Education: : साक्षरता दिवस
विनय संकोची आज अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस है। इस मौके पर यह बताते हुए बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है…
Sonia Khanna | September 8, 2021 9:52 AM
विनय संकोची
आज अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस है। इस मौके पर यह बताते हुए बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है कि हमारा महान भारत देश विश्व के उन सौ से अधिक देशों में शामिल है, जो पूरी तरह से साक्षर नहीं हैं। लेकिन सरकार है कि बिना पूर्ण साक्षरता के ही भारत को पुन: विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित करने का संकल्प व्यक्त कर रही है या यूं कहें कि एक ऐसा सपना दिखा रही है, जिसका साकार होना आसान नहीं है।
साक्षरता दिवस का प्रमुख उद्देश्य नव साक्षरों को उत्साहित-प्रोत्साहित करना है। परंतु भारत में “सोशल मीडिया के स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय” तथा विभिन्न राजनीतिक दलों के आईटी प्रकोष्ठों द्वारा साक्षरों को जो पाठ पढ़ाये जा रहे हैं, उससे उनका व्यवहार निरक्षरों-अनपढ़ों से भी गया बीता होता दिखाई पड़ रहा है, जो देश और समाज के हित में नहीं है। नव साक्षर भी इसी पाठ्यक्रम में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं, देर रात तक जाग-जागकर मोबाइलों पर पूरी गंभीरता से अध्ययन कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर आईटी प्रकोष्ठ अपने दल की सुविधा और हित वाला झूठा-सच्चा इतिहास पढ़ा रहे हैं।
जीने के लिए अन्न-जल की तरह ही साक्षरता भी महत्वपूर्ण है। साक्षरता में वह शक्ति है जो परिवार और राष्ट्र की प्रतिष्ठा को बढ़ा सकती है। लोकतंत्र ही सुनिश्चितता के लिए साक्षरता अन्यन्त आवश्यक है। आज शिक्षा का अर्थ केवल साक्षरता से किया जाता है, लेकिन आर्थिक प्रगति के लिए साक्षरता केवल मात्र अक्षरज्ञान है।
भारत में आजादी के बाद से साक्षरता के लिए बड़े-बड़े अभियान चलाये गये, जिनका परिणाम सुखद और सकारात्मक निकला। लोग बड़ी संख्या में साक्षर हुए। भारत में साक्षरता का पैमाना यह है कि जो व्यक्ति साक्षर ज्ञान रखता है, अपना नाम लिख लेता है-वह साक्षर है। लेकिन ऐसा साक्षर देश में साक्षरता का आंकड़ा सुधारने की योग्यता भी हासिल नहीं कर पाता है। जब आज भी चालाक-धूर्त दुनिया में पढ़े-लिखे लोग मूर्ख बना दिये जाते हैं, तो केवल अ, आ,इ, ई…पढ़ पाने की काबलियत रखने वाला व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार, दलालों की दुष्टïता से कैसे अपने आप को सुरक्षित रख सकता है।
सीधी सी बात है केवल साक्षर होने से काम चलने वाला नहीं है, देश के प्रत्येक नागरिक को शिक्षित होना होगा। मैं निराशावादी कतई नहीं हूं लेकिन देश के सभी नागरिकों को शिक्षित करने का लक्ष्य रेगिस्तान की रेत पर बिना पानी के धान की खेती करने जैसा बेहद कठिन कार्य है। यह हो तो सकता है, क्योंकि कुछ भी असंभव नहीं है। परंतु उसके लिए सरकार की सशक्त एवं प्रभावी शिक्षा योजनाएं और लोगों में शिक्षित होने की प्रबल इच्छाशक्ति का होना पहली आवश्यक शर्त है। सरकार की शिक्षा नीति इतनी आकर्षक हो कि लोग साक्षर होने के बाद शिक्षित बनने के लिए विद्यालयों की ओर दौड़े चले आएं। लेकिन सरकार के पास और भी तमाम काम हैं।
सरकार को शिक्षा का महत्व ज्ञात है लेकिन उसे यह भी अच्छी तरह पता है कि यदि सभी शिक्षित हो गये, तो उनको उनके अधिकारों से वंचित नहीं रखा जा सकेगा।
उनका केवल वोट के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा, क्योंकि शिक्षित व्यक्ति को अपने कर्तव्यों के साथ अधिकारों का भी ज्ञान हो जाता है। मानव प्रकृति यह है कि व्यक्ति अपने कर्तव्य का पालन करे या न करे लेकिन अधिकार पाने के लिए जी-जान लगा देता है।
साक्षर और शिक्षित भारत बनाने के लिए यह भी आवश्यक है कि लोकतंत्र के मंदिर में किसी अशिक्षित नेता को चुनकर न भेजा जाए। अनपढ़ नेता को नकार कर जनता यह संदेश दे कि वह शिक्षित भारत का सपना साकार करने के प्रति पूरी तरह गंभीर हो चुकी है।