Sunday, 1 December 2024

Rahul VS Modi : राहुल गांधी और मोदी के दांवपेंच,किसकी पतंग कटेगी,किसकी उड़ेगी !

Rahul VS Modi :  मीना कौशिक / 15 अगस्त को किसकी पतंग बादलों पर सवार होगी? राहुल गांधी और मोदी;…

Rahul VS Modi : राहुल गांधी और मोदी के दांवपेंच,किसकी पतंग कटेगी,किसकी उड़ेगी !

Rahul VS Modi :  मीना कौशिक / 15 अगस्त को किसकी पतंग बादलों पर सवार होगी? राहुल गांधी और मोदी; के दांवपेंच, उड़ती पतंग बाजी में भी दिखेंगे…

युवाओं के हाथ में मांझे की चरखी और आसमान में उड़ती राहुल और मोदी की पतंग और नीचे से दोस्तों के मंडली हाथों में मांजे की चर्खियां…। उसके साथ युवाओं की मौजमस्ती। अबे किसकी पतंग कटेगी अबे काट काट… नहीं अभी ओर ऊपर जाने दे…. यह तो मोदी जी की पतंग है और वो होगी शिकायत करती राहुल गांधी की पतंग … ऊंची उड़ान के साथ मैं आ रहा हूं सवाल जारी रहेंगे। और बच्चे चिल्ला रहे होंगे चली चली रे पतंग उड़ चली रे चली बादलों की ओर लेकर, होके हवा पे सवार…
मित्रों इस बार 15 अगस्त पर कुछ ऐसा ही नजारा होने वाला है। क्योंकि पतंग मार्केट में पतंग निर्माताओं ने विभिन्न तरह के रंग रंगीले पतंग में राहुल और मोदी के चेहरे भी उतार दिए हैं । पतंग मार्केट में बच्चों के लिए डोरेमोन से राहुल मोदी तक के चेहरे लेकर अपनी बिक्री के दाव पेच का व्यापार शुरू कर दिया है। सैकड़ो तरह की पतंग तमाम तरह के डिजाइन,… किसी पर बच्चों के लिए ललचाता डोरेमोन है तो किसी के लिए राहुल गांधी और मोदी जी के चेहरे पतंगों पर है। ऐसे में 15 अगस्त के जश्न की मस्ती रंग रंगीले पतंग हाथों में एक पतंग लूटने के लिए दस दस मांझों की रील एक साथ एक ही पतंग में बंधी हुई यह किसकी पतंग काटेगी ….. एक ही पतंग एक ही पतंग में 10 चरखीयो के मांजे का गठबंधन….. दस पतंगबाज मिलकर एक ही पतंग में 10 चर्खियों का मांझा बांधकर उड़ती आसमान की पतंग लूटेंगे। पतंग किसकी होगी या नहीं पता लेकिन इतना जरूर है राष्ट्रीय पर्व पर पतंगबाजी के खूबसूरत रंग लोकतंत्र की आजादी का पूरा लुफ्त उठाएंगे। आसमान की तरफ मुंह करके बुलंदियों पर सफलता का झंडा गाड़ने को लेकर राष्ट्रीय पर्व पतंगबाजी के रंग में एक अनूठा दृश्य बनाएगी। आसमान में कहीं गुजराती पतंग उड़ती दिखाई देगी तो कहीं रामपुर बरेली की….. कहीं पतंगों में राजस्थानी रंग होगा तो कहीं सादगी का प्रतीक कागज की छोटी-छोटी पतंग अपने वजूद से आकाश को आच्छादित कर देंगी।
आपको तो पता ही है आजादी का जश्न और छतों के ऊपर खूबसूरत पतंगों का नजारा आसमान में रंग रंगीले पतंगों की इंद्रधनुषी बहार …. हम सबका मन मोह लेती है….
इस बार राजधानी दिल्ली सदर बाजार चांदनी चौक रामपुर अमरोहा बरेली अहमदाबाद जहां भी देखें इन रंग रंगीले पतंग के विभिन्न खूबसूरत रंगो में युवाओं की पसंद तमाम डिजाइन शामिल किए गए हैं। तो फिर इनमे राजनीतिक रंग क्यों नहीं होंगे… वहां राहुल गांधी और मोदी जी की तस्वीरें भी पतंगों में आसमान को छूने की शिरकत करेंगी….
आपको पता है एक ही चीज खुले आम लूटी जाती है वह है पतंग …आसमान में जब पतंग जाती है तो नीचे युवाओं का दल छत पर युवती हो या बच्चा वृद्ध हो… स्वतंत्रता दिवस पर हर कोई पतंग आसमान में ऊंची से ऊंची उड़ा कर एक खुली सांस लेता है सभी का चेहरा ऊपर की ओर आंखें आसमान में एक दूसरे की पतंग से शिरकत करती हुई या फिर अपने उंगलियों के तेज मांझा से उन्हें काटने के लिए बेताब।।  इस बार पतंगबाजी के तमाम रंगों में, तमाम आकृतियों में योगी और मोदी और राहुल दिखाई पड़ेंगे। क्योंकि मार्केट में इन चेहरे को लेकर पतंग बिकने लगी है।
प्लास्टिक की बनी पतंग से लेकर बांस की बनी पतंग तक, तमाम तरह की छोटी बड़ी पतंग यही नहीं कुछ गुजराती रंग में तो कुछ राजस्थान के चटक रंगो में … बाजार में ग्राहक अपनी अपनी पसंद की पतंग खरीदने में लगे हैं….

