Friday, 29 November 2024

Exclusive News : नोएडा में जारी है भू-माफियाओं का खेल, बुल्डोजर बाबा हुए फेल

Exclusive News : आर.पी. रघुवंशी Exclusive News: उत्तर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले नोएडा शहर के बीचोंबीच स्थित सोरखा…

Exclusive News : नोएडा में जारी है भू-माफियाओं का खेल, बुल्डोजर बाबा हुए फेल

Exclusive News : आर.पी. रघुवंशी
Exclusive News: उत्तर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी कहे जाने वाले नोएडा शहर के बीचोंबीच स्थित सोरखा गांव में नौ सौ करोड़ रूपये (900 करोड़) का भूमि घोटाला हुआ है। इस मामले में नोएडा प्राधिकरण अब सुप्रीम कोर्ट की शरण में गया है।

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आपको बता दें कि चेतना मंच ने 7 दिन पूर्व यानि (5 जनवरी 2023) को नोएडा व आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय भू-माफियाओं के एक बड़े कारनामे को उजागर किया था। हमने बताया था कि वर्ष-2014 में सोरखा गांव में सक्रिय कुछ भू-माफियाओं ने सोरखा के खसरा नंबर-18 की 43 बीघे जमीन को गैर कानूनी ढंग से गैर कृषि भूमि यानि आबादी में दर्ज करा लिया था। दादरी तहसील के तत्कालीन उपजिला अधिकारी एसडीएम (SDM) ने धारा-143 के तहत इस बेशकीमती जमीन को आबादी की जमीन घोषित कर दिया था। 43 बीघे यानि 90 हजार वर्ग मीटर इस जमीन की कीमत 900 करोड़ रूपए से भी अधिक बताई जा रही है।

जब प्राधिकरण (authority) को अपनी अधिसूचित जमीन को आबादी में दर्ज करने का आदेश मिला तो आनन-फानन में नोएडा प्राधिकरण ने एसडीएम की कोर्ट में रैस्ट्रोरेशन (पुन: सुनवाई) का प्रार्थना-पत्र दायर किया। एसडीएम ने रैस्ट्रोरेशन स्वीकृत करते हुए अपना पूर्ववर्ती फैसला बरकरार रखा और कहा कि धारा-143 की कार्यवाही विधि सम्मत  की गई है। इस आदेश के बाद प्राधिकरण ने एक बार फिर रैस्ट्रोरेशन का प्रार्थना पत्र दायर किया। इस बार जमीन के इस ‘‘खेल’’ में शामिल कुछ तथाकथित किसानों ने एसडीएम कोर्ट में लगाए गए रैस्ट्रोरेशन के विरूद्ध मेरठ मंडल के कमिश्नर की अदालत में वाद दायर कर दिया। तत्कालीन अपर कमिश्नर ने एसडीएम (SDM) के आदेश को उचित ठहराते हुए दूसरे रैस्ट्रोरेशन को खारिज कर दिया। अपर कमिश्नर के फैसले के विरूद्ध नोएडा प्राधिकरण हाईकोर्ट की शरण में गया। उचित पैरोकारी व लचर तथ्यों के कारण प्राधिकरण हाईकोर्ट में भी केस को हार गया और हजारों करोड़ की जमीन भू-माफियाओं के कब्जे में बनी हुई है।

इस प्रकरण में घोटालेबाजों ने अनेक चालाकियां की हैं। आपको बता दें कि ग्राम सोहरखा जाहिदाबाद के जिस खसरा नम्बर-18 की 43 बीघा जमीन को गैर कानूनी ढंग से गैर कृषि भूमि घोषित किए जाने के खिलाफ नोएडा प्राधिकरण ने देश की सुप्रीम अदालत की शरण ली है। वही जमीन साल-1993 में (उन दिनों नोएडा गाजियाबाद जिले का हिस्सा था)। गाजियाबाद जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी (DM) के आदेश से उत्तर प्रदेश सरकार के खाते में दर्ज की जा चुकी थी। जैसे-जैसे नोएडा प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में जमीनों की कीमत बढऩे लगी भू-माफियाओं की नजर ग्राम समाज व सरकार के नाम दर्ज जमीनों पर गढ गई। इन भू-माफियाओं ने ऐसा जाल फैलाया कि अधिकारी तो अधिकारी अदालतें भी इनके फैलाये जाल में उलझ गईं। यही कारण रहा कि वर्ष-1993 में राज्य सरकार के नाम दर्ज खसरा सं0 18 की 43 बीघा जमीन 20 वर्ष बाद 2013 में जिलाधिकारी (DM) के ही आदेश से किसानों के नाम दर्ज हो गयी।

आश्चर्यजनक रूप से तत्कालीन जिलाधिकारी के आदेश के विरूद्ध कहीं कोई अपील नहीं हुई और जिलाधिकारी गौतमबुद्धनगर का आदेश अंतिम हो गया। अक्टूबर-2013 में तत्कालीन जिलाधिकारी गौतमबुद्ध नगर द्वारा राज्य सरकार का नाम काटकर चमन पुत्र मुंशी व हरदास व दीपचंद पुत्रगण गिरवर का नाम दर्ज किए जाने के आदेश पारित किए गए। उस जमीन पर आनन-फानन में न केवल निर्माण कर लिए गए बल्कि अगस्त-2014 में 43 बीघा से अधिक भूमि अकृषिक घोषित कर दी गई। नोएडा प्राधिकरण का नोटिफाई एरिया होने के बावजूद नोएडा प्राधिकरण से एनओसी (NOC) नहीं ली गई । नोएडा प्राधिकरण द्वारा विकसित सेक्टरों के बीच इतनी बड़ी भूमि अकृषिक घोषित हो गयी किन्तु नोएडा प्राधिकरण द्वारा एसडीएम के कोर्ट में कोई आपत्ति दाखिल नहीं की गई। नोएडा प्राधिकरण द्वारा रेस्टोरेशन प्रार्थना-पत्र देने पर तत्कालीन उपजिलाधिकारी (SDM) द्वारा केस रेस्टोर किया गया। किन्तु नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों द्वारा एसडीएम की अदालत में मुकदमें की इतनी लचर पैरवी की गयी कि न केवल एसडीएम दादरी की अदालत में मुकदमा हार गए बल्कि अपर कमिश्नर एवं उच्च न्यायालय में मुकदमा हार गए।

अब नोएडा प्राधिकरण ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दाखिल करके गुहार लगाई है जो अभी पैंडिंग है। प्राधिकरण के विगत इतिहास को देखते हुए यह कतई नहीं लगता कि नोएडा प्राधिकरण के हाथ कुछ लगने वाला है। लोग सवाल पूछ रहे हैं कि कहीं यह नोएडा प्राधिकरण की ओर से अधिकारियों को बचाने और फेस सेविंग की कवायद भर तो नहीं है ? यहां अपने पाठकों को यह बताना चाहता हूं कि मामला 43 बीघा यानि 90,000 वर्ग मीटर भूमि का है। यह हजारों करोड़ का घोटाला राजस्व अधिकारियों एवं प्राधिकरण की मिलीभगत का छोटा सा नमूना भर है। इस प्रकार के अनेक मामले यहां सरकारी फाइलों में दबे पड़े हैं।

सवाल यह है कि आए दिन बुल्डोजर चलाने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री यानि बुल्डोजर बाबा नोएडा के इन भू-माफियाओं पर कब बुल्डोजर चलवाएंगे। या यूं मान लें कि नोएडा के भू-माफियाओं के आगे बुल्डोजर बाबा फेल हो गए हैं।

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