Tuesday, 26 November 2024

Political News : कांग्रेस के बिना भाजपा विरोधी कोई मोर्चा नहीं हो सकता प्रभावी : रालोद

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने 2024 लोकसभा चुनाव के…

Political News : कांग्रेस के बिना भाजपा विरोधी कोई मोर्चा नहीं हो सकता प्रभावी : रालोद

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने 2024 लोकसभा चुनाव के लिए एकजुट विपक्ष की वकालत की है। पार्टी ने कहा है कि कांग्रेस के बिना कोई भी मोर्चा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मुकाबला करने में प्रभावी नहीं हो सकता।

अखिलेश के बयान पर रालोद की टिप्पड़ी

पटना में विपक्षी दलों की 23 जून को होने वाली बैठक से पहले रालोद की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष रामाशीष राय की यह टिप्पणी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस बयान के मद्देनजर मायने रखती है कि सीट का बंटवारा यह देखते हुए तय किया जाना चाहिए कि किस राज्य में कौन सा गठबंधन सबसे मजबूत है। बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की 23 जून की बैठक में भाजपा विरोधी दल लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाएंगे।

Political News

बदलाव के लिए मिलकर काम करना चाहिए

रामाशीष राय ने कहा कि रालोद एकजुट विपक्ष के पक्ष में है। वह विपक्षी एकता पर सहमति बनाने के लिए पटना में होने वाली बैठक के नतीजों का समर्थन करेगी। मुझे लगता है कि कांग्रेस को साथ लिए बिना या उसके साथ गठबंधन किए बिना कोई भी मोर्चा भाजपा के खिलाफ प्रभावी रूप नहीं ले सकता। यह पूछे जाने पर कि क्या सपा और रालोद के बीच संबंधों में कोई तनाव है, उन्होंने कहा कि रालोद कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश में हाल में संपन्न नगर निकायों के चुनावों के नतीजे से निराश हैं। उन्हें लगता है कि अगर हम सपा और रालोद मिलकर लड़े होते तो परिणाम बेहतर हो सकते थे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि चूंकि, हम एक बड़े परिवर्तन का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, रालोद चाहता है कि सपा, कांग्रेस एवं आजाद समाज पार्टी को अपने मतभेदों को खत्म करना चाहिए और उस बदलाव को लाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।

लोगों को बड़ा दिल दिखाना चाहिए

सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि सपा और रालोद का गठबंधन पूरी तरह से बरकरार है। उन्होंने कहा कि भाजपा 2024 के चुनावों में उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीट पर हारेगी और इसके लिए लोगों को बड़ा दिल दिखाना चाहिए। सपा की मदद करनी चाहिए। हमारा रालोद समेत कुछ दलों के साथ पहले से ही गठबंधन है। अखिलेश यादव कुछ अन्य प्रमुख दलों को समायोजित करेंगे और इसलिए उन्होंने बड़े दिल की बात कही।

Biperjoy Effect : राजस्थान में बिपरजॉय का कहर, 36 घंटे से मूसलाधार बारिश जारी, 3 की मौत

2017 में कांग्रेस को दी गई थी 205 सीट

चौधरी ने कहा कि 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस को गठबंधन में 105 सीट दी थीं। कोई भी बड़ी पार्टी, जो भाजपा को हराने में सक्षम है, उसे 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ा दिल दिखाकर सपा की मदद करनी चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी कांग्रेस के साथ जाने को तैयार है, उन्होंने कहा कि इस संबंध में फैसला 23 जून को पटना में विपक्षी दलों की बैठक में किया जाएगा।

23 जून की बैठक में शामिल होंगे ये दिग्गज

कांग्रेस नेता राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, तमिलनाडु के उनके समकक्ष एमके स्टालिन और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल सहित अधिकतर विपक्षी दल बैठक में शामिल होने के लिए सहमत हो गए हैं। बैठक में भाग लेने के लिए सहमत होने वाले अन्य लोगों में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, अखिलेश यादव, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे शामिल हैं।

