Sawan 2023: बैद्यनाथ धाम जिसके दर्शन मात्र से मिलती है रोगों से मुक्ति, जाने क्या है पंचशूल का रहस्य

DEVGHAR
Sawan 2023
locationभारत
userचेतना मंच
calendar06 Jul 2023 03:53 PM
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  Sawan 2023:  भारत के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक सुप्रसिद्ध बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग आमतौर पर बैद्यनाथ धाम से जाना जाता है । इसे भगवान शिव का सबसे पवित्र निवास माना जाता है।यह ज्योतिर्लिंग भारतवर्ष के झारखंड नामक राज्य मे स्थित है । यह एक सिद्धपीठ है,इसलिये इसे कामना लिंग भी कहा जाता है । बैद्यनाथ धाम के नाम से प्रसिद्ध देवघर को देवी-देवताओं का घर माना जाता है। यह मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल भी है। बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का महत्व इसलिये भी है क्योंकि यह माता के 51 शक्तिपीठों मे से एक है,जहाँ माता का हृदय विराजमान है, यह शक्तिपीठ हाद्रपीठ के रूप में जानी जाती है।पुराणों के विवरण अनुसार, इस मंदिर को देव शिल्पि विश्वकर्मा जी ने बनाया है और कुछ इतिहासकारों का कहना है कि अभी की संरचना सन् 1496 में गिधौर (जिला - जमुई, बिहार) के राजा पूरनमल ने बैधनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।एक मान्यता के अनुसार बैजू नामक एक चरवाहे ने इस ज्योतिर्लिंग की खोज की थी और उसी के नाम पर इस जगह का नाम वैद्यनाथ धाम पड़ा। वैजू मंदिर ज्योतिर्लिंग मंदिर से 700 मीटर दूर ही स्थापित है। यहां का श्रावणी मेला Sawan 2023 विश्वप्रसिद्ध है ।श्रावण मास मे बडी तादाद मे शिव भक्त पूजा के लिये सुल्तानगंज से देवघर तक 105 किलोमीटर पैदल चलकर गंगा जल लेकर भगवान शिव पर अभिषेक करते है और पूजा करते है ।ऐसी मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वंय भगवान विष्णु ने की थी।परिसर के अंदर बाबा बैद्यनाथ के मुख्य मंदिर के अलावा 21 मंदिर हैं जहां प्राथमिक लिंग मौजूद हैं। ये एकमात्र ऐसा स्थान है जहा शिव और शक्ति का मिलन स्थल भी कहा जाता है ।मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से रोगों से मुक्ति मिलती है ।

मंदिर के शीर्ष पर स्थापित है पंचशूल:

[caption id="attachment_99840" align="aligncenter" width="608"]Sawan 2023 Sawan 2023[/caption] Sawan 2023: हिंदू धर्म मे मान्यता अनुसार सभी मंदिरो मे शीर्ष पर त्रिशूल लगा रहता है ,लेकिन बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर मे त्रिशूल की जगह पंचशूल ( त्रिशूल के आकार में पांच चाकू)  लगा है ।मंदिर परिसर मे अन्य मंदिर जैसे लक्ष्मीनारायण मंदिर,शिव, पार्वती मंदिर मे भी त्रिशूल की जगह पंचशूल देखने को मिलेंगे।इसे सुरक्षा कवच माना जाता है ।कहा जटा है की इस पंचशूल को रावण के अलावा कोई नही भेद सकता था,यहा तक की भगवान श्री राम भी इसे भेद्ना नही जानते थे।बाद मे विभिषण ने प्रभू श्री राम को इसे भेदना बताया।इस पंचशूल की वजह से बाबा धाम मे किसी प्राकृतिक आपदा का खतरा नही रहता है ।शिवरात्री के दो दिन पहले पंचशूल को उतारा जाता है ।इसे छूने के लिये भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है ।सभी पंचशूलो की एक दिन पूर्व विशेष रूप से पूजा की जाती है और सभी पंचशूलो को मंदिर पर यथास्थान स्थापित किया जाता है ।इसी दौरान बाबा शिव का और माता पार्वती का गठबंधन हटा दिया जाता है और शिवरात्री के दिन नया गठबंधन किया जाता है ।

