मायावती की रैली से पहले आजम-अखिलेश की मुलाकात क्यों है खास?

उत्तर प्रदेश की राजनीति में फिर से हलचल तेज हो गई है। 23 महीने की जेल की सजा काटने के बाद सीतापुर से रिहा हुए आज़म खान अब सियासी मैदान में लौट आए हैं। इसी बीच, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव 8 अक्टूबर को रामपुर पहुंचकर उनसे मुलाकात करेंगे। खास बात यह है कि यह मुलाकात बसपा प्रमुख मायावती की लखनऊ रैली से ठीक एक दिन पहले होने जा रही है, जिससे राजनीतिक हलचल और भी बढ़ गई है। UP News
सपा के वरिष्ठ और मुस्लिम समुदाय में प्रभावशाली नेता आज़म खान की रिहाई पर किसी बड़े सपा नेता ने उनका स्वागत नहीं किया था, जिसे लेकर आज़म खान ने नाराज़गी भी जताई थी। इसी नाराज़गी और राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए अखिलेश यादव ने खुद कदम बढ़ाते हुए रामपुर में आज़म से मिलने का कार्यक्रम तय किया है। मुलाकात 8 अक्टूबर को होगी और राजनीतिक जानकार इसे बेहद अहम मान रहे हैं। UP News
जेल से रिहाई और सपा का पहला संदेश
लखनऊ और सीतापुर के बीच की दूरी सिर्फ 88 किलोमीटर है, लेकिन इस छोटा सा फ़ासला आज़म खान और सपा के बीच 23 महीने तक की दूरी जैसा महसूस हुआ। जेल में बंद रहते हुए आज़म से मिलने केवल एक ही बार अखिलेश यादव पहुंचे थे। मंगलवार को जब आज़म खान जेल से बाहर निकले, तो कोई बड़ा सपा नेता उनका स्वागत करने नहीं पहुंचा। इस पर आज़म खान ने मीडिया के सामने नाराज़गी जाहिर की और कहा कि “अगर मैं बड़ा नेता होता तो रिसीव करने कोई बड़ा नेता आता, छोटे नेताओं के लिए कोई नहीं आया। UP News
हालाँकि, बुधवार की शाम तक सूरज ढलते-ढलते अखिलेश ने रामपुर जाकर मुलाकात को फाइनल कर दिया। 8 अक्टूबर की सुबह अखिलेश अमौसी एयरपोर्ट से बरेली के लिए उड़ान भरेंगे और वहां से सीधे सड़क मार्ग से रामपुर पहुंचेंगे। आज़म खान के साथ लगभग एक घंटे तक बातचीत करने के बाद वे लखनऊ लौटेंगे। राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि यह एक घंटे की मुलाकात सपा की मुस्लिम सियासत को मजबूत करने और पार्टी की रणनीति को नया मोड़ देने में अहम साबित हो सकती है। UP News
मुलाकात कैसे फाइनल हुई
मुलाकात से पहले अखिलेश यादव ने आज़म खान के मूड को भांपने की रणनीति अपनाई। जेल में रहते हुए आज़म ने कई सपा नेताओं से मिलने से मना कर दिया था, इसलिए अखिलेश पहले उनकी मानसिक स्थिति समझना चाहते थे और फिर आगे कोई कदम उठाने का फैसला किया। रिहाई के बाद मंगलवार को आज़म खान ने अखिलेश का नाम सुनकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन बुधवार को उनका तेवर नरम नजर आया। अखिलेश का नाम सुनते ही आज़म ने कहा कि “वे बड़े नेता हैं, अगर मेरे बारे में कुछ कहते हैं तो उनका बड़प्पन है। वे नेताजी की औलाद हैं और हमें उतने ही प्रिय हैं जितने वे रहे होंगे। हम उनसे उतनी ही मोहब्बत करते हैं, उनका भला चाहते हैं और उनकी सरकार चाहते हैं।”
