उत्तर प्रदेश के आईटी सिटी में घटे भूखंडों के दाम, आवासीय दर पर होगी बिक्री
अब तक आईटी सिटी में जमीन की कीमत आवासीय दर से डेढ़ गुना तय की गई थी, लेकिन नए निर्णय के अनुसार इसे घटाकर आवासीय दर के बराबर कर दिया गया है। इसके अलावा, जो निवेशक 10 एकड़ से अधिक भूमि खरीदेंगे, उन्हें आवासीय दर से लगभग 10 प्रतिशत कम मूल्य पर भूखंड उपलब्ध कराया जाएगा।

UP News : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित आवास विकास परिषद की वृंदावन आवासीय योजना के अंतर्गत विकसित की जा रही आईटी सिटी परियोजना में भूखंडों की कीमतों में उल्लेखनीय कटौती की गई है। परिषद की हाल ही में हुई बोर्ड बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इसके साथ ही भूमि मूल्य निर्धारण की नई नीति को भी स्वीकृति मिली है, जिसका असर पुरानी और आगामी दोनों योजनाओं पर पड़ेगा।
आईटी सिटी में अब आवासीय दर लागू
अब तक आईटी सिटी में जमीन की कीमत आवासीय दर से डेढ़ गुना तय की गई थी, लेकिन नए निर्णय के अनुसार इसे घटाकर आवासीय दर के बराबर कर दिया गया है। इसके अलावा, जो निवेशक 10 एकड़ से अधिक भूमि खरीदेंगे, उन्हें आवासीय दर से लगभग 10 प्रतिशत कम मूल्य पर भूखंड उपलब्ध कराया जाएगा। परिषद के अधिकारियों के अनुसार, आईटी सिटी के लिए कई बार टेंडर जारी किए गए, लेकिन अपेक्षित निवेश नहीं मिला। इसी कारण बोर्ड ने भूमि दरों में कटौती का निर्णय लिया। फिलहाल आईटी सिटी क्षेत्र में आवासीय भूखंडों की कीमत करीब 38 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर है, जो पहले आईटी श्रेणी में बढ़कर लगभग 58 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर हो जाती थी।
नई मूल्यांकन नीति से जमीन सस्ती
नई गणना नीति के लागू होने से परिषद की वे संपत्तियां, जो लंबे समय से नहीं बिक पा रही थीं, उनकी कीमतों में लगभग 25 प्रतिशत तक कमी आएगी। ऐसी संपत्तियों को पहले अनुपयोगी घोषित किया जाएगा और उसके बाद उनके रेट में संशोधन किया जाएगा। नई आवासीय योजनाओं में लगाए जाने वाले अतिरिक्त शुल्कों में भी कटौती की गई है। पार्क की ओर स्थित भूखंडों पर अब पहले के 10 प्रतिशत की जगह केवल 5 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा। वहीं सेंटेज चार्ज को 20 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है।
सशस्त्र बलों को अधिक छूट
पहले आओ पहले पाओ योजना के अंतर्गत अब सशस्त्र और अर्धसैनिक बलों के सेवारत एवं सेवानिवृत्त कर्मियों को फ्लैट खरीद पर विशेष राहत दी जाएगी। 60 दिनों के भीतर भुगतान करने पर 20 प्रतिशत तक की छूट। 61 से 90 दिन में भुगतान करने पर 15 प्रतिशत।
91 से 120 दिन में भुगतान करने पर 10 प्रतिशत की छूट। यह सुविधा 31 जनवरी तक प्रभावी रहेगी।
अगले दो वर्षों में पांच नई योजनाएं
परिषद ने प्रदेश के मऊ, गाजीपुर, चित्रकूट, प्रतापगढ़ और गोरखपुर जिलों में नई आवासीय योजनाएं शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। प्रतापगढ़ में प्रस्तावित 141 हेक्टेयर की योजना को छह माह के भीतर लॉन्च करने की तैयारी है, जबकि मऊ की 64 हेक्टेयर की योजना एक वर्ष में शुरू होगी। शेष योजनाएं डेढ़ वर्ष की अवधि में प्रारंभ होंगी।
