गुर्जर समाज ने पंचायत करके लिया बड़ा फैसला
गुर्जर समाज की पंचायत में केवल बलवा गाँव ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के सात गाँवों के लोगों ने भाग लिया। इस पंचायत का आयोजन गुर्जर समाज की कलस्यान खाप ने किया था। कलस्यान खाप में शामली जिले के सात गाँव आते हैं। इन सात गाँवों को सतगाम कहा जाता है।

UP News : उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में गुर्जर समाज की बहुत बड़ी प्रतिष्ठा है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में गुर्जर समाज का राजनीतिक तथा सामाजिक दबदबा लगातार कायम है। मूल रूप से खेती तथा किसानी से जुड़े हुए गुर्जर समाज में पंचायत करके बड़े-बड़े फैसले करते रहने की परम्परा रही है। रविवार को उत्तर प्रदेश के गुर्जर समाज ने पंचायत की परम्परा में चार चाँद लगा दिए हैं। गुर्जर समाज ने पंचायत करके समाज के व्यापक हित में बड़ा फैसला किया है।
उत्तर प्रदेश के शामली जिले में हुई गुर्जर समाज की खास पंचायत
रविवार को उत्तर प्रदेश के शामली जिले में गुर्जर समाज की बहुत ही खास पंचायत आयोजित की गई। इस पंचायत का आयोजन उत्तर प्रदेश के शामली जिले में स्थित ऐतिहासिक गाँव बलवा में किया गया। गुर्जर समाज की पंचायत में केवल बलवा गाँव ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के सात गाँवों के लोगों ने भाग लिया। इस पंचायत का आयोजन गुर्जर समाज की कलस्यान खाप ने किया था। कलस्यान खाप में शामली जिले के सात गाँव आते हैं। इन सात गाँवों को सतगाम कहा जाता है।
गुर्जर समाज ने फिजूलखर्ची बंद करने का लिया फैसला
आपको बता दें कि रविवार को हुई गुर्जर समाज की कलस्यान खाप के सतगाम की पंचायत में अनावश्यक खर्चों पर रोक लगाने संबंधी तीन निर्णय लिए गए। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मनीष चौहान ने कहा कि सामाजिक कार्यों व परंपराओं में अनावश्यक खर्च किया जा रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए। गांव बलवा के जूनियर हाईस्कूल में रविवार को हुई पंचायत में गुर्जर समाज के सात गांव बलवा, जसाला, रसूलपुर, ब्रह्मखेड़ा, मीमला, पंजोखरा और खंदरावली के ग्रामीण शामिल हुए। पंचायत में बच्चों में संस्कार विकसित करने, माता पूजन सादगी के साथ कम खर्च में करने, भात नोतने व भात लेकर जाने में चार या पांच व्यक्तियों के शामिल होने, मकान निर्माण में निमंत्रण न देने और न हलवाई लगाने और शुभ अवसरों पर मंगलामुखी को 1100 रुपये देने के मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया। पंचायत में वक्ताओं के विचार और सुझावों के बाद तीन प्रस्ताव पारित हुए। पहला प्रस्ताव शादी विवाह में भात नौतने में माताओं-बहनों द्वारा बच्चों के मामा पक्ष शगुन लेकर जाने में केवल 5-7 महिलाएं ही सम्मिलित होंगी। इससे अनावश्यक खर्च और सामाजिक प्रति स्पर्धा पर रोक लगेगी। दूसरे प्रस्ताव में कहा गया कि माता पूजन को विवाह की तरह भव्य बनाना, हलवाई बुलाकर मिठाइयों बननवाना, फिजूलखर्ची और दिखाने को बढ़ावा देता है, इसलिए निर्णय लिया गया कि माता पूजन में सादा, घरेलू और सीमित रहेगा। UP News
UP News : उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में गुर्जर समाज की बहुत बड़ी प्रतिष्ठा है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र में गुर्जर समाज का राजनीतिक तथा सामाजिक दबदबा लगातार कायम है। मूल रूप से खेती तथा किसानी से जुड़े हुए गुर्जर समाज में पंचायत करके बड़े-बड़े फैसले करते रहने की परम्परा रही है। रविवार को उत्तर प्रदेश के गुर्जर समाज ने पंचायत की परम्परा में चार चाँद लगा दिए हैं। गुर्जर समाज ने पंचायत करके समाज के व्यापक हित में बड़ा फैसला किया है।
उत्तर प्रदेश के शामली जिले में हुई गुर्जर समाज की खास पंचायत
रविवार को उत्तर प्रदेश के शामली जिले में गुर्जर समाज की बहुत ही खास पंचायत आयोजित की गई। इस पंचायत का आयोजन उत्तर प्रदेश के शामली जिले में स्थित ऐतिहासिक गाँव बलवा में किया गया। गुर्जर समाज की पंचायत में केवल बलवा गाँव ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के सात गाँवों के लोगों ने भाग लिया। इस पंचायत का आयोजन गुर्जर समाज की कलस्यान खाप ने किया था। कलस्यान खाप में शामली जिले के सात गाँव आते हैं। इन सात गाँवों को सतगाम कहा जाता है।
गुर्जर समाज ने फिजूलखर्ची बंद करने का लिया फैसला
आपको बता दें कि रविवार को हुई गुर्जर समाज की कलस्यान खाप के सतगाम की पंचायत में अनावश्यक खर्चों पर रोक लगाने संबंधी तीन निर्णय लिए गए। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मनीष चौहान ने कहा कि सामाजिक कार्यों व परंपराओं में अनावश्यक खर्च किया जा रहा है। इस पर रोक लगनी चाहिए। गांव बलवा के जूनियर हाईस्कूल में रविवार को हुई पंचायत में गुर्जर समाज के सात गांव बलवा, जसाला, रसूलपुर, ब्रह्मखेड़ा, मीमला, पंजोखरा और खंदरावली के ग्रामीण शामिल हुए। पंचायत में बच्चों में संस्कार विकसित करने, माता पूजन सादगी के साथ कम खर्च में करने, भात नोतने व भात लेकर जाने में चार या पांच व्यक्तियों के शामिल होने, मकान निर्माण में निमंत्रण न देने और न हलवाई लगाने और शुभ अवसरों पर मंगलामुखी को 1100 रुपये देने के मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया। पंचायत में वक्ताओं के विचार और सुझावों के बाद तीन प्रस्ताव पारित हुए। पहला प्रस्ताव शादी विवाह में भात नौतने में माताओं-बहनों द्वारा बच्चों के मामा पक्ष शगुन लेकर जाने में केवल 5-7 महिलाएं ही सम्मिलित होंगी। इससे अनावश्यक खर्च और सामाजिक प्रति स्पर्धा पर रोक लगेगी। दूसरे प्रस्ताव में कहा गया कि माता पूजन को विवाह की तरह भव्य बनाना, हलवाई बुलाकर मिठाइयों बननवाना, फिजूलखर्ची और दिखाने को बढ़ावा देता है, इसलिए निर्णय लिया गया कि माता पूजन में सादा, घरेलू और सीमित रहेगा। UP News












