Success Story : भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अक्सर कहते हैं कि आपदा में अवसर खोजने वाला बुद्धिमान तथा महान होता है। इसी आपदा में अवसर की एक बड़ी मिसाल हैं बेहद गरीब इंसान से अरबपति बने कुंवर सचदेव। कुंवर सचदेव की सफलता की पूरी कहानी को आपको ध्यान से पढऩा चाहिए। कुंवर सचदेव का जीवन कैसे एक आपदा ने पूरा का पूरा बदल डाला। उसे जानकर आप जरूर कहेंगे अरे वाह ! आप भी इसी कहानी से शिक्षा लेकर बन सकते हैं करोड़पति अथवा अरबपति।
आपदा में अवसर बसों में बेचते थे पेन
तो बात करते हैं कुंवर सचदेव के आपदा में अवसर वाले किस्से की
कहते हैं कि आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है, लेकिन कभी-कभी अचानक हुई दुर्घटना भी किसी नए ईजाद क को जन्म देती है। भारत के इन्वर्टर मैन कहे जाने वाले कुंवर सचदेव के बेटे को एक दिन इन्वर्टर से करंट लग गया। इस घटना ने जहां पिता कुंवर सचदेव को बुरी तरह झकझोर दिया, वहीं इन्वर्टर व्यवसाय से जुड़े इस उद्यमी को अहसास हुआ कि इन्वर्टर की बॉडी प्लास्टिक की होनी चाहिए, ताकि कभी कोई अनहोनी न हो। इसी घटना के बाद उन्होंने वर्ष 2000 में अपने ब्रांड सु-काम के तहत प्लास्टिक बॉडी वाले इन्वर्टर बनाने की शुरुआत की। यह वही कुंवर सचदेव हैं, जो कभी अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए बसों में और घर-घर जाकर पेन बेचते थे और बाद में विभिन्न व्यवसाय करते हुए अपने मजबूत इरादे और मेहनत के बल पर भारत के पावर बैकअप व्यवसाय का अग्रणी बनकर कामयाबी की इबारत लिखी।
उनका निजी परिचय
एक मध्यवर्गीय पंजाबी परिवार में 16 नवंबर, 1962 को जन्मे कुंवर सचदेव वास्तविक अर्थों में स्वप्नद्रष्टा हैं, जो शुरू से ही एक सफल व्यवसाय करने का सपना मन में पाले हुए थे। पिता रेलवे क्लर्क थे, उनकी तनख्वाह ज्यादा नहीं थी, जिस कारण वह अपने बच्चों का पालन-पोषण सही तरीके से कर पाने में असमर्थ थे। कुंवर अपने दो भाई और माता-पिता के साथ छोटे से घर में रहते थे।
कंपनी की शुरूआत Success Story
1990 के दशक में ग्लोबलाइजेशन के बाद टीवी केबल का बिजनेस चल पड़ा। अब हर घर को केबल कनेक्शन की जरूरत होने लगी। कुंवर,ने टीवी के उपकरण, जैसे एंप्लीफायर और मॉड्यूलेटर्स बनाने शुरू किए। भारत में बिजली की समस्या बहुत ज्यादा थी। अक्सर उनके घर का इन्वर्टर भी खराब हो डीलरों की मदद जाता था। एक बार जब उनके घर का इन्वर्टर खराब हुआ, तो उन्होंने अपनी कंपनी की आर एंड डी टीम को बुलाकर यह पता लगाने के लिए कहा कि इसमें क्या खराबी है। तब उन्हें पता चला कि बाजार में जो इन्वर्टर आ रहे हैं, उनमें घटिया सामग्री लगाई जाती है। फिर कुंवर ने उत्तम क्वालिटी का इन्वर्टर बनाने का संकल्प लिया और 1998 में सु-काम पावर/सिस्टम नामक कंपनी की स्थापना की समय के साथ बदलती जरूरतों के संग उन्होंने अपने इन्वर्टर में सुधार जारी रखा और वर्ष 2000 में सु-काम दुनिया की पहली ऐसी कंपनी बनी, जो प्लास्टिक बॉडी के इन्वर्टर बनाती थी।
