भारत की इस बेटी ने रच दिया इतिहास, बन गई सबसे अमीर महिला

भारत की इस बेटी ने रच दिया इतिहास, बन गई सबसे अमीर महिला
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calendar01 Oct 2025 06:06 PM
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M3M Hurun India Rich List प्रकाशित कर दी गई है। M3M Hurun India Rich List में अरबपति के तौर पर एक महिला अरबपति का नाम टॉप-3 में आया है। यह पहला मौका है जब भारत की किसी बेटी ने भारत के सबसे अमीर अरबपतियों की सूची में टॉप-3 में अपनी जगह बनाई है। भारत के अरबपतियों की सूची में टॉप-3 में नाम दर्ज कराने वाली भारत की इस बेटी ने नया इतिहास रच दिया है। M3M Hurun India Rich List 2025

भारत की इस बेटी ने कर दिया है बड़ा कमाल

M3M Hurun India Rich List-2025 प्रकाशित हो चुकी है। हुरून की लिस्ट में किस-किस अरबपति का नाम शामिल हुआ है। उसकी बात करने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि भारत की वह कौन सी लाड़ली बेटी है जिसने M3M Hurun India Rich List में पहली बार टॉप-3 में स्थान बनाया है। आपको बता दें कि भारत की इस लाड़ली बेटी का नाम रोशनी नादर मल्होत्रा है। रोशनी नादर मल्होत्रा भारत की प्रसिद्ध कंपनी HCL की CEO हैं। रोशनी मल्होत्रा के पिता शिव नादर ने ही HCL की स्थापना की थी। रोशनी मल्होत्रा शिव नादर की एकमात्र संतान हैं। एम3एम हुरून इण्डिया रिच लिस्ट -2025 में रोशनी नादर मल्होत्रा को तीसरा स्थान मिला है। भारत की लाड़ली बेटी रोशनी नादर मल्होत्रा की प्रोपर्टी को 2.84  लाख करोड़ में नापते हुए हुरून ने अपनी रिपोर्ट में उन्हें तीसरा स्थान दिया है। यह पहला मौका है जब भारत की किसी महिला को भारत के अरबपतियों की सूची में टॉप-3 में स्थान मिला है।

भारत के सबसे अमीर अरबपति बने मुकेश अंबानी

M3M Hurun India Rich List-2025 में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी का नाम सबसे ऊपर है। मुकेश अंबानी ने एक बार फिर गौतम अदानी को पिछाड़ते हुए भारत के सबसे अमीर व्यक्ति बनने का खिताब अपने नाम दर्ज करा लिया है। आपको बता दें कि हुरुन इंडिया रिच लिस्ट-2025 के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और उनके परिवार की कुल नेटवर्थ 9.55 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है और संपत्ति के इस आंकड़े के साथ उन्हें फिर से भारत के सबसे अमीर व्यक्ति का खिताब हासिल हुआ है। वहीं दौलत के मामले में गौतम अडानी एंड फैमिली 8.15 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ दूसरे स्थान पर है। लिस्ट में तीसरे नंबर पर रोशनी नादर मल्होत्रा को रखा गया है, जिनकी संपत्ति 2.84 लाख करोड़ रुपये है। बता दें कि वे इस सूची में अब तक की सर्वोच्च रैंकिंग वाली महिला अरबपति बन गई हैं और पहली बार टॉप-3 में एंट्री लेते हुए भारत की सबसे अमीर महिला के रूप में इतिहास रच दिया है।

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अमीरों की  लिस्ट में शाहरुख खान भी हो गए शामिल

अमीरों की 2025 लिस्ट में पेरप्लेक्सिटी के फाउंडर 31 साल के अरविंद श्रीनिवास 21,190 करोड़ रुपये की नेटवर्थ के साथ भारत के सबसे युवा अरबपति बन गए हैं। वहीं दूसरी ओर बॉलीवुड सुपरस्टार शाहरुख खान भी पहली बार इस लिस्ट में आए हैं और 12,490 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ भारत के टॉप अरबपतियों के क्लब में शामिल हो गए हैं। इसके अलावा जिस अरबपति की दौलत में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है, वो नीरज बजाज एंड फैमिली है, 69,875 करोड़ रुपये की बढ़त के साथ इनकी नेटवर्थ अब 2.33 लाख करोड़ रुपये हो गई है। भारत के सबसे अमीरों की लिस्ट में इस बार भी मुंबई ही टॉप पर है, जहां पर देश के 451 सबसे धनी व्यक्ति रहते हैं. इसके बाद नई दिल्ली में 223 और बेंगलुरु 116 अमीरों के साथ लिस्ट में है. अगर बिजनेस सेक्टर्स की बात करें, तो हुरुन के मुताबिक, फार्मास्यूटिकल्स 137 अमीरों के साथ पहले पायदान पर है, जबकि इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स और केमिकल सेक्टर से जुड़े अमीरों की तादाद क्रमश: 132 और 125 रही है।    M3M Hurun India Rich List 2025  
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राष्ट्र चेतना का अवतार है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ

