उत्तर प्रदेश के सात लाख बच्चे पढ़ेंगे फ्री में

अगले शिक्षण सत्र के तहत गरीब वर्ग के बच्चों को फ्री में पढ़ाने के लिए जल्दी ही आवेदन पत्र आमंत्रित किए जाएंगे। इस काम के लिए उत्तर प्रदेश सरकार RTE पोर्टल को मजबूत करने का काम कर रही है।

योगी सरकार का बड़ा फैसला RTE के तहत बढ़ीं मुफ्त सीटें
योगी सरकार का बड़ा फैसला: RTE के तहत बढ़ीं मुफ्त सीटें
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar16 Dec 2025 05:31 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत बड़ा बदलाव होने वाला है। अगले शिक्षा सत्र में उत्तर प्रदेश के सात लाख बच्चों को RTE के तहत फ्री में पढ़ाने की योजना है। उत्तर प्रदेश के प्राइवेट स्कूलों में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों को फ्री में पढ़ाने की व्यवस्था शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत की जाती है। उत्तर प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों को 25 प्रतिशत बच्चे RTE के तहत पढ़ाने अनिवार्य हैं।

उत्तर प्रदेश में RTE के तहत बढ़ेंगी 50 हजार सीटें

आपको बता दें कि वर्तमान शिक्षा सत्र में उत्तर प्रदेश में RTE के तहत 6 लाख 20 हजार बच्चों को फ्री में पढ़ाया जा रहा है। अगले शिक्षा सत्र में RTE के तहत 50 हजार सीट बढ़ाने की योजना पर काम चल रहा है। इस प्रकार अगले शिक्षा सत्र में उत्तर प्रदेश में RTE के तहत लगभग सात लाख बच्चों को फ्री में पढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी। अगले शिक्षण सत्र के तहत गरीब वर्ग के बच्चों को फ्री में पढ़ाने के लिए जल्दी ही आवेदन पत्र आमंत्रित किए जाएंगे। इस काम के लिए उत्तर प्रदेश सरकार RTE पोर्टल को मजबूत करने का काम कर रही है। 

उत्तर प्रदेश सरकार ने बढ़ा दिया है RTE का दायरा

आपको बता दें कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम यानी RTE के तहत गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिया जाता है। RTE के तहत 25 फीसदी सीटों पर मुफ्त शिक्षा दी जा रही है। इस साल सरकार ने इस योजना का दायरा और बढ़ा दिया है. उत्तर प्रदेश में आरटीई के तहत निजी स्कूलों में जल्द ही प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। इससे पहले RTE पोर्टल को भी अपडेट किया जा रहा है। साथ ही प्रदेश के 67 हजार निजी स्कूलों की मैपिंग भी कराई गई है।  गौरतलब है कि पिछले साल यह संख्या 62 हजार थी। इसी वजह से इस बार करीब 50 हजार सीटें बढ़ाई जा रही हैं। गरीब परिवारों के बच्चों को निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों पर मुफ्त दाखिला मिलेगा। इसके लिए जल्द ही ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इस बार प्रवेश के लिए बच्चे और अभिभावक दोनों का आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है। आधार से सत्यापन के बाद ही दाखिला दिया जाएगा। ताकि किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोका जा सके। पात्र बच्चों को ही दाखिला मिल सके। इस बार उत्तर प्रदेश में RTE की प्रवेश प्रक्रिया को छह चरणों में पूरा किया जाएगा। अगर किसी वार्ड में सीट खाली नहीं होती है, तो पास के वार्ड में भी बच्चे को दाखिला दिया जाएगा। सरकार ने सभी जिलों के खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने ब्लॉक के सभी निजी स्कूलों को सूचीबद्ध करें।अगर कोई निजी स्कूल आरटीई के तहत दाखिले से मना करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

क्या है RTE की व्यवस्था ?

दरअसल, गरीब बच्चों को फ्री और अनिवार्य शिक्षा के लिए राइट टू एजुकेशन एक्ट 2009 (RTE) लाया गया था। इस योजना के तहत 6 से 14 साल के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा की गारंटी दी जाती है. 4 अगस्त 2009 को संसद में RTE एक्ट को लाया गया था और एक अप्रैल 2010 को लागू कर दिया गया था। इसके तहत 14 साल तक के बच्चों को अपने आसपास के किसी भी निजी स्कूल में दाखिला लेने का अधिकार है। भारत सरकार द्वारा संसद में बनाए गए RTE एक्ट के तहत उत्तर प्रदेश में लाखों बच्चों को फ्री में पढ़ाया जा रहा है। UP News

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में PDA की गूंज… अखिलेश ने जनता से क्या अपील की?

