जाने भारत नाम के इतिहास और उसके उत्पत्ति के बारे में
इतिहास बदलता रहा, नाम बदलते रहे, लेकिन भारतीय पहचान की गहराई आज भी ‘भारतवासी’ शब्द में ही दिखाई देती है। जम्बूद्वीप और आर्यावर्त के प्राचीन उल्लेखों के बीच भी जनमानस की चेतना सबसे अधिक भारत नाम से ही जुड़ी रहती है।

भारत शब्द संस्कृत शब्द "भारत" से आया है, हिंदी में भरत शब्द का अर्थ अग्नि (अंग्रेजी में आग) है और यह देश का आधिकारिक संस्कृत नाम है। भारत को प्रसिद्ध भारतीय एम्पोरर्स में से एक, भरत का नाम दिया गया था, जो दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र थे। भारत राज्यों का संघ है और विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, रीति-रिवाजों और विरासत आदि का मिश्रण है जो इसे इस दुनिया की विविधता को गले लगाने वाला एक दिलचस्प राष्ट्र बनाता है। प्राचीन काल में, हमारे राष्ट्र को भारत शब्द से सम्मानित किया गया था। हमारे प्रख्यात इतिहासकारों द्वारा भारत के बारे में विभिन्न कहानियों का वर्णन किया गया है जो हमें मोहित करते हैं और बताते हैं कि भारत का नाम भारत कैसे पड़ा। यह पृष्ठ आपको यह समझने में मदद करेगा कि भारत का नाम भारत कैसे पड़ा, इसके साथ-साथ प्रभावशाली लंबे समय तक चलने वाले भारत इतिहास के साथ।
भारत नाम का इतिहास और उत्पत्ति
भारत का नाम विश्व इतिहास और पुराणों में अत्यंत प्राचीन और गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है। यह नाम न केवल भौगोलिक क्षेत्र को दर्शाता है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत का भी प्रतीक है। आइए जानते हैं कि भारत का नाम कैसे पड़ा और उसका इतिहास क्या है।
भारत का नाम कैसे पड़ा?
1. ऋग्वेद और दस राजाओं की लड़ाई
प्राचीन भारतीय साहित्य ऋग्वेद में, "दशराज्ञ" यानी दस राजाओं की लड़ाई का वर्णन मिलता है। इसमें बताया गया है कि पंजाब क्षेत्र में रावी नदी के किनारे दस शक्तिशाली जनजातियों के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में राजा सुदास ने विजय प्राप्त की और अपने वंशजों को भरत के नाम से जाना जाने लगा। इस कारण, लोग अपने देश को "भरत वंश" या "भारत" कहने लगे। इस नाम के साथ देश की पहचान स्थापित हुई।
2. महाभारत और भरत चक्रवर्ती
महाकाव्य महाभारत में, भारत को भरत नामक राजा के नाम पर भी जाना गया है। कहा जाता है कि राजा भरत, पांडवों और कौरवों के पूर्वज थे। उन्होंने पूरे क्षेत्र पर विजय प्राप्त कर इसे एक राजनीतिक और भौगोलिक इकाई के रूप में स्थापित किया। इसीलिए, उनके नाम का उपयोग देश के नाम के रूप में होने लगा।
3. संस्कृत में 'भारत' का अर्थ
संस्कृत में "भर" का अर्थ है "संरक्षित करना" या "पोषण करना"। इस प्रकार, "भरत" का अर्थ है "ज्ञान और शक्ति का स्रोत"। यह नाम उस भूमि का प्रतीक बन गया, जिसमें प्राचीन काल से समृद्ध सभ्यता और संस्कृति पनपी थी।
4. पुराणों और पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख
वायु पुराण, विष्णु पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भारतवर्ष नाम का उल्लेख मिलता है। ये ग्रंथ इस क्षेत्र को "भारतवर्ष" कहकर संदर्भित करते हैं, जिसका अर्थ है "भरत का देश" या "भरत की भूमि"।
5. सिंधु और भारत का नाम
कुछ विद्वानों का मानना है कि "भारत" शब्द सिंधु नदी के नाम से आया है, जिसे विदेशी स्रोतों में "इंडस" कहा जाता है। यह नाम प्राचीन ग्रीक स्रोतों में भी मिलता है, जैसे हेरोडोटस ने इसे पहली बार उल्लेखित किया।
भारत का नाम क्यों पड़ा?
