Saturday, 16 November 2024

उत्तर प्रदेश के IAS अधिकारी ने दुनिया भर में गाड दिया बुलंदी का झंडा, बने नम्बर-1

UP News : उत्तर प्रदेश के IAS अधिकारी सुहास एलवाई ने दुनिया भर में भारत के झंडे की शान बढ़ा…

उत्तर प्रदेश के IAS अधिकारी ने दुनिया भर में गाड दिया बुलंदी का झंडा, बने नम्बर-1

UP News : उत्तर प्रदेश के IAS अधिकारी सुहास एलवाई ने दुनिया भर में भारत के झंडे की शान बढ़ा दी है। उत्तर प्रदेश कैडर के IAS अधिकारी सुहास एलवाई ने पैरा बैडमिंटन वल्र्ड रैकिंग में विश्व में नम्बर-1 स्थान हासिल किया है। पैरा बैडमिंटन की बीडब्ल्यूएफ वल्र्ड रैकिंग में नम्बर-1 बनने का खिताब पहली बार भरत को मिला है। यह खिताब हासिल करने के बाद उत्तर प्रदेश के IAS अधिकारी सुहास एलवाई को बधाईयों का तांता लगा हुआ है। उत्तर प्रदेश तथा असम के मुख्यमंत्री ने भी सुहास एलवाई को बधाई दी है।

रच दिया नया इतिहास

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के IAS अधिकारी सुहास एलवाई ने नया इतिहास बनाया है। उत्तर प्रदेश के लाड़ले अफसर सुहास एलवाई ने नवीनतम बीडब्ल्यूएफ पैरा बैडमिंटन वर्ल्ड रैंकिंग में फ्रांस के दिग्गज लुकास माजुर को पछाड़कर दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी बन गए हैं। उत्तर प्रदेश कैडर के IAS अधिकारी सुहास एलवाई ने इस साल फरवरी में इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान को पछाड़कर विश्व चैंपियनशिप खिताब जीता था। चालीस वर्षीय अर्जुन पुरस्कार विजेता सुहास एलवाई को टोक्यो पैरालंपिक के एसएल-4 वर्ग के खिताबी मुकाबले में माजुर के खिलाफ हार के चलते रजत पदक से संतोष करना पड़ा था। सुहास के नाम पर अब 60 हजार 527 अंक हैं जो फ्रांस के उनके प्रतिद्वंद्वी माजुर (58 हजार 953) से अधिक हैं।

उत्तर प्रदेश के IAS अधिकारी सुहास एलवाई ने अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर लिखा, ‘फाइनली विश्व नंबर एक, यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि आज घोषित नवीनतम बैडमिंटन वर्ल्ड फेडरेशन पैरा बैडमिंटन रैंकिंग में पुरुष सिंगल्स में मुझे जीवन में पहली बार वर्ल्ड नंबर एक रैंकिंग मिली है. मैंने लंबे समय के बाद वर्ल्ड नंबर एक खिलाड़ी फ्रांस के लुकास माजुर की जगह ली. आपके आशीर्वाद और शुभकामनाओं के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।’ उनकी इस जीत पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उनको बधाई दी है। वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने भी उनको बधाई दी।

उत्तर प्रदेश के IAS सुहास एलवाई का परिचय

वर्तमान में सुहास एलवाई उत्तर प्रदेश में युवा कल्याण और प्रांतीय रक्षक दल के सचिव और महानिदेशक के रूप में कार्यरत हैं. कर्नाटक के शिगोमा में जन्मे सुहास एलवाई ने अपनी तकदीर को अपने हाथों से लिखा है. जन्म से ही दिव्यांग (पैर में दिक्कत) सुहास शुरुआत से IAS नहीं बनना चाहते थे। वो बचपन से ही खेल के प्रति काफी दिलचस्पी रखते थे। इसके लिए उन्हें पिता और परिवार का भरपूर सपोर्ट मिला। पैर पूरी तरह फिट नहीं था, ऐसे में समाज के ताने उन्हें सुनने को मिलते थे किन्तु पिता और परिवार चट्टान की तरह उन तानों के सामने खड़े रहे और कभी भी सुहास का हौंसला नहीं टूटने दिया।

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सुहास के पिता उन्हें सामान्य बच्चों की तरह देखते थे। सुहास का क्रिकेट प्रेम उनके पिता की ही देन है. परिवार ने उन्हें कभी नहीं रोका, जो मर्जी हुई सुहास ने उस गेम को खेला और पिता ने भी उनसे हमेशा जीत की उम्मीद की। पिता की नौकरी ट्रांसफर वाली थी, ऐसे में सुहास की पढ़ाई शहर-शहर घूमकर होती रही। सुहास की शुरुआती पढ़ाई कर्नाटक के गांव में हुई तो वहीं सुरतकर शहर से उन्होंने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से कम्प्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग पूरी की। साल 2005 में पिता की मृत्यु के बाद सुहास टूट गए थे. सुहास ने बताया कि उनके जीवन में पिता का महत्वपूर्ण स्थान था, पिता की कमी खलती रही। उनका जाना सुहास के लिए बड़ा झटका था. इसी बीच सुहास ने ठान लिया कि अब उन्हें सिविल सर्विस ज्वाइन करनी है। फिर क्या था सब छोड़छाड़ कर उन्होंने क्कस्ष्ट की तैयारी शुरू की।

UPSC की परीक्षा पास करने के बाद उनकी पोस्टिंग आगरा में हुई. फिर जौनपुर, सोनभद्र, आजमगढ़, हाथरस, महाराजगंज, प्रयागराज और गौतमबुद्धनगर के जिलाधिकारी बने। सुहास बड़े अधिकारी बन चुके थे, लेकिन वो इतने पर ही नहीं रुके। जिस खेल को वो पहले शौक के तौर पर खेलते अब धीरे-धीरे उनके लिए जरूरत बन गया था। सुहास अपने दफ्तर की थकान को मिटाने के लिए बैंडमिंटन खेलते थे, लेकिन जब कुछ प्रतियोगिताओं में मेडल आने लगे तो उन्होंने इस प्रोफेशनल तरीके से खेलना शुरू किया. 2016 में उन्होंने इंटरनेशनल मैच खेलना शुरू किया. चाइना में खेले गए बैंडमिंटन टूर्नामेंट में सुहास अपना पहला मैच हार गए थे, लेकिन इस हार के साथ ही उन्हें जीत का फॉर्मूला भी मिल गया और उसके बाद जीत के साथ ये सफर अभी तक लगातार जारी है। UP News

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