कानपुर मंधना योजना को मिली हरी झंडी
कानपुर की मंधना आवासीय योजना लंबे समय से भूमि विवाद के कारण अटकी हुई थी। अब परिषद ने तीन गांवों में लैंड पूलिंग मॉडल के तहत जमीन लेने का फैसला किया है। इसके अंतर्गत किसानों से जमीन लेकर उन्हें बदले में 25 प्रतिशत विकसित भूमि दी जाएगी। इस योजना का कुल क्षेत्रफल लगभग 229 हेक्टेयर है। परिषद ने उन शैक्षिक भूखंडों पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया है, जिन पर वर्षों से निर्माण नहीं हुआ है। ऐसे भूखंड धारकों को एक महीने के भीतर भवन मानचित्र स्वीकृत कराने का अवसर दिया जाएगा। निर्धारित समय में प्रक्रिया पूरी न करने पर जुर्माना या आवंटन निरस्तीकरण किया जा सकता है। प्रदेश भर में ऐसे करीब 100 भूखंड हैं।
गाजियाबाद वसुंधरा योजना में किसानों को राहत
गाजियाबाद की वसुंधरा योजना-3 में वर्षों से किसानों की लंबित मांग को पूरा किया गया है। अब प्रभावित किसानों को पहले दिए गए 25 वर्ग मीटर की बजाय 35 वर्ग मीटर के भूखंड दिए जाएंगे। इससे परिषद की लगभग 350 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन को उपयोग में लाने का रास्ता साफ हो गया है। अब ई-नीलामी में ऊंची बोली लगने के बाद सौदा रद्द होने की स्थिति में हर बार कीमत नहीं बढ़ाई जाएगी। यदि दो बार नीलामी के बाद भी संपत्ति नहीं बिकती है, तो उसे परिषद द्वारा निर्धारित दर पर दोबारा नीलामी में रखा जाएगा। इससे लखनऊ, कानपुर समेत अन्य शहरों की करीब 50 फंसी हुई संपत्तियों के बिकने की संभावना बढ़ेगी। प्रतापगढ़ आवासीय योजना में किसानों से सहमति के आधार पर जमीन खरीदी जाएगी और डीएम सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा दिया जाएगा। मुरादाबाद में नगर निगम व खुफिया विभाग के लिए भूखंडों के उपयोग में बदलाव।
UP News : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित आवास विकास परिषद की वृंदावन आवासीय योजना के अंतर्गत विकसित की जा रही आईटी सिटी परियोजना में भूखंडों की कीमतों में उल्लेखनीय कटौती की गई है। परिषद की हाल ही में हुई बोर्ड बैठक में इस संबंध में प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। इसके साथ ही भूमि मूल्य निर्धारण की नई नीति को भी स्वीकृति मिली है, जिसका असर पुरानी और आगामी दोनों योजनाओं पर पड़ेगा।
आईटी सिटी में अब आवासीय दर लागू
अब तक आईटी सिटी में जमीन की कीमत आवासीय दर से डेढ़ गुना तय की गई थी, लेकिन नए निर्णय के अनुसार इसे घटाकर आवासीय दर के बराबर कर दिया गया है। इसके अलावा, जो निवेशक 10 एकड़ से अधिक भूमि खरीदेंगे, उन्हें आवासीय दर से लगभग 10 प्रतिशत कम मूल्य पर भूखंड उपलब्ध कराया जाएगा। परिषद के अधिकारियों के अनुसार, आईटी सिटी के लिए कई बार टेंडर जारी किए गए, लेकिन अपेक्षित निवेश नहीं मिला। इसी कारण बोर्ड ने भूमि दरों में कटौती का निर्णय लिया। फिलहाल आईटी सिटी क्षेत्र में आवासीय भूखंडों की कीमत करीब 38 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर है, जो पहले आईटी श्रेणी में बढ़कर लगभग 58 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर हो जाती थी।
नई मूल्यांकन नीति से जमीन सस्ती