अखिलेश ने जोर देकर कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और विविधतापूर्ण राज्य में शिक्षा का उद्देश्य समाज को संवाद, विवेक और सभ्यता की दिशा में आगे ले जाना है। इसलिए शिक्षा संस्थानों को ऐसी मानसिकता से बचाना जरूरी है जो नफरत, डर और हिंसा को बढ़ावा देती हो।

अखिलेश यादव
अखिलेश यादव
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar16 Dec 2025 02:50 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश की राजनीति में सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों को लेकर बहस एक बार फिर केंद्र में आ गई है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया के माध्यम से देशवासियों को आगाह करते हुए कहा कि हिंसक और विभाजनकारी सोच रखने वाले तत्वों के प्रति सतर्क रहना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। उनका कहना है कि जो लोग “शस्त्र को शास्त्र से बड़ा” मानते हैं, उन्हें शिक्षालयों, विश्वविद्यालयों और सामाजिक जीवन से दूर रखना हर सभ्य नागरिक की जिम्मेदारी बनती है। अखिलेश ने जोर देकर कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और विविधतापूर्ण राज्य में शिक्षा का उद्देश्य समाज को संवाद, विवेक और सभ्यता की दिशा में आगे ले जाना है इसलिए शिक्षा संस्थानों को ऐसी मानसिकता से बचाना जरूरी है जो नफरत, डर और हिंसा को बढ़ावा देती हो।

“खुद दूर रहें, परिवार-मित्रों को भी सावधान करें”- अखिलेश यादव

अपने संदेश में अखिलेश यादव ने लोगों से अपील की कि वे ऐसे तत्वों से खुद भी दूरी बनाए रखें और अपने परिवार व मित्रों को भी सचेत करें। उन्होंने शिक्षा को समाज की सबसे बड़ी ताकत बताते हुए कहा कि नफरत और नकारात्मक सोच फैलाने वाले लोग सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करते हैं। अखिलेश ने अपनी पोस्ट में इशारों में सरकार पर भी हमला बोला और कहा कि कुछ शक्तियां विभाजन और विद्वेष के सहारे अपना स्वार्थ साधती हैं। उनका आरोप है कि ये ताकतें पुरानी सत्ता संरचना को जिंदा रखना चाहती हैं ताकि समाज में ऊपर की परत हमेशा ऊपर बनी रहे और नीचे का वर्ग नीचे ही दबा रहे। अखिलेश के मुताबिक, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में सामाजिक न्याय और संवैधानिक बराबरी की राह तभी मजबूत होगी जब जनता ऐसी राजनीति को पहचानकर उसे चुनौती देगी।

उत्तर प्रदेश का PDA समाज जाग गया है- अखिलेश यादव

अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में अब PDA समाज पीड़ित, दलित और आदिवासी पूरी तरह “जाग” चुका है। उनके मुताबिक जैसे-जैसे जागरूकता बढ़ रही है, वैसे-वैसे नकारात्मक राजनीति करने वाले तत्वों की बेचैनी भी बढ़ती जा रही है। अखिलेश ने दावा किया कि अब उत्पीड़ित वर्ग अपमान और पीड़ा को चुपचाप सहने के मूड में नहीं है, और इसी वजह से PDA की एकजुटता लगातार मजबूत हो रही है। उन्होंने अपने संदेश का सार नारे के अंदाज़ में रखते हुए कहा“जो पीड़ित, वो PDA… और पीड़ा बढ़ रही है, इसलिए PDA बढ़ रहा है। UP News


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लखनऊ में सीएम योगी की बड़ी बैठक, समय से पहले हाजिरी का निर्देश

बैठक का समय दोपहर 3:30 बजे तय है, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से सभी मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को कम से कम 15 मिनट पहले पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं। हर विभाग का जिम्मेदार अधिकारी खुद सामने आकर प्रगति रिपोर्ट देगा, सवालों का जवाब देगा और तय समयसीमा के साथ अगला रोडमैप रखेगा।

सीएम योगी की बड़ी समीक्षा बैठक
सीएम योगी की बड़ी समीक्षा बैठक
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar16 Dec 2025 12:39 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश की सियासी और प्रशासनिक हलचल के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज दोपहर एक अहम समीक्षा बैठक करने जा रहे हैं। यह बैठक सिर्फ रूटीन रिव्यू नहीं मानी जा रही बल्कि इसे सरकार की प्राथमिकताओं, कामकाज की रफ्तार और जवाबदेही तय करने वाला संकेतक बताया जा रहा है। बैठक का समय दोपहर 3:30 बजे तय है, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से सभी मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों को कम से कम 15 मिनट पहले पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं।