 तिरंगी पतंग अधिक लोकप्रिय

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हर एक के सुंदर सजीले रूप इसके साथ ही एक सबसे बड़ा रूप होगा  तिरंगे रंग में रंगी पतंगबाजी, आसमान को भारत की बुलंदियों पर ले जाकर विश्व को बताने वाली है ,अपने विकास का नजारा कि देखो आपको बताएं

 पतंगबाजी का सफर शुरू  हुआ एक टोपी उड़ने की शुरुआत से….

आज पतंगबाजी तमाम बड़े-बड़े काईट फेस्टिवल के साथ शानदार रूप ले रही है लेकिन इसकी शुरुआत बहुत ही दिलचस्प है… पतंग का इतिहास शुरू हुआ एक टोपी से, तब पतंग नहीं उड़ रही थी बल्कि बार-बार टोपी उड़ रही थी बिचारे किसान बाबा की। किसान तो परेशान था तेज हवाओं में उसकी टोपी उड़ रही थी क्या करें धागा तो था नहीं उसने रस्सी बांध ली उसमें लेकिन टोपी तेज गति से आसमान की तरफ उड़ गई…. यह किसान भारत का नहीं था कहते हैं इस बेचारे किसान की टोपी चीन में उड़ी थी और तभी से पतंगबाजी की शुरुआत हुई और पतंगबाजी की शुरुआत उड़ती टोपी की प्रेरणा से शुरू हुई थी जिसमें रस्सी बांध दी गई थी। पतंग की इस कहानी को चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत यात्रा पर लाया। और उसी यात्रा के साथ भारत में भी पतंगबाजी के अनेक रूप हमें देखने को मिले…. आज भी आप गांव में देखना कि बच्चे धागे में छोटी छोटी सी पन्नी छोटे-छोटे कागज लेकर उड़ाते हैं क्योंकि हर किसी को पतंग नसीब नहीं हो पाती अभी भी बच्चों की मां उन्हें धागे में कागज बांध कर दे देती हैं। ग्रामीण भारत में प्रतिभाओं का खजाना है। बस कहिए कि हमारे ग्रामीण भारत में पतंग बाजी को भी इसी तरह एक से एक नए रूप देखने को मिले। रामपुर बरेली लखनऊ से लेकर गुजरात तक राजस्थान से लेकर अफ्रीका और तक पतंगबाजी ने सुंदर-सुंदर आकृतियों का रूप लिया। आज अगर हम पतंगबाजी के इतिहास की बात करें तो यह 2000 साल से भी अधिक पुराना है हर एक की अलग-अलग गाथा है

