Chandrayaan III : अब हमसे दूर नहीं, बेहद करीब हो जाएंगे चंदा मामा

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Now not far from us, Chanda Mama will be very close
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 07:51 AM
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अहमदाबाद। सब कुछ ठीक रहा तो वह दिन दूर नहीं, जब 'चंदा मामा दूर के' नहीं, हमारे बेहद करीब हो जाएंगे। भारत के वैज्ञानिक इस काम को अंजाम देने की तैयारी में जुटे हैं। अगर हमारे वैज्ञानिक चंदा मामा को हमारे करीब लाने में कामयाब रहे तो यह भारत की अं​तरिक्ष में बड़ी छलांग होगी।

Chandrayaan III

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि भारत के तीसरे चंद्र अभियान चंद्रयान-तृतीय और देश के पहले सौर अभियान आदित्य-एल प्रथम का प्रक्षेपण संभवत: 2023 के मध्य में हो सकता है। उन्होंने यहां फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी में बुधवार को आयोजित चतुर्थ भारतीय ग्रह विज्ञान सम्मेलन में ‘अंतरिक्ष एवं ग्रहीय खोज में भारतीय क्षमता’ विषय पर उद्घाटन वार्ता में यह बात कही।

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पूरी तरह से तैयार है चंद्रयान तृतीय

इसरो प्रमुख ने कहा कि चंद्रयान-तृतीय पूरी तरह से तैयार है। इसका पूर्णत: समन्वय कर दिया है। निश्चित रूप से सुधार के कुछ काम किए जा रहे हैं। हम अनुकरण एवं परीक्षणों आदि के माध्यम से मिशन को लेकर काफी विश्वस्त हो रहे हैं। और संभावना है कि इस वर्ष के मध्य तक प्रक्षेपण हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारत के पहले सौर अभियान आदित्य-एल—1 में बहुत ही अनूठी सौर पर्यवेक्षण क्षमता होती है। इसके लिए उपकरणों की आपूर्ति कर दी गयी है। इसरो इनका उपग्रह में समन्वय कर रहा है।

आदित्य-एल1 के प्रक्षेपण की उत्सकुता से प्रतीक्षा

इसरो प्रमुख एवं अंतरिक्ष विज्ञान विभाग के सचिव सोमनाथ ने कहा कि मैं आदित्य-एल1 के प्रक्षेपण की बहुत उत्सकुता से प्रतीक्षा कर रहा हूं। उसके इस साल मध्यम में होने की संभावना है। मुझे विश्वास है कि हम इस मिशन को एक बहुत बड़ी सफलता में बदलने जा रहे हैं। इसरो के अनुसार चंद्रयान-तृतीय चंद्रयान-द्वितीय मिशन की अगली कड़ी होगा। इसमें चंद्रमा की सतह पर उतरने एवं चलने की पूर्ण क्षमता का प्रदर्शन किया जाएगा। इस मिशन में लैंडर और रोवर का गठजोड़ शामिल होगा।

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Chandrayaan III

लैंडर को चंद्रमा की कक्ष में ले जाने का लक्ष्य

चंद्रयान तृतीय का उल्लेख करते हुए सोमनाथ ने कहा कि इसका ढांचा चंद्रयान-द्वितीय की तरह होगा। इसमें आर्बिटर (कक्ष में घूमने वाली), लैंडर (सतह पर उतरने की क्षमता) और रोवर (सतह पर चलने की क्षमता) होगी। निश्चित रूप से आर्बिटर को उन सभी भार (पेलोड्स) के साथ विकसित किया गया है, जो कि चंद्रयान द्वितीय में थे। इसमें बहुत कम भार होगा। किंतु, मूलभूत लक्ष्य लैंडर को चंद्रमा की कक्ष में ले जाना और उसे चंद्रमा की सतह पर उतारना है।

