अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई, लेटेस्ट रिपोर्ट ने खोला कड़वा सच
भारत में दिन-ब-दिन अमीरी और गरीबी के बीच की खाई गहराती जा रही है। वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट के अनुसार, देश की कुल संपत्ति का दो-तिहाई हिस्सा सिर्फ़ शीर्ष 10% लोगों के पास है जबकि आधे से अधिक आबादी के पास बहुत कम दौलत बची है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि महिलाओं की आर्थिक भागीदारी...

कुछ आवाजें ऐसी होती हैं जो सिर्फ कानों में नहीं दिल के भीतर तक उतर जाती हैं। वे आवाजें इंसान को झकझोर देती हैं, सोचे-समझे सब यकीनों को हिला देती हैं और हमें ऐसे सवालों के सामने खड़ा कर देती हैं जिनसे हम अक्सर बचना चाहते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं। दरअसल भारत की आर्थिक असमानता पर आई नई रिपोर्ट भी ऐसी ही एक आवाज है धीमी लेकिन पैनी… और इतनी गहरी कि लाख कोशिशों के बावजूद इसे अनसुना नहीं किया जा सकता।
चमक के पीछे छुपा है एक घना अंधेरा
भारत, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है, उसकी चमक के पीछे एक अंधेरा सच छुपा हुआ है। वह सच यह है कि इस देश की दौलत का बड़ा हिस्सा कुछ गिने-चुने लोगों की मुट्ठी में कैद है। वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट 2026 के अनुसार भारत में अमीरी और गरीबी की खाई सिर्फ बढ़ी नहीं है बल्कि अब यह उस मोड़ पर पहुंच चुकी है जहां आगे का हर कदम करोड़ों लोगों की जिंदगी तय करेगा। देश के शीर्ष 10% लोग राष्ट्रीय आय का लगभग 58% और कुल संपत्ति का करीब 65% हिस्सा अपने पास रखते हैं जबकि आधे से अधिक भारत यानी नीचे के 50% लोगों के पास सिर्फ 6.4% संपत्ति बचती है। यह अंतर केवल आंकड़ा नहीं है बल्कि उस कड़वी हकीकत का आईना है जिसमें बहुत से लोग हर रोज जीने का संघर्ष करते दिखाई देते हैं।
विकास होने के बावजूद सबको क्यों नहीं बराबर का हक?
वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट 2026 के मुताबिक, भारत के सिर्फ 1% सबसे अमीर लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40.1% तक हिस्सा है जो पिछले एक सदी में सबसे अधिक है। 1922 में जब ब्रिटिश सरकार ने पहली बार आय के रिकॉर्ड रखने शुरू किए थे तब से लेकर आज तक ऐसा असंतुलन कभी नहीं देखा गया। यह तस्वीर यह साफ कर देती है कि उदारीकरण के बाद से भारत में विकास तो हुआ है लेकिन वह विकास सभी तक बराबर नहीं पहुंचा। बल्कि अमीर और अधिक अमीर होते चले गए और गरीब अपनी जगह से उठ ही नहीं पाए।
महिलाओं की स्थिति जस की तस
इस रिपोर्ट का सबसे दुखद पहलू यह है कि महिलाओं की स्थिति इन वर्षों में लगभग जस की तस बनी हुई है। देश में महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी केवल 15.7% पर अटकी पड़ी है और दस सालों में इसमें कोई ठोस सुधार नहीं आया। यह दिखाता है कि असमानता सिर्फ आय या संपत्ति तक सीमित नहीं है बल्कि जेंडर के स्तर तक गहराई में जमी हुई है। भारत का सामाजिक ढांचा जैसे दो हिस्सों में बंट चुका है। एक तरफ वह हिस्सा है जो हर सुविधा का आनंद ले रहा है और दूसरी तरफ वो लोग जो अपनी मूल जरूरतों को भी पूरी करने में कई परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
कैसे निपटा जा सकता है?
