Digital Arrest : भारत में डिजिटलीकरण का जोरदार आगाज हुआ और देखते-देखते देश में हर प्लेटफार्म पर डिजिटलाइजेशन की दस्तक देखी जा सकती है। लोगों को डिजिटल माध्यम के जहां तमाम फायदे हुए वहीं इसका खामियाजा भी देखने को मिल रहा है। आजकल इस डिजिटलीकरण का फायदा कुछ आपराधिक तत्व उठाने लगे हैं। और इसी क्रम में देश में डिजिटल अरेस्ट करने की घटनाओं की बाढ़ सी आ गई है। आए दिन अखबार और चैनलों की सुर्खियां बनती हैं डिजिटल क्राइम की बढ़ी घटनाएं।
खूबियों के साथ कुछ खामियां भी लेकर आया
इसमें तो कोई संदेश नहीं है कि समय के साथ डिजिटल भारत की तस्वीर तेजी से बदल रही है। लोगों की सोच और लाइफ स्टाइल दोनों में ही काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। आज भले ही इसे आगे बढ़ाने को लेकर सरकारें राजीव गांधी से लेकर मोदी सरकार तक अपनी पीठ थपथपाती रहती हैं। अब मोबाइल या लैपटॉप पर मात्र उंगलियों को घुमाकर सब कुछ हासिल किया जा सकता है। बहुत बड़ी तादाद में लोगों द्वारा लेनदेन भी इसी माध्यम से त्वरित किया जाता है। तमाम तरह की सुविधाएं जुटाई जा सकती हैं। सबसे खास बात यह है कि डिजिटल दुनिया का फायदा समाज के पढ़े-लिखे तबके के साथ-साथ कम पढ़े लिखे और यहां तक की अशिक्षित लोग भी बखूबी उठा रहे हैं। हां यह भी सच है कि डिजिटल विकास अपने साथ तमाम खूबियों के साथ कुछ खामियां भी लेकर आया है।
लाखों करोड़ों का नुकसान करवा रहे लोग
डिजिटल विकास की वजह से सोशल मीडिया प्लेटफार्म भी मजबूत हुआ है। इससे भी खास यह है कि इसकी कोई सीमा नहीं है। सात समुंदर पार बैठा शख्स भी चाहे-अनचाहे किसी से नजदीकियां बढ़ा सकता है, बस दिक्कत ये है कि अभी कोई ऐसी डिवाइस नहीं बनी है जो इस शख्स की सोच के बारे में कोई बात बता सकती हो। जिससे कि सामने वाले इंसान के बारे में सही जानकारी मिल सके। और इसी बात का फायदा उठाते हुए यहीं से साइबर क्राइम की शुरुआत होती है। लोग दूर दराज के लोगों से संबंध तो बना लेते हैं लेकिन अगर वो कोई साइबर अपराधी हुआ तो आपको काफी नुकसान पहुंचा सकता है। आजकल तेजी से बढ़ रही डिजिटल अरेस्ट की घटनाएं इसी कारण बढ़ रही हैं। और लोग पढ़े लिखे होने के बावजूद अपना लाखों करोड़ों का नुकसान इन साइबर ठगों से करवा चुके होते हैं। ये साइबर अपराधी डेटा को नुकसान पहुँचाने, डेटा चुराने या सामान्य रूप से डिजिटल जीवन को बाधित करने का प्रयास करते हैं। साइबर खतरों में कंप्यूटर वायरस, डेटा उल्लंघन, सेवा से इनकार और डिजिटल अरेस्ट करना जैसे अन्य हमले के तरीके शामिल हैं। साइबर के इसी खतरे का सबसे नया प्रारूप है कथित तौर किसी को डिजिटल अरेस्ट करके उससे ठगी करना।
कौन से साफ्टवेयर का हो रहा इस्तेमाल
