इन आंकड़ों ने बढ़ाई कांग्रेस की उम्मीदें, सीवीसी मीटिंग में दिखी झलक

सीवीसी यानी, कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया गांधी अपने पुराने फॉर्म में दिखीं। एक ही मीटिंग में उन्होंने बगावती नेताओं और पार्टी समर्थक, दोनों की दुविधा को खत्म कर दिया। आखिर, कांग्रेस के रुख में आए इस बदलाव की क्या वजह है? क्या कांग्रेस को कुछ ऐसे संकेत मिलने लगे हैं जो पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ा रहे हैं? इन सवालों का जवाब कुछ आंकड़ों में छिपा है जो वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में कांग्रेस के पक्ष में दिख रहे हैं।
इस सर्वे ने बढ़ाई बीजेपी की चिंता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता लगातार गिर रही है। इंडिया टूडे मूड ऑफ नेशन सर्वे के मुताबिक अगस्त 2020 में 66% लोग नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त मानते थे। जनवरी 2021 में 38% लोग मोदी को पीएम पद का सबसे मजबूत दावेदार मानते थे जबकि, अगस्त 2021 में सिर्फ 24% लोग ऐसा मानते हैं। यानी, एक साल के अंदर पीएम मोदी की लोकप्रियता 66% से गिरकर 24% पर पहुंच गई है।
इसका फायदा किसे हो रहा है ये कहना मुश्किल है क्योंकि, इंडिया टूडे के अगस्त 2021 के सर्वे के मुताबिक लोकप्रियता के मामले में 24% वोट के साथ मोदी अभी भी पहले नंबर पर हैं। जबकि, दूसरे नंबर पर योगी आदित्यनाथ हैं जिन्हें 11% लोग पीएम पद का दावेदार मानते हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तीसरे नंबर पर हैं। सर्वें में शामिल 10% लोग राहुल को पीएम पद का सबसे उपयुक्त उम्मीदवार मानते हैं।
सरकार के खिलाफ हैं वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियां पीएम मोदी की लोकप्रियता में कमी ने कांग्रेस सहित विपक्ष को नई उर्जा दी है। इस सर्वे के अलावा किसानों का विरोध, पेट्रेाल-डीजल की बढ़ती कीमतें, महंगाई, बेरोजगारी और कमजोर अर्थव्यवस्था के चलते सरकार के खिलाफ लोगों का असंतोष बढ़ा है।
विपक्ष के लिए सरकार पर हमला करने का यह सबसे सही मौका है, क्योंकि पांच महीने के अंदर यूपी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है। यूपी इलेक्शन 2022 में बीजेपी का प्रदर्शन योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता की भी परीक्षा है, क्योंकि इंडिया टूडे सर्वे के मुताबिक वह पीएम पद के दावेदारों में दूसरे नंबर पर हैं।
कांग्रेस के पास यूपी में खोने के लिए कुछ नहीं है, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ एक सीट मिली थी। जबकि, 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल सात सीटों पर जीत मिली थी। यूपी के अलावा उत्तराखंड और पंजाब में भी कांगेस को जीत की उम्मीद दिख रही है।
कांग्रेस ने एक तीर से साधे दो निशाने इन हालातों में कांग्रेस बिलकुल नहीं चाहेगी कि मतदाताओं में यह संदेश जाए कि पार्टी अंदरूनी कलह से जूझ रही है। यही वजह है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग बुलाई गई और फैसला लिया गया कि सितंबर 2022 में पार्टी का नया अध्यक्ष चुना जाएगा। कांग्रेस में बगावत करने वाले जी-20 ग्रुप को सोनिया गांधी ने स्पष्ट तौर पर बता दिया है कि फिलहाल वह कांग्रेस की फुलटाइम अध्यक्ष हैं।
इसी मीटिंग में कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी से अगला अध्यक्ष बनने के लिए मानमनवल की। राहुल ने भी कहा है कि वह इस पर विचार करेंगे। यानी, कांग्रेस के वर्तमान और अगले अध्यक्ष को लेकर अब किसी भी तरह का संदेह नहीं रह गया है।
कांग्रेस और राहुल गांधी दोनों के लिए वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियां बेहद मुफीद हैं। प्रिंयका गांधी का यूपी में सक्रीय होना और राहुल गांधी का पंजाब की राजनीति में हस्तक्षेप कर चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाना, यह बताता है कि दोनों नेता अपनी राजनीतिक योग्यता को साबित का यह मौका गंवाना नहीं चाहते।
