उत्तर प्रदेश के इस शहर में है माता वैष्णो शक्तिपीठ धाम : चमत्कार, आस्था और विश्वास का केंद्र

उत्तर प्रदेश के इस शहर में है माता वैष्णो शक्तिपीठ धाम : चमत्कार, आस्था और विश्वास का केंद्र
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 05:12 AM
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शारदीय नवरात्र के पहले दिन उत्तर प्रदेश के सोनभद्र के डाला स्थित माता वैष्णो शक्तिपीठ धाम में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। उत्तर प्रदेश में यहां पर मान्यता है कि मां वैष्णो रानी यहां आने वाले हर भक्त की झोली खाली नहीं लौटातीं। यही वजह है कि यह मंदिर केवल उत्तर प्रदेश या बिहार-झारखंड तक सीमित नहीं, बल्कि देश के कोने-कोने और विदेशों से श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है। UP News :

चमत्कारिक इतिहास

मंदिर की स्थापना 2001 की एक चमत्कारिक घटना से जुड़ी है। उस वर्ष सोनभद्र में एक कारोबारी का सड़क हादसा हुआ, जिसमें उनकी कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। सभी को लगा कि वे सुरक्षित नहीं बचेंगे, लेकिन घंटों बाद वे बिना किसी चोट के बाहर निकल आए। लोगों ने इसे मां वैष्णो का आशीर्वाद माना और उसी स्थान पर मंदिर निर्माण का संकल्प लिया गया।

मंदिर की भव्यता और विशेषताएँ

* तीन मंजिला धाम: ऊंचाई 115 फीट * पहली मंजिल: मां महालक्ष्मी का दरबार * दूसरी मंजिल: मां नवदुर्गा की प्रतिमा * तीसरी मंजिल: मां वैष्णो देवी की पिंडी * मंदिर परिसर में भगवान शिव, हनुमान, भैरव बाबा, गायत्री और ब्रह्मा जी की प्रतिमाएं * प्राकृतिक गुफाओं में प्रवेश का अनुभव, जंगल जैसी रहस्यमयी छवि और मूर्तियों के माध्यम से भक्तों को भक्ति और रोमांच दोनों का अनुभव प्राप्त होता है।

अखंड ज्योति और आस्था

अखंड ज्योति जम्मू से लाई गई और पिछले 22 सालों से निरंतर जल रही है । इस मंदिर में श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए धर्मशाला और प्रेक्षागृह भी बना हुआ है। पूरे परिसर में सीसीटीवी सुरक्षा व्यवस्था मौजूद है। नवरात्र के दौरान हजारों श्रद्धालु, प्रसाद वितरण और जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि सच्चे मन से मां वैष्णो से की गई प्रार्थना पूरी होती है। यही कारण है कि सोनभद्र का यह शक्तिपीठ आज देश-विदेश के लाखों भक्तों के लिए भक्ति और विश्वास का जीवंत प्रतीक बन चुका है। UP News :
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उत्तर प्रदेश में जाति आधारित प्रदर्शन बैन, अखिलेश यादव ने उठाए सवाल

उत्तर प्रदेश में जाति आधारित प्रदर्शन बैन, अखिलेश यादव ने उठाए सवाल
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userचेतना मंच
calendar22 Sep 2025 05:15 PM
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उत्तर प्रदेश सरकार ने जाति आधारित राजनीतिक रैलियों और सार्वजनिक जातिगत प्रदर्शन पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। इस फैसले के बाद समाजवादी पार्टी प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तीखा विरोध जताया है और सवाल उठाए हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि हजारों सालों से चले आ रहे जातिगत भेदभाव को कैसे दूर किया जाएगा। UP News :

अखिलेश यादव का पलटवार

अखिलेश यादव ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट शेयर करते हुए कई सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि 5000 सालों से मन में बसे जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे? वस्त्र, वेशभूषा और प्रतीक चिन्हों के माध्यम से जाति-प्रदर्शन से उपजे भेदभाव को कैसे मिटाया जाएगा? किसी के मिलने पर नाम से पहले जाति पूछने जैसी मानसिकता को खत्म करने के लिए क्या किया जाएगा? झूठे और अपमानजनक आरोप लगाकर किसी को बदनाम करने जैसी जातिगत सोच को समाप्त करने के उपाय क्या होंगे? अखिलेश यादव ने सरकार के आदेश को सिर्फ़ रोक लगाने तक सीमित बताते हुए इसे मूल समस्या का समाधान न देने वाला करार दिया।

