Noida News: नोएडा उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध शहर है। हर कोई नोएडा के विषय में जानना चाहता है। यहां नोएडा के प्रतिदिन के सभी समाचार अखबारों के हवाले से हम समाचार प्रकाशित करते हैं। नोएडा शहर से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों में 07 अक्टूबर को क्या खास समाचार प्रकाशित हुए हैं यहां एक साथ पढऩे को मिलेंगे।
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समाचार अमर उजाला से
अमर उजाला अखबार ने अपने नोएडा संस्करण में मुख्य समाचार “10 साल बाद मिला फ्लैटों पर कब्जा, टूट चुकी थीं उम्मीदें” शीर्षक से प्रकाशित किया है। इस समाचार में बताया गया है कि ग्रेनो वेस्ट के आम्रपाली ड्रीम वैली इंचेंटे (फेज-3) प्रोजेक्ट के खरीदारों को दस साल का इंतजार रविवार को खत्म हुआ। एनबीसीसी ने प्रोजेक्ट में खरीदारों को कब्जा देना शुरू कर दिया है। रविवार को हवन के बाद 51 खरीदारों को उनके फ्लैट की चाबी सौंपी गई। जबकि प्रोजेक्ट के बाकी करीब 800 खरीदारों को भी जल्द कब्जा मिलेगा। कब्जा मिलने के बाद खरीदार काफी खुश हैं। उनका कहना है कि उनकी उम्मीद टूट चुकी थी।
ग्रेनो वेस्ट में आम्रपाली ड्रीम वैली प्राइवेट लिमिटेड ने एक प्रोजेक्ट का निर्माण तीन फेज में शुरू किया। इनमें ड्रीम वैली विला, ड्रीम वैली-2 और ड्रीम वैली इंचेंटे शामिल है। फेज-3 में ड्रीम वैली इंचेंटे को वर्ष 2014 में शुरू किया गया। प्रोजेक्ट में करीब 886 फ्लैट हैं। बिल्डर ने 36 माह में कब्जा देने का वादा किया था, लेकिन प्रोजेक्ट में केवल गड्ढे करने के बाद काम शुरू नहीं किया गया। करीब सात साल इंतजार करने के बाद खरीदारों की उम्मीद टूट चुकी थी। सभी करीब 50 प्रतिशत धनराशि का भुगतान भी कर चुके थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एनबीसीसी को जिम्मेदारी देकर खरीदारों में उम्मीद जगा दी। करीब साढ़े तीन साल में एनबीसीसी ने प्रोजेक्ट पूरा कर लिया। खरीदारों ने बताया, ड्रीम वैली इंचेंटे प्रोजेक्ट में कुल 5 टावर हैं। दो टावर एच-5 व एच-6 पूरी तरह से बनकर तैयार हैं। जहां करीब 300 फ्लैट हैं। तीन टावर में अभी कुछ काम बाकी है। नवरात्र पर खरीदारों को कब्जा मिलना शुरू हो गया।
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नोएडा के सभी समाचार, 03 अक्टूबर के अखबारों से, एक साथ पढ़ें
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अमर उजाला अखबार ने अपने नोएडा संस्करण में मुख्य समाचार “न्यू नोएडा में उद्योगों के पास ही बनेगा आशियाना” शीर्षक से प्रकाशित किया है। इस समाचार में बताया गया है कि दादरी-नोएडा-गाजियाबाद निवेश क्षेत्र (डीएनजीआईआर) यानी न्यू नोएडा में उद्योगों के पास ही रहने के लिए आवास भी कामगारों को मिलेगा। इसको शामिल करते हुए न्यू नोएडा के लिए बनी महायोजना 2041 को औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी की सहमति मिलने के बाद कैबिनेट मंजूरी के लिए भेजे जाने का रास्ता खुल गया है। कैबिनेट से मंजूरी के लिए अब नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों ने तैयारी भी शुरू कर दी है।
