Tuesday, 19 November 2024

Adipurush Controversy : भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने आदिपुरुष के लेखक मनोज मुंतशिर पर फिर बोला हमला

रामायण पर आधारित ‘आदिपुरुष’ पर्दे पर आते ही विवादों में घिर गई। इस फिल्म के रिलीज होने से पहले धर्म…

Adipurush Controversy : भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने आदिपुरुष के लेखक मनोज मुंतशिर पर फिर बोला हमला

रामायण पर आधारित ‘आदिपुरुष’ पर्दे पर आते ही विवादों में घिर गई। इस फिल्म के रिलीज होने से पहले धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों को उम्मीद थी कि कश्मीर फाइल्स और द केरला स्टोरी की तरह उसके हाथ एक और ‘हथियार’ लग जाएगा। लेकिन, सिल्वर स्क्रीन पर आते ही उम्मीदों की हवा निकल गई। डैमेज कंट्रोल के लिए अब भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने मोर्चा संभाला है। उन्होंने एक ट्वीट कर फिल्म के लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला पर करारा हमला बोला है।

Adipurush Controversy

पहले ब्राह्मण होने को छुपाते थे

भाजपा प्रवक्ता ने अपने ट्वीट में कहा कि मनोज पहले ब्राह्मण होने को छुपाते थे, क्योंकि उन्हें लगा यह तो पैसे कमाने में आड़े आ जायेगा। मुंतशिर लगाया, क्योंकि बिना उर्दू उपनाम शायर गैंग में कैसे स्वीकार्यता मिलती। फिर इन्होंने देखा कि अब समय पलट गया है तो शुक्ला हो गए।

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बैकफुट पर मुंतशिर

विवादों में घिरी ‘आदिपु​रुष’ के लेखक मनोज मुंतशिर तो पहले ही बैकफुट पर आ गए थे। उन्होंने जनता के गुस्से को देखते हुए फिल्म के विवादित डायलॉग को बदलने का ऐलान किया है। आम लोगों की निंदा और गुस्से को देखते हुए अब भाजपा नेता भी मनोज मुंतशिर पर हमला बोलने लगे हैं। इनमें भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी का भी नाम जुड़ गया है।

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नाम बदलने का बेजोड़ उदाहरण

सुधांशु त्रिवेदी ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, अकबर ने नाम बदलकर प्रयागराज से इलाहाबाद (अल्‍लाहबाद) किया था। पुराणों में प्रयागराज का कई जगहों पर जिक्र मिलता है। रामचरित मानस में इलाहाबाद को प्रयागराज ही कहा गया है। कहा जाता है कि वन गमन के दौरान भगवान श्रीराम प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पर आए थे, जिसके बाद इसका नाम प्रयागराज पड़ा। मत्स्य पुराण में भी इसका वर्णन करते हुए लिखा गया है कि प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है, जहां गंगा और यमुना बहती है। जिस वक्‍त भारत पर मुगलों का शासन था, उस वक्‍त की भी कई किताबों और दस्‍तावेजों में इस शहर का जिक्र किया गया है। अकबर ने करीब 1574 में इस शहर में किले की नींव रखी थी। अकबर ने जब यहां पर एक नया शहर बसाया, तब उसने इसका नाम बदलकर इलाहाबाद कर दिया था।

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