लेकिन सबसे सुंदर कथा है भारतीय पतंगबाजी की…

भारत की एक से बढ़कर एक अनूठी पतंग की आकृतियां और रंग…
भारतीयों के सामने कोई एक चीज आ जाए वह उसके हजार इंद्रधनुषी रंग बना देते हैं। आपको पता है राजधानी के दिल्ली हाट के काइट फेस्टिवल से लेकर गुजरात अहमदाबाद के काईट फेस्टिवल तक गुजरात से लेकर अंतरराष्ट्रीय पतंग दिवस तक भारतीयों की पतंग के अनेक रूप देख सकते हैं… एक पतंग में हजारों हजारों पतंग एक साथ जुड़कर आसमान तक हमारी आजादी की कहानी कह जाती है ।

बांस के ताने-बाने से बनती है पतंग

मांझा
मांझा

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अगर आप देखें तो आयताकार सी दिखने वाली छोटी सी पतंग जो पूरे भारत में दिखती है । बांस के ताने-बाने से बनती है पतंग हालांकि बांस के पेपर से अच्छी बनती है और उसमें अजंता पेपर मिल का  कागज जो बांस का बनता था उनका इस्तेमाल अधिकांश रूप से पतंग निर्माता किया करते थे। लेकिन पतंग निर्माता हाफिज बताते हैं कि हमने तमाम 25 वर्षों तक पतंग को अपना व्यवसाय बनाया।  इस बीच में देखा कि साधारण सी पन्नी की पतंग भी मार्केट में आ गई है जो बहुत सस्ती होती है एक दर्जन पतंग 80 पैसे से शुरू होकर दो हजार रुपए तक महंगी पतंग भी मार्केट में आती हैं।  पतंग का बाजार छोटा-मोटा नहीं है बल्कि संगठन के मुताबिक 1200 करोड रुपए से भी अधिक का ,लाखों लोगों को रोजगार देने वाला यह पतंगबाजी का व्यवसाय है।

भारत का  बना मांझा होता है सबसे अच्छा

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पतंग बाजी के व्यवसाय में चीन ने भी अपना कारोबार लंबा चौड़ा बनाया लेकिन चीन का बना मांझा बहुत खतरनाक साबित हुआ और तमाम लोग कई दुर्घटनाओं में इस मांझे के शिकार भी हुए। क्योंकि चीन का बना मांझा सिंथेटिक होता है और वह जल्दी से टूटा नहीं और जब कभी किसी के गले में या चलती बाइक पर वह फंसा तो वह मौत का धागा साबित हो गया। लेकिन भारत के मांझे भारत की चरखी स्वदेशी अंदाज में बनती है जो किसी की जान नहीं लेता वह आसानी से टूट जाता है वह भी बताऊंगी और जूट से बना मांझा पतंग की उड़ान के लिए सबसे बेहतरीन होता है। और उससे उड़ाई पतंग आसमान को चीरते हुए खुशी की कहानी कहती है।

गुजरात पतंगबाजी का सबसे बड़ा बाजार

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भारत में अगर हम गुजरात की बात कहें तो पतंग का सबसे बड़ा कारोबार अकेला 500 करोड़ तक का वहीं से होकर जाता है या फिर रामपुर बरेली अहमदाबाद राजधानी दिल्ली का सदर इलाका यहां से निकल कर पूरे भारत की छतों तक आसमान को आच्छादित कर देता है।

