Sunday, 17 November 2024

क्यों है नक्षत्र की महत्वता, पीएम मोदी ने किया नामांकन…. तो होने लगी इसपर चर्चा 

UP News : हिंदू धर्म शायद दुनिया में सबसे पुराना धर्म है इसके साथ ही इसकी कई परंपराएं युगों तक…

क्यों है नक्षत्र की महत्वता, पीएम मोदी ने किया नामांकन…. तो होने लगी इसपर चर्चा 

UP News : हिंदू धर्म शायद दुनिया में सबसे पुराना धर्म है इसके साथ ही इसकी कई परंपराएं युगों तक चली हैं, जिनकी उत्पत्ति समय के साथ खो गई है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आकाश में तारा समूह को नक्षत्र कहा जाता है। नक्षत्रों की गणना के आधार पर ही ज्योतिषीय गणनाएं की जाती हैं और ये नक्षत्र चंद्रमा का पथ से जुडे हुए होते हैं। चंद्रमा लगभग 27 दिनों में पृथ्वी की पूरी परिक्रमा करता है। ऐसे में एक माह में चंद्रमा जिस भी मुख्य सितारों के समूहों के बीच भ्रमण करते हैं। चंद्रमा के द्वारा एक परिक्रमा करने में 27 अलग-अलग तारा समूह का निर्माण करते हैं।

पीएम मोदी ने पुष्य नक्षत्र में किया नामांकन

वैसे शादी-विवाह, मुण्डन, गृह प्रवेश जैसे कई कार्यक्रम ऐसे होते हैं जिन्हें नक्षत्र के अनुसार ही किया जाता है। हालाकिं, आज इसपर इसलिए चर्चा हो रही क्योंकि देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वाराणसी लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल कर दिया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, जिस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नामांकन दाखिल किया, उस समय अभिजीत मुहूर्त, आनंद योग के साथ-साथ पुष्य नक्षत्र भी था। ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा माना जाता है और इस मुहूर्त को सबसे शुभ माना जाता है। माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र में कोई भी काम किया जाता है तो उस कार्य में सफलता जरूर मिलती है।

पुष्य नक्षत्र में किया काम तो मिलेगा उत्तम फल- पुजारी

श्री सिद्धपीठ सत्य योगेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी पंडित राजेश शुक्ल ने बताया कि पुष्य नक्षत्र में यदि कोई काम किया जाता है तो उसका उत्तम फल प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति देव हैं और शनिदेव को पुष्य नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि कहा जाता है। इन दोनों ग्रहों के प्रभाव से जीवन में स्थायित्व आता है। ऋग्वेद में पुष्य नक्षत्र को मंगलकर्ता भी कहा गया है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रह-नक्षत्रों की चाल का विशेष महत्व होता है। ग्रह-नक्षत्रों की चाल का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर जरूर पड़ता है।

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ग्रहों की चाल से मनुष्य के जीवन में पड़ता है असर

ग्रहों की चाल से जहां व्यक्ति के जीवन पर शुभ-अशुभ प्रभाव पड़ता तो वहीं नक्षत्रों की गणना से व्यक्ति के स्वभाव और जीवनशैली पर असर होता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्रों का विवरण है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इन 27 नक्षत्रों को दक्ष प्रजापति की पुत्रियां माना गया है। वैदिक ज्योतिष में ज्योतिषीय गणना के लिए कुल 12 राशियां होती हैं और आकाश को 27 नक्षत्रों में बांटा गया है। कुल 9 ग्रहों को इन 27 नक्षत्रों में बांटा गया है और हर एक ग्रह 3 नक्षत्रों के स्वामी होते हैं।

जानें किस नक्षत्र में करना चाहिए गृह प्रवेश

शास्त्रानुसार विवाह हेतु रोहिणी, तीनों उत्तरा, मूल, रेवती, स्वाति, मघा, अनुराधा, हस्त, चित्रा, श्रवण, धनिष्ठा, मृगशिरा व अश्विनी श्रेष्ठ नक्षत्र माने गए हैं। वहीँ गृह प्रवेश के लिए शुभ नक्षत्र- उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, मृगशिरा, चित्रा, अनुराधा एवं रेवती नक्षत्र गृह प्रवेश के लिए शुभ हैं। इसी तरह नक्षत्रों की बात करें तो अश्विनी, पुष्य, मृगशिरा, हस्त, चित्रा, स्वाति, पुनर्वसु, ज्येष्ठ, धनिष्ठा, शतभिषा और श्रवण नक्षत्र में मुंडन संस्कार करवाना फलदायक माना जाता है।

ये हैं 27 नक्षत्र

अश्विन नक्षत्र, भरणी नक्षत्र, कृत्तिका नक्षत्र, रोहिणी नक्षत्र, मृगशिरा नक्षत्र, आर्द्रा नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र, पुष्य नक्षत्र, आश्लेषा नक्षत्र, मघा नक्षत्र, पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र, मूल नक्षत्र, उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र, हस्त नक्षत्र, चित्रा नक्षत्र, स्वाति नक्षत्र, विशाखा नक्षत्र, अनुराधा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र।  UP News

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