Delhi,Noida School Bomb Threat: दिल्ली-NCR के 150 स्कूलों को 1 मई यानी बुधवार को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी, जिसके बाद उसकी जांच करना मुश्किल होता जा रहा है। दऱअसल जिन ईमेल का IP ऐड्रेस ट्रेस किया गया, उसकी लोकेशन रूस में जाकर मिली है। पुलिस को आशंका है कि इसमें प्रॉक्सी सर्वर का इस्तेमाल किया गया है।
Delhi,Noida School Bomb Threat
आपको बता दें कि इस मामले में पुलिस का कहना है कि इन ईमेल के तार डार्क वेब से जुड़े हो सकते हैं। इन्हें भेजने में विदेशी सर्वर और डार्क वेब का यूज किया गया होगा। इस कारण इन्हें ट्रैक करने में दिक्कत आ रही है। पहले भी कई स्कूलों को ईमेल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी दी गई है, और ज्यादातर मामलों में ईमेल भेजने वालों का पता नहीं चलता। आइए जानते है आखिर यह डार्क वेब होता क्या है?
क्या होता है Dark Web?
आपको बता दें कि डार्क वेब कुछ अलग नहीं है, ये भी इंटरनेट का ही पार्ट है, लेकिन इस तक पहुंचना थोड़ा मुश्किल होता है। क्योंकि यह इंटरनेट की दुनिया का वो काला हिस्सा है, जहां अवैध और वैध हर तरह के काम होते हैं। यहां तक आपका सर्च इंजन नहीं पहुंच सकता। इसके लिए स्पेशल ब्राउजर का यूज किया जाता है।
तीन प्रकार के होता है इंटरनेट
मिली जानकारी के अनुसार इंटरनेट की दुनिया तीन हिस्सों में बटी हुई है। हम जिस हिस्से का इस्तेमाल अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कर रहे हैं, इसे सरफेस या सेफ इंटरनेट कहते हैं। ये इंटरनेट की पूरी दुनिया का महज 4 परसेंट हिस्सा ही होता है। इसके बाद 96 परसेंट हिस्सा डीप वेब और डार्क वेब होता है।
Dark Web में क्या होता है?
वही डार्क वेब को आप इंटरनेट की दुनिया का अंडरवर्ल्ड समझ सकते हैं। क्योंकि इस जगह यूजर्स का डेटा खरीद और बेचा जाता है। लीक हुए डेटा को हैकर्स डार्क वेब पर ही बेचते हैं। इसे एक्सेस करने के लिए आपको स्पेशल ब्राउजर की जरूरत पड़ती है। इसके आप TOR (The Onion Router) के जरिए एक्सेस कर पाएंगे। इस दुनिया में ज्यादातर वे वेब पेज और कंटेंट होते हैं, जिन्हें सामान्य सर्च इंजन इंडेक्स नहीं कर सकते हैं। इसे बहुत ही खतरनाक माना जाता है। डार्क वेब पर आप किसी भी हैकर का शिकार बन सकते हैं। इतना ही नहीं डार्क वेब में किसी को ट्रैक करना बहुत ही मुश्किल काम होता है, यही वजह है कि हैकर्स डार्क वेब का इस्तेमाल करते हैं।
कैसे बदल जाता है IP ऐड्रेस?
अगर आपको IP ऐड्रेस बदलना है तो इसके लिए आप VPN और प्रॉक्सी नेटवर्क का यूज कर सकते है। VPN यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क ऐसी टेक्नोलॉजी होती है, जो आपके कनेक्शन को सिक्योर और प्राइवेट रखने में मददगार है। इसमें एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल होता है, जिससे यूजर का IP सुरक्षित माना जाता है। Delhi,Noida School Bomb Threat
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