पतंगबाजी के फेस्टिवल में विदेशी भी करते हैं शिरकत

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पतंगबाजी के राष्ट्रीय फेस्टिवल में सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि विदेशी भी शिरकत करते हैं। एक से बढ़कर एक पतंग … ऐसा लगता है आसमान में एक जीवंत दुनिया उतर आई है तमाम अलग-अलग आकृतियों के साथ उड़ते हुए यह पतंग जब श्रृंखला के रूप में सामने आते हैं. तो हम हैरत में पड़ जाते हैं। क्या ऐसी भी पतंग होती है? शहरीकरण के दौड़ में यूं तो सभी की जिंदगी बंद दफ्तर, बंद फ्लैट और घरों के भीतर ही अधिकांश रूप से बीतती है लेकिन आजादी का स्वतंत्रता दिवस हम सबों के लिए खुले आसमान में ऊपर की ओर देखने का मौका देता है लाल किले की प्राचीर से तिरंगे झंडे की शान और उसके साथ ही तिरंगे पर गुब्बारों के साथ हम प्रधानमंत्री का अभिभाषण सुनते हैं तो उसी स्वतंत्रता दिवस पर हम भारत भर में पतंगबाजी के साथ खुले आसमान में माझे की डोर पर पतंग उड़ाते हुए आनंदित होते हैं। राष्ट्रीय पर्व पर सारा आसमान तिरंगे पतंगों से एक खूबसूरत और अनूठा दृश्य बनाता है दूर-दूर तक तिरंगे रंग के पतंग हमारा मन मोह लेते हैं।
और इन पतंग में तमाम संदेश भी शामिल होते हैं यह पतंगबाजी के इतिहास की परंपरा भी रही है। आओ पतंगबाजी के बारे में कुछ अन्य जानकारी भी ले।
मकर संक्रांति पर भी उड़ाई जाती है पतंग…
मकर सक्रांति के त्योहार पर पारंपरिक पतंग उड़ाई जाती है मूंगफली के दाने पॉपकॉर्न के  दाने और ढोल मस्ती के साथ ही शाम को छत ऊपर पतंग का अद्भुत नजारा होता है।Rahul VS Modi
पोंगल के त्योहार पर भी उड़ाई जाती है पतंग
पंजाब में पोंगल के त्योहार पर पतंगबाजी का अद्भुत नजारा होता है देशभर के तमाम हिस्सों में पोंगल के त्यौहार में पतंगबाजी की परंपरा है।
राजधानी दिल्ली में काइट फेस्टिवल मनाया जाता है
इस काईट फेस्टिवल में देश विदेश के तमाम प्रतिनिधि पतंगबाजी की प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं और उन्हें सरकार द्वारा सम्मानित भी किया जाता है।
गुजरात के खंभात इलाके की पतंग की डिमांड है देशभर में…
देशभर में गुजरात के खंभात इलाके की पतंग बहुत लोकप्रिय है और काफी डिमांड पर रहती हैं 5 से 2000 रुपए की पतंगें , विभिन्न वेरायटी की पतंगें गुजरात के अलावा अमेरिका, अफ्रीका, कनाडा जैसे देशों में जाती हैं। इसकी फिनिशिंग अन्य राज्यों में बनने वाली पतंगों से अच्छी होती है। यहां दो इंच से लेकर बारह फीट तक की पतंगें मिलती हैं। जिसकी कीमत 5 से 2000 रुपए तक होती है। खंभात में गवरा रोड, चकडोल मैदान, लाल दरवाजा में पतंग के स्टॉल देखने को मिलते हैं। इनकी बनावट के आसार इनके रंग रंगीले स्वरूप और ऊंची उड़ान की खासियत की वजह से इनकी डिमांड बहुत होती है
लखनऊ रामपुर बरेली मुरादाबाद के इलाकों से देशभर में जाती है पतंग…
उत्तर प्रदेश के लखनऊ रामपुर बरेली मुरादाबाद में पतंगबाजी का विवाह पर मुस्लिम बहुल इलाके में जमकर प्रयोग किया जाता है, हजारों की संख्या में पतंग के कारीगर बांस की खपछी और कागज से एक से एक बढ़कर रचनात्मक पतंग तैयार करते हैं
कैसे बनते हैं पतंग और कितने तरह की होती हैं…
खंभात में लगभग 12 तरह की पतंगें बनाई जाती हैं। इसे बनाते समय 8 प्रकार की विभिन्न प्रक्रियाओं के तहत गुजारा जाता है। पतंगों के लिए बांस वलसाड़ और असम से मंगाया जाता है। बांस से कमान तैयार की जाती है। पतंग हवा में स्थिर रहकर ऊंची उड़ान करें इसके लिए बांस को छीलकर उसकी कमान तैयार की जाती है। राज्य के अन्य शहरों की अपेक्षा खंभाती पतंगों का कागज उच्च गुणवत्ता का होता है। एक कागज से 6,3 या 2 पतंगें बनाई जाती हैं। इन पतंगों को आधी, पौनी या पावली कहा जाता है। दूसरी ओर चील, घेसियो, चांपट, गोल और सूर्य पतंगें भी विभिन्न रंगों से बनाई जाती हैं। अफ्रीका के नैरोबी में भारतीय खंबाती पतंगों की भारी डिमांड होती है यहां काइट फेस्टिवल में भारत से रंगारंग ऊंची उड़ान वाली पतंग मंगाई जाती हैं।Rahul VS Modi

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