साहिबाबाद। विश्व पल्मोनरी हाइपरटेंशन दिवस पर जागरूकता बढ़ाने और एक ही स्थान पर रोग की पूरी देखभाल तथा प्रभावी प्रबंधन के तहत मैक्स हॉस्पिटल वैशाली ने आज अस्पताल में कार्डियोवैस्कुलर इंस्टीट्यूट एवं पल्मोनोलॉजी एंड क्रिटिकल केयर विभाग के साथ मिलकर अपनी एक पहला पल्मोनरी हाइपरटेंशन क्लिनिक शुरू किया है। कोविड संक्रमण के कारण फेफड़े में तकलीफ और सांस लेने में दिक्कत का भी पल्मोनरी हाइपरटेंशन से ताल्लुक होता है और महामारी के आने के बाद से इस तरह के मामलों में इजाफा हुआ है।
विश्व पल्मोनरी हाइपरटेंशन दिवस के मौके पर मैक्स हॉस्पिटल वैशाली के डॉ. अमित मलिक, निदेशक, कार्डियोलॉजी, डॉ. शरद जोशी, सहायक निदेशक, पल्मोनोलॉजी तथा डॉ. मयंक सक्सेना, सीनियर कंसल्टेंट, पल्मोनोलॉजी ने मिलकर पल्मोनोलॉजी हाइपरटेंशन क्लिनिक का शुभारंभ किया। इस अवसर पर चिकित्सकों ने एक स्वर में बताया कि इस क्षेत्र में डायग्नोसिस, जांच, इलाज तथा रोग प्रबंधन के लिए एक ही स्थान पर बहु विभागीय सुविधा देने वाला अपनी तरह का यह एक समर्पित और विशेष क्लिनिक है। समन्वित और समग्र चिकित्सा मुहैया कराने के मामले में यह क्लिनिक अनुभवी कार्डियोलॉजिस्टों, फेफड़ा रोग विशेषज्ञों, फेफड़ा प्रत्यारोपण सर्जन तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मियों समेत कुशल टीम होने के कारण हर दृष्टि से उत्कृष्ट है।
डॉ. अमित मलिक ने बताया कि पल्मोनरी हाइपरटेंशन ऐसी स्थिति होती है जिसमें फेफड़े तक रक्त सप्लाई करने वाली रक्तनलियों में रक्तचाप बढ़ जाता है, जिससे दिल को कठिन श्रम करने का दबाव बनने लगता है और इस कारण दिल का आकार बढ़ जाता है तथा हार्ट चैंबर का दाहिना हिस्सा कमजोर पडऩे लगता है। यह स्थिति सभी उम्र के पुरुषों—महिलाओं में आ सकती है। एक अनुमान है कि दुनिया के लगभग 7 करोड़ लोग इस स्थिति से प्रभावित हैं और कोविड संक्रमण से पीडि़त व्यक्ति के फेफड़े के प्रभावित होने के कारण इस महामारी के दौरान ऐसे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
डॉ. शरद जोशी ने बताया कि पल्मोनरी हाइपरटेंशन एक गंभीर और जानलेना स्थिति होती है। इलाज शुरू कराने से पहले डॉक्टरों की विशेषज्ञ टीम द्वारा इस समस्या की उचित डायग्नोसिस और विश्लेषण कराना जरूरी है।डॉ. मयंक सक्सेना ने कहा पल्मोनरी हाइपरटेंशन से पीडि़त मरीजों को लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव लाने से रोग नियंत्रण में पर्याप्त मदद मिलती है।