Noida News : नोएडा शहर में कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता ही जा रहा है। नोएडा प्राधिकरण यहां के निवासियों को डॉग बाइट (Dog Bite) से बचाने में पूरी तरह से नाकाम और बेबस दिखाई पड़ रहा है। नोएडा में ही हर वर्ष 90 हजार कुत्तों की नसबंदी करवाने का दावा करने के बावजूद एक ही महीने में लगभग 10 हजार लोग इन ‘भूखे भेड़िए’ सरीखे कुत्तों का शिकार हो चुके हैं।
नोएडा शहर के लोगों में दहशत इस कदर घर कर गई है कि लोग अपने बच्चों को अकेले घर से बाहर निकलने तक नहीं दे रहे हैं। हालांकि नोएडा प्राधिकरण इन कुत्तों पर लगाम लगाने के नाम पर हर वर्ष लगभग 11 करोड़ रुपए खर्च करने का दावा भी करता है, लेकिन यह दावा भी हवा-हवाई साबित हो रहा है। दूसरी ओर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अब तक अपनी डॉग पॉलिसी (Dog Policy) भी लागू नहीं कर सका है।
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कुत्ते के काटने से हाल ही में हुई थी मौत
Noida News : बता दें कि पड़ोसी शहर गाजियाबाद में कुछ ही दिन पहले कुत्ते के काटने के बाद रेबीज होने से एक 12 वर्षीय मासूम को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। इसके अलावा नोएडा शहर की ही एक नामी-गिरामी सोसाइटी में एक रिटायर्ड IAS अधिकारी भी कुत्ते का शिकार हो गए थे। गत 10 सितंबर को फरीदाबाद के बल्लभगढ़ कस्बे में भी एक कुत्ते ने 3 बच्चों सहित 6 लोगों को काटकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था।
इतना ही नहीं, आपको याद दिला दें कि नोएडा प्राधिकरण के अधीन आने वाले सेक्टर-100 में स्थित लोटस बुलेवार्ड सोसाइटी में भी पिछले वर्ष आवारा कुत्ते ने एक बच्चे को अपना शिकार बना कर मार डाला था। यानी इन आवारा कुत्तों ने बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को अपना शिकार बना लिया है, लेकिन इन घटनाओं के बावजूद नोएडा प्राधिकरण के अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।
सरकार के अनुसार हर दिन 150 को लगता है इंजेक्शन
Noida News : नोएडा और ग्रेटर नोएडा में कुत्तों का हमला इतना बढ़ चुका है कि हर दिन लगभग 150 लोग एंटी रेबीज का इंजेक्शन लेने जिला अस्पताल पहुंचते हैं। हालांकि यह केवल उन लोगों का सरकारी आंकड़ा है, जो सरकारी अस्पताल और डिस्पेंसरी पहुंचते हैं। लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं, जो कुत्ते के काटने के बाद बाहर ही प्राइवेट में इंजेक्शन ले लेते हैं। इसलिए यह आंकड़ा 200 तक भी पहुंच सकता है।
अगर जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) डॉ. सुशील कुमार शर्मा की मानें, तो नोएडा में ही अलग-अलग जानवरों के काटे जाने के 9,671 मामले सामने आए हैं, जिनमें 9 हजार मामले केवल कुत्तों के काटने के हैं। लेकिन यह भी सरकारी आंकड़ा ही है। वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक होने का अनुमान है। लेकिन अधिकारी इन आवारा कुत्तों के सामने बेबसी के आंसू बहा रहे हैं।
नोएडा में कुत्तों के नाम पर कहां जा रहे हैं 11 करोड़ रुपए?
Noida News : इधर नोएडा और ग्रेटर नोएडा के लोगों का कहना है कि आवारा कुत्तों पर लगाम लगाने में नोएडा व ग्रेटर नोएडा के प्राधिकरण पूरी तरह से नाकाम रहे हैं। नोएडा में इन कुत्तों पर लगाम लगाने के नाम पर हर वर्ष लगभग 10 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। इनमें नोएडा सेक्टर-50 और सेक्टर-135 में डॉग शेल्टर (Dog Shelter) बनाना, कुत्तों की नसबंदी करवाना, आवारा कुत्तों के रहने, खाने और इलाज की व्यवस्था करने जैसी व्यवस्थाएं भी शामिल हैं।
नोएडा प्राधिकरण का दावा है कि वह हर महीने साढ़े 7 हजार कुत्तों की नसबंदी करवाता है। यानी हर साल 90 हजार कुत्तों की नसबंदी की जाती है। नोएडा प्राधिकरण की ओर से नसबंदी करने वाले एजेंसी को हर नसबंदी के लिए 1,000 रुपए दिए जाते हैं। इस तरह नोएडा प्राधिकरण की ओर से केवल कुत्तों की नसबंदी पर ही हर साल 9 करोड़ रुपए का खर्च किया जाता है।
इसके अलावा नोएडा प्राधिकरण आवारा कुत्तों और अन्य जानवरों के रहने, खाने और इलाज के नाम पर भी हर महीने 15 लाख रुपए खर्च करता है। यानी इस काम के लिए एक वर्ष में 1 लाख 80 हजार रुपए खर्च कर दिए जाते हैं। इसके अलावा नोएडा प्राधिकरण ने सेक्टर-50 और सेक्टर-135 में डॉग शेल्टर की शुरुआत भी की थी। इस योजना पर भी प्राधिकरण के लगभग 15 लाख रुपए खर्च हुए थे। लेकिन इतना सबकुछ होने के बावजूद यह सारा खर्च बेकार साबित हो रहा है।
डॉग पॉलिसी लागू करने में भी लापरवाही
Noida News : इतना ही नहीं, डॉग पॉलिसी लागू करने के प्रति भी गंभीरता नहीं देखी जा रही है। बता दें कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अभी तक डॉग पॉलिसी (Dog Policy) लागू नहीं कर सका है। पिछले साल दिसंबर के अंतिम सप्ताह में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की बैठक में यह फैसला भी लिया गया था कि एक जनवरी 2023 से डॉग पॉलिसी को लागू कर दिया जाएगा, लेकिन यह फैसला किस डिब्बे में बंद हो गया, कोई नहीं जानता।
इस पॉलिसी को लागू करने में अबतक पहले ही 8 महीने की देर हो चुकी है। हालांकि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों का दावा है कि ग्रेटर नोएडा के लिए डॉग पॉलिसी जल्द ही लागू कर दी जाएगी। इसके तहत एक ऐप भी बनाए जाने की बात है। लेकिन धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। इस कारण ग्रेटर नोएडा के लोगों में भी आवारा कुत्तों का खौफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
वर्तमान स्थिति को देखकर ऐसा ही लग रहा है कि गौतमबुद्ध नगर के प्रशासन, नोएडा प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने यहां के लोगों को केवल भगवान के भरोसे या फिर भूखे भेड़िए की तरह घूमने वाले इन ‘आवार कुत्तों के भरोसे’ छोड़ दिया है। दूसरी ओर ये आवारा कुत्ते भी लोगों को जमकर अपना शिकार बना रहे हैं। इस कारण लोगों में भारी दहशत का माहौल व्याप्त हो गया है। Noida News
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