Arun Khetrapal : उत्तर प्रदेश के नोएडा शहर में तीन सेक्टरों को मिलाकर बना है अरूण विहार। नोएडा का यह अरूण विहार भारतीय सेना के परमवीर योद्धा अरूण खेत्रपाल के नाम पर बना है। अरूण विहार में नोएडा शहर के तीन सेक्टर-28, 29 तथा सेक्टर-37 शामिल हैं। नोएडा के अरूण विहार के तीनों सेक्टर भारतीय सेना के जवानों तथा अफसरों के रहने के लिए बसाए गए हैं। 14 अक्टूबर को अरूण खेत्रपाल के जन्मदिवस पर नोएडा के सेक्टर-37 में स्थित अरूण विहार कम्युनिटी सेंटर में अरूण खेत्रपाल की प्रतिमा का समारोह पूर्वक अनावरण किया गया।
क्या अरूण खेत्रपाल को जानते हैं आप ?
अब सवाल यह उठता है कि क्या भारत माता के वीर सपूत अरूण खेत्रपाल को आप जानते हैं? या यूं कहें कि नोएडा शहर में जिन अरूण खेत्रपाल की प्रतिमा स्थापित की गई है क्या उन अरूण खेत्रपाल को आप जानते हैं? यदि आप अरूण खेत्रपाल के विषय में नहीं जानते तो समझ लेना चाहिए कि आप भारत के विषय में कुछ भी नहीं जानते। नोएडा शहर से खास ताल्लुक रखने वाले अरूण खेत्रपाल के विषय में हम आपको यहां जानकारी दे रहे हैं।
कौन थे अरूण खेत्रपाल ?
14 अक्टूबर 2024 को नोएडा के अरूण विहार कम्युनिटी सेंटर में भव्य समारोह के दौरान अरूण खेत्रपाल की आकर्षक मूर्ति का अनावरण किया गया है। अरूण खेत्रपाल के छोटे भाई मुकेश खेत्रपाल तथा बुआ राज ढींगरा ने उनकी मूर्ति का अनावरण किया। दरअसल अरूण खेत्रपाल भारतीय सेना में सेकेण्ड लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात थे। वर्ष-1971 में हुए भारत तथा पाकिस्तान के युद्ध में अरूण खेत्रपाल बड़ी ही बहादुरी के साथ लड़ते हुए शहीद हो गए थे। अरूण खेत्रपाल का जन्म 14 अक्टूबर 1950 को पूरा में हुआ था। अरूण खेत्रपाल के परिवार की बहुत ही शानदार बैकग्राउंड है। यह भी कहा जा सकता है कि अरूण खेत्रपाल का पूरा परिवार फौजी परिवार है।
भारत के अदभुत लाल थे अरूण खेत्रपाल
अरूण खेत्रपाल के जीवन पर दृष्टि डालने से पता चलता है कि अरूण खेत्रपाल भारत माता के अदभुत लाल थे। अरूण खेत्रपाल के परदादा जी आजादी से पूर्व सिख सेना में थे। सिख सेना की तरफ से अरूण खेत्रपाल के परदादा जी ने अंग्रेजों की सेना के विरूद्ध युद्ध लडक़र बड़ी बहादुरी का परिचय दिया था। अरूण खेत्रपाल के दादा जी पहले विश्वयुद्ध के सैनिक तथा 1917 से 1919 तक उन्होंने इसमें हिस्सा लिया था। अरुण खेत्रपाल के पिताजी मदन लाल खेत्रपा ब्रिगेडियर थे और उन्होंने अतिविशिष्ट सेना मेडल प्राप्त किया।
भारत-पाकिस्तान का वह युद्ध जिससे बांग्लादेश का जन्म हुआ, उसमें जिन भारतीय शूरवीरों ने प्राणों की आहुति दी थी, अरुण खेत्रपाल इन बहादुर सपूतों में एक थे। 16 दिसम्बर, 1971 अरुण खेत्रपाल एक स्क्वेडून की कमान संभालते हुए ड्यूटी पर तैनात थे तभी एक-दूसरे स्क्वेड्रन को मदद की ज़रूरत पड़ी और उसने सन्देश भेजा अरुण खेत्रपाल अपनी टुकड़ी लेकर शकरगढ़ सेक्टर के जरपाल पर तैनात उस स्क्वाइन की मदद के लिए चल पड़े। उस कूच में टैंक पर खुद अरुण खेत्रपाल तैनात थे, जो दुश्मन की गोलाबारी से बेपरवाह दुश्मनों के टैंकों को बर्बाद करते जा रहे थे।
इसी दौरान में उनका टैंक दुश्मन के निशाने पर आ गया और उसमें आग लग गई। तब उनके कमाण्डर ने उन्हें टैंक छोड कर अलग हो जाने का आदेश दिया। लेकिन उन्हें इस बात का एहसास था कि उनका डटे रहना दुश्मन को रोके रखने के लिए कितना जरूरी है। इसलिए उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए हटना मंजूर नहीं किया और उन्होंने खुद से सौ मीटर दूर दुश्मन का एक टैंक बर्बाद कर दिया। तभी उनके टैंक पर एक और हमला हुआ और उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी।
इस प्रकार भारत माता का अदभुत लाल अरूण खेत्रपाल शहीद हो गया। अरूण खेत्रपाल की याद में ही नोएडा के तीन सेक्टरों सेक्टर-28, 29 तथा 37 का नाम अरूण विहार रखा गया। अरूण विहार में लगाई गई उनकी प्रतिमा के दर्शन करके नोएडावासी अपना जीवन धन्य कर सकते हैं। उनकी प्रतिमा लगने से यह उक्ति भी सार्थक हो गई है कि- “शहीदों की चिताओं पर हर वर्ष लगेंगे मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा।”
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