Wednesday, 3 July 2024

Noida News : 47 साल बाद भी नोएडा में पेयजल मयस्सर नहीं !

Noida News : स्थापना के तकरीबन 47 वर्षों बाद भी यूपी के शो विंडो, औद्योगिक निवेश में अव्वल तथा प्रदेश…

Noida News : 47 साल बाद भी नोएडा में पेयजल मयस्सर नहीं !

Noida News : स्थापना के तकरीबन 47 वर्षों बाद भी यूपी के शो विंडो, औद्योगिक निवेश में अव्वल तथा प्रदेश की आर्थिक राजधानी के विशेषणों से नवाजे जाने वाला शहर नोएडा आज तक शुद्ध पेयजल मुहैया नहीं करा पाया है। इसके लिए यहां की जनता नहीं बल्कि प्रदेश के हुक्मरानों के अलावा प्राधिकरण के शीर्ष स्तर के अफसर ही जिम्मेदार हैं। पानी की खराब गुणवत्ता का आलम यह है कि यहां के पानी में टीडीएस यानी टोटल डिजोल्ड सॉलिड्स का अनुपात 500-2500 मिलीग्राम प्रति लीटर तक है।

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सर्वे में पाया गया कि सेक्टर-55 में टीडीएस की मात्रा 2620 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया। जबकि सेक्टर-21 में 1880, सेक्टर-19 में 957, सेक्टर-100 में 1320, सेक्टर-108 में 1500, सेक्टर-74 में 1780, सेक्टर-41 में 2330 तथा सेक्टर-93 में 1340 मिलीग्राम प्रति लीटर तक टीडीएस पाया गया।

आपको बता दें कि इंडिया टुडे की टीम ने नोएडा के पानी की गुणवत्ता को परखने के लिए नोएडा के आबादी वाले इलाकों और सोसायटी से पानी के सैंपल लिए थे। पानी के इन सैंपल को नेशनल एक्रेडिशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरी (एनएबीएल) तथा पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मान्यता प्राप्त लैब में जांच के लिए भेजा। जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा है। पानी के सैंपल की जांच रिपोर्ट से पता चलता है कि नोएडा के पानी का टीडीएस लेवल 500 से लेकर 2500 मिलिग्राम प्रति लीटर तक है।

विशेषज्ञों का मत है कि पानी में कैल्सियम कार्बोनेट की तय मात्रा 200 मिलिग्राम प्रति लीटर होनी चाहिए, अनुमति प्राप्त सीमा 600 मिलिग्राम है, लेकिन सैंपल की जांच में यह 845 मिलिग्राम प्रति लीटर निकला है।
क्लोराइड्स के लिए तय सीमा 250 मिलिग्राम प्रति लीटर है, लेकिन जांच रिपोर्ट में 708 मिलिग्राम निकला है। पहला गंगा जल, जो नोएडा प्राधिकरण द्वारा पाइप लाइन के जरिए सप्लाई किया जाता है। पानी का दूसरा स्रोत भूजल है।

शासन स्तर से नहीं है कोई व्यवस्था

नोएडा की मिट्टी दो मिनरल्स बेहद कॉमन हैं। मैग्नीशियम और कैल्सियम। इनकी वजह से नोएडा का पानी कठोर और नुकसानदायक होता जा रहा है। जिसका रेंज 108 मिलिग्राम प्रतिलीटर से लेकर 838 मिलिग्राम प्रतिलीटर की बीच है। यह जलस्रोत पर निर्भर करता है कि उसकी कठोरता कितनी ज्यादा होगी।

प्राधिकरण के जल विभाग द्वारा पानी की गुणवत्ता सुधारने के लिए बृहद स्तर पर कई अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन शासन स्तर पर जो वैकल्पिक व्यवस्था की जानी चाहिए वह अभी तक किसी भी पार्टी की सरकार ने नहीं किए। यही कारण है कि स्थापना के 47 वर्षों बाद भी नोएडा में लाखों लोगों के लिए पेयजल भी मयस्सर नहीं हो पाया। कैल्सियम के लिए 75 मिलिग्राम प्रति लीटर तय सीमा है, किंतु 186 मिलिग्राम प्रति लीटर पाया गया है। मैग्नीशियम भी तय सीमा से तीन गुना ज्यादा मात्रा में पाया गया।

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