नई गणना नीति के लागू होने से परिषद की वे संपत्तियां, जो लंबे समय से नहीं बिक पा रही थीं, उनकी कीमतों में लगभग 25 प्रतिशत तक कमी आएगी। ऐसी संपत्तियों को पहले अनुपयोगी घोषित किया जाएगा और उसके बाद उनके रेट में संशोधन किया जाएगा। नई आवासीय योजनाओं में लगाए जाने वाले अतिरिक्त शुल्कों में भी कटौती की गई है। पार्क की ओर स्थित भूखंडों पर अब पहले के 10 प्रतिशत की जगह केवल 5 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लिया जाएगा। वहीं सेंटेज चार्ज को 20 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है।
सशस्त्र बलों को अधिक छूट
पहले आओ पहले पाओ योजना के अंतर्गत अब सशस्त्र और अर्धसैनिक बलों के सेवारत एवं सेवानिवृत्त कर्मियों को फ्लैट खरीद पर विशेष राहत दी जाएगी। 60 दिनों के भीतर भुगतान करने पर 20 प्रतिशत तक की छूट। 61 से 90 दिन में भुगतान करने पर 15 प्रतिशत।
91 से 120 दिन में भुगतान करने पर 10 प्रतिशत की छूट। यह सुविधा 31 जनवरी तक प्रभावी रहेगी।
अगले दो वर्षों में पांच नई योजनाएं
परिषद ने प्रदेश के मऊ, गाजीपुर, चित्रकूट, प्रतापगढ़ और गोरखपुर जिलों में नई आवासीय योजनाएं शुरू करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। प्रतापगढ़ में प्रस्तावित 141 हेक्टेयर की योजना को छह माह के भीतर लॉन्च करने की तैयारी है, जबकि मऊ की 64 हेक्टेयर की योजना एक वर्ष में शुरू होगी। शेष योजनाएं डेढ़ वर्ष की अवधि में प्रारंभ होंगी।
कानपुर मंधना योजना को मिली हरी झंडी
कानपुर की मंधना आवासीय योजना लंबे समय से भूमि विवाद के कारण अटकी हुई थी। अब परिषद ने तीन गांवों में लैंड पूलिंग मॉडल के तहत जमीन लेने का फैसला किया है। इसके अंतर्गत किसानों से जमीन लेकर उन्हें बदले में 25 प्रतिशत विकसित भूमि दी जाएगी। इस योजना का कुल क्षेत्रफल लगभग 229 हेक्टेयर है। परिषद ने उन शैक्षिक भूखंडों पर कार्रवाई करने का निर्णय लिया है, जिन पर वर्षों से निर्माण नहीं हुआ है। ऐसे भूखंड धारकों को एक महीने के भीतर भवन मानचित्र स्वीकृत कराने का अवसर दिया जाएगा। निर्धारित समय में प्रक्रिया पूरी न करने पर जुर्माना या आवंटन निरस्तीकरण किया जा सकता है। प्रदेश भर में ऐसे करीब 100 भूखंड हैं।
गाजियाबाद वसुंधरा योजना में किसानों को राहत
गाजियाबाद की वसुंधरा योजना-3 में वर्षों से किसानों की लंबित मांग को पूरा किया गया है। अब प्रभावित किसानों को पहले दिए गए 25 वर्ग मीटर की बजाय 35 वर्ग मीटर के भूखंड दिए जाएंगे। इससे परिषद की लगभग 350 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन को उपयोग में लाने का रास्ता साफ हो गया है। अब ई-नीलामी में ऊंची बोली लगने के बाद सौदा रद्द होने की स्थिति में हर बार कीमत नहीं बढ़ाई जाएगी। यदि दो बार नीलामी के बाद भी संपत्ति नहीं बिकती है, तो उसे परिषद द्वारा निर्धारित दर पर दोबारा नीलामी में रखा जाएगा। इससे लखनऊ, कानपुर समेत अन्य शहरों की करीब 50 फंसी हुई संपत्तियों के बिकने की संभावना बढ़ेगी। प्रतापगढ़ आवासीय योजना में किसानों से सहमति के आधार पर जमीन खरीदी जाएगी और डीएम सर्किल रेट से चार गुना मुआवजा दिया जाएगा। मुरादाबाद में नगर निगम व खुफिया विभाग के लिए भूखंडों के उपयोग में बदलाव।