इस तरह की डिजिटल अरेस्ट की घटनाओं में कई तरह के सॉफ्टवेयर का नाम उभर कर सामने आ रहा है। कहा जाता है कि डार्क वेब नाम की एक साइट साइबर अपराधियों के लिये सुनहरा मौका देने का काम करती है। जिसके माध्यम से भारतीयों की गुप्त जानकारियां आसानी से साइबर अपराधियों को उपलब्ध हो जाती हैं। साइबर अपराधी किसी को डिजिटल अरेस्ट के झांसे में लेते हैं तो अपने को असली दिखाने के लिये पुलिस थानों और सरकारी कार्यालयों जैसे स्टूडियो का इस्तेमाल करते हैं। असली दिखने के लिए वर्दी पहनते हैं। ऐसे अपराधियों के हाथों देशभर में कई पीड़ितों ने बड़ी रकम गंवाई है। इस तरह से लोगों को जब उनके ऊपर पूरा विश्वास हो जाता है तब वे उनको डिजिटल अरेस्ट करने के बाद उनके बड़े से बड़े रकम को हड़प जाते हैं।
लखनऊ में पिछले तीन दिनों में डिजिटल अरेस्ट की दो बड़ी वारदातें
तमाम घटनाओं के बीच उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तो पिछले तीन दिनों में ही डिजिटल अरेस्ट की दो बड़ी वारदातें हुर्इं। पहली घटना 17 नंवबर को हुई जब पीजीआई क्षेत्र में रहने वाली रिटायर्ड शिक्षिका को डिजिटल अरेस्ट करके से साइबर अपराधियों ने 18 लाख की ठगी कर ली। सबसे खास बात यह थी कि दोनों ही मामलों में साइबर अपराधियों ने अपने डिजिटल अरेस्ट के शिकार होने वालों को हफ्ते भर तक अरेस्ट करके रखा और किसी को पता नहीं चला। पुलिस इस वारदात को सुलझाने में उलझी थी तभी 19 नवंबर को पंचायती राज से रिटायर बुजुर्ग से क्राइम ब्रांच का अधिकारी बनकर साइबर अपराधियों ने 19.50 लाख की ठगी कर ली। इससे पहले की घटनाओं पर नजर डाली जाये तो साइबर अपराधियों ने पीजीआई के पुराना कैंपस में रहने वाले डॉक्टर की बुजुर्ग मां को डिजिटल अरेस्ट कर मुंबई क्राइम ब्रांच व सीबीआई अधिकारी बन 18 लाख रुपये ठग लिए थे। एक अन्य घटना में एसजीपीआई की डॉ. रूचिका टंडन को डिजिटल अरेस्ट कर जालसाजों ने वसूले थे 2.81 करोड़ तो हजरतगंज के अशोक मार्ग पर रहने वाले डॉक्टर पंकज रस्तोगी की पत्नी दीपा से 2.71 करोड़ रुपये वसूल लिये। जबकि इससे पूर्व अलीगंज सेक्टर एच निवासी डॉक्टर अशोक सोलंकी को 36 घंटे डिजिटल अरेस्ट कर ठगों ने उनसे 48 हजार रुपये वसूल लिये थे। हजरतगंज निवासी मरीन इंजीनियर एके सिंह को होटल में 48 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखकर उनसे 84 लाख रुपये वसूले गए थे। साइबर अपराधियों ने तालकटोरा के रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर अविनाश श्रीवास्तव को एक घंटे रखा डिजिटल अरेस्ट कर 98 हजार वसूले थे। इस तरह तमाम ऐसे लोग हैं जो तेजी से फल फूल रहे इस डिजिटल अरेस्ट नामक ठगी के तरीके के शिकार हो रहे हैं।
सरकार ने जारी की एडवाइजरी
डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं के बाद सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की है जिसमें कहा गया है कि सीबीआई पुलिस या ईडी किसी को भी वीडियो कॉल पर गिरफ्तार नहीं करती है। इसलिए लोग इनके झांसे में ना आएं।साइबर सुरक्षा एक्सपर्ट जतिन जैन ने बताया कि ये अपराधी अब इंसानी मन का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं। पहले, उनका तरीका पीड़ितों को यह बताना होता था कि उनके पार्सल में ड्रग्स मिले हैं। सामाजिक प्रतिष्ठा और कानूनी परिणामों के डर से पीड़ित पैसे दे देते हैं।
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