Wednesday, 6 November 2024

भगवान शिव का प्रिय तथा संत महात्माओं के गले में भी सदैव नजर आने वाला रुद्राक्ष।  

  अंजना भागी रुद्राक्ष रुद्राक्ष वास्तव में एलियोकार्पस गैनिट्रस नामक पौधे के बीज हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसकी उत्पत्ति…

भगवान शिव का प्रिय तथा संत महात्माओं के गले में भी सदैव नजर आने वाला रुद्राक्ष।  

 

अंजना भागी

रुद्राक्ष

रुद्राक्ष वास्तव में एलियोकार्पस गैनिट्रस नामक पौधे के बीज हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसकी उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है। धर्मानुसार मानें तो इसके बहुत से लाभ हैं । लेकिन ये भी सच है की इससे बहुत से स्वास्थ्य लाभ भी होते हैं। जैसे रक्तचाप, हृदय रोग इत्यादि में रुद्राक्ष धारण करना लाभप्रद माना जाता है।

रुद्राक्ष के प्रकार

रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक पाए जाते हैं

 भगवान शिव गले और भुजाओं के चारों ओर रुद्राक्ष माला पहनते हैं। शिव भोले बाबा सबके प्रिय हैं । इसलिए रुद्राक्ष को हिंदू धर्म में बेहद खास और पवित्र मानते हैं।

रुद्राक्ष के लाभ

ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष के मनके मुखी के अनुसार अलग-अलग ऊर्जाओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। मुखी धारण करने के भी बहुत से लाभ होते हैं। लेकिन यह सब चक्र को संतुलित करने से होता है।

रुद्राक्ष शरीर के भीतर महत्वपूर्ण शक्तियों को संतुलित कर सकता है और सभी प्रकार के संदूषणों से लड़ सकता है। रुद्राक्ष हमारे शरीर को नकारात्मक ऊर्जाओं से बचा सकता है। बिच्छू के काटने से होने वाले दर्द को दूर करने के लिए लोग आज भी इन बीजों पर निर्भर हैं। विशेष रूप से पंचमुखी रुद्राक्ष को पीसकर पत्थर पर घिसकर हिस्से पर लेप किया जाता है। तो उससे बिच्छू के काटने से जो तकलीफ हो रही होती है उससे राहत मिलती है ।

रुद्राक्ष

सबसे महत्वपूर्ण है कि रुद्राक्ष की माला में मजबूत विद्युत चुम्बकीय गुण होते हैं। जोकि रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक उपयोगी गुण है। रुद्राक्ष शरीर से गर्मी को दूर करके शरीर को आराम देता है। चार मुखी रुद्राक्ष स्मरण शक्ति और बुद्धि में सुधार के लिए भी जाना जाता है। इसलिए छात्रों को रुद्राक्ष पहनना उनके शैक्षणिक प्रदर्शन को आगे बढ़ाने में अत्यधिक उपयोगी रहता है ।

1. एकमुखी रुद्राक्ष

एकमुखी रुद्राक्ष दुर्लभ माना जाता है. इसे धारण करने से व्यक्‍त‍ि को यश की प्राप्ति होती है।

2. पाँच मुखी रुद्राक्ष पहनने से धन कि प्राप्ति होती है ।

3 .इक्कीस मुखी रुद्राक्ष पहनने से धन के कारक स्वयम आपकी ज़िंदगी में बनने लगते हैं।

4. महिलाएं यदि तेरह मुखी रुद्राक्ष पहनें तो उनके प्रजनन अंगों को मजबूती मिलती है, भाग्य का साथ मिलता है। मानसिक विकारों को दूर करता है ।

रुद्राक्ष

रुद्राक्ष को हमेशा लाल या फिर पीले रंग के धागे में पहनना चाहिए। कभी भी इसे काले रंग के धागे में नहीं पहनना चाहिए। इससे अशुभ प्रभाव पड़ता है। रुद्राक्ष माला को आपने धारण कर लिया है तो अब इसे किसी और को बिल्कुल न दें। इसके साथ ही दूसरे की दी गई रुद्राक्ष माला को आप भी धारण न करें।

 

रुद्राक्ष को गले में धारण करना सबसे उत्तम होता है। कलाई में 12, गले में 36 और जो माला ह्रदय तक पहुंचे उसमें   108 रुद्राक्ष के मानकों को धारण करना चाहिए। वैसे लाल धागे में खाली एक रुद्राक्ष भी धारण कर सकते हैं।

रुद्राक्ष

नुकसान

रुद्राक्ष पहनने से या उसकी पुजा करने से शुभ ही होता है पर फिर भी इसकी प्रकृति गरम होती है। जिसके कारण कुछ लोगों को इसको गले में धारण करने से एलर्जी की समस्या हो जाती है। इसलिए बहुत ही अच्छा हो यदि आप इसे अपने पूजा घर में रखकर इसकी पूजा करें। रुद्राक्ष को तुलसी की माला की तरह ही पवित्र माना जाता है। इसलिए इसे धारण करने के बाद मांस-मदिरा से भी दूरी बना लेना चाहिए।

 

 

 

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