खान के नरम तेवर देख अखिलेश ने उनसे मिलने का कार्यक्रम तय कर लिया। यह निर्णय दोनों नेताओं के बीच एक महिला विधायक की फोन बातचीत के बाद अंतिम रूप में आया। सूत्रों के मुताबिक, फोन पर हुई यह लंबी बातचीत मुलाकात के रास्ते को साफ़ कर गई। बसपा में शामिल होने के सवाल पर आज़म खान ने स्पष्ट किया कि “हमारे पास चरित्र है। इसका मतलब पद या ओहदा नहीं, बल्कि यह कि लोग हमें प्यार करें, इज़्ज़त दें और यह साबित हो कि हम बिकाऊ नहीं हैं।” इस बयान से साफ़ हो गया कि आज़म खान किसी भी हालत में सपा छोड़ने वाले नहीं हैं, और यही कारण है कि अखिलेश ने रामपुर जाकर उन्हें मिलने का फैसला किया।
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आज़म की नाराजगी और सियासी संदेश
अखिलेश यादव की 8 अक्टूबर को आज़म खान से होने वाली मुलाकात उत्तर प्रदेश की राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। आज़म खान और उनका परिवार पहले सपा प्रमुख से नाराज़ बताए जा रहे थे, क्योंकि उनके संघर्ष के दौरान पार्टी ने उन्हें अकेला छोड़ दिया था। पिछले 23 महीनों तक जेल में बंद रहने के दौरान आज़म के खिलाफ करीब 104 मुकदमे दर्ज हुए, और इस समय में सपा ने उनकी रिहाई के लिए कोई पहल नहीं की। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी आज़म खान को पार्टी में वह अहमियत नहीं दी गई, जिसकी उम्मीद थी, और उनके करीबी नेताओं को भी टिकट नहीं मिला। रामपुर सीट पर उनकी मर्जी के खिलाफ प्रत्याशी उतारना आज़म के लिए बड़ा झटका था।
मुरादाबाद के पूर्व सांसद एचटी हसन को लेकर उन्होंने जेल से बाहर आकर कहा कि “जब मैं रामपुर में अपने किसी आदमी को टिकट नहीं दिला पाया, तो किसी और का टिकट कैसे कटवा सकता था।” आज़म खान की नाराज़गी सपा के लिए राजनीतिक चुनौती बन सकती थी। वे पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम नेता हैं और उनके साथ संबंध मजबूत रखना सपा के लिए वोट बैंक की स्थिरता के लिहाज से अहम है। इसी कारण अखिलेश यादव 23 महीने बाद सीधे रामपुर जाकर आज़म खान से मिलने वाले हैं। इस मुलाकात के जरिए सपा न केवल व्यक्तिगत संबंधों को मज़बूत करना चाहती है, बल्कि आज़म खान और उनके समर्थकों के बीच पार्टी की स्थिति स्पष्ट करने का भी संदेश देना चाहती है।
मायावती की रैली और सपा की रणनीति
अखिलेश यादव ने बसपा की लखनऊ रैली से ठीक एक दिन पहले, 8 अक्टूबर को आज़म खान से मुलाकात का कार्यक्रम तय किया है। यह कदम साफ़ संदेश देता है कि सपा आज़म खान के बसपा में शामिल होने की अटकलों को समाप्त करना चाहती है और पार्टी के सियासी समीकरणों को मजबूत रखना चाहती है। हालांकि, आज़म खान ने इस मामले में सियासी अटकलों का लगभग खंडन कर दिया है। मायावती 9 अक्टूबर को कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर लखनऊ में मिशन-2027 की बड़ी रैली करने जा रही हैं, जिसमें कई नेता बसपा का दामन थाम सकते हैं। UP News
ऐसे में अखिलेश का रामपुर जाना इस बात का प्रतीक है कि सपा आज़म खान के राजनीतिक क्षेत्र में किसी भी तरह की सेंधबाज़ी बर्दाश्त नहीं करना चाहती। 8 अक्टूबर को होने वाली यह मुलाकात केवल व्यक्तिगत रिश्तों को सुदृढ़ करने तक सीमित नहीं है, बल्कि सियासी संदेश और रणनीति का भी हिस्सा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सपा की यह सक्रियता मुस्लिम वोट बैंक को जोड़कर रखने और आज़म खान से जुड़ी राजनीतिक अटकलों को समाप्त करने की साफ़ रणनीति का हिस्सा है। UP News