आया बड़ा विचार
पढ़ाई पूरी करने के बाद कुंवर ने एक केबल कम्युनिकेशन कंपनी के सेल्स डिपार्टमेंट में मार्केटिंग की नौकरी की। यहां काम करते हुए उन्हें अहसास हुआ कि भारत में व्यवसाय के फलने- फूलने के लिए काफी गुंजाइश है। फिर क्या था, खुद का व्यवसाय शुरू करने के सपने को मूर्त रूप देने के लिए उन्होंने मात्र 10 हजार रुपये से दिल्ली में ही सु-काम कम्युनिकेशन सिस्टम नाम से अपना केबल व्यवसाय शुरू किया। इस व्यवसाय के दौरान उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन हर मुश्किल से जूझते हुए वह व्यवसाय की बारीकियां सीखते गए।
बड़ी छलांग Success Story
कुछ ही वर्षों में कुंवर सचदेव की कड़ी मशक्कत और नवोन्मेषी दृष्टि के कारण सु-काम एक बहुराष्ट्रीय भारतीय कंपनी बन गई। कुंवर सचदेव कहते हैं, मैं भारत के हर घर को सौर ऊर्जा से संचालित होते देखना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि हर व्यवसाय, चाहे बड़ा हो या छोटा, सौर ऊर्जा में निवेश करे और इस प्राकृतिक संसाधन का निर्बाध लाभ उठाए। उन्होंने छोटी कंपनी से लेकर बड़ी इंडस्ट्री तक के लिए भी सोलर उपकरणों की खोज की है। इन्हीं वजहों से उन्हें सोलर मैन ऑफ द इंडिया के नाम से भी संबोधित किया जाता है। विश्व के पहले प्लास्टिक बॉडी इन्वर्टर का आविष्कार करने के कारण उन्हें इनोवेशन ऑफ द डिकेड का संम्मान मिला। कुंवर सचदेव का पूरा व्यावसायिक जीवन उपलब्धियों से भरा है।
गलतियों से सीखा
कुंवर सचदेव की घरेलू समस्याओं के कारण उनकी कंपनी सु-काम दिवालिया हो गई और बैंकों ने उनके खिलाफ कानूनी मामले दायर किए, जिसे संभालना उनके लिए एक बड़ी चुनौती थी। कुंवर कहते हैं, मैंने सु-काम ब्रांड के लिए जो प्रतिष्ठा बनाई थी, वह मेरी गलती से एक ही झटके में खत्म हो गई। मैं अपने वितरकों, डीलरों की मदद करना चाहता था, लेकिन कानूनी पचड़ों में मेरे हाथ बंधे हुए थे। तभी मेरी पत्नी खुशबू सचदेव ने सु-वास्तिका कंपनी शुरू की और तब से कंपनी कर्मचारियों, डीलरों और वितरकों को बहुत सारी सेवाएं और सहायता देने में सक्षम रही हैं।
विज्ञापन पर भरोसा
लोगों के मन में अपने ब्रांड का नाम स्थापित करने के लिए कुंवर ने महंगे विज्ञापन का विकल्प चुनने के बजाय साइन बोर्ड लगाने के लिए ढाबों का विकल्प चुना। इससे कम खर्च में सु- काम ब्रांड का प्रचार जगह-जगह दिखने लगा। उन्होंने श्रीनगर के लोकप्रिय पर्यटन स्थल डल झील में नावों पर सु- काम का लोगो लगवाया और सु-काम की अपनी वैन शुरू की, ट्रैफिक बैरियर पर सु-काम की ब्रांडिंग की।
अनेक बार सम्मानित Success Story
कुंवर सचदेव को भारत सरकार ने भारत शिरोमणि और अर्न्स्ट एंड यंग का साल के सर्वश्रेष्ठ उद्योगपति अवॉर्ड से सम्मानित भी किया है। कुंवर के कठिन परिश्रम का ही यह फल है कि सु-काम आज सबसे ज्यादा मार्केट शेयर करने वाली कंपनी है। कुंवर सचदेव की कहानी सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने अपने व्यवसाय की सफलता की कहानी खुद लिखी है।