बड़ी खबर : उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अखबार पढ़ना हुआ जरूरी
आदेश के अनुसार स्कूलों में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं के अख़बार उपलब्ध कराए जाएंगे और अखबार पठन को स्कूल की रोजमर्रा की शैक्षणिक गतिविधियों का अभिन्न हिस्सा बनाया जाएगा ताकि उत्तर प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई सिर्फ पाठ्यपुस्तकों तक सीमित न रहे, बल्कि जागरूकता और समझ का विस्तार भी करे।

UP News : उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की पढ़ाई को नई दिशा देने की तैयारी है। बच्चों को मोबाइल और स्क्रीन की लत से बाहर निकालकर अखबार की आदत से जोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक प्रभावी शैक्षणिक पहल शुरू की है। इसके तहत अब उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों के लिए रोज़ाना अखबार पढ़ना अनिवार्य किया गया है। उद्देश्य साफ है पठन-संस्कृति को मजबूत करना, बच्चों की सोच को तर्कसंगत और आलोचनात्मक बनाना तथा उन्हें समसामयिक घटनाओं से जोड़ना। इस संबंध में बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने 23 दिसंबर को आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार स्कूलों में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं के अख़बार उपलब्ध कराए जाएंगे और अखबार पठन को स्कूल की रोजमर्रा की शैक्षणिक गतिविधियों का अभिन्न हिस्सा बनाया जाएगा ताकि उत्तर प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई सिर्फ पाठ्यपुस्तकों तक सीमित न रहे, बल्कि जागरूकता और समझ का विस्तार भी करे।
प्रार्थना सभा में तय हुआ “न्यूज़ रीडिंग स्लॉट”
आदेश के अनुसार उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब सुबह की प्रार्थना सभा के दौरान 10 मिनट ‘अख़बार पठन’ के लिए तय किए गए हैं। इस समय में छात्र रोटेशन के आधार पर अखबार से चयनित सामग्री(जैसे संपादकीय/विश्लेषणात्मक लेखों के प्रमुख बिंदु, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम, खेल जगत की खबरें और प्रेरक व सकारात्मक रिपोर्ट्स) पढ़कर सुनाएंगे । सरकार का कहना है कि यह अभ्यास बच्चों को केवल खबरें पढ़ने तक सीमित नहीं रखेगा, बल्कि उनकी समझ, बोलने-प्रस्तुति की क्षमता और आत्मविश्वास को भी निखारेगा ताकि उत्तर प्रदेश के छात्र रोजमर्रा के मुद्दों को समझकर विचार बनाना और उन्हें सही तरीके से व्यक्त करना सीखें।
भाषा और शब्दावली को मिलेगा लाभ
उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि सरकारी स्कूलों में हिंदी के साथ-साथ इंग्लिश अख़बार भी नियमित रूप से पढ़े जाएंगे। इससे बच्चों की भाषाई पकड़ मजबूत होने, शब्दावली समृद्ध होने और विचारों को साफ़-सुथरे ढंग से व्यक्त करने की क्षमता बढ़ने की उम्मीद जताई गई है। शिक्षा विभाग का मानना है कि रोज़ाना अख़बार के संपर्क में रहने से छात्र नए शब्द, सही वाक्य-रचना और तर्कपूर्ण भाषा सीखेंगे और यही अभ्यास आगे चलकर उनके लेखन कौशल को भी धार देगा। कुल मिलाकर, यह पहल उत्तर प्रदेश के छात्रों को पढ़ने के साथ समझने, सोचने और लिखने के स्तर पर भी अधिक सक्षम बनाने की दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है।
स्क्रीन टाइम घटाने पर फोकस
आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार ने माना है कि बच्चों का मोबाइल और डिजिटल स्क्रीन पर बढ़ता समय अब स्कूल-शिक्षा के लिए भी एक गंभीर चिंता बन गया है। इसी वजह से कक्षा के माहौल में फिजिकल अखबार को फिर से जगह देकर बच्चों को स्क्रीन से दूर, पढ़ने की आदत की ओर लौटाने की कोशिश की जा रही है। सरकार का तर्क है कि रोज़ाना अखबार पठन से बच्चों की एकाग्रता बढ़ेगी, ध्यान क्षमता मजबूत होगी, आंखों पर पड़ने वाला दबाव कम होगा और वे सूचनाओं को सिर्फ “देखने” नहीं, बल्कि समझकर गहराई से ग्रहण करने की आदत विकसित करेंगे। कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश में यह पहल स्क्रीन-टाइम के शोर के बीच बच्चों को “सोचने और समझने” की शांत, मजबूत दिशा देने का प्रयास मानी जा रही है।
करेंट अफेयर्स से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं तक तैयारी को मिलेगा आधार
उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग ने इस पहल को सिर्फ “अखबार पढ़ने” तक सीमित नहीं बताया, बल्कि इसके सीधे शैक्षणिक लाभ भी रेखांकित किए हैं। आदेश के मुताबिक, नियमित अख़बार पठन से छात्रों का सामान्य ज्ञान और करेंट अफेयर्स स्वाभाविक रूप से मजबूत होगा, उनकी भाषा-शैली निखरेगी और शब्द भंडार समृद्ध होगा। साथ ही, रोज़ाना खबरों और संपादकीय से जुड़ाव बच्चों के भीतर सोच-समझकर लिखने की क्षमता विकसित करेगा जो आगे चलकर निबंध, उत्तर-लेखन और अभिव्यक्ति में काम आएगी। विभाग का मानना है कि यह अभ्यास उत्तर प्रदेश के छात्रों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का भी मजबूत आधार बनेगा, क्योंकि करंट अफेयर्स और भाषा की पकड़ ही ऐसे परीक्षाई सफर की असली पूंजी होती है।
फेक न्यूज़ के दौर में “सही-गलत” पहचानने की ट्रेनिंग
अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा के हवाले से आदेश में कहा गया है कि अलग-अलग विषयों और विविध दृष्टिकोणों को नियमित रूप से पढ़ने से छात्रों की आलोचनात्मक सोच स्वाभाविक रूप से विकसित होती है। इससे वे किसी खबर को सिर्फ “मान” नहीं लेंगे, बल्कि उसके स्रोत, संदर्भ और तथ्य को परखना सीखेंगे यानी सही सूचना और गलत/भ्रामक जानकारी के बीच फर्क कर पाएंगे। शिक्षा विभाग ने इसे फेक न्यूज़ के मौजूदा दौर में बच्चों के लिए एक ज़रूरी लाइफ-स्किल बताया है। आदेश में यह भी रेखांकित किया गया है कि अख़बारों में छपने वाली स्थानीय खबरें, सामाजिक मुद्दे और मानव-रुचि (Human Interest) से जुड़ी रिपोर्टें छात्रों को अपने आसपास की दुनिया से जोड़ेगी और उत्तर प्रदेश के बच्चों में सामाजिक जिम्मेदारी, संवेदनशीलता और समाज को समझने की क्षमता को मजबूत करने में मदद करेगी।
सुडोकू-क्रॉसवर्ड भी पढ़ाई का हिस्सा
उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश में यह भी रेखांकित किया है कि अख़बारों में प्रकाशित सुडोकू, क्रॉसवर्ड और शब्द पहेलियां सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि बच्चों के लिए दिमागी कसरत का असरदार जरिया हैं। ऐसे कॉलम छात्रों की तार्किक सोच, विश्लेषण क्षमता और समस्या समाधान कौशल को मजबूत करते हैं। यही वजह है कि अख़बार पठन के साथ इन हिस्सों को भी शैक्षणिक रूप से उपयोगी माना गया है। आदेश में साफ कहा गया है कि यह व्यवस्था उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों के लिए अनिवार्य होगी, जबकि अन्य विद्यालय चाहें तो इस पहल को अपनाकर अपनी शैक्षणिक दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं ताकि पढ़ाई के साथ सोचने और समझने की आदत भी बराबरी से विकसित हो। UP News
