Thursday, 21 November 2024

पापमोचनी एकादशी : पूजन में इस पत्ते का है विशेष महत्व, मिट जाएंगे सारे पाप

Papmochani Ekadashi :  चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पामोचनी एकादशी कहा जाता है । इस दिन के…

पापमोचनी एकादशी : पूजन में इस पत्ते का है विशेष महत्व, मिट जाएंगे सारे पाप

Papmochani Ekadashiचैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पामोचनी एकादशी कहा जाता है । इस दिन के व्रत का हिन्दू धर्म में बहुत महत्व है । इसमें व्यक्ति अपने पापों की क्षमा मांगते हुये उनके प्रक्षालन के लिये यह व्रत करता है । इस व्रत में दान धर्म के समय मन की पवित्रता और विचारों की शुचिता आवश्यक है। पूर्ण आस्थावान होकर श्रद्धा से दिया दान ही सच्चा दान है ।

तुलसी दल के साथ करें पूजन

इस दिन प्रात:स्नान के बाद विष्णु जी का लक्ष्मी जी सहित तुलसी दल के साथ पूजन करना चाहिये‌। तुलसी दल विष्णु जी को सबसे प्रिय है । इस तरह से पूजन करने के पश्चात फल या सात्विक प्रसाद ही भोग में चढ़ाना चाहिये । तभी हमें भगवान विष्णु जी के साथ ही लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है। ‌

Papmochani Ekadashi पौराणिक कथा:-
महर्षि च्यवन के पुत्र मेधावी भी अपने ही पिता के समान तप करते हुये साधना रत रहते थे । एक बार जब वह अपने आश्रम में तपलीन थे तभी आकाश मार्ग से जाती हुई अप्सरा मंजुघोषा की उनपर दृष्टि पड़ी और वह उनके दिव्य सौंदर्य पर रीझ गई । उसने आश्रम में ही उतर कर पहले तो ऋषि मेधावी को जाग्रत कर अपने रूप का जादू चलाकर नृत्य गायन के माध्यम से उन्हें जगाना चाहा । उसके अपने इस कार्य में असफल होने पर स्वयं कामदेव ने अपने पुष्पशर चलाकर उनके मन को मथते हुये आपने मन्मथ नाम को सार्थक किया । चारों ओर सुवासित मनमोहक वातावरण कुहुकती कोयल की मधुर आवाज के साथ मंजुघोषा के नूपुर की आवाज ने मेधावी ऋषि को मोहित कर समाधि से जगा दिया । वह मंजु घोषा के रूपजाल में फंस कर मोहित हो गये और तपस्या को भूल कर मंजुघोषा के साथ ही आनंदित होकर रहने लगे । बहुत वर्षों बाद जब उन्हें होश आया तो वह शिव जी की अपनी अधूरी साधना छोड़ने के कारण बहुत दुखी हुये। इसी पश्चाताप में उन्होंने अपनी तपस्या भंग का कारण मंजुघोषा को समझ कर उसे पिशाचनी होने का श्राप दे दिया । मंजुघोषा ने अपने इस अपराध की क्षमा मांगते हुये ऋषि से इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा । तब मेधावी ऋषि ने उसे चैत्र मास के कृष्णपक्ष की पापमोचनी एकादशी का व्रत करने को कहा । जिसके प्रभाव से अंत में मंजुघोषा अप्सरा ने पिशाचनी के भयंकर रूप से मुक्त होकर अप्सरा रूप को पाकर अपने स्थान स्वर्ग लोक में‌ चली गई ।

Papmochani Ekadashi
इस तरह यह पापमोचनी एकादशी समस्त पापों से मुक्ति देती हुई भगवान विष्णु को लक्षमी जी सहित समर्पित है ।
उषा सक्सेना

चैत्र नवरात्रि 2024 कब-कब रखा जाएगा नवरात्रि व्रत लिस्ट 

ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।

देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुक  पर लाइक करें या  ट्विटर  पर फॉलो करें

Related Post