राष्ट्र चेतना का अवतार है राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ
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calendar01 Oct 2025 05:35 PM
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को RSS के नाम से जाना जाता है। 27 सितंबर 1925 को स्थापित हुए RSS की स्थापना के 100 वर्ष पूरे हो गए हैं। इस दौरान पूरे भारत में RSS का शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा है। RSS को पूरी तरह समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार सर्वेश कुमार सिंह ने RSS के ऊपर महत्वपूर्ण लेख लिखा है। सर्वेश कुमार सिंह द्वारा RSS के ऊपर लिखे गए लेख को हम यहां ज्यों का त्यों प्रकाशित कर रहे हैं। RSS

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ यानि राष्ट्र आराधना के 100 वर्ष

सर्वेश कुमार सिंह ने लिखा है कि-

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।।  

भगवान श्रीकृष्ण के अर्जुन से कहे गए ये वचन शास्वत, सनातन और चिरंतन भारतीय संस्कृति की जीवनी शक्ति हैं। इस जगत में जब-जब धर्म का नाश और अधर्म की वृद्धि होती है या संस्कृति पर आक्रमण होते हैं तो ईश्वरीय शक्ति स्वयं अवतरित होती है। यह शक्ति त्रेता में भगवान श्रीराम के रूप में तो द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण के रूप में इस धरा पर अवतरित हुई। वही ईश्वरीय शक्ति, राष्ट्र चेतना के रूप में कलियुग मेंराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके रूप में सौ साल पहले विजयादशमी के दिन अवतरित हुई है। इस दैवीय शक्ति से प्रेरित और सम्पन्न समाज सेवा के लिए अवतरित यह अद्भुत संगठन आज अपनी स्थापना के सौ साल पूरे कर रहा है। RSS

किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि आखिर कोई संगठन बगैर विघटति हुए, बगैर किसी विवाद के, बगैर किसी सरकारी सहायता के भी सौ साल पूरे कर सकता है। भारत में समाज सेवा, धर्म स्थापना और मानव सेवा के लिए अनेक संगठनों ने समय-समय पर जन्म लिया है। उन्होंने अच्छे कार्य किये हैं। वे अपने-अपने उद्देश्यों के प्रति समर्पित रहे हैं, किन्तु वे एक सीमित कालखण्ड तक ही अपने आप को सशक्त और सबल बनाकर रख सके हैं। संघ की स्थापना के पूर्व अनेक सगठनों की स्थापना हुई। लेकिन वे समय की चुनौतियों का सामना करने में पूरी तरह सफल नहीं हो सके। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक मात्र ऐसा संगठन है जो सौ साल बाद भी उसी ऊर्जा, उसी लगन और उसी प्रेरणा को लेकन नित नवीन स्वरूप बनाये हुए खड़ा है, और राष्ट्र आराधना के अपने उद्देश्य में सफल भी हुआ है। RSS

100 साल में बिल्कुल भी नहीं थका RSS 

विचारणीय है कि संघ ने जब सौ साल पूरे किये हैं तो क्या कारण है कि यह अन्य संगठनों की तरह थका नहीं, रूका नहीं, ठहरा नहीं। अनथक आगे बढ़ रहा है। बल्कि ऐसा विस्तार किया कि आज दुनिया का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन बना हुआ है। संघ के विस्तार और उसकी सांगठनिक रचना को देखें तो आज लगभग 78 हजार स्थानों पर एक लाख 25 हजार इसकी दैनिक और साप्ताहिक शाखाएं लग रही हैं। संघ सेवा के कामों में दुनिया में सबसे आगे है। देश के शहरी और ग्रामीण स्थानों पर लगभग एक लाख 29 हजार सेवा कार्य संचालित कर रहा है। सुदूर वनवासी क्षेत्रों, पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर सम्पूर्ण भारत में शिक्षा और संस्कार के कई लाख केद्र संचालित हैं।