UP News : उत्तर प्रदेश में सरकारी स्कूलों की पढ़ाई को नई दिशा देने की तैयारी है। बच्चों को मोबाइल और स्क्रीन की लत से बाहर निकालकर अखबार की आदत से जोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने एक प्रभावी शैक्षणिक पहल शुरू की है। इसके तहत अब उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी बेसिक और माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों के लिए रोज़ाना अखबार पढ़ना अनिवार्य किया गया है। उद्देश्य साफ है पठन-संस्कृति को मजबूत करना, बच्चों की सोच को तर्कसंगत और आलोचनात्मक बनाना तथा उन्हें समसामयिक घटनाओं से जोड़ना। इस संबंध में बेसिक व माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने 23 दिसंबर को आदेश जारी किया है। आदेश के अनुसार स्कूलों में हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं के अख़बार उपलब्ध कराए जाएंगे और अखबार पठन को स्कूल की रोजमर्रा की शैक्षणिक गतिविधियों का अभिन्न हिस्सा बनाया जाएगा ताकि उत्तर प्रदेश के स्कूलों में पढ़ाई सिर्फ पाठ्यपुस्तकों तक सीमित न रहे, बल्कि जागरूकता और समझ का विस्तार भी करे।
प्रार्थना सभा में तय हुआ “न्यूज़ रीडिंग स्लॉट”
आदेश के अनुसार उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब सुबह की प्रार्थना सभा के दौरान 10 मिनट ‘अख़बार पठन’ के लिए तय किए गए हैं। इस समय में छात्र रोटेशन के आधार पर अखबार से चयनित सामग्री(जैसे संपादकीय/विश्लेषणात्मक लेखों के प्रमुख बिंदु, राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम, खेल जगत की खबरें और प्रेरक व सकारात्मक रिपोर्ट्स) पढ़कर सुनाएंगे । सरकार का कहना है कि यह अभ्यास बच्चों को केवल खबरें पढ़ने तक सीमित नहीं रखेगा, बल्कि उनकी समझ, बोलने-प्रस्तुति की क्षमता और आत्मविश्वास को भी निखारेगा ताकि उत्तर प्रदेश के छात्र रोजमर्रा के मुद्दों को समझकर विचार बनाना और उन्हें सही तरीके से व्यक्त करना सीखें।
भाषा और शब्दावली को मिलेगा लाभ
उत्तर प्रदेश सरकार ने स्पष्ट किया है कि सरकारी स्कूलों में हिंदी के साथ-साथ इंग्लिश अख़बार भी नियमित रूप से पढ़े जाएंगे। इससे बच्चों की भाषाई पकड़ मजबूत होने, शब्दावली समृद्ध होने और विचारों को साफ़-सुथरे ढंग से व्यक्त करने की क्षमता बढ़ने की उम्मीद जताई गई है। शिक्षा विभाग का मानना है कि रोज़ाना अख़बार के संपर्क में रहने से छात्र नए शब्द, सही वाक्य-रचना और तर्कपूर्ण भाषा सीखेंगे और यही अभ्यास आगे चलकर उनके लेखन कौशल को भी धार देगा। कुल मिलाकर, यह पहल उत्तर प्रदेश के छात्रों को पढ़ने के साथ समझने, सोचने और लिखने के स्तर पर भी अधिक सक्षम बनाने की दिशा में एक ठोस कदम मानी जा रही है।
स्क्रीन टाइम घटाने पर फोकस