प्रतिनिधि नहीं, खुद हाजिरी जरूरी

इस बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार के सभी कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री मौजूद रहेंगे। अफसरशाही के शीर्ष स्तर को भी अनिवार्य रूप से हाज़िर रहने का निर्देश दिया गया हैमुख्य सचिव से लेकर सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और विभागीय सचिव तक बैठक में शामिल होंगे। संकेत बिल्कुल साफ है: अब “प्रतिनिधि भेजकर” औपचारिकता निभाने का दौर नहीं चलेगा हर विभाग का जिम्मेदार अधिकारी खुद सामने आकर प्रगति रिपोर्ट देगा, सवालों का जवाब देगा और तय समयसीमा के साथ अगला रोडमैप रखेगा।

विकास योजनाओं की प्रगति पर सीधी नजर

सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बैठक में उत्तर प्रदेश की प्रमुख विकास योजनाओं की टाइमलाइन, प्रगति रिपोर्ट और लंबित प्रस्तावों की बारीक “लाइन-टू-लाइन” समीक्षा करेंगे। एजेंडा साफ है कौन-सी फाइल कहां अटकी है, कौन-सा काम जमीन पर रुका है और देरी की असल वजह नीति, फंड, फाइल या फील्ड हर बिंदु पर जवाब तय होगा। बैठक में खास तौर पर वित्तीय स्वीकृतियों से जुड़े पेंडिंग प्रस्ताव, शिलान्यास-उद्घाटन से जुड़े कार्य, और समय-सीमा वाली परियोजनाओं में देरी के कारणों पर चर्चा के साथ जिम्मेदारी भी निर्धारित होने की संभावना है। मुख्यमंत्री यह भी जानना चाहेंगे कि जिन प्रोजेक्ट्स की रफ्तार धीमी है, वहां बाधा किस स्तर पर है और उसे तुरंत हटाने की कार्ययोजना क्या होगी। बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में जनता से सीधे जुड़ी सेवाओं सड़क, बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा और आवास से संबंधित योजनाएं बैठक का मुख्य फोकस रहेंगी। जिन विभागों का आउटपुट अपेक्षा के अनुरूप नहीं मिला, उनसे स्पष्टीकरण लिया जा सकता है और संबंधित अधिकारियों को सख्त, समयबद्ध निर्देश दिए जा सकते हैं।

बजट उपयोग और नए प्रस्तावों पर भी मंथन

बैठक के एजेंडे में बजट प्रावधानों और जारी धन के वास्तविक उपयोग को भी खास अहमियत दी गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यह परख सकते हैं कि जिन योजनाओं के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने राशि स्वीकृत कर दी, वह पैसा जमीन पर कितना उतरा और किन विभागों में खर्च की रफ्तार अनावश्यक रूप से धीमी है। संकेत साफ है फंड होने के बावजूद अगर काम अटका है, तो “क्यों” और “कौन जिम्मेदार” इसका जवाब उसी टेबल पर तय होगा। इसके साथ ही नई योजनाओं/प्रस्तावों पर चर्चा, उनकी व्यवहारिकता, और प्रदेश की जरूरतों के हिसाब से प्राथमिकता निर्धारण पर भी मंथन होने की संभावना जताई जा रही है ताकि संसाधन बंटें नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के लिए सबसे जरूरी कामों पर फोकस और तेज हो।

मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाओं के बीच बढ़ी बैठक की अहमियत

उत्तर प्रदेश की राजनीति में खरमास के बाद संभावित मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चाओं ने फिर रफ्तार पकड़ ली है। ऐसे माहौल में इस बैठक को कई लोग सिर्फ प्रशासनिक समीक्षा नहीं, बल्कि सरकार के भीतर कामकाज के “परफॉर्मेंस ऑडिट” और आगे की रणनीति से भी जोड़कर देख रहे हैं। माना जा रहा है कि संगठनात्मक बदलावों के बाद होने वाली यह बैठक लखनऊ से एक साफ संदेश दे सकती है।

किन विभागों पर सख्ती ?

कुल मिलाकर, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यह बैठक उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक अनुशासन और परिणाम आधारित शासन का संकेत दे रही है। अब सबकी नजर इस पर है कि समीक्षा के बाद किन विभागों को कड़ी टाइमलाइन मिलेगी, कहां जवाबदेही तय होगी और किन परियोजनाओं को फास्ट-ट्रैक करने के निर्देश जारी होते हैं। UP News

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