नोएडा प्राधिकरण के बोर्ड ने पिछले साल दिसंबर में औद्योगिक विकास आयुक्त मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में न्यू नोएडा की इस महायोजना को अपनी मंजूरी दे दी थी। इसके बाद लोकसभा चुनाव के बाबत आचार संहिता लग गई। ऐसे में यह परियोजना शासन की मंजूरी के लिए अटक गई थी। बोर्ड की मंजूरी के बाद से कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार नोएडा प्राधिकरण को बना हुआ है। शनिवार को लखनऊ में हुई बैठक में औद्योगिक विकास मंत्री की अध्यक्षता में न्यू नोएडा की योजना की समीक्षा की गई।
अधिकारियों का कहना है कि मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों से इस महायोजना पर अपनी सहमति मिलने के बाद अब कैबिनेट की मंजूरी ही अगला चरण होगा। इसके बाद जमीन अधिग्रहण और विकास कार्य शुरू कराने के लिए कार्रवाई नोएडा प्राधिकरण शुरू कर देगा।
प्राधिकरण के अधिकारियों के मुताबिक दादरी, नोएडा, गाजियाबाद इन्वेस्टमेंट रीजन के रूप में होने वाले इस विकास में गौतमबुद्ध नगर के 30 गांव और बुलंदशहर के 60 गांव शामिल हैं। योजना में शामिल की गई 209.11 वर्ग किलोमीटर जमीन में से 40 फीसदी औद्योगिक क्षेत्र के रूप में उपयोग की जाएगी। इन औद्योगिक क्षेत्र के पास ही 18 फीसदी क्षेत्र में आवासीय प्रोजेक्ट प्राधिकरण करेगा। इसके अलावा 18 फीसदी में हरियाली व पार्क रहेगा। जो सड़कें तैयार होंगी, उनको यमुना प्राधिकरण क्षेत्र और ग्रेनो क्षेत्र की प्रमुख सड़कों से लिंक भी किया जाएगा। पांच चरण में विकास कार्य पूरा किया जाएगा।
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Noida News: अमर उजाला ने 07 अक्टूबर 2074 के अंक में प्रमुख समाचार “तालाब के ओवरफ्लो से निजात दिलाएगी 1100 मीटर लंबी ड्रेन” शीर्षक से प्रकाशित किया है। इस समाचार में बताया गया है कि ग्रेटर नोएडा। घोड़ी बछेड़ा गांव के लोगों को जल्द ही तालाब ओवरफ्लो होने की समस्या से निजात मिलेगी। इसके लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण 1100 मीटर लंबी ड्रेन बना रहा है। जो तालाब के पानी को गांव के बाहर नाले तक पहुंचाएगी। ड्रेन का काम करीब दो माह में पूरा होगा। ड्रेन के साथ गांव में सड़क, सीसी रोड समेत अन्य कार्य किए जाएंगे। करीब तीन करोड़ रुपये गांव के विकास पर खर्च होंगे। ग्रेनो के ज्यादातर गांवों में पानी निकासी की समस्या हैं। घोड़ी बछेड़ा गांव के निवासी भी पानी निकासी की समस्या से परेशान चल रहे हैं। गांव का पूरा पानी तालाब में जाता है। इसके कारण तालाब ओवर फ्लो हो जाता है। उस स्थिति में पानी गांव के रास्तों और घरों में घुस जाता है। समस्या से परेशान ग्रामीणों ने प्राधिकरण से शिकायत की। इसके बाद वहां पर ड्रेन का निर्माण शुरू कराया गया है। जो करीब 100 मीटर लंबी है।
ड्रेन को गांव में तालाब और बाहर नाले से जोड़ा जाएगा। ताकि अतिरिक्त पानी गांव के बाहर नाले में नहीं जा सके। प्राधिकरण के अफसरों ने बताया कि जमीन के विवाद के कारण कुछ दिन काम प्रभावित रहा था, लेकिन अब सभी अड़चन दूर हो गई है।
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समाचार दैनिक जागरण से