संघ ने समाज जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र नहीं छोड़ा है जहां अपने उद्देश्य के लिए कोई कार्य खड़ा किया हो। इसी लिए संघ प्रेरित लगभग 40 विभिन्न संगठन सक्रिय हैं। दुनिया के समाजशास्त्री अध्ययन कर रहे हैं कि आखिर कोई संगठन दुनिया का सबसे बड़ा और निर्विवाद संगठन कैसे बनता है। इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए संघ को पढ़ने और संघ के बारे में सुनने से ज्यादा उसमें उतरने की जरूरत है। संघ को समझना है तो संघ के निकट जाना ही पड़ेगा, तब संघ समझ में आएगा। संघ की अद्भुत पद्यति शाखा को समझना और उसमें जाकर देखना होगा।

बाधाओं और चुनौतियों का किया सामना

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना को सौ वर्ष पूर्ण हो गए। विजयादशमी के अवसर पर वर्ष 1925 में नागपुर में डॉ .केशवराव बलिराम हेडगेवार ने संघ की स्थापना की थी। स्थापना के समय ही संघ ने अपना उद्देश्य और ध्येय स्पष्ट कर दिया था। संघ का ध्येय उसकी प्रार्थना की प्रथम पक्तिनमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे, त्वया हिन्दूभूमे सुखमं वर्धितोअहम्तथा प्रार्थना के अन्तभारत माता की जयसे सुस्पष्ट है। संघ किसी के विरोध में कार्य नहीं करता और ही किसी के विरोध के लिए  इसकी स्थापना हुई है।

जब संघ का स्वयंसेवक नियमित रूप सेनमस्ते सदा वत्सले मातृभूमेकहता है तो स्पष्ट ही है कि वह इस भारत मां की पूजा करता है, उन्हें नमन करता है, उनके लिए समर्पण का भाव प्रकट करता है और अंत में जबभारत माता की जयकहता है तो स्पष्ट है कि भारत को सदेव विजयी और यशस्वी देखना की कामना है। ऐसे निस्वार्थ और निष्काम उद्देश्य को धारण किये हुए संघ को भी अपनी सौ साल की यात्रा पूरी करने में अनेक कठिनाइयों, चुनौतियों, झूठे विमर्शों, मनगठंत आरोपों का सामना करना पड़ा है।

संघ के बारे में विरोधियों ने जो झूठे विमर्श गढ़े उनमें सबसे प्रमुख रहा कि यह सामप्रदायिक संगठन है, मुस्लिम विरोधी संगठन है। इस विमर्श को गढने में विशेष रूप से कांग्रेस और वामपंथी विचारधारा के राजनीतिक दलों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेकिन ये सभी आरोप समय के साथ झूठे साबित होते चले गए। देश में एक भी घटना ऐसी नहीं घटी जिसमें संघ पर कोई आरोप प्रमाणित हुआ हो। देश में आजादी के बाद भीषण साम्प्रदायिक दंगे भी हुए लेकिन किसी में संघ को आरोपित नहीं किया जा सका।

किसी भी न्यायालय ने संघ के खिलाफ कोई आदेश पारित नहीं किया। आजादी के तत्काल बाद राष्ट्रपिता की हत्या से जब सारा देश स्तब्ध था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने उनकी हत्या की घोर निंदा की। संघ ने 13 दिन का शोक मनाने के लिए शाखाओं को रोक दिया। इसके बावजूद संघ को गांधी जी की हत्या के लिए दोषी ठहराने का एक अभियान चलाया गया। संघ पर तत्कालीन केन्द्र सरकार ने प्रतिबंध भी लगा दिया, लेकिन न्यायालय से संघ निर्दोष साबित हुआ। आपातकाल में संघ पर दूसरा प्रतिबंध लगा। अयोध्या में विवादिद ढांचा ध्वसं के बाद भी संघ पर संक्षित प्रतिबंध लगाया गया। लेकिन संघ ने अपने संगठन कौशल और समाज के स्नेह और सामूहिक समाज शक्ति के बल पर इनका सामना किया।

संघ शक्ति का केन्द्र शाखा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक सघ की शक्ति का केन्द्र बिन्दु उसकी शाखा है। शाखा देखने में कुछ बालकों, युवाओं या प्रौढों का एक छोटा सा समूह किसी मैदान में खेलता, योग व्यायाम करता या विचार विमर्श करता दिख जाएगा। भगवा ध्वज के सम्मुख प्रार्थना करते स्वयंसेवकों को देखकर उनके समर्पण को समझा जा सकता है। यही वह केन्द्र है जो किसी सामान्य से बालक या युवा को समर्पित, निष्ठावान, चरित्रवान, उद्देश्य के लिए उत्कट राष्ट्र भावना लिए स्वयंसेवक का निर्माण कर देता है।

