खतरे में भारत का भविष्य? मिडिल क्लास बन रही सबसे बड़ी वजह

मिडिल क्लास की टूट रही है कमर
सौरभ मुखर्जी के मुताबिक, इस आर्थिक संकट के पीछे तीन मुख्य वजहें हैं सफेदपोश नौकरियों के अवसरों में कमी, वास्तविक मजदूरी में गिरावट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते दायरे ने मिडिल क्लास की कमर तोड़ दी है। ये तीनों कारक मिलकर देश की आर्थिक विकास गति को कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2024 में घरेलू बचत 50 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है जो 1977 के बाद पहली बार हुआ है। वहीं, खपत जो देश की GDP का लगभग 60% हिस्सा है 2021 से 2023 के बीच गिरावट पर है। चाहे SUV की मांग हो, घर खरीदना हो या ट्रेवलिंग, इन सब में पहले जैसी तेजी नहीं दिख रही है।नौकरियों को दोगुने होने में लगेंगे 24 साल
नौकरी के अवसरों में कमी भी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। सौरभ मुखर्जी ने कहा कि 2020 से पहले सफेदपोश नौकरियों में हर छह साल में दोगुनी वृद्धि होती थी लेकिन अब यह दर सालाना 3% पर आ गई है। इसका मतलब है कि नौकरियों के दोगुने होने में अब 24 साल लगेंगे। खासकर आईटी, सॉफ्टवेयर और रिटेल सेक्टर में रोजगार की वृद्धि धीमी पड़ गई है। उन्होंने ऑटोमेशन और AI के विस्तार को इस गिरावट की वजह बताया और उदाहरण देते हुए कहा कि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने जुलाई 2025 में कर्मचारियों की संख्या में 2% कटौती की है।यह भी पढ़े: हिमांशु भाऊ की हथेली पर Elvish की जिंदगी! इंटरनेट पर ली बड़ी जिम्मेदारी
बड़े संकट में पड़ सकता है देश
कंपनियों की आमदनी घटने और कर्मचारियों की वास्तविक वेतन वृद्धि न होने से मध्यम वर्ग पर आर्थिक दबाव बढ़ रहा है। सौरभ मुखर्जी के अनुसार, भारत के करीब 4 करोड़ सफेदपोश पेशेवर लगभग 20 करोड़ नौकरियों का सृजन करते हैं। अगर इनके वेतन और रोजगार सृजन में सुधार नहीं हुआ तो मिडिल क्लास की आर्थिक तंगी लंबे समय तक बनी रहेगी जो देश की आर्थिक गति के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है। इसलिए अब जरूरी है कि सरकार और कंपनियां मिलकर मिडिल क्लास के खर्च और रोजगार के अवसर बढ़ाने पर ध्यान दें ताकि भारत की आर्थिक तरक्की का इंजन फिर से तेज गति से दौड़ सके। Middle Class Familyअगली खबर पढ़ें
मिडिल क्लास की टूट रही है कमर
सौरभ मुखर्जी के मुताबिक, इस आर्थिक संकट के पीछे तीन मुख्य वजहें हैं सफेदपोश नौकरियों के अवसरों में कमी, वास्तविक मजदूरी में गिरावट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते दायरे ने मिडिल क्लास की कमर तोड़ दी है। ये तीनों कारक मिलकर देश की आर्थिक विकास गति को कमजोर कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2024 में घरेलू बचत 50 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है जो 1977 के बाद पहली बार हुआ है। वहीं, खपत जो देश की GDP का लगभग 60% हिस्सा है 2021 से 2023 के बीच गिरावट पर है। चाहे SUV की मांग हो, घर खरीदना हो या ट्रेवलिंग, इन सब में पहले जैसी तेजी नहीं दिख रही है।नौकरियों को दोगुने होने में लगेंगे 24 साल
नौकरी के अवसरों में कमी भी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। सौरभ मुखर्जी ने कहा कि 2020 से पहले सफेदपोश नौकरियों में हर छह साल में दोगुनी वृद्धि होती थी लेकिन अब यह दर सालाना 3% पर आ गई है। इसका मतलब है कि नौकरियों के दोगुने होने में अब 24 साल लगेंगे। खासकर आईटी, सॉफ्टवेयर और रिटेल सेक्टर में रोजगार की वृद्धि धीमी पड़ गई है। उन्होंने ऑटोमेशन और AI के विस्तार को इस गिरावट की वजह बताया और उदाहरण देते हुए कहा कि टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने जुलाई 2025 में कर्मचारियों की संख्या में 2% कटौती की है।यह भी पढ़े: हिमांशु भाऊ की हथेली पर Elvish की जिंदगी! इंटरनेट पर ली बड़ी जिम्मेदारी
बड़े संकट में पड़ सकता है देश
कंपनियों की आमदनी घटने और कर्मचारियों की वास्तविक वेतन वृद्धि न होने से मध्यम वर्ग पर आर्थिक दबाव बढ़ रहा है। सौरभ मुखर्जी के अनुसार, भारत के करीब 4 करोड़ सफेदपोश पेशेवर लगभग 20 करोड़ नौकरियों का सृजन करते हैं। अगर इनके वेतन और रोजगार सृजन में सुधार नहीं हुआ तो मिडिल क्लास की आर्थिक तंगी लंबे समय तक बनी रहेगी जो देश की आर्थिक गति के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती है। इसलिए अब जरूरी है कि सरकार और कंपनियां मिलकर मिडिल क्लास के खर्च और रोजगार के अवसर बढ़ाने पर ध्यान दें ताकि भारत की आर्थिक तरक्की का इंजन फिर से तेज गति से दौड़ सके। Middle Class Familyसंबंधित खबरें
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