उत्तर प्रदेश की राजनीति में फिर से हलचल तेज हो गई है। 23 महीने की जेल की सजा काटने के बाद सीतापुर से रिहा हुए आज़म खान अब सियासी मैदान में लौट आए हैं। इसी बीच, समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव 8 अक्टूबर को रामपुर पहुंचकर उनसे मुलाकात करेंगे। खास बात यह है कि यह मुलाकात बसपा प्रमुख मायावती की लखनऊ रैली से ठीक एक दिन पहले होने जा रही है, जिससे राजनीतिक हलचल और भी बढ़ गई है। UP News
सपा के वरिष्ठ और मुस्लिम समुदाय में प्रभावशाली नेता आज़म खान की रिहाई पर किसी बड़े सपा नेता ने उनका स्वागत नहीं किया था, जिसे लेकर आज़म खान ने नाराज़गी भी जताई थी। इसी नाराज़गी और राजनीतिक समीकरणों को देखते हुए अखिलेश यादव ने खुद कदम बढ़ाते हुए रामपुर में आज़म से मिलने का कार्यक्रम तय किया है। मुलाकात 8 अक्टूबर को होगी और राजनीतिक जानकार इसे बेहद अहम मान रहे हैं। UP News
जेल से रिहाई और सपा का पहला संदेश
लखनऊ और सीतापुर के बीच की दूरी सिर्फ 88 किलोमीटर है, लेकिन इस छोटा सा फ़ासला आज़म खान और सपा के बीच 23 महीने तक की दूरी जैसा महसूस हुआ। जेल में बंद रहते हुए आज़म से मिलने केवल एक ही बार अखिलेश यादव पहुंचे थे। मंगलवार को जब आज़म खान जेल से बाहर निकले, तो कोई बड़ा सपा नेता उनका स्वागत करने नहीं पहुंचा। इस पर आज़म खान ने मीडिया के सामने नाराज़गी जाहिर की और कहा कि “अगर मैं बड़ा नेता होता तो रिसीव करने कोई बड़ा नेता आता, छोटे नेताओं के लिए कोई नहीं आया। UP News
हालाँकि, बुधवार की शाम तक सूरज ढलते-ढलते अखिलेश ने रामपुर जाकर मुलाकात को फाइनल कर दिया। 8 अक्टूबर की सुबह अखिलेश अमौसी एयरपोर्ट से बरेली के लिए उड़ान भरेंगे और वहां से सीधे सड़क मार्ग से रामपुर पहुंचेंगे। आज़म खान के साथ लगभग एक घंटे तक बातचीत करने के बाद वे लखनऊ लौटेंगे। राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि यह एक घंटे की मुलाकात सपा की मुस्लिम सियासत को मजबूत करने और पार्टी की रणनीति को नया मोड़ देने में अहम साबित हो सकती है। UP News
मुलाकात कैसे फाइनल हुई
मुलाकात से पहले अखिलेश यादव ने आज़म खान के मूड को भांपने की रणनीति अपनाई। जेल में रहते हुए आज़म ने कई सपा नेताओं से मिलने से मना कर दिया था, इसलिए अखिलेश पहले उनकी मानसिक स्थिति समझना चाहते थे और फिर आगे कोई कदम उठाने का फैसला किया। रिहाई के बाद मंगलवार को आज़म खान ने अखिलेश का नाम सुनकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन बुधवार को उनका तेवर नरम नजर आया। अखिलेश का नाम सुनते ही आज़म ने कहा कि “वे बड़े नेता हैं, अगर मेरे बारे में कुछ कहते हैं तो उनका बड़प्पन है। वे नेताजी की औलाद हैं और हमें उतने ही प्रिय हैं जितने वे रहे होंगे। हम उनसे उतनी ही मोहब्बत करते हैं, उनका भला चाहते हैं और उनकी सरकार चाहते हैं।”