शाखा सामान्य खेलकूद का मैदान नहीं राष्ट्र के लिए व्यक्ति निर्माण की कार्यशाला है। यहां तो किसी की जाति पूछी जाती है किसी के साथ ऊंच नीच का कोई भाव होता है। बस अगर कुछ होता है तो सिर्फ हिन्दू समाज के संगठन की प्रबल भावना। यही मंत्र समूचे देश में आज सवा लाख से अधिक शाखाएं खड़ी करके संघ को दुनिया का सबसे बड़ा संगठन बना सका है।

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उन्नत, सशक्त भारत के लिए संघ दृष्टि

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस वर्ष विजयादशी से लेकर अगले वर्ष 2026 की विजयादशी तक संघ शताब्दी वर्ष मनाने का निर्णय लिया है। इस शताब्दी वर्ष में जो कार्यक्रम सघ ने निर्धारित किये हैं, वे संघ की व्यापक और समाजहित की समग्र दृष्टि को प्रतिबिम्बित करते हैं। संघ ने जो कार्यक्रम निर्धारित किये हैं। वे भारत की सम-सामयिक चुनौतियों का भी सामना करने के लिये समाज को खड़ा करेंगे। ये कार्यक्रम पंच परिवर्तन के नाम से जाने जा रहे हैं। समाज में संघ  पांच विशेष कार्य अभियान आरंभ करने जा रहा है। इसमें सबसे प्रमुख है, सामाजिक समरसता। संघ ने समाज में भेदभाव ऊंच-नीच जाति-पांति को समाप्त करने के लिए सामाजिक समरसता को सबसे ऊपर रखा है।

आज अगर कोई सबसे बड़ी चुनौती भारत के सामने है तो वह है सामाजिक भेदभाव, जातिवाद, अलगाववाद। इनको समूल समाप्त करने के लिए संघ सामाजिक समरता का जागरण और प्रबोधन करेगा। इसके बाद दूसरा प्रमुख कार्य है पर्यावरण संरक्षण, आज भारत ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण विश्व पर्यावरण सम्बन्धी चुनौतियों का सामना कर रहा है। ये चुनौतियां समय के साथ और अधिक भयावह होने वाली हैं। इसलिए संघ ने इसे प्रमुख गतिविधि मान कर इसके लिए जनजागरण कर समाज को पर्यावरण संरक्षण के लिए खड़ा करने का फैसला किया है। भारत में परिवारों का विघटन भी एक प्रमुख समस्या बनी है। इसे दूर करने के लिए कुटुम्ब प्रबोधन का भाव जगाना है। RSS

भारत जब परतंत्रता की बेडियों में नहीं जकड़ा था और स्वदेशी शासन, स्वदेशी व्यवस्था संचालित होती थी तो आत्मनिर्भर था। आज फिर स्व का भाव जगाकर भारत की स्व की भावना को प्रबल करना आवश्यक है यह मानकर स्वदेशी और निज राष्ट्र, निज भाषा. निज संस्कृति, निज धर्म के प्रति स्वाभिमान का भाव जगाने के लिए अभियान आरंभ किया जा रहा है। एक नागरिक के रूप में हमारे क्या कर्तव्य हैं यह जानना हर देशवासी के लिए आवश्यक है। उनका पालन करने से समाजजीवन में अनुशासन का भाव जागृत होता है और हम राष्ट्रीय दायित्व का निर्वहन करने के लिए भी तैयार और तत्पर होते हैं। यह भावना जगाने के लिए नागरिक कर्तव्य को पंच परिवर्तन का पांचवा आयाम संघ ने बनाया है। अपने संगठन बल और व्यापक आधार के बल पर संघ पंच परिर्वतन से देश में क्रांतिकारी परिर्वतन लाने में अवश्य सफल होगा। RSS

{इस लेख के लेखक सर्वेश कुमार सिंह, स्वतंत्र पत्रकार तथा पत्रकारों के संगठन के अध्यक्ष हैं।}

 
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बोल दी बड़ी बात

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बोल दी बड़ी बात
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calendar01 Dec 2025 08:10 AM
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को संक्षिप्त में RSS कहा जाता है। RSS के विषय में हर रोज ढ़ेर सारी बात कही तथा सुनी जाती हैं। बुधवार 1 अक्टूबर 2025 को RSS के ऊपर सबसे बड़ी बात कही गई है। एक समय RSS के प्रचारक रहे भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने RSS को लेकर सबसे बड़ी बात कही है। RSS की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भारत की राजधानी दिल्ली में भव्य आयोजन किया गया। RSS की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने की खुशी में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए। RSS के समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे बड़ी बात कही है।  RSS

