जाने भारत नाम के इतिहास और उसके उत्पत्ति के बारे में

इतिहास बदलता रहा, नाम बदलते रहे, लेकिन भारतीय पहचान की गहराई आज भी ‘भारतवासी’ शब्द में ही दिखाई देती है। जम्बूद्वीप और आर्यावर्त के प्राचीन उल्लेखों के बीच भी जनमानस की चेतना सबसे अधिक भारत नाम से ही जुड़ी रहती है।

History of the name India
भारत नाम का इतिहास (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar02 Dec 2025 03:31 PM
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भारत शब्द संस्कृत शब्द "भारत" से आया है, हिंदी में भरत शब्द का अर्थ अग्नि (अंग्रेजी में आग) है और यह देश का आधिकारिक संस्कृत नाम है। भारत को प्रसिद्ध भारतीय एम्पोरर्स में से एक, भरत का नाम दिया गया था, जो दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र थे। भारत राज्यों का संघ है और विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, रीति-रिवाजों और विरासत आदि का मिश्रण है जो इसे इस दुनिया की विविधता को गले लगाने वाला एक दिलचस्प राष्ट्र बनाता है। प्राचीन काल में, हमारे राष्ट्र को भारत शब्द से सम्मानित किया गया था। हमारे प्रख्यात इतिहासकारों द्वारा भारत के बारे में विभिन्न कहानियों का वर्णन किया गया है जो हमें मोहित करते हैं और बताते हैं कि भारत का नाम भारत कैसे पड़ा। यह पृष्ठ आपको यह समझने में मदद करेगा कि भारत का नाम भारत कैसे पड़ा, इसके साथ-साथ प्रभावशाली लंबे समय तक चलने वाले भारत इतिहास के साथ।

भारत नाम का इतिहास और उत्पत्ति

भारत का नाम विश्व इतिहास और पुराणों में अत्यंत प्राचीन और गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है। यह नाम न केवल भौगोलिक क्षेत्र को दर्शाता है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत का भी प्रतीक है। आइए जानते हैं कि भारत का नाम कैसे पड़ा और उसका इतिहास क्या है।

भारत का नाम कैसे पड़ा?

1. ऋग्वेद और दस राजाओं की लड़ाई

प्राचीन भारतीय साहित्य ऋग्वेद में, "दशराज्ञ" यानी दस राजाओं की लड़ाई का वर्णन मिलता है। इसमें बताया गया है कि पंजाब क्षेत्र में रावी नदी के किनारे दस शक्तिशाली जनजातियों के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में राजा सुदास ने विजय प्राप्त की और अपने वंशजों को भरत के नाम से जाना जाने लगा। इस कारण, लोग अपने देश को "भरत वंश" या "भारत" कहने लगे। इस नाम के साथ देश की पहचान स्थापित हुई।

2. महाभारत और भरत चक्रवर्ती

महाकाव्य महाभारत में, भारत को भरत नामक राजा के नाम पर भी जाना गया है। कहा जाता है कि राजा भरत, पांडवों और कौरवों के पूर्वज थे। उन्होंने पूरे क्षेत्र पर विजय प्राप्त कर इसे एक राजनीतिक और भौगोलिक इकाई के रूप में स्थापित किया। इसीलिए, उनके नाम का उपयोग देश के नाम के रूप में होने लगा।

3. संस्कृत में 'भारत' का अर्थ

संस्कृत में "भर" का अर्थ है "संरक्षित करना" या "पोषण करना"। इस प्रकार, "भरत" का अर्थ है "ज्ञान और शक्ति का स्रोत"। यह नाम उस भूमि का प्रतीक बन गया, जिसमें प्राचीन काल से समृद्ध सभ्यता और संस्कृति पनपी थी।

4. पुराणों और पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख

वायु पुराण, विष्णु पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में भारतवर्ष नाम का उल्लेख मिलता है। ये ग्रंथ इस क्षेत्र को "भारतवर्ष" कहकर संदर्भित करते हैं, जिसका अर्थ है "भरत का देश" या "भरत की भूमि"। 

5. सिंधु और भारत का नाम

कुछ विद्वानों का मानना है कि "भारत" शब्द सिंधु नदी के नाम से आया है, जिसे विदेशी स्रोतों में "इंडस" कहा जाता है। यह नाम प्राचीन ग्रीक स्रोतों में भी मिलता है, जैसे हेरोडोटस ने इसे पहली बार उल्लेखित किया।

भारत का नाम क्यों पड़ा?