नहीं होगा भारत में अंधेरा

सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान-तृतीय का प्राथमिक उद्देश्य सटीक ढंग से उतरना है। उसके लिए आज बहुत काम किया जा रहा है, जिनमें नये उपकरण शामिल करना, बेहतर कलन गणित विकसित करना और विफलता के माध्यमों का ध्यान रखना शामिल है। मिशन के इन पक्षों को वर्तमान में मजबूती दी जा रही है। वैज्ञानिक लक्ष्य कमोबेश वैसे ही रहेंगे, जो पूर्व चंद्र मिशन में रहे थे। किंतु, निश्चित रूप से चंद्रयान तृतीय के लिए हमने उन्हें विस्तार देने पर पर्याप्त ध्यान दिया है। हमें यह उम्मीद करनी चाहिए चंद्रयान-तृतीय लैंडिंग के काम को सही से अंजाम देगा, रोवर बाहर निकालेगा और चंद्रमा की सतह पर कम से कम चंद्र दिन के समय वह पर्यवेक्षण करेगा, जो वास्तव में काफी रोचक होगा। उन्होंने आदित्य-एल—1 के बारे में कहा कि यह उस सुविधाजनक बिन्दु तक जाएगा, जहां से सूर्य का पर्यवेक्षण दीर्घ अवधि तक बिना किसी बाधा किया जाता रहे। यह हमारे द्वारा बनायी जा रही एक बहुत अनूठी सौर पर्यवेक्षण क्षमता होगी। इसके लिए उपकरण पहले ही विकसित कर लिये गये हैं और हम इन उपकरणों को उपग्रह में लगाने की प्रक्रिया में हैं।

संभव हो जाएगा सूर्य की निगरानी

इसरो प्रमुख ने कहा कि इस मिशन के लिए भेजे जाने वाले यान में जो उपकरण होंगे, उनके अंदर न केवल सूर्य का अध्ययन करने की अनूठी क्षमता होगी, बल्कि उनकी सहायता से सूर्य से उत्सर्जित होने वाले कणों का अध्ययन, सूर्य से पृथ्वी तक इन कणों के पहुंचने के दौरान उनकी गणना और सूर्य कैसे हमारे मौसम को प्रभावित कर रहा है, इसका अध्ययन करने की क्षमता होगी। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Delhi : सिगरेट पीने की लत को कम करेगा ‘सिगीबड’, IIT दिल्ली के पूर्व छात्र ने किया विकसित

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Delhi News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 02:49 AM
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Delhi News : नई दिल्ली। आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र प्रतीक शर्मा ने धूम्रपान करने वालों के लिए एक ऐसा सिगरेट फिल्टर विकसित किया है जो ना सिर्फ उनके शरीर में जाने वाली निकोटिन की मात्रा को कम करेगा बल्कि उन्हें इस आदत को छोड़ने में भी मदद करेगा।

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आईआईटी के इस छात्र को यह विचार 2018 में सिनेमाघर में एक फिल्म के दौरान धूम्रपान नहीं करने की सलाह देने वाला परामर्श देखने के बाद आया।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली से 2015 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाले प्रतीक शर्मा ने ‘सिगीबड’ नाम से दुनिया का पहला ऐसा सिगरेट फिल्टर बनाया है जो धूम्रपान की लत को छोड़ने में मदद करेगा।

सिगीबड कम करेगा निकोटिन की मात्रा

शर्मा का दावा है कि ‘सिगीबड’ बुधवार से बाजार में उतर चुका है और यह सिगरेट पीने वालों के अनुभव या स्वाद में कोई बदलाव किए बगैर धूम्रपान के दौरान उनके शरीर के भीतर जाने वाली 80 फीसदी निकोटिन को फिल्टर कर सकता है।

गौरतलब है कि सिगरेट के लिए फिल्टर बनाने का विचार जब शर्मा के जे़हन में आया तो उस वक्त वह मानव स्वास्थ्य पर प्रदूषण के असर को कम करने के लिए आधुनिक वायु फिल्टरेशन का उपाय खोज रहे थे।

आईआईटी दिल्ली में पढ़ने के दौरान शर्मा ने अपने प्रोफेसर की मदद से ‘नैनोफाइबर टेक्नोलॉजी’ विकसित की और उसे पेटेंट कराया। 2015 में स्नातक करने पर उन्होंने इस तकनीक पर आधारित उत्पाद बनाने और उन्हें बाजार में उतारने पर काम शुरू किया। यहां तक कि शर्मा की लीक से हटकर इस सोच को राष्ट्रपति ने 2017 में ‘स्टार्टअप नेशनल अवार्ड’ दिया था।

