नई दिल्ली: कोरोना महामारी (CORONA) के बाद भी राजकोषीय घाटे में सुधार हुआ है। चालू वित्त वर्ष में सरकार का लक्ष्य राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.8 प्रतिशत रखने का बनाया गया है, जिसे सरकार द्वारा हासिल भी किया जा सकता है। पिछले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 9.5 प्रतिशत हो गया था।
सरकार द्वारा चालू वित्त वर्ष में बजट (BUDGET) अनुमान का 37 प्रतिशत तक राजस्व संग्रहित किया जा चुका है। वहीं विगत साल के सरकार बजट में अनुमान का केवल 11 प्रतिशत राजस्व ही संग्रहित हुआ था। यही नहीं वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान भी सरकार ने बजट अनुमान का सिर्फ 20 प्रतिशत (PERCENT) राजस्व संग्रहित किया था।
अर्थव्यवस्था (ECONOMY) में सुधार होने के बाद लाखों की संख्या में नए खुदरा निवेशक हाल में शेयर बाजार से जुड़ गए हैं। मार्च, 2020 के स्तर से बीएसई शेयर सूचकांक में लगभग 2.3 गुना की उछाल हुई है। शेयर सूचकांकों में उछाल आने के अनेक कारण बताए गए, लेकिन खुदरा निवेशकों की शेयर बाजार में बढ़ती भागीदारी एक अहम वजह है।
भारतीय रिजर्व बैंक (RESERVE BANK OF INDIA) द्वारा नरम मौद्रिक नीति को कायम रखना, फेडरल रिजर्व बैंक के द्वारा ब्याज दरों में बदलाव नहीं करना भी काफी अहम वजह है। प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) संग्रह सितंबर महीने में पूरे साल के लिए निर्धारित लक्ष्य से ज्यादा रहने की उम्मीद लगाई जा रही है, जिसका करण शेयर बाजार (SHARE MARKET) में खुदरा निवेशकों (INVESTORS) की भागीदारी को बढ़ाने का है।