सावन का श्रावणी मेला:

[caption id="attachment_99843" align="aligncenter" width="739"]Sawan 2023 Sawan 2023[/caption] बाबा बैद्यनाथ धाम मे मनाये जाने वाले प्रसिद्ध त्योहार महाशिवरात्रि और सावन का श्रावणी मेला है ।ये दोनो ही त्योहार यहा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है ।सावन के महीने मे इस मेले की शुरुआत होती है । सावन के महीने में बाबा बैद्यनाथ मंदिर में लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। प्रतिदिन मंदिर दर्शन के लिए प्रातः 4:00 बजे से 3:30 बजे तक तथा सायं 6:00 से 9:00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर प्रांगण में प्रवेश के लिए मंदिर सुवह 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है। इस बार यह मेला मलमास होने की वजह से दो महीने चलेगा।इस मेले मे शिव झांकी,शिव तंडाव,शिवलिंग की स्थापना, से लेकर रावण वार्ता तक सब कुछ दिखाया जाता ।

बाबा बैद्यनाथ मंदिर कैसे पहुचा जाये:

Sawan 2023: आप बाबा बैद्यनाथ मंदिर रेलमार्ग,सड़कमार्ग,और हवाई जहाज़ द्वारा जा सकते है । देवघर बस स्टैंड मंदिर से 2 किमी दूर है । देवघर रेलवे स्टेशन 3 किमी है । बैद्यनाथ धाम रेलवे स्टेशन 2 किमी है । बिरसा मुंडा हवाईअड्डा रांची 250 किमी है । लोक नायक हवाईअड्डा पटना 255 किमी है । देवघर हवाईअड्डा 9 किमी है । #breakingnews #sawan2023 #devghar #jyotirling #babadham #jharkhand #jharkhandnews 

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calendar06 Jul 2023 03:53 PM
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  Sawan 2023:  भारत के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक सुप्रसिद्ध बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग आमतौर पर बैद्यनाथ धाम से जाना जाता है । इसे भगवान शिव का सबसे पवित्र निवास माना जाता है।यह ज्योतिर्लिंग भारतवर्ष के झारखंड नामक राज्य मे स्थित है । यह एक सिद्धपीठ है,इसलिये इसे कामना लिंग भी कहा जाता है । बैद्यनाथ धाम के नाम से प्रसिद्ध देवघर को देवी-देवताओं का घर माना जाता है। यह मंदिर एक प्राचीन मंदिर है और एक प्रसिद्ध हिंदू धार्मिक स्थल भी है। बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का महत्व इसलिये भी है क्योंकि यह माता के 51 शक्तिपीठों मे से एक है,जहाँ माता का हृदय विराजमान है, यह शक्तिपीठ हाद्रपीठ के रूप में जानी जाती है।पुराणों के विवरण अनुसार, इस मंदिर को देव शिल्पि विश्वकर्मा जी ने बनाया है और कुछ इतिहासकारों का कहना है कि अभी की संरचना सन् 1496 में गिधौर (जिला - जमुई, बिहार) के राजा पूरनमल ने बैधनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था।एक मान्यता के अनुसार बैजू नामक एक चरवाहे ने इस ज्योतिर्लिंग की खोज की थी और उसी के नाम पर इस जगह का नाम वैद्यनाथ धाम पड़ा। वैजू मंदिर ज्योतिर्लिंग मंदिर से 700 मीटर दूर ही स्थापित है। यहां का श्रावणी मेला Sawan 2023 विश्वप्रसिद्ध है ।श्रावण मास मे बडी तादाद मे शिव भक्त पूजा के लिये सुल्तानगंज से देवघर तक 105 किलोमीटर पैदल चलकर गंगा जल लेकर भगवान शिव पर अभिषेक करते है और पूजा करते है ।ऐसी मान्यता है कि इसकी स्थापना स्वंय भगवान विष्णु ने की थी।परिसर के अंदर बाबा बैद्यनाथ के मुख्य मंदिर के अलावा 21 मंदिर हैं जहां प्राथमिक लिंग मौजूद हैं। ये एकमात्र ऐसा स्थान है जहा शिव और शक्ति का मिलन स्थल भी कहा जाता है ।मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से रोगों से मुक्ति मिलती है ।