उन्होंने कहा हम पहले से ही नासोफिल्टर, नैनोक्लीन पॉल्यूशन नेट और मासोमास्क आदि उत्पादों पर काम कर रहे थे। लेकिन, उस परामर्श ने हमें प्रेरित किया और हमारे काम के दायरे को बढ़ा दिया। हमने तय किया कि इसी तकनीक का उपयोग अब कुछ ऐसा बनाने में करेंगे जो लोगों को धूम्रपान छोड़ने में मदद करे।’

4 फीसदी लोग ही छोड़ पाते हैं नशे की लत

शर्मा की टीम ने एक शोध किया जिसमें उन्हें पता चला कि धूम्रपान करने वाले 63 प्रतिशत लोग इस आदत को छोड़ना चाहते हैं लेकिन निकोटिन के नशे के कारण ऐसा कर नहीं पाते। टीम को यह भी पता चला कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, बिना किसी मदद के महज चार फीसदी लोग ही धूम्रपान छोड़ने में कामयाब हो पाते हैं।

शर्मा ने दावा किया कि हमें एहसास हुआ कि धूम्रपान छोड़ने की सलाह देने और वास्तव में धूम्रपान छोड़ने में बहुत बड़ा अंतर है। हमने चार साल मेहनत की... और सिगीबड बनाया.. यह धूम्रपान छोड़ने में मदद करने वाला दुनिया का पहला सिगरेट फिल्टर है। यह धूम्रपान करने वालों को तीन महीने में यह आदत छोड़ने में मदद करेगा।

शर्मा के अनुसार, यह फिल्टर धीरे-धीरे धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के शरीर में निकोटिन की मात्रा कम करके उसकी आदत को बदलता है।

Delhi - निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी’ से प्रेरित

शर्मा ने कहा कि सिगीबड धूम्रपान छोड़ने में मदद करने वाला तीन महीने लंबा वैज्ञानिकों द्वारा सत्यापित इलाज है। यह धूम्रपान छोड़ने में मददगार और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुमोदित ‘निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी’ से प्रेरित है।’’

उन्होंने कहा हमारा प्राथमिक लक्ष्य लोगों को हमारे सिगीबड (लाइट, अल्ट्रा, प्रो) की मदद से धूम्रपान छुड़ाना है... लेकिन जो लोग धूम्रपान नहीं छोड़ना चाहते हैं वे कम से कम सिगीबड (लाइट) का उपयोग शुरू कर सकते हैं। सिगीबड (लाइट) के नैनोफाइबर इसे कम नुकसानदेह बनाते हैं।

उन्होंने बताया कि सिगीबड के प्रत्येक पैकेट में 30 फिल्टर होंगे जिसकी कीमत 350 रुपये होगी और प्रत्येक फिल्टर का एक बार उपयोग करना सही रहेगा, लेकिन लोग इसका अधिकतम तीन बार उपयोग कर सकते हैं। उनका कहना है कि तीन बार के बाद फिल्टर प्रभावी नहीं रह जाएगा।

शर्मा ने कहा कि वह सिगरेट बनाने वाली कंपनियों के संपर्क में भी हैं ताकि उन्हें बायो-सेफ सिगरेट फिल्टर बनाने की सामग्री उपलब्ध करायी जा सके। सिगरेट बट को यूंही फेंक दिया जाना आज हमारे समुद्री प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है और हमारी तकनीक बायो-सेफ फिल्टर बनाने का हल सुझा सकती है।’’ Delhi

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Political : जेपीसी की मांग पर किसी 'सौदे' का सवाल नहीं : कांग्रेस

Jairam
There is no question of any 'deal' on JPC's demand: Congress
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 01:26 AM
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नई दिल्ली। अडाणी समूह के बाबत हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद से ही कांग्रेस पीएम मोदी पर हमलावर है। कांग्रेस ने बुधवार को एक बार फिर कहा कि अडाणी समूह के मामले में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की मांग को लेकर किसी सौदे का सवाल ही नहीं है। यह मामला बुनियादी रूप से सरकार की नीयत एवं नीतियों से जुड़ा है। विपक्ष जो सवाल उठा रहा है, उसका जवाब उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति से नहीं मिल सकता।

