Agricultural Tips : अधिक उपज के लिए जिस तरह से रासायनिक खेती की ओर किसान रूख कर लिये थे वहीं अब वे वापस जैविक खेती की लौट रहे हैं। इस तरह जैविक खेती से नई क्रांति आयी है। हर किसान अब जैविक खेती की ओर उन्मुख हो रहा है। किसान इसलिए भी जैविक खेती को अपना रहा है क्योंकि, रासायनिक खेती के दुस्परिणाम तेजी से सामने आ रहे है।
Agricultural Tips
यह एक पर्यावरण अनुकूल तकनीक है। यह एक सार्वभौमिक उत्पादन प्रबंधन प्रणाली है, जो कृषि पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को उत्तेजित करती है। इसमें जैव विविधता, जैविकचक्र और मृदा जैविक गतिविधियां शामिल हैं। यह भूमंडलीय ऊष्मीकरण तथा खाद्य सुरक्षा से जुड़ी समस्याओं को दूर करने का एक अच्छा तरीका है। इसका विश्वव्यापी विकास तुलनात्मक रूप से बहुत धीमी गति से बढ़ रहा है।
जैविक खेती कुछ मानकों पर निर्भर करती है, जिनमें विशेष रूप से खाद्य उत्पादन और कृषि उपज प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं। इसका वर्णन कृषि के मिश्रण के रूप में किया जा सकता है। जैविक खेती पारंपरिक ज्ञान, आधुनिक विज्ञान और नवाचार का एक प्रकार का साधारण संयोजन है। यह उतनी ही उत्पादक है, जितनी पारंपरिक खेती। कई देश अब जैविक खेती पर ध्यान दे रहे हैं, क्योंकि इससे स्वस्थ फसलों, फलों, सब्जियों का उत्पादन होता है। इससे विशुद्ध रूप से जैविक तरीकों से, किसी भी हानिकारक रसायन और कीटनाशक से मुक्त उत्पादन प्राप्त होता है। पारंपरिक खेती की तुलना में जैविक खेती लाभप्रद है। यह न केवल उच्च पैदावार का ही वादा करती है, बल्कि निर्भरता को कम करते हुए उच्च उपज की सुरक्षा भी सुनिश्चित करती है।
जैविक खेती एक ऐसी प्रक्रिया है, जो स्वस्थ्य भोजन, स्वस्थ्य मृदा, स्व्स्थ्य पौधे और स्वस्थ्य वातावरण बनाने में मदद करती है। यह कृषि का एक और स्वस्थ वातावरण बनाने में मदद करती उसकी उर्वरता बढ़ जाती है, जिससे फसल आधुनिक तरीका है जो रोगमुक्त तथा पौष्टिक है। रासायनिक जैव उर्वरकों की तुलना में जैव उत्पादन में वृद्धि होती है। कुछ तकनीकों के फसलों, सब्जियों, फलों आदि का उत्पादन उर्वरकों के उपयोग से फसल की उत्पादकता उपयोग से फसलों का प्रदूषणमुक्त उत्पादन करने में सहायता करता है। भारत में किसानों को जैविक खेती की पूरी जानकारी नहीं है। इसलिए उन्हें कई समस्याओं जैसे- मृदा की उर्वरता में कमी आना, वित्तीय समस्या, बाजार से जुड़ी समस्या आदि का सामना करना पड़ता है।
जैविक खेती की जरूरत:
जैविक खेती का प्रसार भारत में बहुत धीमा है। यहां के किसान जैविक खेती से अनजान हैं। वे जैविक से ज्यादा पारंपरिक खेती पसंद करते हैं। पारंपरिक खेती से हानिकारक रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग करके जल्दी उत्पाद मिलता है। इसके लिए कुछ कार्यक्रम आयोजित किए जाने चाहिए, जिनके माध्यम से किसानों को जैविक खेती की जानकारी मिल सके और वे उसके फायदे जान पाएं। जैविक खेती के कुछ चरण इस प्रकार हैं:
– सबसे पहले जैविक खेती के मानकों के अनुसार भूमि का रूपांतरण करना चाहिए।
– यदि पूरी भूमि को परिवर्तित नहीं किया जाता है, तो परिवर्तित भूमि को शेष भूमि से अलग किया जाना चाहिए और पारंपरिक कृषि के लिए वापस उस भूमि का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
– जैविक खेती में केवल जैविक बीज और पौध सामग्री का उपयोग किया जाता है।
– जैविक खेती में फसल चक्रण एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके द्वारा मृदा की उर्वरता बनी रहती है।
– किसी उत्पाद को ‘जैविक उत्पाद’ के रूप में तभी बेचा जा सकता है, जब भूमि बारह महीने की रूपांतरण अवधि के तहत रही है।
जैविक खेती को प्रमाणित किया जाना चाहिए और जहां तक संभव हो, नए क्षेत्रों में प्रचारित किया जाना चाहिए। जैविक खेती को पारिस्थितिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से व्यवहार्य कृषि उत्पादन प्रणाली के रूप में माना जाता है। जैविक खेती सुनिश्चित करने के लिए, जैविक कृषि पद्धतियां ज्यादातर रासायनिक आदानों के अंधाधुंध उपयोग की बजाय जैविक आदानों पर निर्भर करती हैं। जैविक खेती में रासायनिक खेती के नकारात्मक प्रभावों से बचा जाता है। आज भारत में कृषि के सामने आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए भी यह महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है। जैविक कृषि गरीबी का मुकाबला करने, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा प्राप्त करने और लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करने के लिए एक संभावित प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में अधिक मान्यता प्राप्त कर रही है।
जैविक खेती के फायदे:
– यह विविधता बढ़ाती है साथ ही उच्च गुणवत्ता वाली फसलों का उत्पादन करने में सहायता करती है।
– यह प्रदूषण को भी कम करती है। इसलिए इसे एक पर्यावरण अनुकूल तकनीक कहा जाता है।
– यह लैंगिक समानता और उद्यमियों को कई मौके देती है।
– जैविक खेती किसानों और उद्यमियों को प्रोत्साहित करती है तथा देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करती है।