उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण विधायकों की बैठक बनी चर्चा का विषय

बैठक में शामिल होने वाले सभी विधायक ब्राह्मण समाज से जुड़े हुए हैं। खास बात यह भी है कि ब्राह्मण समाज के विधायकों की बैठक में केवल सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के ही विधायक शामिल हुए थे।

ब्राह्मण समाज के विधायकों की बैठक
ब्राह्मण समाज के विधायकों की बैठक
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar24 Dec 2025 03:22 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण विधायकों की एक विशेष बैठक चर्चा का विषय बन गई है। उत्तर प्रदेश के 40 से अधिक ब्राह्मण समाज के विधायकों ने इस विशेष बैठक में भाग लिया। इससे पहले उत्तर प्रदेश में ठाकुर समाज के विधायकों की बैठक बड़ी चर्चा का विषय बनी थी। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई ब्राह्मण समाज के विधायकों की बैठक में भाग लेने वाले एक विधायक ने दावा किया है कि बैठक में ज्यादातर विधायक इस बात से सहमत थे कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में ब्राह्मण समाज की आवाज को दबाने का कुचक्र रचा जा रहा है।

उत्तर प्रदेश के विधानसभा सत्र के दौरान ब्राह्मण विधायकों ने बढ़ाई राजनीतिक गर्मी

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण विधायकों की बहुत बड़ी बैठक लखनऊ में आयोजित की गई। उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण विधायकों की यह बैठक भाजपा विधायक पंचानंद पाठक के आवास पर हुई। पंचानंद पाठक उत्तर प्रदेश की कुशीनगर विधानसभा सीट से विधायक हैं। ब्राह्मण विधायकों की बैठक को सहभोज का नाम दिया गया था। इस बैठक में 40 से ज्यादा MLA तथा MLC शामिल हुए थे। बैठक में शामिल होने वाले सभी विधायक ब्राह्मण समाज से जुड़े हुए हैं। खास बात यह भी है कि ब्राह्मण समाज के विधायकों की बैठक में केवल सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के ही विधायक शामिल हुए थे। 

ब्राह्मण समाज के विधायकों की बैठक में शामिल हुए बड़े चेहरे

उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण विधायकों की विशेष बैठक में ब्राह्मण समाज के अनेक बड़े चेहरे शामिल हुए। उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण समाज के विधायकों की इस बैठक में प्रेम नारायण पांडे, रत्नाकर मिश्रा, श्रीप्रकाश द्विवेदी, विनय द्विवेदी, साकेत मिश्रा, शलभ मणि त्रिपाठी, विवेकानंद पांडे, ऋषि त्रिपाठी, रमेश मिश्रा, अंकुर राज तिवारी, राकेश गोस्वामी तथा कैलाश नाथ शुक्ला सहित 40 विधायक शामिल हुए। ब्राह्मण विधायकों के एक साथ आने से न सिर्फ उत्तर प्रदेश की राजधानी में बल्कि दिल्ली के राजनीतिक केन्द्रों का ध्यान भी अपनी ओर खींचा है। 

ब्राह्मण समाज के विधायकों की बैठक पर बोले भाजपा विधायक

उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण विधायकों की बैठक के बाद इस बैठक के विषय में पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। ब्राह्मण समाज के विधायकों की बैठक में शामिल रहे भाजपा विधायक अनिल त्रिपाठी ने इस बैठक को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा विधायक अनिल त्रिपाठी ने कहा है कि कल सहभोज था। सहभोज के लिए चार से पांच घंटे का समय तय किया गया था और उसी समय सीमा के भीतर सभी लोगों को आमंत्रित किया गया था। उन्होंने कहा कि शाम सात से रात 12 बजे तक बैठक चली। इस दौरान तमाम विषयों पर चर्चा भी हुई। अनिल त्रिपाठी ने कहा कि बैठक में मौजूद सभी विधायकों ने अपनी-अपनी चिंता खुलकर व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इस देश में ब्राह्मणों ने बड़ा योगदान दिया है। देश की आजादी के लिए हमने कितनी कुर्बानी दी। शिक्षा से लेकर विज्ञान तक, ब्राह्मण ने भिक्षा लेकर शिक्षा दी। अनिल त्रिपाठी ने कहा कि ब्राह्मण कोई जाति तो थी नहीं, यह तो एक वर्ग है, वर्ण है। ब्राह्मण वर्ग को जातिगत आधार पर बाद में खड़ा किया गया। उन्होंने कहा कि आज हर वर्ग के लोग ब्राह्मणों को हर जगह अपमानित कर रहे हैं।  UP News



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मुख्यमंत्री योगी का सख्त बयान, जबरन धर्मांतरण और धोखाधड़ी पर करेंगे सख्ती

