गुर्जर समाज ने पंचायत करके लिया बड़ा फैसला

गुर्जर समाज की पंचायत में केवल बलवा गाँव ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के सात गाँवों के लोगों ने भाग लिया। इस पंचायत का आयोजन गुर्जर समाज की कलस्यान खाप ने किया था। कलस्यान खाप में शामली जिले के सात गाँव आते हैं। इन सात गाँवों को सतगाम कहा जाता है।

गुर्जर समाज ने तय किए नियम
गुर्जर समाज ने तय किए नए नियम
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar29 Dec 2025 01:17 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में गुर्जर समाज की बहुत बड़ी प्रतिष्ठा है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में गुर्जर समाज का राजनीतिक तथा सामाजिक दबदबा लगातार कायम है। मूल रूप से खेती तथा किसानी से जुड़े हुए गुर्जर समाज में पंचायत करके बड़े-बड़े फैसले करते रहने की परम्परा रही है। रविवार को उत्तर प्रदेश के गुर्जर समाज ने पंचायत की परम्परा में चार चाँद लगा दिए हैं। गुर्जर समाज ने पंचायत करके समाज के व्यापक हित में बड़ा फैसला किया है।

उत्तर प्रदेश के शामली जिले में हुई गुर्जर समाज की खास पंचायत

रविवार को उत्तर प्रदेश के शामली जिले में गुर्जर समाज की बहुत ही खास पंचायत आयोजित की गई। इस पंचायत का आयोजन उत्तर प्रदेश के शामली जिले में स्थित ऐतिहासिक गाँव बलवा में किया गया। गुर्जर समाज की पंचायत में केवल बलवा गाँव ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के सात गाँवों के लोगों ने भाग लिया। इस पंचायत का आयोजन गुर्जर समाज की कलस्यान खाप ने किया था। कलस्यान खाप में शामली जिले के सात गाँव आते हैं। इन सात गाँवों को सतगाम कहा जाता है।

गुर्जर समाज ने फिजूलखर्ची बंद करने का लिया फैसला

आपको बता दें कि रविवार को हुई गुर्जर समाज की कलस्यान खाप के सतगाम की पंचायत में अनावश्यक खर्चों पर रोक लगाने संबंधी तीन निर्णय लिए गए। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मनीष चौहान ने कहा कि सामाजिक कार्यों व परंपराओं में अनावश्यक खर्च किया जा रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए। गांव बलवा के जूनियर हाईस्कूल में रविवार को हुई पंचायत में गुर्जर समाज के सात गांव बलवा, जसाला, रसूलपुर, ब्रह्मखेड़ा, मीमला, पंजोखरा और खंदरावली के ग्रामीण शामिल हुए। पंचायत में बच्चों में संस्कार विकसित करने, माता पूजन सादगी के साथ कम खर्च में करने, भात नोतने व भात लेकर जाने में चार या  पांच व्यक्तियों के शामिल होने, मकान निर्माण में निमंत्रण न देने और न हलवाई लगाने और शुभ अवसरों पर मंगलामुखी को 1100 रुपये देने के मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया। पंचायत में वक्ताओं के विचार और सुझावों के बाद तीन प्रस्ताव पारित हुए। पहला प्रस्ताव शादी विवाह में भात नौतने में माताओं-बहनों द्वारा बच्चों के मामा पक्ष शगुन लेकर जाने में केवल 5-7 महिलाएं ही सम्मिलित होंगी। इससे अनावश्यक खर्च और सामाजिक प्रति स्पर्धा पर रोक लगेगी। दूसरे प्रस्ताव में कहा गया कि माता पूजन को विवाह की तरह भव्य बनाना, हलवाई बुलाकर मिठाइयों बननवाना, फिजूलखर्ची और दिखाने को बढ़ावा देता है, इसलिए निर्णय लिया गया कि माता पूजन में सादा, घरेलू और सीमित रहेगा। UP News

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सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में कुलदीप सेंगर की जमानत पर रोक लगाई, कहा-मामला बेहद गंभीर

दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 दिसंबर को सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें जमानत दी थी। इस फैसले के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सोमवार को इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई की।

kuldeep
कुलदीप सेंगर
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar29 Dec 2025 01:17 PM
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UP News : उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराए जा चुके पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को बड़ी राहत देने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने इस मामले को बेहद डरावना और गंभीर बताते हुए कहा कि ऐसी परिस्थितियों में जमानत जारी रखना उचित नहीं है। दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट ने 23 दिसंबर को सेंगर की उम्रकैद की सजा को निलंबित करते हुए उन्हें जमानत दी थी। इस फैसले के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सोमवार को इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनवाई की।

