चर्चित IAS अधिकारी संतोष वर्मा ने फिर मचा दिया बवाल

संतोष वर्मा के ताजा विवादित बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। संतोष वर्मा ने यह बयान भीम आर्मी के मुखिया चन्द्रशेखर आजाद रावल का खुला समर्थन करते हुए दिया है।

चर्चित IAS अधिकारी संतोष वर्मा
चर्चित IAS अधिकारी संतोष वर्मा
locationभारत
userआरपी रघुवंशी
calendar11 Dec 2025 10:02 AM
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IAS officer Santosh Verma : चर्चित IAS अधिकारी संतोष वर्मा ने एक बार फिर बवाल मचा दिया है। IAS अधिकारी संतोष वर्मा के ताजा बयान को सरकारी सेवा की नियमावली का खुला उल्लंघन माना जा रहा है। यह IAS अधिकारी संतोष वर्मा वही हैं जिन्होंने कुछ दिन पहले ‘‘ब्राह्मण की बेटी’’ वाला विवादित बयान देकर बवाल मचा दिया था। संतोष वर्मा ने इस बार भीम आर्मी प्रमुख चन्द्रशेखर आजाद रावण का खुला समर्थन करके बवाल मचा दिया है।

कितने संतोष वर्मा मारोगे तथा जलाओगे?

चर्चित IAS अधिकारी संतोष वर्मा मध्य प्रदेश कैडर के IAS अधिकारी हैं। इन दिनों संतोष वर्मा ने मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स ) के मंच पर खड़े होकर विवादित बात कही है। ‘‘ब्राह्मण की बेटी” वाला बयान भी संतोष वर्मा ने अजाक्स के मंच से ही दिया था। अजाक्स के एक समारोह में बोलते हुए संतोष वर्मा ने कहा है कि कितने संतोष वर्मा मारोगे, कितने संतोष वर्मा जलाओगे। संतोष वर्मा के ताजा विवादित बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। संतोष वर्मा ने यह बयान भीम आर्मी के मुखिया चन्द्रशेखर आजाद रावण का खुला समर्थन करते हुए दिया है।

क्या है संतोष वर्मा के बयान का पूरा मामला?

आपको बता दें कि IAS अधिकारी संतोष वर्मा अजाक्स के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि भीम आर्मी के जो हमारे चंद्रशेखर रावण जी हैं, बहुत अच्छे समाजसेवी हैं, समाज के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कितने संतोष वर्मा को तुम मारोगे, कितने संतोष वर्मा को तुम जलाओगे, कितने संतोष वर्मा को तुम निगल जाओगे, अब हर घर से एक संतोष वर्मा निकलेगा। और जब हर घर से एक संतोष वर्मा निकलेगा तो आपके पास इतनी ताकत नहीं कि आप हर संतोष वर्मा को जला सको।' गौरतलब है कि पिछले दिनों यूपी के नगीना सीट से लोकसभा सांसद चंद्रशेखर आजाद ने एक कार्यक्रम के दौरान संतोष वर्मा का समर्थन करते हुए कहा था कि कितने संतोष वर्मा को मारोगे।

चर्चित IAS अधिकारी संतोष वर्मा की गिरफ्तारी की मांग

चर्चित IAS अधिकारी संतोष वर्मा के बयान के बाद एक बार फिर उन पर कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। सपाक्स के राष्ट्रीय संयोजक हीरालाल त्रिवेदी ने मुख्यमंत्री से कार्रवाई की मांग करते हुए कहा, 'हर घर से संतोष वर्मा निकलेगा तो क्या हर घर की बेटी खतरे में जाएगी, जिसके खिलाफ महिला उत्पीडऩ का केस चल रहा है, जिसने एक महिला-बेटी का अपमान किया है पता नहीं क्यों उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो रही है। मैं मुख्यमंत्री जी से मांग करता हूं कि उसे गिरफ्तार किया जाए, निलंबित किया जाए नहीं तो वर्ग संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होगी और इसके भाषणों से बेटियों के लिए खतरा पैदा होगा।'