आदेश में उत्तर प्रदेश सरकार ने माना है कि बच्चों का मोबाइल और डिजिटल स्क्रीन पर बढ़ता समय अब स्कूल-शिक्षा के लिए भी एक गंभीर चिंता बन गया है। इसी वजह से कक्षा के माहौल में फिजिकल अखबार को फिर से जगह देकर बच्चों को स्क्रीन से दूर, पढ़ने की आदत की ओर लौटाने की कोशिश की जा रही है। सरकार का तर्क है कि रोज़ाना अखबार पठन से बच्चों की एकाग्रता बढ़ेगी, ध्यान क्षमता मजबूत होगी, आंखों पर पड़ने वाला दबाव कम होगा और वे सूचनाओं को सिर्फ “देखने” नहीं, बल्कि समझकर गहराई से ग्रहण करने की आदत विकसित करेंगे। कुल मिलाकर, उत्तर प्रदेश में यह पहल स्क्रीन-टाइम के शोर के बीच बच्चों को “सोचने और समझने” की शांत, मजबूत दिशा देने का प्रयास मानी जा रही है।
करेंट अफेयर्स से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं तक तैयारी को मिलेगा आधार
उत्तर प्रदेश शिक्षा विभाग ने इस पहल को सिर्फ “अखबार पढ़ने” तक सीमित नहीं बताया, बल्कि इसके सीधे शैक्षणिक लाभ भी रेखांकित किए हैं। आदेश के मुताबिक, नियमित अख़बार पठन से छात्रों का सामान्य ज्ञान और करेंट अफेयर्स स्वाभाविक रूप से मजबूत होगा, उनकी भाषा-शैली निखरेगी और शब्द भंडार समृद्ध होगा। साथ ही, रोज़ाना खबरों और संपादकीय से जुड़ाव बच्चों के भीतर सोच-समझकर लिखने की क्षमता विकसित करेगा जो आगे चलकर निबंध, उत्तर-लेखन और अभिव्यक्ति में काम आएगी। विभाग का मानना है कि यह अभ्यास उत्तर प्रदेश के छात्रों के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का भी मजबूत आधार बनेगा, क्योंकि करंट अफेयर्स और भाषा की पकड़ ही ऐसे परीक्षाई सफर की असली पूंजी होती है।
फेक न्यूज़ के दौर में “सही-गलत” पहचानने की ट्रेनिंग
अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा के हवाले से आदेश में कहा गया है कि अलग-अलग विषयों और विविध दृष्टिकोणों को नियमित रूप से पढ़ने से छात्रों की आलोचनात्मक सोच स्वाभाविक रूप से विकसित होती है। इससे वे किसी खबर को सिर्फ “मान” नहीं लेंगे, बल्कि उसके स्रोत, संदर्भ और तथ्य को परखना सीखेंगे यानी सही सूचना और गलत/भ्रामक जानकारी के बीच फर्क कर पाएंगे। शिक्षा विभाग ने इसे फेक न्यूज़ के मौजूदा दौर में बच्चों के लिए एक ज़रूरी लाइफ-स्किल बताया है। आदेश में यह भी रेखांकित किया गया है कि अख़बारों में छपने वाली स्थानीय खबरें, सामाजिक मुद्दे और मानव-रुचि (Human Interest) से जुड़ी रिपोर्टें छात्रों को अपने आसपास की दुनिया से जोड़ेगी और उत्तर प्रदेश के बच्चों में सामाजिक जिम्मेदारी, संवेदनशीलता और समाज को समझने की क्षमता को मजबूत करने में मदद करेगी।
सुडोकू-क्रॉसवर्ड भी पढ़ाई का हिस्सा
उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश में यह भी रेखांकित किया है कि अख़बारों में प्रकाशित सुडोकू, क्रॉसवर्ड और शब्द पहेलियां सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि बच्चों के लिए दिमागी कसरत का असरदार जरिया हैं। ऐसे कॉलम छात्रों की तार्किक सोच, विश्लेषण क्षमता और समस्या समाधान कौशल को मजबूत करते हैं। यही वजह है कि अख़बार पठन के साथ इन हिस्सों को भी शैक्षणिक रूप से उपयोगी माना गया है। आदेश में साफ कहा गया है कि यह व्यवस्था उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी स्कूलों के लिए अनिवार्य होगी, जबकि अन्य विद्यालय चाहें तो इस पहल को अपनाकर अपनी शैक्षणिक दिनचर्या में शामिल कर सकते हैं ताकि पढ़ाई के साथ सोचने और समझने की आदत भी बराबरी से विकसित हो। UP News