- दशराज्ञ युद्ध की कहानी: इस युद्ध में विजयी राजा सुदास को भरत के नाम से जाना गया। इसी नाम ने देश के नाम के रूप में प्रचलित हो गया।
- राजा भरत की परंपरा: महाभारत में, राजा भरत को महान सम्राट माना गया है, जिन्होंने पूरे क्षेत्र पर विजय प्राप्त की।
- सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएँ: पुराणों और ग्रंथों में भारतवर्ष का उल्लेख इस भूमि के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के कारण भी होता है।
- भौगोलिक संदर्भ: प्राचीन ग्रंथों में भारतवर्ष का विस्तार भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश आदि क्षेत्रों तक माना जाता है।
भारत शब्द संस्कृत शब्द "भारत" से आया है, हिंदी में भरत शब्द का अर्थ अग्नि (अंग्रेजी में आग) है और यह देश का आधिकारिक संस्कृत नाम है। भारत को प्रसिद्ध भारतीय एम्पोरर्स में से एक, भरत का नाम दिया गया था, जो दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र थे। भारत राज्यों का संघ है और विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, रीति-रिवाजों और विरासत आदि का मिश्रण है जो इसे इस दुनिया की विविधता को गले लगाने वाला एक दिलचस्प राष्ट्र बनाता है। प्राचीन काल में, हमारे राष्ट्र को भारत शब्द से सम्मानित किया गया था। हमारे प्रख्यात इतिहासकारों द्वारा भारत के बारे में विभिन्न कहानियों का वर्णन किया गया है जो हमें मोहित करते हैं और बताते हैं कि भारत का नाम भारत कैसे पड़ा। यह पृष्ठ आपको यह समझने में मदद करेगा कि भारत का नाम भारत कैसे पड़ा, इसके साथ-साथ प्रभावशाली लंबे समय तक चलने वाले भारत इतिहास के साथ।
भारत नाम का इतिहास और उत्पत्ति
भारत का नाम विश्व इतिहास और पुराणों में अत्यंत प्राचीन और गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है। यह नाम न केवल भौगोलिक क्षेत्र को दर्शाता है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत का भी प्रतीक है। आइए जानते हैं कि भारत का नाम कैसे पड़ा और उसका इतिहास क्या है।
भारत का नाम कैसे पड़ा?
1. ऋग्वेद और दस राजाओं की लड़ाई
प्राचीन भारतीय साहित्य ऋग्वेद में, "दशराज्ञ" यानी दस राजाओं की लड़ाई का वर्णन मिलता है। इसमें बताया गया है कि पंजाब क्षेत्र में रावी नदी के किनारे दस शक्तिशाली जनजातियों के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में राजा सुदास ने विजय प्राप्त की और अपने वंशजों को भरत के नाम से जाना जाने लगा। इस कारण, लोग अपने देश को "भरत वंश" या "भारत" कहने लगे। इस नाम के साथ देश की पहचान स्थापित हुई।
2. महाभारत और भरत चक्रवर्ती
महाकाव्य महाभारत में, भारत को भरत नामक राजा के नाम पर भी जाना गया है। कहा जाता है कि राजा भरत, पांडवों और कौरवों के पूर्वज थे। उन्होंने पूरे क्षेत्र पर विजय प्राप्त कर इसे एक राजनीतिक और भौगोलिक इकाई के रूप में स्थापित किया। इसीलिए, उनके नाम का उपयोग देश के नाम के रूप में होने लगा।
3. संस्कृत में 'भारत' का अर्थ
संस्कृत में "भर" का अर्थ है "संरक्षित करना" या "पोषण करना"। इस प्रकार, "भरत" का अर्थ है "ज्ञान और शक्ति का स्रोत"। यह नाम उस भूमि का प्रतीक बन गया, जिसमें प्राचीन काल से समृद्ध सभ्यता और संस्कृति पनपी थी।
4. पुराणों और पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख
वायु पुराण, विष्णु पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भारतवर्ष नाम का उल्लेख मिलता है। ये ग्रंथ इस क्षेत्र को "भारतवर्ष" कहकर संदर्भित करते हैं, जिसका अर्थ है "भरत का देश" या "भरत की भूमि"।
5. सिंधु और भारत का नाम
कुछ विद्वानों का मानना है कि "भारत" शब्द सिंधु नदी के नाम से आया है, जिसे विदेशी स्रोतों में "इंडस" कहा जाता है। यह नाम प्राचीन ग्रीक स्रोतों में भी मिलता है, जैसे हेरोडोटस ने इसे पहली बार उल्लेखित किया।
भारत का नाम क्यों पड़ा?
- दशराज्ञ युद्ध की कहानी: इस युद्ध में विजयी राजा सुदास को भरत के नाम से जाना गया। इसी नाम ने देश के नाम के रूप में प्रचलित हो गया।
- राजा भरत की परंपरा: महाभारत में, राजा भरत को महान सम्राट माना गया है, जिन्होंने पूरे क्षेत्र पर विजय प्राप्त की।
- सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएँ: पुराणों और ग्रंथों में भारतवर्ष का उल्लेख इस भूमि के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के कारण भी होता है।
- भौगोलिक संदर्भ: प्राचीन ग्रंथों में भारतवर्ष का विस्तार भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश आदि क्षेत्रों तक माना जाता है।







