Saturday, 27 July 2024

पूरी दुनिया में सुनाई पड़ेगी उत्तर प्रदेश की धुन, कमाल का प्रयोग

UP News : उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है। अनेक मामलों में उत्तर प्रदेश का विशेष महत्व है। अब…

पूरी दुनिया में सुनाई पड़ेगी उत्तर प्रदेश की धुन, कमाल का प्रयोग

UP News : उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा प्रदेश है। अनेक मामलों में उत्तर प्रदेश का विशेष महत्व है। अब जल्दी ही उत्तर प्रदेश के एक शहर से निकलने वाली संगीत की अनोखी धुन पूरी दुनिया में सुनाई पडऩे वाली है। उत्तर प्रदेश के एक ऐतिहासिक शहर में संगीत की धुन का कमाल का प्रयोग हो रहा है।

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चाकू के शहर से उठता हुआ संगीत

उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग यानि कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश का एक शहर है रामपुर। उत्तर प्रदेश का रामपुर शहर अपनी ऐतिहासिक विरासत को संजोए हुए है। बात रामपुरी चाकू की हो या भारत की राजनीति के चर्चित नाम आजम खान अथवा जयाप्रदा की। उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर की चर्चा हमेशा होती रहती है। इस बार उत्तर प्रदेश का रामपुर शहर संगीत को लेकर चर्चा में है। उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर में बहुत ही अनोखे किस्म के वायलिन (वाद्ययंत्र) तैयार हो रहे हैं। वायलिन बनाने वालों का दावा है कि धीरे-धीरे उत्तर प्रदेश में बने वायलिन की धुन पहले पूरे भारत में तथा फिर पूरी दुनिया में सुनाई पड़ेगी। वायलिन के इस सफर को पत्रकार नितिन यादव ने अपन शब्दों में वर्णित किया है। आप भी पढ़ लीजिए उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर के अनोखे वायलन का पूरा विवरण।

वायलिन की धुन पर झूमता हुआ उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश के रामपुर शहर का नाम सुनते ही सबसे पहले रामपुरी चाकू ही जेहन में आता। है। लेकिन सिर्फ चाकू ही इस शहर की पहचान नहीं है। रामपुर की एक गली है-मोहल्ला घेरतोगा, जहां से अक्सर संगीत की धीमी धुनें सुनाई देती हैं। सामान्य से कारखाने के अंदर एक युवक वायलिन की धुन पर खोया है, आसपास सैकड़ों तैयार या आधे बने वाद्ययंत्र रखे हुए हैं।

एमकॉम पास अजहरुद्दीन से जब चाकू के शहर में वायलिन के होने के बारे में पूछा, तो उन्होंने एक रोचक कहानी सुनाई। उनके परदादा का देहांत जल्दी हो जाने के कारण दादा अमीरुद्दीन और उनके बड़े भाई हसीनुद्दीन का बचपन गरीबी में बीता। फर्नीचर बनाने वाले एक उस्ताद ने दोनों भाइयों को काम सिखाया और मुंबई ले गए। वहां कुछ पैसा कमाया, तो 1955 में वापस आ गए। अमीरुद्दीन चोर बाजार से एक वायलिन खरीदकर अपने साथ ले आए थे। छोटे भाई को रात-दिन उसी वायलिन में लगा देखकर एक दिन बड़े भाई ने उसे तोड़ दिया। छोटे भाई ने दुखी होकर खाना-पीना छोड़ दिया। फिर हसीनुद्दीन को अपनी गलती का अहसास हुआ और दोनों भाइयों ने फर्नीचर के सामान से ही टूटे वायलिन को फिर से तैयार किया। इसे वह लखनऊ के प्रसिद्ध वाद्ययंत्र विक्रेता के पास बेचने के लिए रख आए। दो महीने बाद दुकानदार का पत्र आया और उसने आगे भी वायलिन भेजने के लिए लिखा। बस यहीं से दोनों भाइयों ने वायलिन बनाने के सफर की शुरुआत की।

उनकी तीसरी पीढ़ी के युवा अजहरुद्दीन अब कारोबार संभाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी छह कारखाने रामपुर में हैं और 200 के आसपास कारीगर हैं। उनका दावा है कि कारखाने में वायलिन केवल रामपुर में ही बनाया जाता है। एक वायलिन बनाने में लगभग 15 दिन का समय लगता है। 70 प्रतिशत काम हाथ से ही होता है। कहते हैं कि चीन का वायलिन आने से उनके कारोबार पर भी असर पड़ा है। इस कारण गुणवत्ता और कीमत, दोनों घटी हैं।

अभी उनके वायलिन की गोवा, पुणे, मुंबई, केरल, हैदराबाद, कोलकाता, चेन्नई में सबसे ज्यादा मांग है। हालांकि ऑनलाइन ग्राहक के जमाने में लाभ हुआ है। एक वायलिन की कीमत तीन हजार से 20 हजार रुपये तक होती है। एक धुन बजाकर दिखाते हुए अजहरुद्दीन कहते हैं कि एक दिन रामपुर की यह धुन देश के कोने- कोने में बजेगी। या फिर उत्तर प्रदेश की यह धुन पूरी दुनिया में सुनार्ई पड़ेगी।

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