नाबालिग पीड़िता और उम्रकैद की सजा पर जोर

सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि जिस समय अपराध हुआ, उस वक्त पीड़िता की उम्र मात्र 15 वर्ष 10 महीने थी। यानी वह पूरी तरह नाबालिग थी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट ने सेंगर को पाक्सो एक्ट और भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2) के तहत दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सरकार की ओर से यह तर्क भी रखा गया कि दिल्ली हाई कोर्ट ने यह महत्वपूर्ण तथ्य नजरअंदाज कर दिया कि आईपीसी की जिन धाराओं में सेंगर को दोषी ठहराया गया है, उनमें भी अधिकतम सजा उम्रकैद तक हो सकती है।

विधायक को सार्वजनिक सेवक न मानना गलत

सॉलिसिटर जनरल ने हाई कोर्ट के उस निष्कर्ष पर भी सवाल उठाया, जिसमें कहा गया था कि विधायक को पाक्सो एक्ट के तहत पब्लिक सर्वेंट की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। उन्होंने कहा कि एक विधायक प्रभावशाली पद पर होता है और जनता उससे मदद की उम्मीद करती है, ऐसे में उसे सार्वजनिक सेवक मानने से इनकार करना कानूनी रूप से गलत है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी टिप्पणी की कि यदि किसी व्यक्ति के पास अधिकार और प्रभाव हो और लोग उससे सहायता की अपेक्षा करते हों, तो उसे सार्वजनिक सेवक माना जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख

पीठ ने कहा कि आमतौर पर जमानत रद करने से अदालतें बचती हैं, लेकिन यह मामला अलग है। कोर्ट ने यह भी ध्यान दिलाया कि सेंगर पहले से ही एक अन्य मामले में जेल में बंद है और हाई कोर्ट ने फैसले में कुछ अहम पहलुओं पर विचार नहीं किया। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाते हुए कुलदीप सिंह सेंगर की जमानत निलंबित कर दी। 

सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि नाबालिग से जुड़े गंभीर अपराधों में अदालतें बेहद सख्त रुख अपनाएंगी और पीड़ित के अधिकारों को सर्वोपरि रखा जाएगा।

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वोटर लिस्ट से नाम गायब? घबराएं नहीं,इस तरह से फिर जुड़ जाएगा नाम

उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की ड्राफ्ट मतदाता सूची से करीब 2.89 करोड़ नाम हटाए जाने की बात सामने आई है, जो कुल मतदाता संख्या का लगभग 18.7% बताया जा रहा है। ऐसे में अगर आपका नाम सूची में नजर नहीं आ रहा, तो घबराने के बजाय तय प्रक्रिया अपनाकर आप अपना नाम फिर से दर्ज करा सकते हैं।

उत्तर प्रदेश वोटर अपडेट
उत्तर प्रदेश वोटर अपडेट
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar29 Dec 2025 10:37 AM
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UP News : उत्तर प्रदेश में विधानसभा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बीच वोटर लिस्ट में बड़े बदलावों ने सियासी हलकों से लेकर आम मतदाताओं तक हलचल बढ़ा दी है। कई जिलों में ड्राफ्ट रोल से नाम गायब होने या हटाए जाने की चर्चा के बाद लोग अपने मतदान अधिकार को लेकर बेचैन हैं। लेकिन राहत की खबर यह है कि निर्वाचन आयोग ने पात्र मतदाताओं के लिए फॉर्म-6 के जरिए नाम दोबारा जोड़ने का साफ और वैधानिक रास्ता खुला रखा है। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की ड्राफ्ट मतदाता सूची से करीब 2.89 करोड़ नाम हटाए जाने की बात सामने आई है, जो कुल मतदाता संख्या का लगभग 18.7% बताया जा रहा है। ऐसे में अगर आपका नाम सूची में नजर नहीं आ रहा, तो घबराने के बजाय तय प्रक्रिया अपनाकर आप अपना नाम फिर से दर्ज करा सकते हैं।

