‘पूजा करना गलत’ नुसरत भरूचा के मंदिर दर्शन पर मौलाना रजवी ने जताई आपत्ति
कुछ लोगों ने इसे व्यक्ति की निजी आस्था और पसंद का मामला कहा, तो कुछ ने धार्मिक मर्यादाओं का सवाल उठाया। अब बरेली, उत्तर प्रदेश से आया यह बयान चर्चा को केवल एक सेलिब्रिटी विज़िट तक सीमित नहीं रहने दे रहा, बल्कि पहचान, आस्था और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बहस के केंद्र में ला खड़ा कर रहा है।

UP News : उत्तर प्रदेश के बरेली से उठी एक टिप्पणी ने फिर से सियासी-धार्मिक बहस को हवा दे दी है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बॉलीवुड अभिनेत्री नुसरत भरूचा के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में दर्शन-पूजन पर आपत्ति जताते हुए इसे शरिया और इस्लामी सिद्धांतों के विपरीत बताया। विवाद की चिंगारी तब भड़की जब महाकाल मंदिर में नुसरत की मौजूदगी, जलाभिषेक और पूजा से जुड़ी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। इसके बाद डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिक्रियाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। कुछ लोगों ने इसे व्यक्ति की निजी आस्था और पसंद का मामला कहा, तो कुछ ने धार्मिक मर्यादाओं का सवाल उठाया। अब बरेली, उत्तर प्रदेश से आया यह बयान चर्चा को केवल एक सेलिब्रिटी विज़िट तक सीमित नहीं रहने दे रहा, बल्कि पहचान, आस्था और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बहस के केंद्र में ला खड़ा कर रहा है।
“इस्तगफ़ार और कलमा पढ़ने” की बात कही
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने अपने बयान में नुसरत भरूचा के महाकाल मंदिर में दर्शन-पूजन को लेकर सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि अभिनेत्री का मंदिर जाकर पूजा करना और जल चढ़ाना शरिया की कसौटी पर “गलत” है। मौलाना ने आगे यह भी कहा कि नुसरत को अपने इस कदम पर पछतावा जताते हुए इस्तगफ़ार करना चाहिए और कलमा पढ़ना चाहिए। उनका तर्क है कि इस तरह की धार्मिक रस्मों में हिस्सा लेना “इस्लामिक उसूलों” के अनुरूप नहीं माना जा सकता। बयान सामने आते ही मामला फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है और सोशल मीडिया पर इसे लेकर समर्थन-विरोध की बहस तेज हो गई है।
बरेली से पहले भी आ चुके हैं ऐसे बयान
उत्तर प्रदेश के बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी पहले भी अपने बयानों के चलते सुर्खियों में रहे हैं और इस बार भी उनकी टिप्पणी ने नई बहस छेड़ दी है। नुसरत भरूचा के मामले से पहले उन्होंने नए साल के जश्न को लेकर मुस्लिम समाज से अपील की थी कि 31 दिसंबर/1 जनवरी की रात होने वाले उत्सव को “यूरोपीय संस्कृति” की नकल समझकर न मनाया जाए। मौलाना ने इसे फिजूलखर्ची और दिखावे से जोड़ते हुए कहा था कि शरीयत की रोशनी में ऐसे आयोजनों को उचित नहीं माना जाता। बरेली, उत्तर प्रदेश से आई यह अपील भी सोशल मीडिया पर तेजी से चर्चा में रही, जहां कुछ लोगों ने इसे धार्मिक अनुशासन की सलाह बताया तो कुछ ने इसे निजी पसंद-नापसंद पर टिप्पणी करार दिया।
सोशल मीडिया पर बहस जारी
नुसरत भरूचा के महाकाल मंदिर दर्शन और बरेली से आए बयान दोनों को लेकर सोशल मीडिया पर बहस जारी है। एक पक्ष इसे व्यक्ति की निजी आस्था और धार्मिक स्वतंत्रता से जोड़कर देख रहा है, जबकि दूसरा पक्ष इसे धार्मिक नियमों के नजरिए से परख रहा है। फिलहाल, इस पूरे विवाद पर अभिनेत्री की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। UP News
UP News : उत्तर प्रदेश के बरेली से उठी एक टिप्पणी ने फिर से सियासी-धार्मिक बहस को हवा दे दी है। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बॉलीवुड अभिनेत्री नुसरत भरूचा के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में दर्शन-पूजन पर आपत्ति जताते हुए इसे शरिया और इस्लामी सिद्धांतों के विपरीत बताया। विवाद की चिंगारी तब भड़की जब महाकाल मंदिर में नुसरत की मौजूदगी, जलाभिषेक और पूजा से जुड़ी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गईं। इसके बाद डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिक्रियाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। कुछ लोगों ने इसे व्यक्ति की निजी आस्था और पसंद का मामला कहा, तो कुछ ने धार्मिक मर्यादाओं का सवाल उठाया। अब बरेली, उत्तर प्रदेश से आया यह बयान चर्चा को केवल एक सेलिब्रिटी विज़िट तक सीमित नहीं रहने दे रहा, बल्कि पहचान, आस्था और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बहस के केंद्र में ला खड़ा कर रहा है।
“इस्तगफ़ार और कलमा पढ़ने” की बात कही
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने अपने बयान में नुसरत भरूचा के महाकाल मंदिर में दर्शन-पूजन को लेकर सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि अभिनेत्री का मंदिर जाकर पूजा करना और जल चढ़ाना शरिया की कसौटी पर “गलत” है। मौलाना ने आगे यह भी कहा कि नुसरत को अपने इस कदम पर पछतावा जताते हुए इस्तगफ़ार करना चाहिए और कलमा पढ़ना चाहिए। उनका तर्क है कि इस तरह की धार्मिक रस्मों में हिस्सा लेना “इस्लामिक उसूलों” के अनुरूप नहीं माना जा सकता। बयान सामने आते ही मामला फिर चर्चा के केंद्र में आ गया है और सोशल मीडिया पर इसे लेकर समर्थन-विरोध की बहस तेज हो गई है।
बरेली से पहले भी आ चुके हैं ऐसे बयान
उत्तर प्रदेश के बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी पहले भी अपने बयानों के चलते सुर्खियों में रहे हैं और इस बार भी उनकी टिप्पणी ने नई बहस छेड़ दी है। नुसरत भरूचा के मामले से पहले उन्होंने नए साल के जश्न को लेकर मुस्लिम समाज से अपील की थी कि 31 दिसंबर/1 जनवरी की रात होने वाले उत्सव को “यूरोपीय संस्कृति” की नकल समझकर न मनाया जाए। मौलाना ने इसे फिजूलखर्ची और दिखावे से जोड़ते हुए कहा था कि शरीयत की रोशनी में ऐसे आयोजनों को उचित नहीं माना जाता। बरेली, उत्तर प्रदेश से आई यह अपील भी सोशल मीडिया पर तेजी से चर्चा में रही, जहां कुछ लोगों ने इसे धार्मिक अनुशासन की सलाह बताया तो कुछ ने इसे निजी पसंद-नापसंद पर टिप्पणी करार दिया।
सोशल मीडिया पर बहस जारी
नुसरत भरूचा के महाकाल मंदिर दर्शन और बरेली से आए बयान दोनों को लेकर सोशल मीडिया पर बहस जारी है। एक पक्ष इसे व्यक्ति की निजी आस्था और धार्मिक स्वतंत्रता से जोड़कर देख रहा है, जबकि दूसरा पक्ष इसे धार्मिक नियमों के नजरिए से परख रहा है। फिलहाल, इस पूरे विवाद पर अभिनेत्री की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। UP News












