Noida News : नोएडा के बहुचर्चित सुपरटेक बिल्डर के मालिक आरके अरोड़ा भले ही जेल में हो, लेकिन ट्विन टॉवर में रुपया इंवेस्ट कर चुके घर खरीदारों के लिए एक अच्छी खबर आई है। खबर यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने ट्विन टॉवर में फ्लैट लेने के लिए दी गई राशि को वापस करने का फैसला सुनाया है। रिफंड करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन बैंक को 10 दिन का समय दिया है।
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आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सुपरटेक कंपनी के मालिक आरके अरोड़ा अब दोहरी मुसीबत में फंस गए हैं। पहली तो यह कि वह ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जा चुके हैं और उसे जमानत नहीं मिल रही है, दूसरी मुसीबत यह है कि ट्विन टॉवर के नाम पर जिन लोगों से पैसा लिया है, वह पैसा सभी को वापस करना पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट ने 27 सितंबर को सुनाए अपने फैसले में घर खरीददारों के रिफंड करने के आदेश दिए हैं।
यूनियन बैंक को दिया निर्देश
आपको बता दें कि सुपरटेक ट्विन टावर्स वो ही बिल्डिंग है, जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जमींदोज कर दिया गया था। 28 अगस्त 2022 को शीर्ष अदालत के आदेश पर 100 मीटर ऊंची इमारत को मिट्टी में मिला दिया था। एक साल से ज्यादा का वक्त बीत जाने के बाद भी अब तक घर खरीदारों को पैसों का भुगतान नहीं किया गया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने खरीददारों को राहत देते हुए यूनियन बैंक को रिफंड करने को लेकर निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने यूनियन बैंक को निर्देश दिया कि वह नोएडा में अब ध्वस्त हो चुके सुपरटेक के ट्विन टावरों के 15 घर खरीदारों को 1.25 करोड़ रिफंड का हिस्सा 15 लाख से अधिक की राशि जारी करे। अदालत ने दिवालिया की कार्यवाही का सामना कर रही रियल एस्टेट फर्म को 10 दिनों के भीतर राशि जारी करने का निर्देश दिया गया था।
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यह आदेश तब जरूरी हो गया जब कोर्ट ने 17 जुलाई को सुपरटेक के अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) को 31 अगस्त तक सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में राशि जमा करने का निर्देश दिया ताकि संबंधित घर खरीदारों को भुगतान किया जा सके। लेकिन आईआरपी पूरी राशि जमा करने में विफल रही, क्योंकि यूनियन बैंक ने उसके हिस्से का 15,51,678 रुपये का भुगतान करने से इनकार कर दिया। बैंक ने 1 सितंबर को आईआरपी को पत्र लिखकर दावा किया कि राशि का भुगतान नहीं किया जा सकता, क्योंकि ट्विन टावर्स – एपेक्स और सेयेन – सुपरटेक के एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं जो दिवालिया कार्यवाही का हिस्सा नहीं हैं।
इसके अलावा बैंक ने दावा किया कि वह उस कार्यवाही में पक्षकार नहीं है, जिसमें आदेश पारित किया गया था और आईआरपी से कहा कि वह ना सिर्फ घर खरीदारों बल्कि वित्तीय लेनदारों के हितों की रक्षा करने के लिए कर्तव्यबद्ध है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हम यूनियन बैंक को 17 जुलाई के हमारे आदेश के अनुपालन के लिए सुपरटेक को 15,51,678 की राशि जारी करने को सुनिश्चित करने के लिए 10 दिनों के भीतर कदम उठाने का निर्देश देते हैं।”
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