हर व्यक्ति के भीतर मौजूद है RSS की मूल धारणा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर RSS देश भर में शताब्दी समारोह मना रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह की शुरूआत भारत की राजधानी दिल्ली में आयोजित एक भव्य समारोह के द्वारा की गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मुख्य अतिथि रहे। इस समारोह का आयोजन दिल्ली में स्थापित डॉ. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र में किया गया। RSS के इस समारोह में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि RSS की मूल धारणा राष्ट्र निर्माण की धारणा है। राष्ट्र निर्माण की धारणा का अर्थ है कि सशक्त भारत के निर्माण की धारणा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघकी यह मूल भावना आज पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी की जन्म जयंती है। पंडित दीन दयाल जी भारत को अन्तोदय की शिक्षा देकर सामाजिक समरसता के साथ विकास की शिक्षा दी थी। आज भारत अंतोदय की नीति पर चलकर दुनिया में अपनी बड़ी पहचान बना रहा है।   RSS

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आसान शब्दों में समझ लें प्रधानमंत्री के भाषण को

RSS के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लम्बा भाषण दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में RSS के लिए जो विशेष बात बोली उसे आप यहां आसान भाषा में समझ सकते हैं। RSS के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि RSS के संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी जानते थे कि हमारा राष्ट्र तभी सशक्त होगा, जब हर व्यक्ति के भीतर राष्ट्र के प्रति दायित्व का बोध जागृत होगा। हमारा राष्ट्र तभी ऊंचा उठेगा, जब भारत का हर नागरिक राष्ट्र के लिए जीना सीखेगा। इसलिए वे व्यक्ति निर्माण में निरंतर जुड़े रहे। उनका तरीका अलग था। हमने बार-बार सुना है कि डॉ. हेडगेवार जी कहते थे कि जैसा है, वैसा लेना है। जैसा चाहिए, वैसा बनाना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के समारोह में आगे कहा कि लोक संग्रह का उनका यह तरीका अगर समझना है तो हम कुम्हार को याद करते हैं। जैसे कुम्हार ईंट पकाता है तो जमीन की सामान्य-सी मिट्टी से शुरू करता है। वह मिट्टी लाता है और उस पर मेहनत करता है। उसे आकार देकर तपाता है। खुद भी तपता है और मिट्टी को भी तपाता है। फिर उन ईंटों को इकठ्ठा करके भव्य इमारत बनाता है। ऐसे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघके संस्थापक डॉ. हेडगेवार बहुत ही सामान्य लोगों को चुनते थे। फिर उन्हें सिखाते थे, विजन देते थे और उन्हें गढ़ते थे। इस तरह वे देश को समर्पित स्वयंसेवक तैयार करते थे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि संघ के बारे में कहा जाता है कि इसमें सामान्य लोग मिलकर असामान्य अभूतपूर्व कार्य करते हैं। व्यक्ति निर्माण की यह सुंदर प्रक्रिया आज भी हम संघ की शाखाओं में देखते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि संघ शाखा का मैदान एक ऐसी प्रेरणा भूमि है, जहां से स्वयंसेवक की 'अहम् और वहम' की यात्रा शुरू होती है। संघ की शाखाएं व्यक्ति निर्माण की यज्ञ वेदी हैं। उन शाखाओं में व्यक्ति का शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास होता है। स्वयंसेवकों के मन में राष्ट्र सेवा का भाव और साहस दिन प्रतिदिन पनपता रहता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि स्वयंसेवकों के लिए त्याग और समर्पण सहज हो जाता है। श्रेय के लिए प्रतिस्पर्धा की भावना समाप्त हो जाती है। उन्हें सामूहिक निर्णय और सामूहिक कार्य का संस्कार मिलता है। राष्ट्र निर्माण का महान उद्देश्य, व्यक्ति निर्माण का स्पष्ट पथ और शाखा जैसी सरल व जीवंत कार्य पद्धति यही संघ की 100 वर्ष की यात्रा का आधार बनी हैं।  RSS

पूरे एक साल तक मनाया जाएगा RSS का शताब्दी समारोह

आपको बतादें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सिंतबर 1925 को नागपुर में हुई थी। 27 सितंबर 2025 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरे 100 साल का संगठन हो गया है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्थापना दिवस हर साल दशहरे के दिन मनाया जाता है। वर्ष-2025 में दशहरे से शुरू होकर RSS का शताब्दी समारोह पूरे एक साल तक मनाया जाएगा। RSS के शताब्दी समारोह के तहत भारत की राजधानी दिल्ली से लेकर सभी प्रदेशों की राजधानियों, भारत के सभी शहरों, छोटे कस्बों यहां तक कि भारत के गाँवों में भी RSS के शताब्दी समारोह के तहत अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।  RSS