उत्तर प्रदेश के इस शहर में है माता वैष्णो शक्तिपीठ धाम : चमत्कार, आस्था और विश्वास का केंद्र

चमत्कारिक इतिहास
मंदिर की स्थापना 2001 की एक चमत्कारिक घटना से जुड़ी है। उस वर्ष सोनभद्र में एक कारोबारी का सड़क हादसा हुआ, जिसमें उनकी कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। सभी को लगा कि वे सुरक्षित नहीं बचेंगे, लेकिन घंटों बाद वे बिना किसी चोट के बाहर निकल आए। लोगों ने इसे मां वैष्णो का आशीर्वाद माना और उसी स्थान पर मंदिर निर्माण का संकल्प लिया गया।मंदिर की भव्यता और विशेषताएँ
* तीन मंजिला धाम: ऊंचाई 115 फीट * पहली मंजिल: मां महालक्ष्मी का दरबार * दूसरी मंजिल: मां नवदुर्गा की प्रतिमा * तीसरी मंजिल: मां वैष्णो देवी की पिंडी * मंदिर परिसर में भगवान शिव, हनुमान, भैरव बाबा, गायत्री और ब्रह्मा जी की प्रतिमाएं * प्राकृतिक गुफाओं में प्रवेश का अनुभव, जंगल जैसी रहस्यमयी छवि और मूर्तियों के माध्यम से भक्तों को भक्ति और रोमांच दोनों का अनुभव प्राप्त होता है।अखंड ज्योति और आस्था
अखंड ज्योति जम्मू से लाई गई और पिछले 22 सालों से निरंतर जल रही है । इस मंदिर में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए धर्मशाला और प्रेक्षागृह भी बना हुआ है। पूरे परिसर में सीसीटीवी सुरक्षा व्यवस्था मौजूद है। नवरात्र के दौरान हजारों श्रद्धालु, प्रसाद वितरण और जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि सच्चे मन से मां वैष्णो से की गई प्रार्थना पूरी होती है। यही कारण है कि सोनभद्र का यह शक्तिपीठ आज देश-विदेश के लाखों भक्तों के लिए भक्ति और विश्वास का जीवंत प्रतीक बन चुका है। UP News :अगली खबर पढ़ें
चमत्कारिक इतिहास
मंदिर की स्थापना 2001 की एक चमत्कारिक घटना से जुड़ी है। उस वर्ष सोनभद्र में एक कारोबारी का सड़क हादसा हुआ, जिसमें उनकी कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। सभी को लगा कि वे सुरक्षित नहीं बचेंगे, लेकिन घंटों बाद वे बिना किसी चोट के बाहर निकल आए। लोगों ने इसे मां वैष्णो का आशीर्वाद माना और उसी स्थान पर मंदिर निर्माण का संकल्प लिया गया।मंदिर की भव्यता और विशेषताएँ
* तीन मंजिला धाम: ऊंचाई 115 फीट * पहली मंजिल: मां महालक्ष्मी का दरबार * दूसरी मंजिल: मां नवदुर्गा की प्रतिमा * तीसरी मंजिल: मां वैष्णो देवी की पिंडी * मंदिर परिसर में भगवान शिव, हनुमान, भैरव बाबा, गायत्री और ब्रह्मा जी की प्रतिमाएं * प्राकृतिक गुफाओं में प्रवेश का अनुभव, जंगल जैसी रहस्यमयी छवि और मूर्तियों के माध्यम से भक्तों को भक्ति और रोमांच दोनों का अनुभव प्राप्त होता है।अखंड ज्योति और आस्था
अखंड ज्योति जम्मू से लाई गई और पिछले 22 सालों से निरंतर जल रही है । इस मंदिर में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए धर्मशाला और प्रेक्षागृह भी बना हुआ है। पूरे परिसर में सीसीटीवी सुरक्षा व्यवस्था मौजूद है। नवरात्र के दौरान हजारों श्रद्धालु, प्रसाद वितरण और जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि सच्चे मन से मां वैष्णो से की गई प्रार्थना पूरी होती है। यही कारण है कि सोनभद्र का यह शक्तिपीठ आज देश-विदेश के लाखों भक्तों के लिए भक्ति और विश्वास का जीवंत प्रतीक बन चुका है। UP News :संबंधित खबरें
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