प्रशासन की ओर से आरोपी रेजिडेंट डॉक्टर के खिलाफ संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस टीम को आरोपी की गिरफ्तारी के लिए लगाया गया है और सभी पहलुओं की कानूनी जांच शुरू हो चुकी है।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar24 Dec 2025 03:20 PM
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यूपी न्यूज : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को बेहद गंभीर मानते हुए साफ संकेत दिए हैं कि महिला सुरक्षा, जबरन धर्मांतरण और धोखाधड़ी जैसे अपराधों पर सरकार किसी भी स्तर पर नरमी नहीं बरतेगी। मुख्यमंत्री ने पीड़िता से सीधे संवाद कर उसे निष्पक्ष न्याय का भरोसा दिलाया। सरकारी स्तर पर यह स्पष्ट किया गया है कि यदि किसी संगठित साजिश या गिरोह की आशंका सामने आती है, तो मामले की जांच और भी गहराई से की जाएगी।

गैरकानूनी गतिविधियों पर सरकार की कार्रवाई

प्रशासन की ओर से आरोपी रेजिडेंट डॉक्टर के खिलाफ संबंधित धाराओं में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। पुलिस टीम को आरोपी की गिरफ्तारी के लिए लगाया गया है और सभी पहलुओं की कानूनी जांच शुरू हो चुकी है। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी संस्थान में कार्यरत व्यक्ति यदि कानून का उल्लंघन करता है, तो उसके पद या पेशे को ढाल नहीं बनने दिया जाएगा।

बुलडोजर नीति पर राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

इस प्रकरण के सामने आने के बाद छात्र संगठनों और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया भी तेज हो गई है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद समेत अन्य संगठनों ने परिसर में प्रदर्शन कर सख्त कार्रवाई की मांग उठाई। राजनीतिक हलकों में भी यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है और सरकार की कड़ी नीति को लेकर पक्ष-विपक्ष की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति

केजीएमयू प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी रेजिडेंट डॉक्टर को निलंबित कर दिया है। छात्रावास, कक्षाओं, प्रयोगशालाओं और परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। विशाखा समिति की जांच में आरोपों को गंभीर मानते हुए आगे की अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है, जिससे यह संदेश गया है कि संस्थान महिला सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।

योगी सरकार का संदेश और भविष्य की रणनीति

योगी सरकार का स्पष्ट संदेश है कि महिलाओं के खिलाफ अपराध, छलपूर्वक संबंध, दबाव बनाकर धर्म परिवर्तन या मानसिक उत्पीड़न जैसे मामलों में जीरो टॉलरेंस नीति लागू रहेगी। आने वाले समय में शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थानों में निगरानी व्यवस्था को और मजबूत करने, शिकायत तंत्र को प्रभावी बनाने और त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने की रणनीति पर काम किया जाएगा।

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उत्तर प्रदेश में घरौनी कानून का रास्ता साफ, गांव में घर बनाना होगा सरल

इसका सीधा फायदा यह होगा कि होम लोन/निर्माण ऋण, नामांतरण, खरीद-बिक्री और संपत्ति प्रबंधन की प्रक्रिया सरल होगी। सरकार का दावा है कि इससे गांवों में निवेश और निर्माण गतिविधियां बढ़ेंगी, योजनाबद्ध विकास को रफ्तार मिलेगी और ग्रामीण परिवार आत्मनिर्भरता की ओर मजबूत कदम बढ़ा सकेंगे।

योगी
सीएम योगी
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar24 Dec 2025 01:08 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश में गांवों की संपत्तियों से जुड़े दशकों पुराने झगड़ों पर अब “कानूनी ताला” लगाने की तैयारी है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शीतकालीन सत्र के दौरान विधानसभा में उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक–2025 पेश कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा देने का संकेत दिया है। इस कानून के लागू होते ही गांवों में बनी ‘घरौनी’ को स्थायी कानूनी पहचान मिलेगी यानी अब ग्रामीण परिवारों की संपत्ति सिर्फ कागज़ नहीं, बैंक के भरोसे वाली वैध संपत्ति बनेगी। इसका सीधा फायदा यह होगा कि होम लोन/निर्माण ऋण, नामांतरण, खरीद-बिक्री और संपत्ति प्रबंधन की प्रक्रिया सरल होगी। सरकार का दावा है कि इससे गांवों में निवेश और निर्माण गतिविधियां बढ़ेंगी, योजनाबद्ध विकास को रफ्तार मिलेगी और ग्रामीण परिवार आत्मनिर्भरता की ओर मजबूत कदम बढ़ा सकेंगे।