  • दशराज्ञ युद्ध की कहानी: इस युद्ध में विजयी राजा सुदास को भरत के नाम से जाना गया। इसी नाम ने देश के नाम के रूप में प्रचलित हो गया।
  • राजा भरत की परंपरा: महाभारत में, राजा भरत को महान सम्राट माना गया है, जिन्होंने पूरे क्षेत्र पर विजय प्राप्त की।
  • सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएँ: पुराणों और ग्रंथों में भारतवर्ष का उल्लेख इस भूमि के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व के कारण भी होता है।
  • भौगोलिक संदर्भ: प्राचीन ग्रंथों में भारतवर्ष का विस्तार भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश आदि क्षेत्रों तक माना जाता है।
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कम बारिश में खेती का नया मंत्र: फसल विविधीकरण

देश के कई सूखाग्रस्त और कम बारिश वाले इलाकों में किसान अब फसल विविधीकरण (Crop Diversification) अपनाकर अपनी खेती को नई दिशा दे रहे हैं।

Farmer crop diversification
किसान फसल विविधीकरण (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar02 Dec 2025 01:37 PM
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विशेषज्ञों का कहना है कि यह तकनीक न केवल खेती को जलवायु परिवर्तन के खतरे से बचाती है, बल्कि किसान की आमदनी भी कई गुना बढ़ा देती है। खासकर वे क्षेत्र जहां सालाना बारिश 50 सेंटीमीटर से भी कम होती है, वहां फसल विविधकरण किसी वरदान से कम नहीं साबित हो रहा।

कम पानी वाले इलाकों में फलदार वृक्षों की नई उम्मीद

पूसा संस्थान के विशेषज्ञ बताते हैं कि करौंदा, आंवला, फालसा, सहजन (मोरिंगा), अनार और अमरूद जैसे फलदार वृक्ष कम पानी में भी आसानी से बढ़ते हैं। इन पेड़ों की गहरी जड़ें नमी को संभाले रखती हैं और 3–4 साल में फल देना शुरू कर देती हैं। किसानों को सलाह दी जा रही है कि इन पेड़ों को 4–5 मीटर की दूरी पर लगाकर बीच की खाली जगह का भी उपयोग किया जाए।

मौसमी फसलें दे रहीं दोगुना फायदा

पेड़ों के बीच की खाली जगह यानी ‘एलिज’ में किसान पूरक फसलें लगाकर अतिरिक्त लाभ कमा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन फसलों से न केवल उत्पादन बढ़ता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बेहतर होती है।

दलहनी फसलें बन रहीं किसानों की ताकत

  • मूंग: पूसा 9231, पूसा विशाल व पूसा विराट किस्में 55–70 दिनों में तैयार। उपज 10–12 क्विंटल प्रति हेक्टेयर।
  • लोबिया: पूसा सुकोमल व पूसा धारानी किस्में 40–45 दिनों में हरी फलियां देती हैं। प्रति हेक्टेयर 6–7 टन उपज संभव।
  • ग्वार: आरजीसी 1002 और आरजीसी 1003 जैसी किस्में दाना और हरी फलियों दोनों के लिए बेहतर।

तिलहनी फसलें भी बढ़ा रहीं आय

मूंगफली और सोयाबीन कम पानी में अच्छी पैदावार देती हैं। दोनों फसलें मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाकर लंबे समय तक भूमि की उर्वरता बनाए रखती हैं।

रबी सीजन में भी कमाई के नए अवसर

मानसून के बाद किसानों को रबी सीजन खाली नहीं छोड़ने की सलाह दी जा रही है। सरसों की पूसा सरसों 26 और 28 जैसी जल्दी पकने वाली किस्में तथा आलू की 'कुफरी चिप्स सोना' जैसी वैरायटी किसानों की जेब भर रही हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि सही फसल संयोजन अपनाकर किसान प्रति हेक्टेयर 2 से 2.5 लाख रुपये तक का शुद्ध लाभ कमा सकते हैं।