कानपुर देहात का उदाहरण

उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में SIR प्रक्रिया के तहत मतदाता सूची में बड़ा अपडेट सामने आया है। जिले में विभिन्न कारणों से 2,03,966 मतदाताओं के नाम सूची से हटाने के लिए चिन्हित किए गए हैं। इनमें मृतक मतदाता, लंबे समय से अनुपस्थित, स्थानांतरित हो चुके लोग और मैपिंग/सत्यापन पूरा न होने जैसे मामले बताए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, जिले में वर्ष 2003 की मतदाता सूची से जुड़े 1,24,065 मतदाताओं की मैपिंग अब तक पूरी नहीं हो सकी है। प्रशासनिक स्तर पर यह भी तय किया गया है कि अनंतिम सूची के प्रकाशन के बाद ऐसे मतदाताओं को नोटिस जारी किए जाएंगे, ताकि वे समय रहते आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन कर अपने नाम को कटने से बचा सकें।

नाम कट गया या ड्राफ्ट लिस्ट में नहीं दिख रहा? यही करें

उत्तर प्रदेश में SIR के दौरान अगर आपका नाम ड्राफ्ट मतदाता सूची में नहीं दिख रहा या कट गया है, तो घबराने के बजाय सही फॉर्म के जरिए तुरंत कार्रवाई करें। नाम जोड़ने या दोबारा जोड़ने के लिए फॉर्म-6 भरें, यह आवेदन आप अपने क्षेत्र के बीएलओ (BLO) को जमा कर सकते हैं और बूथ स्तर पर तय समय-सीमा में सत्यापन के बाद नाम जोड़ने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाती है। वहीं, अगर आपका नाम सूची में मौजूद है लेकिन नाम, पता, उम्र या फोटो जैसी जानकारी में त्रुटि है, तो फॉर्म-8 के जरिए सुधार कराना सही विकल्प है। और यदि सूची में किसी नाम को लेकर आपत्ति दर्ज करनी हो - जैसे गलत एंट्री, अपात्रता या डुप्लीकेट नाम तो फॉर्म-7 के माध्यम से आपत्ति दाखिल की जा सकती है।

कौन-कौन से दस्तावेज लग सकते हैं?

उत्तर प्रदेश में SIR प्रक्रिया के तहत मैपिंग से छूटे या सत्यापन के दायरे में आए मतदाताओं को लेकर निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए हैं। ऐसे मतदाता आयोग द्वारा मान्य 12 पहचान पत्रों में से किसी एक के आधार पर आवेदन कर सकते हैं। आपके क्षेत्र के बीएलओ या निर्वाचन कार्यालय से यह अधिकृत सूची आसानी से प्राप्त की जा सकती है। आवेदन से पहले जरूरी है कि पहचान से जुड़े दस्तावेजों की फोटो-कॉपी के साथ मूल प्रति भी तैयार रखें, ताकि सत्यापन के दौरान किसी तरह की अड़चन न आए और आपका नाम समय रहते मतदाता सूची में सुरक्षित रह सके।

नोटिस और समयसीमा पर क्या कहा गया?

सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी गिरवर प्रसाद के मुताबिक, मैपिंग से बाहर रह गए 1,24,065 मतदाताओं को 31 दिसंबर के बाद निर्धारित तिथि पर नोटिस जारी किए जाएंगे। नोटिस मिलने के बाद संबंधित मतदाता आयोग द्वारा मान्य किसी एक पहचान पत्र के साथ आवेदन कर सकेंगे, ताकि उनका नाम मतदाता सूची से कटने से बचाया जा सके। अधिकारियों ने यह भी साफ किया है कि यदि किसी कारणवश नाम सूची से हट चुका है, तो फॉर्म-6 भरकर मतदाता सूची में नाम दोबारा दर्ज कराया जा सकता है। इसी बीच, उत्तर प्रदेश के जिला निर्वाचन अधिकारियों ने नागरिकों से अपील की है कि वे समय रहते अपनी एंट्री जांच लें वोटर लिस्ट में नाम खोजें, EPIC नंबर और दस्तावेजों का मिलान करें, और जरूरत पड़ने पर फॉर्म-6/8/7 के जरिए आवेदन करें ताकि आगामी चुनाव में उत्तर प्रदेश का कोई भी पात्र मतदाता अपने लोकतांत्रिक अधिकार से वंचित न रह जाए। UP News

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