कांग्रेस की राह में हैं दो कांटे हालांकि, इस पूरे प्रकरण में कांग्रेस के लिए अभी भी चिंता की बात यह है कि लोकप्रियता के मामले में राहुल गांधी की रेटिंग में कोई बड़ा सुधार नहीं आया है। अगस्त 2010 में हुए इंडिया टूडे मूड ऑफ नेशन सर्वे में 29 फीसदी लोग राहुल गांधी को पीएम पद का दावेदार मानते थे, जबकि केवल नौ प्रतिशत लोग मोदी के पक्ष में थे।
एक दशक से भी ज्यादा समय के बाद अगस्त 2021 में केवल 10% लोग राहुल गांधी के पक्ष में हैं। यानी, आज भी राहुल गांधी 2010 के मुकाबले बहुत पीछे हैं। इस दौरान दूसरे नेताओं जैसे कि योगी आदित्यनाथ, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी ने अपनी लोकप्रियता में काफी इजाफा किया है।
अगस्त 2021 के सर्वे में जहां योगी आदित्यनाथ, राहुल गांधी से आगे हैं वहीं, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। राहुल गांधी को दस फीसदी लोग पीएम पद का दावेदार मानते हैं, जबकि आठ प्रतिशत लोग ममता और केजरीवाल को इस पद के लिए उपयुक्त मानते हैं। यानी, अंतर बहुत कम है।
कांग्रेस के पक्ष में हैं ये आंकड़े लोकप्रियता के मामले में राहुल भले ही केजरीवाल या ममता बनर्जी से पीछे दिख रहे हों, लेकिन वोट प्रतिशत के मामले में वह इनसे कहीं आगे हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों में बेहद खराब प्रदर्शन के बावजूद लगभग 20 फीसदी मतदाताओं ने कांग्रेस को वोट दिया है। जबकि, बीजेपी के पक्ष में क्रमश: 31 और 36% के करीब वोट पड़े हैं। यानी, बीजेपी की वर्तमान सरकार से नाराजगी के चलते अगर आठ से दस फीसदी वोटर कांग्रेस के पक्ष में चले जाते हैं, तो नतीजे बदल सकते हैं। शायद यही उम्मीद कांग्रेस को नई ताकत दे रही है।
- संजीव श्रीवास्तव
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सीवीसी यानी, कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया गांधी अपने पुराने फॉर्म में दिखीं। एक ही मीटिंग में उन्होंने बगावती नेताओं और पार्टी समर्थक, दोनों की दुविधा को खत्म कर दिया। आखिर, कांग्रेस के रुख में आए इस बदलाव की क्या वजह है? क्या कांग्रेस को कुछ ऐसे संकेत मिलने लगे हैं जो पार्टी का आत्मविश्वास बढ़ा रहे हैं? इन सवालों का जवाब कुछ आंकड़ों में छिपा है जो वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों में कांग्रेस के पक्ष में दिख रहे हैं।
इस सर्वे ने बढ़ाई बीजेपी की चिंता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता लगातार गिर रही है। इंडिया टूडे मूड ऑफ नेशन सर्वे के मुताबिक अगस्त 2020 में 66% लोग नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे उपयुक्त मानते थे। जनवरी 2021 में 38% लोग मोदी को पीएम पद का सबसे मजबूत दावेदार मानते थे जबकि, अगस्त 2021 में सिर्फ 24% लोग ऐसा मानते हैं। यानी, एक साल के अंदर पीएम मोदी की लोकप्रियता 66% से गिरकर 24% पर पहुंच गई है।
इसका फायदा किसे हो रहा है ये कहना मुश्किल है क्योंकि, इंडिया टूडे के अगस्त 2021 के सर्वे के मुताबिक लोकप्रियता के मामले में 24% वोट के साथ मोदी अभी भी पहले नंबर पर हैं। जबकि, दूसरे नंबर पर योगी आदित्यनाथ हैं जिन्हें 11% लोग पीएम पद का दावेदार मानते हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तीसरे नंबर पर हैं। सर्वें में शामिल 10% लोग राहुल को पीएम पद का सबसे उपयुक्त उम्मीदवार मानते हैं।
सरकार के खिलाफ हैं वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियां पीएम मोदी की लोकप्रियता में कमी ने कांग्रेस सहित विपक्ष को नई उर्जा दी है। इस सर्वे के अलावा किसानों का विरोध, पेट्रेाल-डीजल की बढ़ती कीमतें, महंगाई, बेरोजगारी और कमजोर अर्थव्यवस्था के चलते सरकार के खिलाफ लोगों का असंतोष बढ़ा है।
