंगे।
एक झटके में खत्म हो जाएंगे लाखों विवाद UP News
महज 5,000 रुपये का स्टाम्प शुल्क देकर परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे और जीवित व्यक्ति द्वारा संपत्ति अपने परिजनों के नाम के फैसले से प्रदेश में करीब एक लाख से ज्यादा विवाद एक झटके में खत्म हो जाएंगे। ऐसे मामलों में अब पैतृक संपत्ति के सभी हिस्सेदार एक साथ आकर तहसीलदार के सामने सहमति देंगे। आपस में ही लिखित में बंटवारे का फार्मूला देंगे और केवल 5000 स्टांप शुल्क देकर इसे लागू कर दिया जाएगा। स्टाम्प एवं पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल अनुसार, परिवार में प्यार और एकता का वातावरण बनाने में यह प्रस्ताव मील का पत्थर साबित होगा।
उन्होंने बताया कि विभाजन दस्तावेज में सभी पक्षकार विभाजित सम्पत्ति में संयुक्त हिस्सेदार होते हैं और बंटवारा उनके बीच होता है। वर्तमान में पैतृक संपत्ति के बंटवारे के लिए तहसील में कुटुंब रजिस्टर बनता है। इसमें संपत्ति के सभी हिस्सेदारों के नाम चढ़ते हैं। फिर तहसीलदार के सामने सहमति पत्र दिया जाता है। इसमें लंबा समय लग जाता है। दूसरी प्रक्रिया के तहत हिस्सेदार अदालत चले जाते हैं, जिसके निपटान में सालों लग जाते हैं। तीसरी प्रक्रिया के तहत पैतृक संपत्ति के सभी हिस्सेदार एक साथ आते हैं। सहमति पत्र देते हैं। UP News
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