Noida News: दैनिक जागरण के नोएडा संस्करण में 07 अक्टूबर 2074 का प्रमुख समाचार “जिला अस्पताल को चेतावनी, फार्मा कंपनी के नाम के साथ किया तलब” शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। इस समाचार में बताया गया है कि ड्रग विभाग ने जिला अस्पताल में मरीजों को बांटी जा रही कम असर की एंटी बायोटिक दवा के वितरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। दवा का नमूना फेल होने के बाद अस्पताल के फार्मासिस्ट को कंपनी का नाम, पता, मालिक और दवाई की खरीद व बिक्री बिल के साथ पांच दिन में तलब होने का अल्टीमेटम दिया है। इंस्पेक्टर के नोटिस पर जिला अस्पताल में चिकित्सकों ने दवा के स्टाक को सील कर कंपनी भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। सोमवार को मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा रेनू अन्य अधिकारियों के साथ बैठक करेंगी।
ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने बताया कि एंटी बायोटिक एमोक्सिलिन एंड पोटेशियम क्लैवुलैनेट आइपी 625 मिग्रा सहित तीन दवाओं के नमूने जांच के लिए भेजे गए थे। लखनऊ स्थित लैब से शनिवार को रिपोर्ट आने के बाद इसकी जानकारी अस्पताल प्रबंधन को दी गई। मामले में स्टोर प्रभारी फार्मासिस्ट को नोटिस जारी किया गया है, जिसमें उन्हें पांच दिन में दवाई चनाने वाली कंपनी मालिक का नाम, पता, दवा की खरीद और विक्री के बिल व ड्रग मानक के नियम के साथ तलब किया गया है। अस्पताल में मौजूद स्टॉक की स्थिति की जानकारी मांगी है। खास बात है कि फार्मासिस्ट को नियमों का हवाला देकर दवाई वितरण पर रोक लगाने और पांच दिन में ही स्टाक को निर्माता फार्म को हस्ताक्षरित सूचना के साथ देने के लिए कहा है। उन्होंने बताया कि नमूना लिए जाने से पहले ही करीब आठ हजार दवा इंदौर की कंपनी से मंगाई गई थी। फार्मासिस्ट द्वारा डेढ़ महीने से इस दवा का वितरण भी किया जा रहा था।
वहीं, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा रेनू अग्रवाल का कहना है कि एमोक्सिलिन मानक के अनुसार 90 फीसदी मिली है। केवल इसको प्रभावी बनाने के लिए पोटेशियम क्लैवुलैनेट की मात्रा 90 फीसदी के बजाय 81 फीसदी मिली है। इससे मरीजों को कोई नुकसान नहीं होगा। सोमवार को आफिस पहुंचकर प्रबंधन और टीम के साथ बैठक में चर्चा होगी। कंपनी का नाम और पूरी जानकारी ड्रग विभाग को तय समय में उपलब्ध करा दिया जाएगा।
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Noida News: दैनिक जागरण के 07 अक्टूबर 2074 के अंक में अगला प्रमुख समाचार “बेड पर रखा मोबाइल फटा बाल-बाल बचा मासूम” शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। इस समाचार में बताया गया है कि सेक्टर सिग्मा चार स्थित ग्रांड फोरटे सोसायटी में एक फ्लैट में बेड पर रखा मोबाइल धमाके के साथ फट गया। पास में ही नौ माह का मासूम खेल रहा था जो बाल-बाल बच गया। बच्चे के दादा रिटायर्ड कर्नल आरके सिंह ने भागकर बच्चे को उठाया। बेड पर बिछी चादर व मैट में लगी आग पर पानी डालकर बुझाया। मामले में कंपनी के प्रतिनिधि, इंजीनियर ने मौके पर पहुंचकर जानकारी ली। कर्नल ने पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने उन्हें उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज करने की सलाह दी।
कर्नल आरके सिंह ने बताया कि वह सोसायटी के टावर नंबर पांच के फ्लैट संख्या 402 में परिवार के साथ रहते हैं। कुछ दिन पहले उनका नौ वर्षीय पोता बेड पर बैठा खेल रहा था। उसके पास ही मोबाइल फोन रखा था। दोपहर करीब डेढ़ बजे अचानक मोबाइल में तेज धमाका हो गया और कमरे के अंदर धुंआ भर गया। बेड की चादर में आग लग गई। उन्होंने दौड़कर पोते को उठाया और किसी तरह आग बुझाई। घर पर उनके माता-पिता व बहू सोनाली सिंह मौजूद थे। कर्नल ने संबंधित मोबाइल कंपनी के प्रतिनिधियों व इंजीनियर्स को घटना की सूचना दी गई। कंपनी की ओर से नया मोबाइल देने की बात कही गई, लेकिन उन्होंने कार्रवाई की मांग की। पीड़ित पुलिस चौकी एच्छर भी गए, जहां पुलिस ने उपभोक्ता फोरम में जाने की सलाह दी।
