Tuesday, 18 February 2025

Sony-Zee Merger हो सकता है रद्द, सोनी इस डील से हाथ खींचने के मूड में

Sony-Zee Merger: देश की 2 बड़ी कंपनियों जी और सोनी के बीच 10 बिलियन डॉलर का मर्जर रद्द हो सकता…

Sony-Zee Merger हो सकता है रद्द, सोनी इस डील से हाथ खींचने के मूड में

Sony-Zee Merger: देश की 2 बड़ी कंपनियों जी और सोनी के बीच 10 बिलियन डॉलर का मर्जर रद्द हो सकता है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रस्तावित मर्जर से सोनी कंपनी अब हटने की योजना बना रही है। बताया जा रहा है कि 20 जनवरी के पहले सोनी की ओर से जी एंटरटेनमेंट को टर्मिनेशन नोटिस भेज सकता है। इस निर्णय का कारण सीईओ के पद को लेकर दोनों के बीच का विवाद है।

Sony-Zee Merger की डेट पहले ही बढ़ाई जा चुकी है

दोनों कंपनियों के बीच इस डील को 21 दिसंबर 2023 तक पूरा होना था, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। एग्रीमेंट के मुताबिक 3 बार एक्सटेंशन लिया जा सकता है। जी ने इसके बाद एक्सटेंशन की मांग की थी, जिसके बाद सोनी विलय की तारीख को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हो गया। दोनों कंपनियों के बीच मुख्य विवाद इस बात को लेकर है कि नई कंपनी को लीड कौन करेगा?

2021 में दोनों कंपनियों के बीच मर्जर को लेकर हुए एग्रीमेंट के मुताबिक पुनीत गोयनका को नई कंपनी का नेतृत्व करना था। लेकिन पुनीत गोयनका सेबी के एक आदेश के कारण एक कानूनी लड़ाई में फंस गए। इसलिए सोनी एंटरटेनमेंट अब नियामक जांच के बीच उन्हें सीईओ के रूप में नहीं देखना चाहता है। अब पता चला है कि सोनी ने इस डील को क्लोज करने के लिए 20 जनवरी की टाइम लाइन की समाप्ति से पहले नोटिस दाखिल करने की योजना बनाई है। इसमें कहा गया है कि विलय के लिए आवश्यक कुछ शर्तों को पूरा नहीं किया गया है।

वहीं बताया जा रहा है कि पुनीत गोयनका पिछले कुछ हफ्तों में हुई कई मीटिंग के दौरान, विलय की गई इकाई का नेतृत्व करने की अपनी इच्छा पर कायम हैं, जिसे लेकर एग्रीमेंट में शुरुआत में सहमति बनी थी। हालांकि दोनों पक्षों के बीच अभी भी चर्चा जारी है और समय सीमा से पहले कोई समाधान निकल भी सकता है।

जी के क्रेडिटर्स में भी नहीं थी सहमति, Sony-Zee Merger

इस मर्जर को एस्सेल ग्रुप के क्रेडिटर्स के कारण भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें एक्सिस फाइनेंस, जेसी फ्लॉवर्स एसेट्स रीकंस्ट्रक्शन कंपनी, आईडीबीआई बैंक लिमिटेड, आईडीबीआई ट्रस्टीशिप औरआईमैक्स कार्पोरेशन शामिल हैं। क्योंकि इस मर्जर में विवाद का मुख्य मुद्दा नॉन कंपीट क्लॉज था।

इसमें कहा गया है कि एस्सेल ग्रुप की कंपनी एस्सेल मॉरीशस को सोनी ग्रुप की कंपनी SPE मॉरीशस से नॉन कंपीट फीस के रूप में 1,100 करोड़ रुपये मिलेंगे, जिसके बदले में सुभाष चंद्रा बनने वाली नई इकाई के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करने पर सहमत होंगे।

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