ड्रोन सर्वे से तैयार ‘घरौनी’ को मिलेगा वैधानिक संरक्षण

केंद्र सरकार की स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन सर्वे से तैयार की गई ‘घरौनी’ अब उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक रिकॉर्ड नहीं, बल्कि कानूनी ताकत बनने जा रही है। प्रस्तावित विधेयक के जरिए घरौनी के संरक्षण, नियमित अपडेट और उसके कानूनी प्रबंधन का साफ ढांचा तय किया गया है, ताकि दस्तावेज़ की वैधता और भरोसे पर कोई सवाल न रहे। इसका सबसे बड़ा फायदा गांव के उन परिवारों को मिलेगा, जिन्हें पहली बार अपनी आबादी की जमीन और मकान का पक्का प्रमाणपत्र मिलेगा और यही प्रमाणपत्र आगे चलकर बैंक लोन, निर्माण, नामांतरण और संपत्ति के सुरक्षित लेन-देन का रास्ता खोलेगा। सरकार के मुताबिक यह पहल ग्रामीण संपत्ति को “कागज़ से अधिकार” में बदलकर आर्थिक सशक्तिकरण की मजबूत नींव रखेगी।

बैंक लोन, कर निर्धारण और पंचायत योजनाएं सब होगा आसान

उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि घरौनी मिलते ही ग्रामीणों की संपत्ति पहली बार आर्थिक ताकत में बदल सकेगी क्योंकि इसी दस्तावेज के आधार पर वे बैंक से ऋण लेकर घर निर्माण, व्यवसाय या खेती-किसानी में निवेश कर पाएंगे। साथ ही संपत्ति कर का निर्धारण अधिक तर्कसंगत होगा, भूमि रिकॉर्ड की शुद्धता बढ़ेगी और ग्राम पंचायतों की विकास योजनाएं “अनुमान” नहीं, बल्कि सटीक डेटा पर तैयार होंगी। जीआईएस आधारित आबादी मानचित्र गांव की गलियों से लेकर बस्तियों की सीमाओं तक स्पष्ट तस्वीर देंगे, जिससे सड़क, नाली, बिजली, पानी और अन्य सुविधाओं की प्लानिंग ज्यादा पारदर्शी, सरल और भरोसेमंद बन सकेगी।

प्रदेश भर में ड्रोन सर्वे पूरा

स्वामित्व योजना पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच हुए एमओयू के बाद राज्य में 1,10,344 गांव अधिसूचित किए गए हैं। गैर-आबाद गांवों को छोड़ दें तो 90,573 गांवों में ड्रोन सर्वे पूरा हो चुका है। सरकार के मुताबिक 9 मई 2025 तक लगभग 1.06 करोड़ घरौनियां तैयार की गईं और इनमें से 1.01 करोड़ से ज्यादा घरौनियां ग्रामीणों के हाथों तक पहुंच चुकी हैं जो योजना की व्यापकता और तेज़ अमल दोनों को रेखांकित करता है। हालांकि अब तक घरौनी में विरासत, उत्तराधिकार, बिक्री या अन्य कारणों से नाम बदलने/संशोधन को लेकर स्पष्ट नियम नहीं थे, जिससे कई जगह उलझन और विवाद की गुंजाइश बनी रहती थी। प्रस्तावित विधेयक इसी खालीपन को भरने जा रहा है अब नामांतरण और संशोधन की तय प्रक्रिया होगी, जिससे रिकॉर्ड समय पर अपडेट रहेंगे और गांवों में संपत्ति विवादों पर भी प्रभावी लगाम लगेगी।

विधेयक के प्रमुख प्रावधान

उत्तर प्रदेश में ग्रामीण आबादी का आधिकारिक रिकॉर्ड अब ‘घरौनी’ के नाम से पहचाना जाएगा, जिसमें स्वामी का नाम-पता, भूखंड का विवरण, क्षेत्रफल, रेखाचित्र और स्थानिक (लोकेशन) जानकारी दर्ज होगी। किसी भी गांव की सभी घरौनियों का एक व्यवस्थित संकलन ‘घरौनी रजिस्टर’ में रखा जाएगा और इसके साथ अलग से आबादी मानचित्र भी तैयार होगा, ताकि जमीन-सीमा और बस्ती का रिकॉर्ड पूरी तरह स्पष्ट रहे। विधेयक में सर्वेक्षण अधिकारी, अभिलेख अधिकारी और अधिसूचना जारी करने तक की पूरी प्रक्रिया भी तय की जा रही है यानी रिकॉर्ड बनाने से लेकर उसे वैध रूप देने तक की चेन अब नियमों के दायरे में होगी। सरकार का कहना है कि इससे गांवों में संपत्ति विवाद घटेंगे, अभिलेखों में पारदर्शिता आएगी और कराधान व्यवस्था ज्यादा प्रभावी बनेगी। योगी सरकार इसे ग्रामीण आबादी क्षेत्रों के लिए दूरगामी और ऐतिहासिक सुधार बता रही है, जो उत्तर प्रदेश के गांवों को योजनाबद्ध विकास और आर्थिक मजबूती की दिशा में आगे बढ़ाएगा। UP News

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