रिपोर्ट में इससे निपटने के लिए बड़े कदम सुझाए गए हैं जैसे 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति पर वार्षिक संपत्ति कर, बेहद अमीर लोगों पर सुपर टैक्स और 33% विरासत कर ताकि स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण में निवेश के लिए जरूरी राजस्व पैदा किया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह खाई आने वाले दशक में और गहरी हो जाएगी जिसके परिणाम भारत के भविष्य पर सीधा असर डालेंगे।
आर्थिक असमानता सिर्फ एक रिपोर्ट का शब्द नहीं है बल्कि यह उन करोड़ों लोगों की कहानी है जिनकी आवाज शायद उतनी तेज नहीं है लेकिन दर्द एक कड़वा सच है। यह वह आवाज है जो अगर हमने आज भी नहीं सुनी तो आने वाले सालों में यह खाई सिर्फ आंकड़ों में नहीं बल्कि हमारे समाज के हर कोने में दिखाई देगी।
कुछ आवाजें ऐसी होती हैं जो सिर्फ कानों में नहीं दिल के भीतर तक उतर जाती हैं। वे आवाजें इंसान को झकझोर देती हैं, सोचे-समझे सब यकीनों को हिला देती हैं और हमें ऐसे सवालों के सामने खड़ा कर देती हैं जिनसे हम अक्सर बचना चाहते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि हम ऐसा क्यों कह रहे हैं। दरअसल भारत की आर्थिक असमानता पर आई नई रिपोर्ट भी ऐसी ही एक आवाज है धीमी लेकिन पैनी… और इतनी गहरी कि लाख कोशिशों के बावजूद इसे अनसुना नहीं किया जा सकता।
चमक के पीछे छुपा है एक घना अंधेरा
भारत, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है, उसकी चमक के पीछे एक अंधेरा सच छुपा हुआ है। वह सच यह है कि इस देश की दौलत का बड़ा हिस्सा कुछ गिने-चुने लोगों की मुट्ठी में कैद है। वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट 2026 के अनुसार भारत में अमीरी और गरीबी की खाई सिर्फ बढ़ी नहीं है बल्कि अब यह उस मोड़ पर पहुंच चुकी है जहां आगे का हर कदम करोड़ों लोगों की जिंदगी तय करेगा। देश के शीर्ष 10% लोग राष्ट्रीय आय का लगभग 58% और कुल संपत्ति का करीब 65% हिस्सा अपने पास रखते हैं जबकि आधे से अधिक भारत यानी नीचे के 50% लोगों के पास सिर्फ 6.4% संपत्ति बचती है। यह अंतर केवल आंकड़ा नहीं है बल्कि उस कड़वी हकीकत का आईना है जिसमें बहुत से लोग हर रोज जीने का संघर्ष करते दिखाई देते हैं।
विकास होने के बावजूद सबको क्यों नहीं बराबर का हक?
वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट 2026 के मुताबिक, भारत के सिर्फ 1% सबसे अमीर लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 40.1% तक हिस्सा है जो पिछले एक सदी में सबसे अधिक है। 1922 में जब ब्रिटिश सरकार ने पहली बार आय के रिकॉर्ड रखने शुरू किए थे तब से लेकर आज तक ऐसा असंतुलन कभी नहीं देखा गया। यह तस्वीर यह साफ कर देती है कि उदारीकरण के बाद से भारत में विकास तो हुआ है लेकिन वह विकास सभी तक बराबर नहीं पहुंचा। बल्कि अमीर और अधिक अमीर होते चले गए और गरीब अपनी जगह से उठ ही नहीं पाए।
महिलाओं की स्थिति जस की तस
इस रिपोर्ट का सबसे दुखद पहलू यह है कि महिलाओं की स्थिति इन वर्षों में लगभग जस की तस बनी हुई है। देश में महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी केवल 15.7% पर अटकी पड़ी है और दस सालों में इसमें कोई ठोस सुधार नहीं आया। यह दिखाता है कि असमानता सिर्फ आय या संपत्ति तक सीमित नहीं है बल्कि जेंडर के स्तर तक गहराई में जमी हुई है। भारत का सामाजिक ढांचा जैसे दो हिस्सों में बंट चुका है। एक तरफ वह हिस्सा है जो हर सुविधा का आनंद ले रहा है और दूसरी तरफ वो लोग जो अपनी मूल जरूरतों को भी पूरी करने में कई परेशानियों का सामना कर रहे हैं।
कैसे निपटा जा सकता है?
रिपोर्ट में इससे निपटने के लिए बड़े कदम सुझाए गए हैं जैसे 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति पर वार्षिक संपत्ति कर, बेहद अमीर लोगों पर सुपर टैक्स और 33% विरासत कर ताकि स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण में निवेश के लिए जरूरी राजस्व पैदा किया जा सके। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह खाई आने वाले दशक में और गहरी हो जाएगी जिसके परिणाम भारत के भविष्य पर सीधा असर डालेंगे।
आर्थिक असमानता सिर्फ एक रिपोर्ट का शब्द नहीं है बल्कि यह उन करोड़ों लोगों की कहानी है जिनकी आवाज शायद उतनी तेज नहीं है लेकिन दर्द एक कड़वा सच है। यह वह आवाज है जो अगर हमने आज भी नहीं सुनी तो आने वाले सालों में यह खाई सिर्फ आंकड़ों में नहीं बल्कि हमारे समाज के हर कोने में दिखाई देगी।












