Moon : चन्द्रमा यानि चांद (Moon) ब्रहमांड के सबसे सुंदर सितारों में शामिल है। चांद के ऊपर लाखों गीत, कविताएं तथा लेख लिखे गए हैं। इस बार चांद की बात किसी सितारे की तरह नहीं हो रही है। इस बार तो चांद पर खेती करने की बात हो रही है। अमेरिका से लेकर चीन तक ने दावा कर दिया है कि चांद पर जल्दी ही खेती शुरू कर दी जाएगी। चांद पर खेती किसी चमत्कार की तरह से लग सकती है, किन्तु यह परम सत्य है कि चांद पर खेती हुआ करेगी।
अमेरिका तथा चीन ने किया चांद पर बड़ा दावा
चांद को लेकर हाल ही में बड़े-बड़े दावे सामने आए हैं। अमेरिका तथा चीन का दावा है कि चन्द्रमा यानि कि चांद पर खेती शुरू की जाएगी। भारत तो पहले ही यह खोज कर चुका है कि चन्द्रमा यानि कि चांद पर पानी मौजूद है। पानी की मौजूदगी के कारण चांद पर जीवन भी संभव है तथा चांद पर खेती की संभावना भी मौजूद है।
चांद पर खेती की पूरी संभावना है
चीन जहां चांद पर खेती करने की योजना बना रहा है, वहीं अमेरिका ने चंद्रमा की मिट्टी को उपजाऊ बनाने का तरीका खोज लिया है। नासा का आर्टेमिस-3 चंद्रमा पर पौधों की खेती का पता लगाएगा। पिछले दिनों चीन चांद से मिट्टी के नमूने लेकर आया है। उसका कहना है कि मिट्टी के नमूने में पानी होने का संकेत मिला है। भारत यह बात वर्षों से कह रहा है। भारत के चंद्रयान-1 ने 15 साल पहले ही संकेत दिए थे कि चांद की मिट्टी में पानी है। चीन अब वहां फल उगाने से लेकर खेती करने तक के सपने बुन रहा है। यह मिट्टी चांद के उस हिस्से में है, जिधर अंधेरा रहता है। गौरतलब है कि भारत चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर सफलतापूर्वक चंद्रयान-3 उतारने वाला पहला देश है।
चीन ने दावा किया है कि मानव इतिहास में पहली बार उसे चांद पर जो मिट्टी मिली है, उसमें अलग तरह के मॉलिक्यूलर स्ट्रक्चर हैं। इस दौड़ में अमेरिका, रूस, यूरोपीय स्पेस एजेंसी, चीन, भारत और जापान जैसे बड़े खिलाड़ी हैं, लेकिन चंद्रमा के जिस हिस्से पर पानी की संभावना जताई जा रही है, उसको लेकर होड़ केवल भारत और चीन के बीच है। भारत ने चंद्रमा के अंधेरे वाले हिस्से में अपना रोवर भेजा था, जिसने एक हफ्ते तक चांद की मिट्टी से कई नमूने हासिल किए, जिससे वहां पानी की मौजूदगी का पता चला था।
अमेरिकी शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि उन्होंने चंद्रमा की मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए ऐसे जीवाणुओं को वहां भेजा है, जो महत्वपूर्ण पौध पोषक तत्व फास्फोरस की उपलब्धता बढ़ाते हैं। इसके परीक्षण के लिए दो साल बाद नासा आर्टेमिस-3 को चांद पर भेजेगा। एक विशेष पेलोड चंद्र वातावरण में पौधों की खेती की अवधारणा का पता लगाएगा। अमेरिकी नेशनल एयसेनॉटिक्स ऐंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन ने आर्टेमिस-3 के दौरान चंद्रमा की सतह पर तैनांत करने के लिए कुछ उपकरणों को चुना है, जिनमें से एक कृषि बनस्पतियों पर चंद्र प्रभाव है। यह अंतरिक्ष की फसलों पर चंद्र सतह के पर्यावरण प्रवों की जांच करेगा। वर्ष 2022 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, अमेरिकी शोधकर्ताओं ने 12 चिम्बत आकार के कंटेनरों में अरेविडोप्सिस थालियांना नामक एक फूलदार खरकर उगाया, जिनमें मिशनों के दौरान एकत्र की से प्रत्येक में आधी सदी से भी अधिक समय पहले नासा गई वास्तविक चंद्रमा मिट्टी का एक ग्राम था। Moon
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