Saturday, 26 October 2024

त्योहारों पर इतने दिन बंद रहेंगे स्कूल, शिक्षा विभाग ने जारी किए आदेश

Holidays 2024 : दिवाली भारत का एक महत्वपूर्ण और आनंदमयी त्योहार है, जो पूरे देश में बहुत उत्साह और हर्षोल्लास…

त्योहारों पर इतने दिन बंद रहेंगे स्कूल, शिक्षा विभाग ने जारी किए आदेश

Holidays 2024 : दिवाली भारत का एक महत्वपूर्ण और आनंदमयी त्योहार है, जो पूरे देश में बहुत उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है, और इसे पांच दिनों तक मनाया जाता है। दिवाली के दौरान स्कूल-कॉलेज और ऑफिस बंद रहते हैं, जिससे लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिता सकते हैं। इसके अलावा, दिवाली के बाद छठ पूजा मनाई जाती है, जो सूर्य देवता की पूजा का त्योहार है। यह त्योहार विशेष रूप से बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। छठ पर्व पर छुट्टी का लेकर शिक्षा विभाग ने नया आदेश जारी किया है।

दिवाली की छुट्टी

दीपावली का त्योहार इस साल 31 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह त्योहार पांच दिनों का होता है और इसके अवसर पर स्कूल 4 दिनों के लिए बंद रहेंगे। 31 अक्टूबर को दिवाली के अवसर पर स्कूल बंद रहेंगे, फिर 2 नवंबर को गोवर्धन पूजा और 3 नवंबर को भाई दूज मनाया जाएगा। बिहार में इस साल दिवाली की छुट्टी एक और दो नवंबर को होगी। इसके अतिरिक्त, दिवाली के बाद आने वाले छठ पर्व के लिए भी छुट्टियों का विस्तार किया गया है।

छठ पर्व पर इतने दिन की रहेगी छुट्टी

बिहार में छठ पूजा के अवसर पर स्कूलों में छुट्टियों की घोषणा की गई है, जो 6 अक्टूबर से 9 अक्टूबर तक रहेगी। यह त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर मनाया जाता है, जो इस साल 7 नवंबर को देर रात 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगा और 8 नवंबर को देर रात 12 बजे तक समाप्त होगा। बिहार में छठ पूजा का विशेष महत्व है, और यह त्योहार बहुत उत्साह और धार्मिक भावना के साथ मनाया जाता है। छठ पूजा पर चार दिन स्कूल बंद रहेंगे। Holidays 2024

छठ पर्व का महत्व

छठ पूजा बिहार का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है। यह पर्व भगवान सूर्य और छठी मैया की पूजा के लिए मनाया जाता है। छठ पूजा का क्रम इस प्रकार है:

  1. नहाय खाय (पहला दिन)
  2. खरना (दूसरा दिन)
  3. संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन)
  4. उषा अर्घ्य और पारण (चौथा दिन)

खरना का विशेष महत्व है, जब व्रत करने वाली महिलाएं नए मिट्टी के चूल्हे पर गुड़-चावल की खीर बनाती हैं और छठी मैया को भोग लगाती हैं। इसके बाद इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। खरना के बाद सूर्योदय और सूर्यास्त तक निर्जला व्रत शुरू होता है, जो भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है।

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