विपक्ष के लिए सरकार पर हमला करने का यह सबसे सही मौका है, क्योंकि पांच महीने के अंदर यूपी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 को लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा है। यूपी इलेक्शन 2022 में बीजेपी का प्रदर्शन योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता की भी परीक्षा है, क्योंकि इंडिया टूडे सर्वे के मुताबिक वह पीएम पद के दावेदारों में दूसरे नंबर पर हैं।
कांग्रेस के पास यूपी में खोने के लिए कुछ नहीं है, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ एक सीट मिली थी। जबकि, 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को केवल सात सीटों पर जीत मिली थी। यूपी के अलावा उत्तराखंड और पंजाब में भी कांगेस को जीत की उम्मीद दिख रही है।
कांग्रेस ने एक तीर से साधे दो निशाने इन हालातों में कांग्रेस बिलकुल नहीं चाहेगी कि मतदाताओं में यह संदेश जाए कि पार्टी अंदरूनी कलह से जूझ रही है। यही वजह है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग बुलाई गई और फैसला लिया गया कि सितंबर 2022 में पार्टी का नया अध्यक्ष चुना जाएगा। कांग्रेस में बगावत करने वाले जी-20 ग्रुप को सोनिया गांधी ने स्पष्ट तौर पर बता दिया है कि फिलहाल वह कांग्रेस की फुलटाइम अध्यक्ष हैं।
इसी मीटिंग में कांग्रेस नेताओं ने राहुल गांधी से अगला अध्यक्ष बनने के लिए मानमनवल की। राहुल ने भी कहा है कि वह इस पर विचार करेंगे। यानी, कांग्रेस के वर्तमान और अगले अध्यक्ष को लेकर अब किसी भी तरह का संदेह नहीं रह गया है।
कांग्रेस और राहुल गांधी दोनों के लिए वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियां बेहद मुफीद हैं। प्रिंयका गांधी का यूपी में सक्रीय होना और राहुल गांधी का पंजाब की राजनीति में हस्तक्षेप कर चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बनाना, यह बताता है कि दोनों नेता अपनी राजनीतिक योग्यता को साबित का यह मौका गंवाना नहीं चाहते।
कांग्रेस की राह में हैं दो कांटे हालांकि, इस पूरे प्रकरण में कांग्रेस के लिए अभी भी चिंता की बात यह है कि लोकप्रियता के मामले में राहुल गांधी की रेटिंग में कोई बड़ा सुधार नहीं आया है। अगस्त 2010 में हुए इंडिया टूडे मूड ऑफ नेशन सर्वे में 29 फीसदी लोग राहुल गांधी को पीएम पद का दावेदार मानते थे, जबकि केवल नौ प्रतिशत लोग मोदी के पक्ष में थे।
एक दशक से भी ज्यादा समय के बाद अगस्त 2021 में केवल 10% लोग राहुल गांधी के पक्ष में हैं। यानी, आज भी राहुल गांधी 2010 के मुकाबले बहुत पीछे हैं। इस दौरान दूसरे नेताओं जैसे कि योगी आदित्यनाथ, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी ने अपनी लोकप्रियता में काफी इजाफा किया है।
अगस्त 2021 के सर्वे में जहां योगी आदित्यनाथ, राहुल गांधी से आगे हैं वहीं, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। राहुल गांधी को दस फीसदी लोग पीएम पद का दावेदार मानते हैं, जबकि आठ प्रतिशत लोग ममता और केजरीवाल को इस पद के लिए उपयुक्त मानते हैं। यानी, अंतर बहुत कम है।
कांग्रेस के पक्ष में हैं ये आंकड़े लोकप्रियता के मामले में राहुल भले ही केजरीवाल या ममता बनर्जी से पीछे दिख रहे हों, लेकिन वोट प्रतिशत के मामले में वह इनसे कहीं आगे हैं। पिछले दो लोकसभा चुनावों में बेहद खराब प्रदर्शन के बावजूद लगभग 20 फीसदी मतदाताओं ने कांग्रेस को वोट दिया है। जबकि, बीजेपी के पक्ष में क्रमश: 31 और 36% के करीब वोट पड़े हैं। यानी, बीजेपी की वर्तमान सरकार से नाराजगी के चलते अगर आठ से दस फीसदी वोटर कांग्रेस के पक्ष में चले जाते हैं, तो नतीजे बदल सकते हैं। शायद यही उम्मीद कांग्रेस को नई ताकत दे रही है।
- संजीव श्रीवास्तव
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