ब्राह्मण की बेटी वाला बयान दिया था संतोष वर्मा ने

23 नवंबर को अजाक्स के एक कार्यक्रम में IAS अधिकारी संतोष वर्मा ने कहा था कि एक परिवार में एक ही व्यक्ति को आरक्षण की शर्त को तब तक मंजूर नहीं किया जा सकता है जब तक कोई ब्राह्मण अपनी बेटी उनके बेटे को दान ना कर दे या उससे संबंध ना बनाए। वर्मा के इस बयान पर ब्राह्मण और सवर्ण समाज ने आक्रोश जाहिर किया। विवाद बढऩे पर सूबे के सामान्य प्रशासन विभाग ने वरिष्ठ IAS अधिकारी को 26 नवंबर को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और पूछा था कि क्यों न उनकी टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए? IAS officer Santosh Verma

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भारत में सिनेमा की शुरुआत, यादगार रहा ऐतिहासिक दिन

1896 में बंबई के वॉटसन होटल से शुरू हुआ यह सफ़र आज भारतीय फिल्म उद्योग को दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री में बदल चुका है। शुरुआती प्रयोगों, विदेशी प्रदर्शनों, भारतीय फिल्मकारों के जुनून और तकनीकी प्रगति ने इस उद्योग का मजबूत आधार रखा, जो आज भी विकसित होता जा रहा है।

cinema in india
भारत में सिनेमा (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar10 Dec 2025 05:01 PM
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बता दें कि भारत में फिल्म उद्योग की नींव 7 जुलाई 1896 को पड़ी, जब बॉम्बे के वॉटसन होटल में उपमहाद्वीप की पहली फिल्मों का प्रदर्शन किया गया। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे विज्ञापन ने इसे “सदी की महानतम उपलब्धि” बताया था। उस दिन दिखाई गई फिल्मों में लुमियर ब्रदर्स की प्रसिद्ध फ़िल्म ‘अराइवल ऑफ ए ट्रेन’ भी शामिल थी, जिसने दर्शकों को दहशत में डाल दिया—कई लोगों को लगा कि ट्रेन सचमुच उनकी ओर आ रही है।

बॉम्बे में शुरू हुआ जादुई सफ़र

लुमियर ब्रदर्स द्वारा प्रदर्शित इन फिल्मों ने बंबई के दर्शकों को इतना मोहित किया कि कुछ दिनों बाद नॉवेल्टी थियेटर में इनके दोबारा प्रदर्शन की मांग उठी। शुरुआत में केवल 6 फिल्में दिखाई जाती थीं, जिन्हें बढ़ाकर 24 कर दिया गया। टिकट दरें चार आने से लेकर दो रुपये तक थीं—जो उस समय के हिसाब से काफी महंगी मानी जाती थीं। 14 जुलाई से शुरू हुआ यह प्रदर्शन एक महीने तक जारी रहा और 15 अगस्त 1896 तक बंबई जैसे महानगर में सिनेमाई जादू का असर छाया रहा।

भारतीयों में बढ़ी उत्सुकता, जन्मे देश के पहले फिल्मकार

इन फिल्मों के जादू ने भारतीय कलाकारों और तकनीशियनों को भी प्रेरित किया। महाराष्ट्र के फोटोग्राफर हरीश चंद्र सखाराम भटवाडेकर (सावे दादा) ने 1897 में भारत का पहला मोशन पिक्चर कैमरा मंगवाया और भारत की पहली डॉक्यूमेंटरी फिल्मों का निर्माण किया। उन्होंने पहलवानों की कुश्ती, बंदरों के करतब और आर.पी. परांजपे के स्वागत समारोह को फिल्माया—जो उपमहाद्वीप की पहली न्यूज़रील मानी जाती है।

विदेशी फिल्मकारों और कंपनियों का आगमन

1896 के बाद कई विदेशी फिल्म निर्माता भारत आए।

  • 1897 में स्टुअर्ट और ह्यूज
  • 1898 में प्रो. एंडरसन
  • 1900 में चार्ल्स पाथे

इन सबने भारत में फिल्मों के आयात व प्रदर्शनी को बढ़ावा दिया। इसी समय प्रोफेसर स्टीवेन्सन द्वारा बनाई गई ‘ए पैनोरमा ऑफ इंडियन सीन्स एंड प्रोसेसेस’ (1898) को भी भारत की शुरुआती फिल्मों में गिना जाता है।

भारत में फिल्म प्रदर्शन का विस्तार

जे.एफ. मदन का योगदान भारतीय फिल्म व्यापार के लिए निर्णायक रहा। उन्होंने 1902 में बायोस्कोप की शुरुआत की और आगे चलकर 37 सिनेमाघरों के मालिक बने। उसी दौर में अब्दुल अली यूसुफ अली ने टेंट सिनेमा के ज़रिए फिल्मों को गांव-गांव तक पहुंचाया।