Political

कांग्रेस ने मोदी से 100वें सवाल में क्या पूछा

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कांग्रेस की ‘हम अडाणी के हैं कौन’ श्रृंखला के तहत 100वां सवाल करते हुए दावा किया कि उच्चतम न्यायालय की समिति आखिरकार ‘क्लीन चिट समिति’ साबित होगी। उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार चाहती है कि विपक्ष जेपीसी की मांग वापस ले ले, जिसके एवज में वह राहुल गांधी से माफी की मांग वापस ले लेगी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि 'हम जेपीसी की मांग को लेकर कोई सौदा करने को तैयार नहीं हैं। राहुल गांधी से माफी की मांग बेबुनियाद है, क्योंकि उन्होंने ब्रिटेन में ऐसा कुछ बयान ही नहीं दिया, जिसके लिए उन्हें माफी मांगने की जरूरत पड़े।

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राहुल की टिप्प्णी और जेपीसी की मांग का कोई संबंध नहीं

कांग्रेस नेता का कहना था कि राहुल गांधी की टिप्पणी के मामले का और अडाणी समूह से जुड़े मुद्दे की जांच के लिए जेपीसी की मांग का आपस में कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने पहले राहुल गांधी के बयान को विकृत किया, फिर बदनाम किया और अब इसके सहारे वह अडाणी मामले से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। रमेश ने कहा कि हमने अडाणी महाघोटाले में आपकी स्पष्ट मिलीभगत को लेकर 5 फरवरी 2023 से अब तक आपसे 99 सवाल पूछे हैं। हम एक अंतिम प्रश्न के साथ इस श्रृंखला को समाप्त कर रहे हैं कि क्या आप (प्रधानमंत्री) अपने नियंत्रण वाली जांच एजेंसियों उपयोग राष्ट्रीय हित में करेंगे? उनका कहना था कि 100 सवाल से पहले जेपीसी की मांग थी और आज भी रहेगी।

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घोटाला प्रधानमंत्री की नीयत और नीतियों से संबंधित

कांग्रेस नेता ने कहा कि उच्चतम न्यायलय ने जो समिति बनाई, वह अडाणी केंद्रित समिति है। हम सवाल अडाणी से नहीं, प्रधानमंत्री और सरकार से कर रहे हैं। इन सवालों के जवाब उच्चतम न्यायालय की समिति से नहीं मिल सकते। उन्होंने दावा किया कि यह घोटाला स्टॉक मार्केट तक ही सीमित नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री की नीयत और नीतियों से संबंधित हैं। हम कह रहे हैं कि प्रधानमंत्री जी, चुप्पी तोड़िये। उच्चतम न्यायालय की समिति सरकार को दोषमुक्त करने की कवायद के अलावा कुछ नहीं है। यह क्लीनचिट समिति है। उन्होंने कहा कि हम जेपीसी की मांग से पीछे हटने वाले नहीं हैं। उन्होंने दावा किया कि मॉन्टेरोसा समूह, एलारा इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड, क्रेस्टा फंड आदि जैसी अपारदर्शी ऑफशोर संस्थाएं 'स्टॉक पार्किंग' की दोषी प्रतीत होती हैं। स्टॉक पार्किंग के तहत एक तीसरा पक्ष नियामकों के समक्ष वास्तविक मालिक के स्वामित्व या नियंत्रण को छिपाने के लिए शेयर रखता है। क्या सेबी कार्रवाई करेगा? रमेश ने यह भी पूछा कि क्या धनशोधन के आरोपों को लेकर ईडी कार्रवाई करेगी? क्या एसएफआईओ (गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय) सिर्फ दिखावे के लिए नहीं, बल्कि ईमानदारी से अपना काम करेगा? क्या सीबीआई कार्रवाई करेगी? क्या डीआरआई (राजस्व आसूचना निदेशालय) कार्रवाई करेगा?

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से खड़ा हुआ बखेड़ा

कांग्रेस अमेरिकी वित्तीय शोध संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की रिपोर्ट आने के बाद से अडाणी समूह और प्रधानमंत्री पर लगातार हमले कर रही है। हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी समूह के खिलाफ फर्जी तरीके से लेन-देन और शेयर की कीमतों में हेर-फेर सहित कई आरोप लगाए थे। अडाणी समूह ने इन आरोपों को झूठा करार देते हुए कहा था कि उसने सभी कानूनों और प्रावधानों का पालन किया है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।