Political News

जयंत को नहीं बनना चाहिए शहीद

इस बीच, रालोद के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि अखिलेश यादव संसदीय चुनाव में अकेले उतरना चाहते हैं तो रालोद पार्टी प्रमुख जयंत चौधरी को शहीद नहीं बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत राज्य के रालोद कार्यकर्ताओं को लग रहा है कि अखिलेश यादव रालोद को खत्म कर देंगे और राज्य में दल का विस्तार नहीं करने देंगे। रालोद का कांग्रेस के साथ स्वाभाविक गठबंधन है। नेता ने कहा कि मुसलमान पहले ही कांग्रेस के साथ जाने का मन बना चुके हैं और अगर रालोद, कांग्रेस और आजाद समाज पार्टी साथ आ गए तो किसी की जरूरत नहीं पड़ेगी। रालोद कार्यकर्ता पहले ही कह चुके हैं कि कांग्रेस से कोई खतरा नहीं है, खतरा अखिलेश यादव से है। उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के नतीजे में कोई भी बदलाव कांग्रेस के बिना संभव नहीं है।

2019 चुनाव में बंटे थे मुस्लिम मतदाता

नेता ने कहा कि कांग्रेस भी रालोद के साथ गठबंधन चाहती है। हमारे पार्टी प्रमुख जयंत चौधरी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात की थी। पार्टी पर कार्यकर्ताओं और नेताओं का दबाव है कि उसे कांग्रेस के साथ जाना चाहिए। अगर अखिलेश यादव साथ आते हैं तो उनका स्वागत है, लेकिन यदि वह लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का फैसला करते हैं, तो सपा के साथ रालोद को शहीद नहीं बनना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि 2019 में मुस्लिम वोट विभाजित थे, लेकिन इस बार उनका झुकाव न तो सपा की ओर है और न ही बसपा की ओर, बल्कि यह झुकाव कांग्रेस की ओर है।

Weather Update : भीषण गर्मी की चपेट में उत्तर भारत, यूपी, बिहार में 98 लोगों की मौत

खरगे को पीएम के तौर पर देख रहे हैं दलित

रालोद नेता ने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने से अनुसूचित जाति के मतदाता पहली बार उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देख रहे हैं। इन दो कारणों से कांग्रेस को मजबूती मिली है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में हाल में हुए विधानसभा चुनाव में परंपरागत रूप से जनता दल (सेक्युलर) के साथ रहने वाले मुस्लिम कांग्रेस की ओर चले गए। उन्होंने कहा कि यह बदलाव पूरे देश में होना चाहिए। अनुसूचित जाति के मतदाताओं पर खरगे की अपील का निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा।

अखिलेश ने छीन ली रालोद की जीती हुई सीट

रालोद सूत्रों ने दावा किया कि 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के आखिरी क्षण में अखिलेश यादव ने हमारी जीती हुई सीट छीन लीं। उन्होंने कहा कि रालोद ने सपा से 35 सीट की मांग की थी, लेकिन 10 सीट पर उन्होंने अपने उम्मीदवारों को रालोद के टिकट पर लड़ाया और हमारे लोगों को मौका नहीं मिला। जिन सीटों पर रालोद को जीत का भरोसा था, वहां उन्होंने अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा।

कांग्रेस के चलना ही उचित

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि नगर निकाय चुनाव में हम मिलकर चुनाव लड़ने की सोच रहे थे, लेकिन वहां भी सपा ने रालोद के गढ़ मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ और शामली में अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जब उत्तर प्रदेश से गुजरी तो पार्टी (रालोद) कार्यकर्ताओं और नेताओं ने उनका स्वागत किया था। पार्टी को लगता है कि लोकसभा चुनाव के लिए जो माहौल बन रहा है, ऐसे में उसे कांग्रेस के साथ चलना चाहिए।

2019 में था सपा, रालोद और बसपा का गठबंधन

सपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में बसपा और रालोद के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। सपा ने 37 सीट पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से उसने मात्र पांच सीट पर जीत हासिल की थी। इसके बाद, 2022 के लोकसभा उपचुनाव में वह रामपुर और आजमगढ़ निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा से हार गई। रालोद ने 2019 के लोकसभा चुनाव में तीन सीट पर चुनाव लड़ा था और वह सभी सीट हार गई थी। बसपा ने उत्तर प्रदेश में 38 सीट पर चुनाव लड़ा था और 10 सीट पर जीत हासिल की थी। भाजपा ने 2019 के संसदीय आम चुनाव में 62 सीट जीती थीं, जबकि उसकी सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने दो सीट जीती थीं।

देश विदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें।

देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।

Related Post