मंदिर के शीर्ष पर स्थापित है पंचशूल:

[caption id="attachment_99840" align="aligncenter" width="608"]Sawan 2023 Sawan 2023[/caption] Sawan 2023: हिंदू धर्म मे मान्यता अनुसार सभी मंदिरो मे शीर्ष पर त्रिशूल लगा रहता है ,लेकिन बाबा बैद्यनाथ धाम मंदिर मे त्रिशूल की जगह पंचशूल ( त्रिशूल के आकार में पांच चाकू)  लगा है ।मंदिर परिसर मे अन्य मंदिर जैसे लक्ष्मीनारायण मंदिर,शिव, पार्वती मंदिर मे भी त्रिशूल की जगह पंचशूल देखने को मिलेंगे।इसे सुरक्षा कवच माना जाता है ।कहा जटा है की इस पंचशूल को रावण के अलावा कोई नही भेद सकता था,यहा तक की भगवान श्री राम भी इसे भेद्ना नही जानते थे।बाद मे विभिषण ने प्रभू श्री राम को इसे भेदना बताया।इस पंचशूल की वजह से बाबा धाम मे किसी प्राकृतिक आपदा का खतरा नही रहता है ।शिवरात्री के दो दिन पहले पंचशूल को उतारा जाता है ।इसे छूने के लिये भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है ।सभी पंचशूलो की एक दिन पूर्व विशेष रूप से पूजा की जाती है और सभी पंचशूलो को मंदिर पर यथास्थान स्थापित किया जाता है ।इसी दौरान बाबा शिव का और माता पार्वती का गठबंधन हटा दिया जाता है और शिवरात्री के दिन नया गठबंधन किया जाता है ।

सावन का श्रावणी मेला:

[caption id="attachment_99843" align="aligncenter" width="739"]Sawan 2023 Sawan 2023[/caption] बाबा बैद्यनाथ धाम मे मनाये जाने वाले प्रसिद्ध त्योहार महाशिवरात्रि और सावन का श्रावणी मेला है ।ये दोनो ही त्योहार यहा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है ।सावन के महीने मे इस मेले की शुरुआत होती है । सावन के महीने में बाबा बैद्यनाथ मंदिर में लाखों भक्तों की भीड़ उमड़ती है। प्रतिदिन मंदिर दर्शन के लिए प्रातः 4:00 बजे से 3:30 बजे तक तथा सायं 6:00 से 9:00 बजे तक खुला रहता है। मंदिर प्रांगण में प्रवेश के लिए मंदिर सुवह 4:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है। इस बार यह मेला मलमास होने की वजह से दो महीने चलेगा।इस मेले मे शिव झांकी,शिव तंडाव,शिवलिंग की स्थापना, से लेकर रावण वार्ता तक सब कुछ दिखाया जाता ।

बाबा बैद्यनाथ मंदिर कैसे पहुचा जाये:

Sawan 2023: आप बाबा बैद्यनाथ मंदिर रेलमार्ग,सड़कमार्ग,और हवाई जहाज़ द्वारा जा सकते है । देवघर बस स्टैंड मंदिर से 2 किमी दूर है । देवघर रेलवे स्टेशन 3 किमी है । बैद्यनाथ धाम रेलवे स्टेशन 2 किमी है । बिरसा मुंडा हवाईअड्डा रांची 250 किमी है । लोक नायक हवाईअड्डा पटना 255 किमी है । देवघर हवाईअड्डा 9 किमी है । #breakingnews #sawan2023 #devghar #jyotirling #babadham #jharkhand #jharkhandnews 

