Wednesday, 2 April 2025

Noida News : नया और ताजा दूध : चीनी व पानी के घोल में जीवाणु मिलाकर बनने लगा है नई किस्म का दूध

Noida News : आपने गाय, भैंस, बकरी का दूध पिया होगा। यह भी हो सकता है कि पौधों से मिलने…

Noida News : नया और ताजा दूध : चीनी व पानी के घोल में जीवाणु मिलाकर बनने लगा है नई किस्म का दूध

Noida News : आपने गाय, भैंस, बकरी का दूध पिया होगा। यह भी हो सकता है कि पौधों से मिलने वाले दूध का भी स्वाद चखा होगा या उस दूध के विषय में सुना होगा। अब बाजार में एक नए प्रकार का दूध आ गया है। इस दूध के लिए गाय, भैंस, बकरी अथवा पौधों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। यह पूरी तरह से सिंथेटिक दूध होगा। मजेदार बात यह है कि इस दूध को पीने से कोई हानि नहीं होगी बल्कि युवा वर्ग के लिए यह दूध अमृत के समान होगा।

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हमारे पूर्वजों ने हमेशा गाय का दूध श्रेष्ठ माना था। आबादी बढऩे के साथ-साथ भैंस का दूध प्रयोग में आने लगा। कुछ क्षेत्रों में बकरी का दूध तो कुछ सीमित क्षेत्रों में पौधों जैसे सोयाबीन, बादाम आदि के दूध का प्रयोग भी होता रहा है। अब बाजार में एक नई प्रकार का दूध आ गया है। यह दूध पानी व चीनी के घोल में जीवाणु मिलाकर तैयार किया जा रहा है। इस दूध को बनाने का पूरा फार्मूला सफल साबित हुआ है। फार्मूला सफल होने के साथ ही “नया दूध” बाजार में आ गया है।

क्या है नया दूध

नोएडा के सेक्टर-15ए में रहने वाले कंज्यूमर प्रोडक्टस (उपभोक्ता उत्पाद) के विशेषज्ञ डा. अरूण मिश्रा ने चेतना मंच को बताया कि बाजार में अब बिल्कुल ही “नया दूध” आ गया है। इस दूध को सरल भाषा में सिंथेटिक दूध कहा जा सकता है। यह दूध एक खास प्रकार की तकनीक से बनाया जाता है। श्री मिश्रा ने बताया कि विशेष प्रकार से तैयार किए गए एक टैंकर में पानी व चीनी के घोल को भरा जाता है। घोल तैयार करने के बाद उस टैंकर में कुछ खास किस्म के जीवाणु छोड़े जाते हैं। कुछ समय बाद ये जीवाणु चीनी के घोल को दूध के प्रोटीन में बदल देते हैं। इस प्रकार नया व ताजा दूध तैयार हो जाता है। डा. मिश्रा बताते हैं कि इस दूध का उत्पाद अमेरिकी बाजार में तो आ चुका है। भारत में इस उत्पाद के आने में थोड़ा समय लग सकता है।

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फायदेमंद है नया दूध

विशेषज्ञों का मत है कि जैविक प्रक्रिया से तैयार होने वाला दूध सेहत के लिए फायदेमंद है। इस दूध में युवा अवस्था में नुकसान पहुंचाने वाला लैक्टोस अलग किया जा सकता है। जिसके कारण अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है। दुनिया में बढ़ रही ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से निपटने में भी इस दूध के उत्पादन के तरीके को अच्छा माना जा रहा है। एक तो इस दूध को बनाने में परंपरागत ढंग से बनने वाले दूध की तुलना में पानी कम खर्च होता है, ऊर्जा और स्थान भी कम लगता है। इस उत्पाद के दौरान ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन भी होता है। इस कारण पर्यावरणविद भी इस दूध को अच्छा प्रयास बता रहे हैं।

महंगे हैं दूध बनाने वाले टैंक

विश्व की प्रसिद्ध पत्रिका The Economist की माने तो नए प्रकार का दूध बनाने के लिए प्रयोग में लाने जाने वाले टैंक काफी महंगे हैं। 2 घंटे में 30 लीटर दूध तैयार करने वाले एक टैंक की कीमत डेढ़ करोड़ रूपये है। यदि इस टैंक की तुलना एक गाय से करें तो एक ही दिन में 30 लीटर (15-15 लीटर सुबह-शाम) दूध देने वाली गाय डेढ़ से दो लाख रूपये में आ जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में टैंक के डिजाइन आदि में परिवर्तन करके कीमत घटाने की सोची जा सकती है। Noida News

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