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Noida Today News: दैनिक जागरण के 07 अक्टूबर के अंक में “औद्योगिक भूखंड योजना को बनाया कमाई का धंधा” शीर्षक से भी समाचार प्रकाशित किया गया है। इस समाचार में बताया गया है कि औद्योगिक नगरी के 11 हजार उद्यमियों ने ग्रेनो प्राधिकरण की कार्यप्रणाली को कटघरे में खड़ा कर दिया है। आरोप है कि प्राधिकरण औद्योगिक हित के बजाय उद्यमियों से अवैध कमाई कर रहा है। इससे उद्यमियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। दो वर्ष से 44 औद्योगिक भूखंड की योजना को बार-बार निकाला गया, लेकिन भूखंड आवंटित नहीं हुआ। उल्टा उद्यमियों से 5900 रुपये प्रति ब्रोशर फीस व 60180 रुपये प्रोसेसिंग फीस फंसा कर रखा गया है, जिसका प्रति माह 10 प्रतिशत ब्याज प्राधिकरण हड़प रहा है।
जब मामले को लेकर हल्ला मचा तो ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने बिना सूचना योजना रद कर दी। इससे उद्यमियों को बैंक में प्रति माह 14 प्रतिशत ब्याज का दंड भुगतना पड़ रहा। प्राधिकरण की धंधेबाजी के खिलाफ उद्यमियों ने नोएडा एंटरप्रिनियोर्स एसोसिएशन (एनईए) को अवगत कराया है। मामले की गंभीरता देख नोएडा एंटरप्रिनियोर्स एसोसिएशन ने मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश और औद्योगिक विकास एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री को पत्र लिखकर प्राधिकरण की कार्यप्रणाली से रूबरू कराकर तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
50 हजार जमीन थी आरक्षितः इस संबंध में एनईए के अध्यक्ष विपिन कुमार मल्हन का कहना है कि 30 जनवरी को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने 44 औद्योगिक भूखंडों की योजना लांच की थी। इसमें 50 एकड़ जमीन आवंटन के लिए आरक्षित की गई थी। आठ भूखंड सेक्टर ईकोटेक वन एक्सटेंशन वन में, ईकोटेक वन एक्सटेंशन में एक भूखंड, ईकोटेक चार में एक, ईकोटेक पांच में दो, ईकोटेक छह में 22 भूखंड, उद्योग केंद्र एक्सटेंशन वन में सात व उद्योग विहार एक्सटेंशन में दो भूखंड भूखंड 135 वर्ग मीटर से लेकर 20354 वर्ग मीटर क्षेत्र तक के थे। तीन बार इस योजना की तिथि बढ़ी। हजारों उद्यमियों ने 5900 और 60180 रुपये प्राधिकरण खाते में जमा किए। 20 सितंबर को योजना रद कर दी गई। पिछले वर्ष भी यही खेल हुआ। योजना की आड़ में अवैध कमाई का धंधा शुरू हो गया है। एक तरफ प्रदेश सरकार औद्योगिकीकरण को बढ़ावा दे रही है और प्रदेश में नए विदेशी निवेशकों को आमंत्रित किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ प्राधिकरण योजनाएं निकाल कर उद्यमियों को फार्म बेचकर एवं रजिस्ट्रेशन फीस लेकर ठगने का काम कर रहा है।
योजना रद के बाद राशि वापस न कर उद्यमियों का शोषण किया जा रहा है। सरकार से मांग कि है कि मामले में हस्तक्षेप कर प्राधिकरण को निर्देश दे कि आवेदन करने वाले उद्यमियों का साक्षात्कार कर भूखंड आवंटित किए जाए। नहीं करने पर उन्हें फार्म व प्रोसेसिंग फीस ब्याज सहित वापस की जाए।
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