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Nag Panchami 2023: इस दिन मनाई जाएगी सावन की पहली नाग पंचमी, जानें डेट और शुभ मुहूर्त 

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calendar02 Dec 2025 12:32 AM
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    Nag Panchami 2023: सावन के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नाग पंचमी के रुप में मनाई जाती है. सावन के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को राजस्थान एवं बंगाल इत्यादि क्षेत्रों में मुख्य रुप से नाग पंचमी के पर्व रुप में मनाया जाता है तथा शुक्ल पक्ष की पंचमी का असर उत्तर भारत इत्यादि क्षेत्रों में अधिक दिखाई देता है. इस वर्ष सावन कृष्ण पक्ष की नाग पंचमी 7 जुलाई 2023 को मनाई जाएगी.

Nag Panchami 2023 :

  नाग पंचमी का ये समय मौना पंचमी के रुप में जाना जाता है. मान्यताओं के अनुसार इस समय पर भक्त मौन रुप से भगवान का पूजन करते हैं. इस दिन नागों के पूजन का समय होता है तथा नाग देवताओं को समर्पित मंदिरों एवं शिवालयों में विशेष पूजा अर्चना का आयोजन संपन्न होता है. देश भर में इस दिन विशेष रुप से यज्ञ अनुष्ठानों एवं रुद्राभिषेक जैसे धार्मिक कार्यों को किया जाता है. नाग पंचमी तिथि शुभ मुहूर्त 2023 इस वर्ष, सावन माह के कृष्ण पक्ष की नाग पंचमी 7 जुलाई 2023 को मनाई जाएगी. नाग पंचमी तिथि का आरंभ 06 जुलाई को 27:13 पर होगा नाग पंचमी तिथि की समाप्ति 07 जुलाई 2023 को 24:18 पर होगी. नाग पंचमी के दौरान अयुष्मान नामक शुभ योग रहेगा. इसके साथ ही ब्रह्म मुहूर्त का समय 04:08 से 04:49 तक रहेगा. अभिजित मुहूर्त 11:58 से 12:54 तक रहेगा. विजय मुहूर्त 14:45 से 15:40 तक रहेगा. प्रदोष मुहूर्त समय 19:21 से 19:42 तक रहेगा. सावन कृष्ण की नाग पंचमी का महत्व   सावन माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी से आरंभ होकर 12 से 15 दिनों तक लगातार नागों का पूजन किया जाता है. पौराणिक रुप से ही इस दिन का महत्व विशेष रहा है. धर्म ग्रंथों के अनुसार पंचमी तिथि के देवता हैं नाग देवता है, और सावन में पंचमी तिथि पर नाग देवता की पूजा करने से समस्त प्रकार के सर्प दोष शांति पाते हैं. कुछ स्थानों पर इस दिन को मौन व्रत के रुप में भी मनाया जाता है. मौन रहते हुए व्रत का पन करते हुए भगवान शिव का पूजन होता है तथा नाग देवता का पूजन किया जाता है.

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नाग पंचमी का व्रत करने से कई तरह के लाभ भक्तों को प्राप्त होते हैं. यह समय प्रकृति से जुड़ाव का भी समय होता है और इसी समय पर नागों को सबसे अधिक देख सकते हैं, अत: इस दिन से नागों के प्रति एवं अन्य जीव जन्तुओं के प्रति संवेदनाओं का समय शायद ही कहीं ओर दिखाई देखा जा सकता है. मौना पंचमी व्रत के लाभ द्वारा व्यक्ति शक्ति एवं ऊर्जा को प्राप्त करता है. अन्न-धन की प्राप्ति होती है तथा जीवन में धन धान्य की कमी नहीं रहती है. आचार्या राजरानी