Delhi Halchal : दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में भाजपा को महिलाओें की सुरक्षा मुद्दे पर बेनकाब करने के लिए आम आदमी पार्टी ने सोमवार को ‘महिला अदालत’ का आयोजन किया। जिसमें अरविंद केजरीवाल के साथ सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी शिरकत की थी। इस दौरान केजरीवाल और अखिलेश ने एक ही सुर में सुर मिलाया। इन दोनों के बीच में एक नई सियासी केमिस्ट्री नजर आई। अखिलेश ने खुलकर इस बात का ऐलान भी किया कि अब दिल्ली में वे केजरीवाल का साथ देंगे। इन दोनों की इस केमिस्ट्री से कांग्रेस की टेंशन बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। इंडिया गठबधन में जो दरार आने की शुरुआत हुई है उसी को अखिलेश ने और आगे बढ़ाया है।
केजरीवाल का सियासी समीकरण
आम आदमी पार्टी दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के बाद से अब अपने सियासी समीकरण को दुरुस्त करने की मुहिम में जुट गई है। सोमवार को त्यागराज स्टेडियम में आम आदमी पार्टी ने महिला अदालत का आयोजन करके अपने सियासी समीकरण को अमली जामा पहनाने की पहल की है। इंडिया गठबंधन में आई दरार का फायदा उठाते हुए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी केजरीवाल का साथ देने के लिए शिरकत की थी। इस महिला अदालत के दौरान अखिलेश और केजरीवाल की बढ़ती नजदीकी और केजरीवाल का दिल्ली में साथ देने की घोषणा अखिलेश ने किया उससे कांग्रेस की टेंशन बढ़ना स्वाभाविक है।
दिल्ली के सियासी रण में अलग-थलग पड़ी कांग्रेस
इन दिनों इंडिया गठबंधन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। ममता हों या उमर अब्दुल्ला या फिर सपा या कोई और सबके निशाने पर कांग्रेस ही है। अब इंडिया गठबंधन के प्रमुख सहयोगी सपा के कांग्रेस के बजाय आम आदमी पार्टी के साथ खड़े होने के सियासी मायने साफ समझे जा सकते हैं। आम आदमी पार्टी पहले ही कांग्रेस के साथ दिल्ली विधानसभा चुनाव में गठबंधन करने से इनकार कर चुकी है। अरविंद केजरीवाल भी साफ शब्दों में कह चुके हैं कि कांग्रेस के साथ अब किसी तरह का कोई गठबंधन नहीं होगा। महिला अदालत के बहाने केजरीवाल के साथ अखिलेश यादव के सोमवार को कदम ताल करने के बाद कांग्रेस पूरी तरह से सियासी रण में अलग-थलग पड़ गई है। ऐसा लगता है कि जल्दी ही विपक्षियों के गठबंधन में कोई बड़ा धमाका होने वाला है।
कांग्रेस के लिए दिल्ली चुनाव आसान नहीं
कांग्रेस के लिए दिल्ली चुनाव काफी मुश्किल भरा हो सकता है। कांग्रेस पहले से ही दिल्ली में पिछले दो चुनाव मेें खाता नहीं खोल सकने के कारण परेशान है। उसपर से सपा मुखिया और केजरीवाल की ताजी जुगलबंदी हवा निकालने को काफी है। चुंकि अखिलेश इंडिया गठबंधन की कमान ममता को सौंपने का मामला उठा चुके हैं इसलिए अखिलेश के कारण ममता एंड पार्टी भी केजरीवाल का साथ देगी। इस नयी सियासी गणित के कारण अब कांग्रेस के 2025 की चुनावी राह में भी कांटे बिछ गए हैं। अखिलेश और केजरीवाल के बीच सियासी केमिस्ट्री बनने के बाद आम आदमी पार्टी यह संदेश देने में सफल होगी कि बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में विपक्ष उनके साथ खड़ा हुआ है। इस नई स्थिति में कांग्रेस के लिए दिल्ली चुनाव आसान नहीं होगा। दिल्ली चुनाव के बहाने विपक्ष अपने गठबंधन में कांग्रेस की कस बल निकालने के प्रयास में जुटा हुआ नजर आ रहा है।
इंडिया गठबंधन में कांग्रेस की पकड़ ढीली करने की कवायद
इंडिया गठबंधन में कांग्रेस की पकड़ ढीली करने की कवायद शुरू हो गई है। पहले कांग्रेस के नेतृत्व करने के सवाल पर इंडिया गठबंधन की कई छोटी-बड़ी पार्टियों ने आपत्ति जताई। राहुल गांधी की लीडरशिप को लेकर लालू यादव, ममता बनर्जी और अखिलेश खुले तौर पर ऐतराज जता चुके हैं। ईवीएम मुद््दे पर भी उमर अब्दुल्ला का ताजा बयान इसी कवायद की कड़ी है। अब केजरीवाल और अखिलेश यादव की नजदीकियों से नए फॉमूर्ले बनते नजर आ रहे हैं। इस ताजी समीकरण के कारण कांग्रेस की सबसे बड़ी टेंशन इंडिया गठबंधन में साइडलाइन होने को लेकर है, साथ ही दिल्ली में एक बार फिर मुंह की खानी पड़ सकती है। विपक्ष के गठबंधन के इस बिखराव से सबसे ज्यादा भाजपा को फायदा होने जा रहा है।
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