किसानों के लिए नई राह – फसल विविधकरण

खेती विशेषज्ञों का मानना है कि फसल विविधकरण खेती को स्थायी, लाभकारी और जलवायु जोखिमों से सुरक्षित बनाता है। पूसा संस्थान की उन्नत किस्में और वैज्ञानिक सलाह अपनाकर किसान अपनी आय में उल्लेखनीय वृद्धि कर रहे हैं।

कृषि वैज्ञानिक किसानों से अपील कर रहे हैं कि बदलते मौसम और बढ़ती चुनौतियों के बीच फसल विविधकरण ही भविष्य की टिकाऊ खेती का रास्ता है।

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महिंद्रा की SUVs ने नवंबर में मचाया धमाल

कंपनी की इलेक्ट्रिक लाइनअप में भी जबरदस्त हलचल देखने को मिली। इन लॉन्चेस को महिंद्रा की Electric Origin SUVs के एक साल पूरे होने के मौके पर पेश किया गया।

Mahindra's EV entry is a bang
EV मार्केट में भी महिंद्रा की एंट्री धमाकेदार (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar01 Dec 2025 05:17 PM
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महिंद्रा एंड महिंद्रा ने नवंबर 2025 की अपनी सेल्स रिपोर्ट जारी कर दी है, और इस बार कंपनी ने सभी सेगमेंट में जबरदस्त प्रदर्शन किया है। खासकर SUV सेगमेंट में कंपनी ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि मार्केट में चर्चा का माहौल बन गया। नवंबर महीने में कंपनी ने 56,336 SUVs की बिक्री की, जो पिछले साल की तुलना में 22% की दमदार ग्रोथ है।

SUV सेगमेंट में तगड़ी मांग

महिंद्रा की SUV रेंज—स्कॉर्पियो, थार, बोलेरो, XUV700 और नई XUV 3XO— ने मिलकर कंपनी को रिकॉर्ड बिक्री दिलाई। नवंबर 2024 में जहां 46,222 SUVs बिकी थीं, वहीं इस बार बिक्री बढ़कर 56,336 यूनिट पहुंच गई। यानी +10,114 यूनिट की ग्रोथ दर्ज हुई। हांलाकि, अक्टूबर 2025 के मुकाबले नवंबर में MoM आधार पर 21% की गिरावट देखी गई, जिसका मुख्य कारण फेस्टिव सीजन का खत्म होना बताया जा रहा है।

सभी सेगमेंट को मिलाकर कुल बिक्री 92,670

पैसेंजर व्हीकल, कॉमर्शियल व्हीकल और एक्सपोर्ट तीनों को जोड़कर महिंद्रा की नवंबर में कुल बिक्री 92,670 यूनिट रही। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 19% ज्यादा है, जिससे कंपनी की मजबूत मार्केट पोजिशन का अंदाजा लगाया जा सकता है।

YTD में भी शानदार परफॉर्मेंस

अप्रैल से नवंबर 2025 के बीच महिंद्रा ने 4,25,530 यूनिट्स बेचीं, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 3,60,936 था। यानी कंपनी ने इस अवधि में 17.9% की मजबूत ग्रोथ हासिल की है।

इलेक्ट्रिक SUVs ने बढ़ाई महिंद्रा की चमक

कंपनी की इलेक्ट्रिक लाइनअप में भी जबरदस्त हलचल देखने को मिली। XEV 9S और BE 6 Formula E Edition की लॉन्चिंग ने EV मार्केट में कंपनी की पकड़ और मजबूत कर दी है। इन लॉन्चेस को महिंद्रा की Electric Origin SUVs के एक साल पूरे होने के मौके पर पेश किया गया।

CEO का बयान

महिंद्रा ऑटोमोटिव के CEO नलिनिकांत गोल्लागुंटा ने कहा कि नवंबर में हमने 56,336 SUVs और कुल 92,670 वाहन बेचे। हमारी Electric Origin SUVs के एक साल पूरा होने पर XEV 9S और BE 6 Formula E Edition लॉन्च करके हमने एक नए अध्याय की शुरुआत की है।”