Lucknow News : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक ऐसी कंपनी का पर्दाफाश हुआ है, जो सॉफ्टवेयर बिजनेस की आड़ में नशे का कारोबार कर रही थी। इस काम को करने के लिए कंपनी ने बकायदा एक कॉल सेंटर भी बना रखा था, जिसके जरिए विदेश में बैठे ग्राहकों से वह संपर्क में रहती थी। बता दें कि ऊपरी तौर पर ये किसी सामान्य कॉल सेंटर की तरह नजर आता था लेकिन असलियत में यहां नशीले पदार्थों के कस्टमर्स के साथ डील की जाती थी। प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में केस दर्ज किया है वहीं करीब 3.24 करोड़ की संपत्तियों को जब्त किया है।
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3.24 करोड़ की संपत्तियों को किया गया जब्त
दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय को पिछले कुछ दिनों से कॉल सेंटर के जरिए नशे का कारोबार करने की सूचना मिल रही थी। इस सूचना पर ED पिछले कुछ दिनों से काम कर रही थी। वहीं शुक्रवार को हत्श टेलीकॉम कंपनी के खिलाफ मनी लांड्रिंग का केस दर्ज किया है। इसके अलावा कंपनी की 3.24 करोड़ की संपत्तियों को जब्त भी किया गया है। बताया जा रहा है कि ये संपत्तियां कंपनी के निदेशक शांतनु गुप्ता, शशांक गुप्ता, अब्दुल वहाब यासिर, मोहित हलदर, पुनीत दुबे व अन्य के नाम से लखनऊ, बाराबंकी और उत्तराखंड के उधमसिंह नगर में मौजूद हैं।
इन 9 कंपनियों के जरिए चल रहा था काम
जानकारी के मुताबिक, शांतनु गुप्ता, शशांक गुप्ता, अब्दुल वहाब यासिर, मोहित हलदर, पुनीत दुबे और अन्य 9 फर्जी कंपनियों के जरिए लखनऊ के कॉल सेंटर से नशे का काला कारोबार चला रहे थे। जांच में जिन नौ फेक कंपनियों के बारे में पता चला है, वो मेसर्स हत्श टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स मॉर्फियस टेलीकॉम प्रा. लिमिटेड, मैसर्स स्काई ड्रीम्स टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स जिओ पार्डी टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स स्काई हाई टेलीकम्युनिकेशन, मेसर्स सीजी टेलीकॉलर्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स एपिटोम टेलीकम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स 99 स्टाइल रिलेट प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स वाईएस टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड हैं। अब ED की टीम इस मामले की तहतक जाकर अन्य लोगों के बारे में जानकारी जुटा रही है।
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