पहली भारतीय कहानी-आधारित और पहली फीचर फिल्म

  • ‘पंडालक’ (1912): आर. जी. तोर्ने और एन. जी. चतरा द्वारा बनाई गई—कुछ इतिहासकार इसे पहली भारतीय फीचर फिल्म मानते हैं।
  • ‘राजा हरिश्चंद्र’ (1913): दादासाहब फाल्के द्वारा बनाई गई—इसे आधिकारिक रूप से भारत की पहली पूर्ण कहानी-आधारित मूक फिल्म माना जाता है।

आलम आरा से नई शुरुआत

1931 में मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमा में ‘आलम आरा’ प्रदर्शित हुई, जो भारत की पहली बोलती फिल्म थी। इसी फिल्म ने भारतीय फिल्म उद्योग को नई दिशा दी और बॉलीवुड ने दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई।

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दुनिया में कहां मिलती है सबसे सस्ती शराब? जानिए पूरी जानकारी

यदि आप सस्ती शराब के लिए विदेश यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो वियतनाम, यूक्रेन और जांबिया आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकते हैं। लेकिन वापस भारत लौटते समय यह जरूर ध्यान रखें कि आप 2 लीटर से अधिक शराब लाते हैं तो आपको कस्टम में भारी रकम चुकानी पड़ सकती है।

Traveling abroad for cheap alcohol
सस्ती शराब के लिए विदेश यात्रा (फाइल फोटो)
locationभारत
userऋषि तिवारी
calendar10 Dec 2025 04:00 PM
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आज के दौर में शराब की कीमतें हर किसी के लिए चिंता का विषय बन चुकी हैं। भारत में भी कई लोग इस बात से परेशान रहते हैं कि एक ही ब्रांड की शराब अलग-अलग राज्यों में अलग कीमत पर मिलती है और महंगी हो जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया के कुछ देशों में शराब बहुत ही कम दाम पर मिलती है? आइए जानते हैं कि कौन से देश हैं वे, जहां से आप सस्ती शराब खरीद कर भारत ला सकते हैं, और वहां से कितनी बोतलें आप भारत में ला सकते हैं।

किस देश में सबसे सस्ती शराब मिलती है?

विशेषज्ञों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दुनिया में सबसे सस्ती शराब वियतनाम में मिलती है। यहाँ शराब की कीमत करीब 35 रुपये प्रति बोतल तक हो सकती है। वियतनाम की औसत आय भी लगभग 1 लाख रुपये प्रति व्यक्ति है, जिससे वहां की आबादी के लिए शराब खरीदना आसान हो जाता है। इसके बाद यूक्रेन का नाम आता है, जहां शराब की कीमत लगभग 45 रुपये के आसपास मिलती है। कम टैक्स और प्रोडक्शन लागत की वजह से इन देशों में शराब की कीमतें बहुत ही कम हैं। अफ्रीका के जांबिया देश में भी शराब की कीमत लगभग 75 रुपये प्रति बोतल बताई जाती है, जो इसे सस्ती शराब के रूप में पहचान दिलाती है।

कम कीमत का कारण क्या है?

बता दें कि इन देशों जैसे यूक्रेन, वेनेजुएला, और जांबिया में शराब इतनी सस्ती होने का मुख्य कारण है कि सरकारें एक्साइज ड्यूटी बहुत कम रखती हैं। प्रोडक्शन लागत भी कम है और स्थानीय लोगों में शराब पीने का रुझान ज्यादा है, जिससे मांग भी बनी रहती है।

भारत में कितनी शराब ला सकते हैं?

बता दें कि अगर आप इन देशों में से किसी से भारत लौट रहे हैं, तो आपको यह जानना जरूरी है कि भारतीय नियमों के अनुसार, आप बिना शुल्क के 2 लीटर वाइन या स्पिरिट ला सकते हैं। इसे ड्यूटी-फ्री अलाउंस कहा जाता है। यदि आप इससे अधिक शराब लाते हैं, तो कस्टम शुल्क देना पड़ता है, जो शराब की कीमत पर बहुत बड़ा असर डाल सकता है। उदाहरण के तौर पर, वाइन पर लगभग 206 प्रतिशत और स्पिरिट पर तकरीबन 218 प्रतिशत का कस्टम ड्यूटी लगाई जाती है। यानी, महंगी से महंगी शराब भी भारत में लाने पर बहुत महंगी पड़ सकती है।