खान के नरम तेवर देख अखिलेश ने उनसे मिलने का कार्यक्रम तय कर लिया। यह निर्णय दोनों नेताओं के बीच एक महिला विधायक की फोन बातचीत के बाद अंतिम रूप में आया। सूत्रों के मुताबिक, फोन पर हुई यह लंबी बातचीत मुलाकात के रास्ते को साफ़ कर गई। बसपा में शामिल होने के सवाल पर आज़म खान ने स्पष्ट किया कि “हमारे पास चरित्र है। इसका मतलब पद या ओहदा नहीं, बल्कि यह कि लोग हमें प्यार करें, इज़्ज़त दें और यह साबित हो कि हम बिकाऊ नहीं हैं।” इस बयान से साफ़ हो गया कि आज़म खान किसी भी हालत में सपा छोड़ने वाले नहीं हैं, और यही कारण है कि अखिलेश ने रामपुर जाकर उन्हें मिलने का फैसला किया।
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आज़म की नाराजगी और सियासी संदेश
अखिलेश यादव की 8 अक्टूबर को आज़म खान से होने वाली मुलाकात उत्तर प्रदेश की राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। आज़म खान और उनका परिवार पहले सपा प्रमुख से नाराज़ बताए जा रहे थे, क्योंकि उनके संघर्ष के दौरान पार्टी ने उन्हें अकेला छोड़ दिया था। पिछले 23 महीनों तक जेल में बंद रहने के दौरान आज़म के खिलाफ करीब 104 मुकदमे दर्ज हुए, और इस समय में सपा ने उनकी रिहाई के लिए कोई पहल नहीं की। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी आज़म खान को पार्टी में वह अहमियत नहीं दी गई, जिसकी उम्मीद थी, और उनके करीबी नेताओं को भी टिकट नहीं मिला। रामपुर सीट पर उनकी मर्जी के खिलाफ प्रत्याशी उतारना आज़म के लिए बड़ा झटका था।
मुरादाबाद के पूर्व सांसद एचटी हसन को लेकर उन्होंने जेल से बाहर आकर कहा कि “जब मैं रामपुर में अपने किसी आदमी को टिकट नहीं दिला पाया, तो किसी और का टिकट कैसे कटवा सकता था।” आज़म खान की नाराज़गी सपा के लिए राजनीतिक चुनौती बन सकती थी। वे पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम नेता हैं और उनके साथ संबंध मजबूत रखना सपा के लिए वोट बैंक की स्थिरता के लिहाज से अहम है। इसी कारण अखिलेश यादव 23 महीने बाद सीधे रामपुर जाकर आज़म खान से मिलने वाले हैं। इस मुलाकात के जरिए सपा न केवल व्यक्तिगत संबंधों को मज़बूत करना चाहती है, बल्कि आज़म खान और उनके समर्थकों के बीच पार्टी की स्थिति स्पष्ट करने का भी संदेश देना चाहती है।
मायावती की रैली और सपा की रणनीति
अखिलेश यादव ने बसपा की लखनऊ रैली से ठीक एक दिन पहले, 8 अक्टूबर को आज़म खान से मुलाकात का कार्यक्रम तय किया है। यह कदम साफ़ संदेश देता है कि सपा आज़म खान के बसपा में शामिल होने की अटकलों को समाप्त करना चाहती है और पार्टी के सियासी समीकरणों को मजबूत रखना चाहती है। हालांकि, आज़म खान ने इस मामले में सियासी अटकलों का लगभग खंडन कर दिया है। मायावती 9 अक्टूबर को कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर लखनऊ में मिशन-2027 की बड़ी रैली करने जा रही हैं, जिसमें कई नेता बसपा का दामन थाम सकते हैं। UP News
ऐसे में अखिलेश का रामपुर जाना इस बात का प्रतीक है कि सपा आज़म खान के राजनीतिक क्षेत्र में किसी भी तरह की सेंधबाज़ी बर्दाश्त नहीं करना चाहती। 8 अक्टूबर को होने वाली यह मुलाकात केवल व्यक्तिगत रिश्तों को सुदृढ़ करने तक सीमित नहीं है, बल्कि सियासी संदेश और रणनीति का भी हिस्सा है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सपा की यह सक्रियता मुस्लिम वोट बैंक को जोड़कर रखने और आज़म खान से जुड़ी राजनीतिक अटकलों को समाप्त करने की साफ़ रणनीति का हिस्सा है। UP News