यूपी सरकार का आदेश

* कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार ने यह आदेश जारी किया है। * राज्य भर के जिलाधिकारियों, वरिष्ठ नौकरशाहों और पुलिस अधिकारियों को दिया गया निर्देश। * जाति आधारित राजनीतिक रैलियों और सार्वजनिक प्रदर्शन पर रोक * पुलिस दस्तावेजों में जाति विवरण केवल आवश्यक मामलों में दर्ज हो (जैसे एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम) * सोशल मीडिया और सार्वजनिक स्थानों पर जातिगत संकेतों पर निगरानी सरकार का तर्क है कि जाति आधारित रैलियां सामाजिक संघर्ष और राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा हैं।

अदालत का निर्देश

यह आदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट के 16 सितंबर के फैसले पर आधारित है। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि पुलिस दस्तावेजों में जाति का उल्लेख केवल कानूनी रूप से आवश्यक मामलों में हो और सामान्य मामलों में इसे हटा दिया जाए। यूपी सरकार का यह आदेश राजनीतिक पार्टियों के लिए बड़े झटके की तरह है। सपा, बसपा, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, निषाद पार्टी, अपना दल पार्टियां इसका शिकार बनेंगी। इन पार्टियों ने चुनाव से पहले जाति-आधारित जनसभाएं आयोजित कर अपने आधार को मजबूत किया है। UP News
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उत्तर प्रदेश में जाति आधारित रैलियों पर बैन, योगी सरकार का सख्त आदेश

उत्तर प्रदेश में जाति आधारित रैलियों पर बैन, योगी सरकार का सख्त आदेश
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userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:40 AM
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उत्तर प्रदेश सरकार ने जाति आधारित राजनीतिक रैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार का यह फैसला इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद लिया गया, जिसमें राज्य में जातिगत संघर्ष और सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई थी। जाति आधारित रैलियों पर पाबंदी लगाने के उत्तर प्रदेश सरकार के इस निर्णय से न केवल प्रदेश में बल्कि पूरे देश में एक बेहतरीन संदेश जाएगा। उत्तर प्रदेश में लागू ये आदेश अगर पूरे देश में लागू कर दिया जाए तो लोगों के बीच बढ़ रही वैमनस्यता कम या समाप्त हो सकती है। UP News :

आदेश का विवरण

* जारी किया: कार्यवाहक मुख्य सचिव दीपक कुमार * लागू होगा : राज्य के सभी जिले में * जाति आधारित राजनीतिक रैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध * सोशल मीडिया पर जातिगत प्रचार और संदेशों पर निगरानी * एफआईआर, गिरफ्तारी मेमो आदि से जाति का उल्लेख हटाकर माता-पिता का नाम शामिल किया जाएगा * थानों, वाहनों और साइनबोर्ड्स से जाति-सूचक नारे और संकेत हटाए जाएंगे

राजनीतिक प्रभाव

यह आदेश जाति आधारित राजनीति करने वाली पार्टियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। इसका असर निषाद पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, अपना दल जैसी पार्टियों पर पड़ सकता है। खासकर 2027 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए ये कदम पार्टियों के जाति-आधारित प्रचार अभियान पर प्रभाव डाल सकता है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का निर्देश

* निजी और सार्वजनिक वाहनों पर जाति-आधारित नारे और चिह्नों पर स्पष्ट प्रतिबंध * सोशल मीडिया पर जाति-प्रशंसा और घृणा फैलाने वाली सामग्री की पहचान और कार्रवाई * सभी पुलिस स्टेशनों पर आरोपी के नाम के सामने मौजूद जाति कॉलम को हटाने का निर्देश उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि जाति आधारित रैलियां सामाजिक संघर्ष और राष्ट्रीय एकता के लिए खतरा हैं। आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए पुलिस नियमावली में भी आवश्यक संशोधन किए जाएंगे। UP News